1 (ङ) शक्ति (ऊर्जा) संसाधन | Shakti (Urja) Sansadhan class 10th objective

1 (ङ) शक्ति (ऊर्जा) संसाधन | Shakti (Urja) Sansadhan

Shakti (Urja) Sansadhan

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
किस राज्य में खनिज तेल को विशाल भंडार स्थित है ?
(क) असम
(ख) राजस्थान
(ग) बिहार
(घ) तमिलनाडु
उत्तर-
(क) असम

प्रश्न 2.
भारत के किस स्थान पर पहला परमाणु ऊर्जा स्टेशन स्थापित किया गया था ?
(क) कलपक्कम
(ख) नरोरा
(ग) राणाप्रताप सागर
(घ) तारापुर
उत्तर-
(घ) तारापुर

Shakti (Urja) Sansadhan

प्रश्न 3.
कौन-सा ऊर्जा स्रोत अनवीकरणीय है ?
(क) जल
(ख) सौर
(ग) कोयला
(घ) पवन
उत्तर-
(ग) कोयला

प्रश्न 4.
प्राथमिक ऊर्जा का उदाहरण नहीं है
(क) कोयला
(ख) विद्युत
(ग) पेट्रोलियम
(घ) प्राकृतिक गैस
उत्तर-
(ख) विद्युत

प्रश्न 5.
ऊर्जा का गैर-पारम्परिक स्रोत है
(क) कोयला
(ख) विद्युत
(ग) पेट्रोलियम
(घ) सौर-ऊर्जा
उत्तर-
(घ) सौर-ऊर्जा

Shakti (Urja) Sansadhan

प्रश्न 6.
गोण्डवाना समूह के कोयले का निर्माण हुआ था
(क) 20 करोड़ वर्ष पूर्व
(ख) 20 लाख वर्ष पूर्व
(ग) 20 हजार वर्ष पूर्व
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(क) 20 करोड़ वर्ष पूर्व

प्रश्न 7.
भारत में कोयले का सर्वप्रमुख उत्पादक राज्य है
(क) पश्चिम बंगाल
(ख) झारखण्ड
(ग) उड़ीसा
(घ) छत्तीसगढ़
उत्तर-
(ख) झारखण्ड

प्रश्न 8.
सर्वोत्तम कोयले का प्रकार कौन-सा है ?
(क) एन्थ्रासाइट
(ख) पीट
(ग) लिग्नाइट
(घ) बिटुमिनस
उत्तर-
(क) एन्थ्रासाइट

Shakti (Urja) Sansadhan

प्रश्न 9.
मुम्बई हाई क्यों प्रसिद्ध है?
(क) कोयले के निर्यात हेतु
(ख) तेल शोधक कारखाना हेतु
(ग) खनिज तेल हेतु
(घ) परमाणु शक्ति हेतु
उत्तर-
(ग) खनिज तेल हेतु

प्रश्न 10.
भारत का प्रथम तेल शोधक कारखाना कहाँ स्थित है?
(क) मथुरा
(ख) बरौनी
(ग) डिगबोई
(घ) गुवाहाटी
उत्तर-
(ग) डिगबोई

प्रश्न 11.
प्राकृतिक गैस किस खनिज के साथ पाया जाता है?
(क) यूरेनियम
(ख) पेट्रोलियम
(ग) चूना पत्थर
(घ) कोयला
उत्तर-
(ख) पेट्रोलियम

Shakti (Urja) Sansadhan

प्रश्न 12.
भाखड़ा नंगल परियोजना किस नदी पर अवस्थित है ?
(क) नर्मदा
(ख) झेलम
(ग) सतलज
(घ) व्यास
उत्तर-
(ग) सतलज

प्रश्न 13.
दक्षिण भारत की सबसे बड़ी नदी घाटी परियोजना है।
(क) तुंगभद्रा
(ख) शारवती
(ग) चंबल
(घ) हिराकुण्ड
उत्तर-
(क) तुंगभद्रा

प्रश्न 14.
ताप विद्युत केन्द्र का उदाहरण है
(क) गया
(ख) बरौनी
(ग) समस्तीपुर
(घ) कटिहार
उत्तर-
(ख) बरौनी

प्रश्न 15.
यूरेनियम का प्रमुख उत्पादक स्थल है
(क) डिगबोई
(ख) झरिया
(ग) घाटशिला
(घ) जादूगोड़ा
उत्तर-
(घ) जादूगोड़ा

Shakti (Urja) Sansadhan

प्रश्न 16.
एशिया का सबसे बड़ा परमाणु विद्युत-गृह है।
(क) तारापुर
(ख) कलपक्कम
(ग) नरौरा
(घ) कैगा
उत्तर-
(क) तारापुर

प्रश्न 17.
भारत के किस राज्य में सौर-ऊर्जा के विकास की सर्वाधिक संभावनाएं हैं ?
(क) असम
(ख) अरुणाचलप्रदेश
(ग) राजस्थान
(घ) मेघालय
उत्तर-
(ग) राजस्थान

Shakti (Urja) Sansadhan

प्रश्न 18.
ज्वारीय एवं तरंग ऊर्जा उत्पादन हेतु भारत में अधिक अनुकूल परिस्थितियाँ कहाँ पाई जाती हैं ?
(क) मन्नार की खाड़ी में
(ख) खम्भात की खाड़ी में
(ग) गंगा नदी में
(घ) कोसी नदी में
उत्तर-
(ख) खम्भात की खाड़ी में

