उपभोोक्‍ता का अधिकार

उपभोक्ता सांरक्षण अधिनियम की धारा 6 के अंतर्गत उपभोक्ता को कुछ अधिकार सुरक्षा का अधिकार प्रदान किए गए हैं।

  1. सुरक्षा का अधिकारः- उपभोक्ता का प्रथम अधिकार सुरक्षा का अधिकार है। उपभोकता को ऐसे वस्तुओं और सेवाओं से सुरक्षा प्राप्त करने का अधिकार है जिससे उसके शरीर या संपत्ति को हानि हो सकती है जैसे- बिजली का आयरन विद्युत आपूर्ति की खराबी के कारण करंट मार देता है या एक डॉक्टर ऑपरेशन करते समय लापरवाही बरतता है जिसके कारण मरीज को खतरा या हानि हो सकती है।
  2. सुचना पाने का अधिकारः- उपभोकता को वे सभी आवश्यक सुचनाएँ प्राप्त करने का अधिकार है जिसके आधार पर वह वस्तुएँ या सेवाएँ खरीदने का निर्णय कर सकते हैं। जैसेः- पैकेट बंद सामान खरीदने पर उसका मुल्य इस्तेमाल करने की अवधि, गणवत्ता इत्यादि की सुचना प्राप्त करें।
  3. चुनाव या पसंद करने कर अधिकारः- उपभोक्ता अपने अधिकार के अंतर्गत विभिन्न निर्माताओं द्वारा निर्मित विभिन्न ब्रांड, किस्म, रूप, रंग, आकार तथा मूल्य की वस्तुओं में किसी भी वस्तु का चुनाव करने को स्वतंत्र है।
  4. सुनवाई का अधिकारः- उपभोक्ता को अपने हितों को प्रभावित करनेवाली सभी बातो को उपयुक्त मंचो के समक्ष प्रस्तुत करने कर अधिकार है। उपभोक्ता को अपने को मंचो के साथ जुड़कर अपने बातों को रखनी चाहिए।
  5. शिकायत निवारण या क्षतिपूर्ति का अधिकारः- यह अधिकार लोगों को आश्वासन प्रदान करता है कि क्रय की गयी वस्तु या सेवा उचित ढ़ंग की अगर नही निकली तो उन्हे मुआवजा दिया जएगा।
  6. उपभोकता शिक्षा का अधिकारः- उपभोकता शिक्षा का अधिकार के अर्न्तगत, किसी वस्तु के मूल्य, उसकी उपयोगिता, कोटी तथा सेवा की जानकारी एवं अधिकारों से ज्ञान प्राप्ती की सुविधा जैसी बातें आती है जिसके माध्यम से शिक्षित उपभोकता धोखाधड़ी, दगाबाजी से बचने के लिए स्वंय सबल, संरक्षित एवं शिक्षित हो सकते हैं और उचित न्याय के लिए खड़े हो सकते हैं

उपभोकता संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत उपभोक्ताओं को उनकी शिकायतां के निवारण के लिए व्यवस्था दी गई है जिसे तीन स्तरों पर स्थापित किया गया है-

राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय आयोग

राज्य स्तर पर राज्य स्तरीय आयोग

जिला स्तर पर जिला मंच (फोरम)

उपभोक्ता संरक्षण हेतु सरकार द्वारा गठित न्यायिक प्रणाली

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 में त्रिस्तरीय अर्द्धन्यायिक व्यवस्था है, जिसमें, जिला मंचों, राज्य आयोग एवं राष्ट्रीय आयोग  की स्थापना की गई है।

अगर उपभोक्ता राष्ट्रीय फोरम से संतुष्ट नहीं होता है तो वह आदेश के 30 दिनों के अंदर उच्चतम न्यायालय में अपील कर सकता है।

उपभोकता- शिकायत‘, क्या, कहाँ, कैसे?

इस समय देश में 582 जिला फोरम, 35 राज्य आयोग और एक राष्ट्रीय आयोग काम कर रहे हैं जिसके द्वारा दायर 24 लाख मामलो में 84% मामलों को निपटाया जा चुका है।

शिकायत क्या करें ?

यदि कोई उत्पादक या व्यापारी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 में परिभाषित उपभोकता के अधिकारे के विरूद्ध कार्य करता है तब उपभोकता शिकायत दर्ज कर सकते हैं!

शिकायत कहाँ करें ?

यदि किसी व्यक्ति या सेवा का मूल्य 20 लाख से कम है तो वह शिकायत जिला फोरम में दर्ज करा सकते हैं।

शिकायत करने का तरीका

उपभोकता द्वारा शिकायत सादें कागज पर की जा सकती है जिसे दर्ज करने के लिए कोई शुल्क नही देना होता है साथ ही इसे व्यक्तिगत रूप से या डाक द्वारा भेजा जा सकता है।

पुनः अगर वस्तु व सेवा का मूल्य 20 लाख के ऊपर और 1 करोड़ के नीचे हो तो शिकायत राज्य आयोग के पास की जा सकती है और अगर किसी वस्तु या सेवा का मूल्य या क्षतिपूर्ति राशि 1 करोड़ से अधिक होने पर उपभोकता राष्ट्रीय अयोग में इसकी शिकायत कर सकता है।

शिकायत कैसे की जाए ?

शिकायत सादे कागज पर की जा सकती है।

शिकायत में निम्नलिखित विवरण होना चाहिए-

शिकायत कर्ताओं तथा विपरित पार्टी के नाम का विवरण तथा पता।

शिकायत से संबंधित तथ्य एवं यह सब कब और कहाँ हुआ।

शिकायत में उल्लिखित आरोपों के सर्मथन में दस्तावेज।

शिकायत पे शिकायतकर्ताओं अथवा उसके प्राधिकृत एजेंट के हस्ताक्षर होने चाहिए।

अपनी शिकायत भेजें ताकि इसका समाधान हो सके।

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