Shakti (Urja) Sansadhan

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1 (ग) वन एवं वन्य प्राणी संसाधन | Van Evam Van Prani Sansadhan class 10th objective

1 (ग) वन एवं वन्य प्राणी संसाधन (Van Evam Van Prani Sansadhan)

Van Sansadhan Evam Van Prani Sansadhan

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
भारत में 2001 में कितने प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र में वन का विस्तार है?
(क) 25
(ख) 19.27
(ग).20
(घ) 20.60
उत्तर-
(ख) 19.27

प्रश्न 2.
वन स्थिति रिपोर्ट के अनुसार भारत में वन का विस्तार है।
(क) 20.60% भौगोलिक क्षेत्र में
(ख) 20.55% भौगोलिक क्षेत्र में
(ग) 20% भौगोलिक क्षेत्र में
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(ख) 20.55% भौगोलिक क्षेत्र में

प्रश्न 3.
बिहार में कितने प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र में वन का फैलाव है ?
(क) 15
(ख) 20
(ग) 10
(घ) 5
उत्तर-
(घ) 5

Van Evam Van Prani Sansadhan

प्रश्न 4.
पूर्वोत्तर राज्यों के 188 आदिवासी जिलों में देश के कुल क्षेत्र का कितना प्रतिशत वन
(क) 75
(ख) 80.05
(ग) 90.03
(घ) 60.11
उत्तर-
(घ) 60.11

प्रश्न 5.
किस राज्य में वन का सबसे अधिक विस्तार है ?
(क) केरल
(ख) कर्नाटक
(ग) मध्य प्रदेश
(घ) उत्तर प्रदेश
उत्तर-
(ग) मध्य प्रदेश

प्रश्न 6.
वन संरक्षण एवं प्रबंधन की दृष्टि से वनों को वर्गीकृत किया गया है
(क) 4 वर्गों में
(ख) 5 वर्गों में
(ग) 5 वर्गों में
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(ख) 5 वर्गों में

Van Evam Van Prani Sansadhan

प्रश्न 7.
1951 से 1980 तक लगभग कितना वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र कृषि-भूमि में परिवर्तित हुआ?
(क) 30,000
(ख) 26,200
(ग) 25,200
(घ) 35,500
उत्तर-
(ख) 26,200

प्रश्न 8.
संविधान की धारा 21 का संबंध है
(क) वन्य जीवों तथा प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण
(ख) मृदा संरक्षण
(ग) जल संसाधन संरक्षण
(घ) खनिज सम्पदा संरक्षण
उत्तर-
(क) वन्य जीवों तथा प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण

प्रश्न 9.
एक ए ओ की वानिकी रिपोर्ट के अनुसार 1948 में विश्व में कितने हेक्टेयर भूमि पर वन का विस्तार था।
(क) 6 अरब हेक्टेयर
(ख) 4 अरब हेक्टेयर
(ग) 8 अरब हेक्टेयर में
(घ) 5 अरब हेक्टेयर में
उत्तर-
(ख) 4 अरब हेक्टेयर

प्रश्न 10.
प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण 1968 में कौन-सा कनवेंशन हुआ था?
(क) अफ्रीकी कनवेंशन
(ख) वेटलैंड्स कनवेंशन
(ग) विश्व आपदा कनवेंशन
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(क) अफ्रीकी कनवेंशन

Van Evam Van Prani Sansadhan

प्रश्न 11.
इनमें कौन-सा जीव है जो केवल भारत ही में पाया जाता है ?
(क) घड़ियाल
(ख) डॉलफिन
(ग) ह्वेल
(घ) कछुआ
उत्तर-
(ख) डॉलफिन

प्रश्न 12.
भारत का राष्ट्रीय पक्षी है।
(क) कबूतर
(ख) हंस
(ग) मयूर
(घ) तोता
उत्तर-
(ग) मयूर

प्रश्न 13.
मैंग्रोव्स का सबसे अधिक विस्तार है
(क) अण्डमान-निकोबार द्वीप समूह के तटीय भाग में
(ख) सुन्दरवन में
(ग) पश्चिमी तटीय प्रदेश में
(घ) पूर्वोत्तर राज्य में
उत्तर-
(ख) सुन्दरवन में

Van Evam Van Prani Sansadhan

प्रश्न 14.
टेक्सोल का उपयोग होता है
(क) मलेरिया में
(ख) एड्स में
(ग) कैंसर में
(घ) टी.बी. के लिए
उत्तर-
(ग) कैंसर में

प्रश्न 15.
‘चरक’ का संबंध किस देश से था?
(क) म्यनमार से
(ख) श्रीलंका से
(ग) भारत से
(घ) नेपाल से
उत्तर-
(ग) भारत से

Van Evam Van Prani Sansadhan

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1 (ख) जल संसाधन | Jal sansadhan class 10th objective

1 (ख) जल संसाधन (Jal sansadhan class 10th objective)

Jal sansadhan class 10th objective

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
वृहद क्षेत्रों में जल की उपस्थिति के कारण ही पृथ्वी को कहते हैं
(क) उजला ग्रह
(ख) नीला ग्रह
(ग) लाल ग्रह
(घ) हरा ग्रह
उत्तर-
(ख) नीला ग्रह

प्रश्न 2.
कुल जल का कितना प्रतिशत भाग महासागरों में निहित है ?
(क) 9.5%
(ख) 95:5%
(ग) 96.5%
(घ) 96.6%
उत्तर-
(ग) 96.5%

प्रश्न 3.
देश के बाँधों को किसने ‘भारत का मंदिर’ कहा था?
(क) महात्मा गाँधी
(ख) डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
(ग) पंडित नेहरू
(घ) स्वामी विवेकानन्द
उत्तर-
(ग) पंडित नेहरू

प्रश्न 4.
प्राणियों के शरीर में कितना प्रतिशत जल की मात्रा निहित होती है ?
(क) 55%
(ख) 60%
(ग) 65%
(घ) 70%
उत्तर-
(ग) 65%

प्रश्न 5.
बिहार में अति जल दोहन से किस तत्व का संकेन्द्रण बढ़ा है ?
(क) फ्लोराइड
(ख) क्लोराइड
(ग) आर्सेनिक
(घ) लोह
उत्तर-
(ग) आर्सेनिक

Jal sansadhan class 10th objective

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1 (क) प्राकृतिक संसाधन | Prakritik Sansadhan class 10th objective

1 (क) प्राकृतिक संसाधन (Prakritik Sansadhan class 10th objective)

Prakritik Sansadhan class 10th objective

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
पंजाब में भूमि निम्नीकरण का मुख्य कारण है ?
(क) वनोन्मूलन
(ख) गहन खेती
(ग) अतिपशुचारण
(घ) अधिक सिंचाई
उत्तर-
(क) वनोन्मूलन

प्रश्न 2.
सोपानी कृषि किस राज्य में प्रचलित है ?
(क) हरियाणा
(ख) पंजाब
(ग) बिहार का मैदानी क्षेत्र
(घ) उत्तराखंड
उत्तर-
(ग) बिहार का मैदानी क्षेत्र

प्रश्न 3.
मरुस्थलीय मृदा का विस्तार निम्न में से कहाँ है ?
(क) उत्तर प्रदेश
(ख) राजस्थान
(ग) कर्नाटक
(घ) महाराष्ट्र
उत्तर-
(ख) राजस्था

प्रश्न 4.
मेढक के प्रजनन को नष्ट करने वाला रसायन कौन है ?
(क) बेंजीन
(ख) यूरिया
(ग) एड्रिन
(घ) फास्फोरस .
उत्तर-
(ग) एड्रिन

प्रश्न 5.
काली मृदा का दूसरा नाम क्या है ?
(क) बलुई मिट्टी
(ख) रेगुर मिट्टी
(ग) लाल मिट्टी
(घ) पर्वतीय मिट्टी
उत्तर-
(ख) रेगुर मिट्टी

Prakritik Sansadhan class 10th objective

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कक्षा 10 भूगोल आपदा और सह-अस्तित्व – Aapda aur Sah Ashtitav

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड के कक्षा 10 के भूगोल के आपदा प्रबंधन के इकाई छ: का पाठ ‘आपदा और सह-अस्तित्व’ (Aapda aur Sah Ashtitav) के महत्‍वपूर्ण टॉपिक को पढ़ेंगें

Aapda aur Sah Ashtitav
Aapda aur Sah Ashtitav

इकाई-6
आपदा और सह-अस्तित्व (Aapda aur Sah Ashtitav)

बाढ़, सुखाड़, चक्रवात, भूकम्प, ज्वालामुखी विस्फोट, सुनामी, भूस्खलन, हिमस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओ का होना स्वभाविक हैं, इसे रोका नही जा सकता हैं। हाँ, इसके मुकाबले के लिए हमे सदैव तैयार रहना चाहिए और आपदा पूर्व ही तैयारी करनी चाहिए ताकि कम से कम क्षति हो सके और अधिक से अधिक लोगो को जान माल की सुरक्ष मिल सके।
भूकम्प :
भूकंप एक बहुत बड़ी एवं अत्यंत विनाशकारी प्राकृतिक आपदा है। भूकम्प आने पर कुछ ही देर में इतनी बर्बादी हो जाती हे जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है।
भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदा के लिए सुरक्षित आवासीय या सार्वजनिक भवन के निर्माण के लिए निम्नलिखित बिंदुओं पर अवश्य ध्यान देना चाहिए :
1.भवनों को आयताकार होना चाहिए और नक्शा साधारण होना चाहिए।
2.लम्बी दीवारों का सहारा देने के लिए ईंट-पत्थर या कंक्रीट के कालम होने चाहिए।
3.नींव को मजबूत एवं भूकंप अवरोधी होनी चाहिए।
4.दरवाजे खिड़कियों की स्थिति भूकम्प अवरोधी होनी चाहिए।
5.गलियों एवं सड़कों को चौड़ा होना चाहिए तथा दो भवनों के बीच प्रर्याप्त दूरी होनी चाहिए।
भूस्खन :
भूस्खलन के पाँच रूप होते हैं 1. बारिश के पानी के साथ मिट्टी और कचड़े का नीचे आना, 2. कंकड़-पत्थरों का खिसकना, 3. कंकड़-पत्थर का गिरना, 4. चट्टानों का खिसकना तथा 5. चट्टानों का गिरना।
भूस्खलन के लिए निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना चाहिए।
1.ढ़ालवा स्थानों पर आवासों का निर्माण न करना।
2.मिट्टी की प्रकृति के अनुरूप उपयुक्त नींव बनाना।
3.सड़कों, नहर निर्माण एवं सिंचाई के क्रम में इस बात का ध्यान रखना कि प्राकृतिक जल की निकासी न रूके।
4.इसकों रोकने के लिए दीवारों का निर्माण करना चाहिए।
5.अधिक-से-अधिक पेड़ लगाना चाहिए।
सुनामी :
सुनामी के कारण बडी हानि जान-माल की होती है। यह तटीय क्षेत्रों में खेतों को बंजर बना देता है।
सुनामी को न ही रोका जा सकता है और इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है। इसके लिए निम्नलिखित तरिके अपनाना चाहिए।
1.जहाँ सुनामी की लहरें अक्सर आती है, वहाँ लोगों को तट से दूर बसने के लिए प्रोत्साहन देना।
2.समुद्र तटीय भाग में घना वृक्षारोपण कर सुनामी के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
3.नगरों एवं पत्तनों को बचाने के लिए कंक्रीट अवरोधक का निर्माण करना चाहिए।
4.सुनामीटर द्वारा समुद्रतल में होने वाली हलचल का पता लगाते रहना चाहिए।
5.तटीय क्षेत्रों में मकान ऊँचे स्थान पर और तट से करीब दो सौ मीटर की दूरी पर बनाना चाहिए।
बाढ़ :
बाढ़ एक प्राकृतिक आपदा है लेकिन इससे होने वाली तबाही से भी बचा जा सकता है।
इससे राहत पाने के लिए सबसे पहले बाढ़ प्रभावित क्षेत्रोंका मानचित्र तैयार करें। इन क्षेत्रों में बड़े विकास योजना की अनुमति नहीं देना चाहिए। जलजमाव वाले क्षेत्रों में भवन निर्माण नहीं करना चाहिए। आवास के लिए ऊँचे सुरक्षित स्थानों को चुनना चाहिए। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में वनों का अधिक विकास करना चाहिए। नदियों के दोनों तटों पर तट बंध का निर्माण करके बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों को बहुत हद तक सुरक्षा प्रदान किया जा सकता है।
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में नहरों का जाल बिछा कर इसके विभिषिका को कम करने के साथ-साथ सिंचाई भी किया जा सकता है।
ऐसे फसलों या प्रजातियों का विकास करना चाहिए जो बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में भी पैदा की जा सकता है।
सुखाड :
सुखाड़ एक ऐसी आपदा है, जो अचानक नहीं आता है। बल्कि यह संकेत देकर आता है। इसके अंत की अवधि नहीं होती है।
सुखाड़ तीन प्रकार के होते हैं :
1.सामान्य सुखाड़, 2. कृषि सुखाड़ और 3. मौसमी सुखाड़
सबसे खतरनाक मौसमी सुखाड़ को माना जाता है। सुखाड़ के समय जल के अभाव से न केवल मिट्टी की नमी समाप्त हो जाती है, बल्कि सभी प्राणियों को जान तक बचाना मुश्किल हो जाता है। अकाल की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। खाद्यान्नों की भारी कमी हो जाती है।

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Aapda Kal Main Vaikalpik Sanchar Vyavastha – कक्षा 10 भूगोल आपदा काल में वैकल्पिक संचार व्यवस्था

Aapda Kal Main Vaikalpik Sanchar Vyavastha

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड के कक्षा 10 के भूगोल के आपदा प्रबंधन के इकाई पाँच का पाठ ‘आपदा काल में वैकल्पिक संचार व्यवस्था’ (Aapda Kal Main Vaikalpik Sanchar Vyavastha) के महत्‍वपूर्ण टॉपिक को पढ़ेंगें।

Aapda Kal Main Vaikalpik Sanchar Vyavastha
Aapda Kal Main Vaikalpik Sanchar Vyavastha

इकाई-5
आपदा काल में वैकल्पिक संचार व्यवस्था

विश्व में जहाँ कही भी आपदा होता हैं तो उस क्षेत्र की सामान्य संचार व्यवस्थाएँ नष्ट हो जाते हैं जिससे उस क्षेत्र का सम्पर्क बाकी दूनिया से कट जाता हैं।
सामान्य संचार व्यवस्था के बाधित होने के निम्नलिखित कारण हैंः-
1.केबुल का टूट जाना
2.बिजली की आपूर्ति बाधित होना
3.संचार यंत्रो का खराब हो जालना
4.ट्रांसमिशन टावर का छतिग्रस्त हो जाना
2 अगस्त 2008 को नेपाल में कुशाहा के पास कोशीबाँध टूट जाने से उत्तरबिहार में भयंकर बाढ़ आई थी। टेलिफोन केन्द्र जल में डूब गए थे तथा ताड़ छतीग्रस्त हो गए थे जिससे सड़क तथा रेल संचार बाधित होने के कारण बहुत से जिला मुख्यालयो का राज्य मुख्यालयो एवं आसपास के जिलो से सम्पर्क टुट गया था।
संचार का सर्वाधिक लोकप्रिय साधन सार्वजनिक टेलिफोन सेवा हैं।
वैकल्पिक संचार साधन
1.रेडियो संचार
रेडियो तरंग इलेक्ट्रोमैग्नेटिक होती हैं जिसे एंटिना द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान तक प्रेषित किया जाता हैं । इससे लंबी दूरी से लेकर कम दूरी के  संकेत प्राप्त कर सकते हैं।
2.एमेच्योर अथवा हेम रेडियो
एमेच्योर रेडियो को ही हेम रेडियो कहा जाता हैं एमेच्योर अथवा हेम रेडिया बडी प्राकृतिक आपदाओ में अन्य संचार साधनो के छतीग्रस्त होने पर भी सफलतापूर्वक कार्य करता हैं।
3.उपग्रह संचार
अंतरीक्ष में प्रस्थापित उपग्रह कई प्रकार के हाते हैं जिन्हे विभिन्न उद्देश्यो के लिए प्रक्षेपित किया जात हैं जिसमे संचार उपग्रह और सुदूर संवेदी उपग्रह प्रमुख हैं।
संचार उपग्रह में सेटफोन उपग्रह फोन टर्मिनल के लिए प्रयोग किए जाते हैं संचार उपग्रह का महत्वपूर्ण कार्य मोबाईल और म- कम्यूनिकेशन होता हैं।
आपदा प्रबंधन में सबसे अधिक उपयोग में लाया जानेवाला संचार साधन उपग्रह फोन हैं, जो बहुत ही विश्वासनीय साफ आवाज मे डाटा संचार की सुविध प्रदान करता हैं।

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Jeevan Rakshak Aakasmik Prabandhan – कक्षा 10 भूगोल जीवन रक्षक आकस्मिक प्रबंधन

Jeevan Rakshak Aakasmik Prabandhan

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड के कक्षा 10 के भूगोल के आपदा प्रबंधन के इकाई चार का पाठ ‘जीवन रक्षक आकस्मिक प्रबंधन’ ( Jeevan Rakshak Aakasmik Prabandhan) के महत्‍वपूर्ण टॉपिक को पढ़ेंगें।

Jeevan Rakshak Aakasmik Prabandhan

इकाई : 4
जीवन रक्षक आकस्मिक प्रबंधन ( Jeevan Rakshak Aakasmik Prabandhan )

आपदा प्रबंधन को दो चरणो में लागू करने की जरूरत होती हैंः-
1.आकस्मिक प्रबंधन
2.दीर्घकालिन प्रबंधन

दीर्घकालिन प्रबंधन का उद्देश्य होनेवाले आपदा के प्रभाव को कम करना हैं।

आकस्मिक प्रबंधन के अंर्तगत आपदा के आते ही प्रभावित लोगो को उससे निजात दिलाना ही मुख्य उद्देश्य होता हैं।

बाढ़ की स्थिति में आकस्मिक प्रबंधनः  

बाढ़ के आते ही जान-माल और मवेशी पर भारी संकट आ जाता हैं। अतः पहली प्राथमिकता बाढ़ रोकना नही बल्कि बाढ़ से लोगो को बचाना हैं। जो लोगो को नाव पर बैठकर या तैरने वाले व्यक्ति द्वारा रबर के गुब्बारे के साथ दूसरे को भी खींचते हुए सुरक्षित जगह पर ले जाय। मवेशियों को तथा घर के सामानो को बाहर निकालने की प्राथमिकता होती हैं।

सुरक्षित स्थान पर पहुँचाने के बाद भोजन और पेयजल की आवश्यकता हैं। बच्चो के लिए दूध और महामारी से बचने के लिए गर्म जल, भोजन तथा छोटे से जगह में मिलजुलकर रहने के लिए वातावरण बनाना आकस्मिक प्रबंधन का ही हिस्सा हैं।

Jeevan Rakshak Aakasmik Prabandhan

भूकंप एवं सुनामी की स्थिति में आकस्मिक प्रबंधनः

भूकंप की स्थिति में आकस्मिक प्रबंधन का तीन प्रमुख कार्य होता हैं।

1.लोगो को राहत कैम्प में ले जाना या उसे सभी प्रकार की आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध कराना।
2.दबे हुए लोगो को मलवे से बाहर निकालना।
3.मरे हुए आम लोगो और जानवरो को सही स्थान पर धार्मिक रीतियो के अनूरूप दफनाकर अंतिम संस्कार करना। ऐसा न करने पर महामारी फैलने की संभाना रहती हैं।
4.आग लगने की स्थिति में :- शुष्क गर्मी ऋतु में गाँव का आग से स्वाहा हो जाना आपदा का ही एक रूप हैं। आकस्मिक प्रबन्धन की तीन बड़ी जिम्मेवारी होती हैंः
5.आग में फँसे हुए लोगो को बाहर निकालना,
6.घायलो को तत्काल प्राथमिक उपचार देकर अस्पताल पहुँचाना
7. आग को फैलने से रोकना, बालू, मिट्टी तथा जल का उपयोग कर आग को बुझाना चाहिए। अग्नि सामक दल को भी बुलाना चाहिए।

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Prakritik Aapda evam Bhukamp evam Sunami – कक्षा 10 भूगोल प्राकृतिक आपदा एवं प्रबंधन : भूकंप एवं सुनामी

Prakritik Aapda evam Bhukamp evam Sunami

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड के कक्षा 10 के भूगोल के आपदा प्रबंधन के इकाई तीन का पाठ ‘प्राकृतिक आपदा एवं प्रबंधन : भूकंप एवं सुनामी’ (Prakritik Aapda evam Bhukamp evam Sunami) के महत्‍वपूर्ण टॉपिक को पढ़ेंगें।

Prakritik Aapda evam Bhukamp evam Sunami
Prakritik Aapda evam Bhukamp evam Sunami

इकाई : 3
प्राकृतिक आपदा एवं प्रबन्धन : भूकंप एवं सुनामी – Prakritik Aapda evam Bhukamp evam Sunami

भूकंप : पृथ्वी पर जब कभी कोई कंपन होती है तो भूकंप कहलाता है अर्थात दूसरे शब्दों में भूमि के कंपन को भूकंप कहते हैं।

सुनामी : जब समुद्र के तली में भूकम्प होता है, तो जल कई मीटर ऊँचाई तक उछाल लेकर तटीय क्षेत्र में तबाही मचाते हैं। जिसे सुनामी कहते हैं।

भूकंप तथा सुनामी की तीव्रता का मापन रिक्टर स्केल के द्वारा होता है।

भूकंप तथा सुनामी दोनों ही घटनाओं में लाखों लोगों की मृत्यु होती है। भूकंप से भारी बर्बादी होती है। भवनों का गिरना, पूलों का टूट जाना, जमीन में दरार होना, दरारों से गर्म जल के सोते का निकलना, जैसी घटनायें सामान्य रूप से होती है।

सुनामी की लहरें तट पर विनाशलीला लाती है। इसमें भी तट के किनारे आनंद ले रहे पर्यटक, मछुआरे, और नारियल के कृषक प्रभावित होते हैं।
Prakritik Aapda evam Bhukamp evam Sunami

भूकंपीय तरंग :

भूकंप के समय उठनेवाले कंपन को मुख्यतः प्राथमिक, द्वितीयक तथा दिर्घ तरंगों में बाँटा जाता है।

प्राथमिक तरंग सबसे पहले पृथ्वी पर पहुँचता है।

द्वितीयक अनुप्रस्थ तरंग है और इसकी गति प्राथमिक तरंग से कम होती है।

दीर्घ तरंग की गति सबसे कम होती है। यह धीमी गति के साथ क्षैतिज रूप से चलने के कारण किसी स्थान पर सबसे बाद में पहुँचती है लेकिन यह सबसे अधिक विनाशकारी होती है।

भूकंप से बचाव के उपाय :

भूकंप से बचाव के निम्नलिखित प्रयास किए जा सकते हैं।

1.भूकंप का पूर्वानुमान : भूकंपलेखी यंत्र से संभावित बड़े भूकंप का पूर्वानुमान किया जा सकता है। जिससे क्षति को कम किया जा सकता है।
2.भवन निर्माण : भूकंप से विनाश को ध्यान में रखते हुए भवनों को भूकंप निरोधी तकनीकों के आधार पर बनाना चाहिए।
3.प्रशासनिक कार्य : भूकंप से होनेवाले बर्बादी को रोकने के लिए प्रशासनिक सर्तकता अति आवश्यक है। जैसे, अग्रिम कंपन के आधार पर भूकंप की संभावना बनती है तो उसे घोषित करने के लिए आधुनिक मीडिया तथा पुलिस और जिला प्रशासन को अधिक सक्रिय रहना चाहिए।
4.गैर सरकारी संगठनों का सहयोग : भूकंप या किसी भी प्रकार की आपदा प्रबंधन में स्वयंसेवी संस्थाये, विद्यालय और आम लोग बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। ये तत्काल राहत पहुँचाने में मदद कर सकते हैं। भूकंप से पूर्व लोगों को भूकंप निरोधी भवन निर्माण और भूकंप के समय बचाव हेतु प्रशिक्षित कर सकते हैं।
भूकंप के समय भागने के बदले अपने कमरे के किसी कोने में दिवार के सहारे खड़ा हो जाना चाहिए। क्योंकि वहाँ गिरने वाले मलवे का प्रभाव सबसे कम पड़ता है।
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सुनामी से बचाव के उपाय :

सुनामी का विनाशकारी प्रभाव तटीय प्रदेशों में अधिक होता है। तट के किनारे कई मीटर ऊँचाई तक उठने वाले तरंग मोटरबोट, मछली पकड़ने वाले नाव और तट के किनारे के घरों को नष्ट कर देते हैं।

समुद्र के बीच में स्टेशन/प्लेटफार्म बना कर सुनामी का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है और इससे होने वाले क्षति को कम किया जा सकता है। यह समुद्र के नीचे क्षैतिज हलचलों का अध्ययन कर तट पर संकेत दे सकता है। जिससे लोगों को सावधान होने का समय मिल सकता है। तट के किनारे मछुआरे को तट पर न जाकर गहरे समुद्र में जाने का संदेश दे क्योंकि सुनामी समुद्र के बीच में अवरोधक के अभाव में विनाश नहीं करती है।

तटबंध निर्माण तथा मैंग्रोव झाड़ी का विकास :

सुनामी से होने वाले विनाश को कम करने के लिए कंक्रीट तटबंध बनाने की जरूरत है। तटबंध के किनारे मैंग्रोव वन के विकास कर इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है।

तटीय प्रदेश के लोगों को प्रशिक्षण :

सुनामी से बचने के लिए तटीय प्रदेश के लोगों को प्रशिक्षण देना चाहिए। सुनामी की सुचना मिलते ही या तो समुद्र की तरफ या स्थलखंड की तरफ तुरंत भागने के लिए तैयार करना, सुनामी जल के स्थिर होने पर बचाव कार्य में लग जाना, घायलों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करना जैसे कार्यों को करना आवश्यक है।

आम लोगों के सहयोग तथा स्वयंसेवी और प्रशासकीय संस्थाओं की भागीदारी से ही भूकंप और सुनामी जैसी आपदाओं से राहत संभव है। Prakritik Aapda evam Bhukamp evam Sunami

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Prakritik Aapda evam Prabandhan Badh aur Sukhad – कक्षा 10 भूगोल प्राकृतिक आपदा एवं प्रबंधन : बाढ़ और सुखाड़

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इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड के कक्षा 10 के भूगोल के आपदा प्रबंधन के इकाई दो का पाठ ‘प्राकृतिक आपदा एवं प्रबंधन : बाढ़ और सुखाड़’ (Prakritik Aapda evam Prabandhan Badh aur Sukhad) के महत्‍वपूर्ण टॉपिक को पढ़ेंगें।

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इकाई : 2
प्राकृतिक आपदा एवं प्रबंधन : बाढ़ और सुखाड़ (Prakritik Aapda evam Prabandhan Badh aur Sukhad)

बाढ़ और सुखाड़ ऐसी प्राकृतिक आपदा है, जिसका संबंध वर्षा से है।

बाढ़- जब मॉनसूनी वर्षा अधिक होती है, और नदियों के जलस्तर में उफान आ जाता है, तो ऐसी स्थिति को बाढ़ कहते हैं।

सुखाड़- जब वर्षा ऋतु में आसमान से बादल गायब हो जाता है, तेज धूप निकल आती है, कृषक खेत में काम नहीं कर पाते हैं और पीने की पानी की भी किल्लत हो जाती है, तो ऐसी स्थिति को सुखाड़ कहते हैं।

मॉनसून की अनिश्चितता के कारण भारत के किसी न किसी भाग में प्रतिवर्ष बाढ़ आते हैं। बाढ़ लाने के लिए कुछ नदीयाँ बदनाम हो चूकी है। जैसे, बिहार में कोसी नदी, पश्चिम बंगाल में दामोदर और तिस्ता नदी, असम में बह्मपुत्र, आंध्र प्रदेश में कृष्णा और गुजरात में नर्मदा नदी समय-समय पर कहर ला चूकी है।

बांग्लादेश : बाढ़ का देश

यहाँ प्रतिवर्ष बाढ़ आते हैं और हजारों लोग इसकी चपेट में आते हैं। यहाँ के लोग मकानों का गिरना, महामारी फैलना और फसलों की बर्बादी से आदि हो चूके हैं।   बाढ़ बर्बादी के अलावा लाभ भी देता है। यह मिट्टी को खनिज ह्यूमस और प्राकृतिक उर्वरक प्रदान करता है, जिससे यहाँ की मिट्टी विश्व की उपजाऊ मिट्टी में से एक है। यह दुनिया के सबसे घने देशों में से एक है। बाढ़ के जल उतरते ही किसान खुशी के गीत गाते है। बाढ़ की भूमि फसलों से लहलहा उठते हैं।
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बाढ़ प्रबंधन : बाँध और तटबंध का निर्माण :

बाढ़ के विनाशलीला को रोकने के लिए बाँध और तटबंध का निर्माण किया जाता है।

बाढ़ रोकने के वैकल्पिक प्रबंधन

तटबंध टिकाउ प्रबंध नहीं है। इनके टूटने से और अधिक भयावह स्थिति उत्पन्न हो सकती है। बाढ़ के लिए टिकाउ प्रबंध के लिए निम्नलिखित प्रयास करना चाहिए।
1.ऐसे भवनों का निर्माण करना चाहिए जिसकी लागत कम हो।
2.लोगों को मकान बनाने से पहले यह जानकारी देना चाहिए कि मकानों का निर्माण नदी के तट पर न हो।
3.मकानों की नींव तथा दीवार सीमेंट और कंक्रीट की होनी चाहिए।
4.स्तंभ आधारित मकान होनी चाहिए तथा स्तंभ की गहाई अधिक होनी चाहिए।

पूर्व सूचना का प्रबंधन :

1.बाढ़ ग्रसित क्षेत्रों में लोगों को तैरने का प्रशिक्षण देना चाहिए।
2.बाढ़ से महामारी फैल जाती है। इसलिए इससे बचने के लिए डी. डी. टी. का छिड़काव, ब्लींचिंग पाउडर का छिड़काव और मृत जानवरों को शीघ्र हटाने की व्यवस्था होनी चाहिए।
3.बाढ़ में एक दूसरे की मदद बिना किसी भेद-भाव के करना चाहिए।

बाढ़ एक ऐसी आपदा है, जिसे पूर्ण रूप से रोकना असंभव है। इसलिए बाढ़ की विभीषिका में भी हँस-खेल कर जीने की कला विकसित करना है। यही इसका सबसे बड़ा प्रबंधन है।

सुखाड़ और इसका प्रबंधन :

वर्षा की भारी कमी के कारण सुखाड़ की स्थिति उत्पन्न होती है। सुखाड़ से तीन बड़ी समस्या होती है-
1.फसल न लगने से खाद्यान्न में कमी, 2. पेयजल की कमी, 3. मवेशीयों के लिए चारे की कमी।

भारत में सुखाड़ के क्षेत्र :

भारत सरकार ने 77 जिलों की पहचान की है, जहाँ सुखाड सुखाड़ की संभावना प्रतिवर्ष रहती है। ये जिले मुख्य रूप से राजस्थान, गुजरात, कर्नाटक, मघ्य-प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में स्थित है।

सुखाड़ प्रबंधन :

सुखाड़ से प्रबंधन के लिए दो प्रकार की योजनाऐं आवश्यक है- दीर्घकालीन और लघुकालीन योजनाऐं
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दीर्घकालीन योजना के अंतर्गत- नहर, तालाब, कुआँ के विकास की जरूरत है। पंजाब और हरियाणा में नहरों का जाल बिछाकर सुखाड़ की समस्या का समाधान किया गया है।

लघुकालीन योजना के अंतर्गत- बोरिंग और टयूववेल के माध्यम से सुखाड़ के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
भूमिगत जल क्या है ?

भूमि के अंदर स्थित जल को भूमिगत जल कहते हैं। कुँए और बोरिंग के माध्यम से तथा ऊर्जा चालित मशीनों की मदद से इस जल के दोहन में लगातार वृद्धि हो रही है।
इससे भूमिगत जल में गिरावट के साथ पारिस्थैतिक असंतुलन की समस्या उत्पन्न होने लगी है।
ड्रिप सिंचाई एवं छिड़काव सिंचाई के माध्यम से भूमिगत जल का उपयोग पारिस्थितिकी के अनुसार किया जा सकता है।
भूमिगत जल स्तर बढ़ाने के लिए वर्षा जल संग्रहण तथा वाटर शेड मैनेजमेंट एवं घास और वन लगाने जैसी कई योजना बनाई गयी है।

वर्षा जल संग्रहण :

वर्षा के जल को संग्रह करना ही वर्षा जल संग्रहण कहलाता है।
मकान के छत से वर्षा के जल को पाइप के द्वारा किसी टंकी में संग्रहित किया जाता है और फिर नल द्वारा मकान के लोग इसे पीते हैं। वर्षा के पानी से गार्डेन, बगीचे की सिंचाई भी संभव होती है। भारत के कई राज्यों में इसका संग्रह कुंड या तालाब बनाकर किया जाता है।
वर्षा जल संग्रहण से भूमिगत जल स्तर में बढ़ोतरी होती है तथा मवेशीयों और पौधों को भी जल मिलता है।

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कक्षा 10 भूगोल प्राकृतिक आपदा : एक परिचय – Prakritik Aapda Ek Parichay

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इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड के कक्षा 10 के भूगोल के आपदा प्रबंधन के इकाई एक का पाठ ‘प्राकृतिक आपदा : एक परिचय’ (Prakritik Aapda Ek Parichay) के महत्‍वपूर्ण टॉपिक को पढ़ेंगें।

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आपदा प्रबंधन – 6 अंक
इकाई : 1
प्राकृतिक आपदा : एक परिचय (Prakritik Aapda Ek Parichay)

आपदा : ऐसी घटना जो आकस्मिक घटित होती है, उसे आपदा कहते हैं। जैसे- भूकंप, सुनामी, बाढ़, साम्प्रदायिक दंगे, आतंकवाद आदि।

आपदा दो प्रकार के होते हैं-

1.प्राकृतिक आपदा : प्राकृतिक कारणों से होने वाले आपदा को प्राकृतिक आपदा कहते हैं। जैसे- भूकंप, सुनामी, बाढ़, सूखाड़ आदि।
2.मानवजनित आपदा : मानवीय कारणों से होने वाले आपदा को मानवजनित आपदा कहते हैं। जैसे- साम्प्रदायिक दंगे, आतंकवाद, अगलगी आदि।
प्राकृतिक आपदाओं में बाढ़, सूखाड़, भूकंप और सूनामी हैं, जो अत्यंत ही विनाशकारी होते हैं। इसके अलावा चक्रवात, ओलावृष्टि, हिमस्खलन, भूस्खलन जैसी घटनाएँ भी प्राकृतिक आपदा है।

पृथ्वी पर जब कभी कोई कंपन होती है तो भूकंप कहलाता है अर्थात दूसरे शब्दों में भूमि के कंपन को भूकंप कहते हैं। इसका मापन रिक्टर स्केल के द्वारा होता है।

सुनामी : जब समुद्र के तली में भूकम्प होता है, तो जल कई मीटर ऊँचाई तक उछाल लेकर तटीय क्षेत्र में तबाही मचाते हैं। जिसे सुनामी कहते हैं।

सूखाड़ : जब औसत वार्षिक वर्षा की मात्रा में 25 प्रतिशत से अधिक की कमी आती है तो उसे सूखाड़ कहते हैं। सामान्य तौर पर 50 सेमी से कम वर्षा वाले क्षेत्रों को प्रतिवर्ष सूखाड़ की स्थिति उत्पन्न होती है।

2008 में बिहार के कोशी नदी से भयंकर बाढ़ आया था, जिससे काफी जान-माल की क्षति हुई थी। कोशी नदी बिहार में हमेशा बाढ़ से तबाही मचाती है, इसलिए कोशी नदी को बिहार का शोक कहा जाता है।

जम्मु-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश एवं उत्तराखंड भू-स्खलन और मृदा-स्खलन से सर्वाधिक ग्रसित राज्य है। पर्वतीय क्षेत्रों में चट्टानों के टूटने से भू-स्खलन होती है। हिम-स्खलन अत्यंत ऊँचे पर्वतीय क्षेत्रों में घटती है।

1934 में बिहार में भूकंप आया था। बिहार के कई भागों में जमीन फट गई थी। सैकड़ों लोग मौत के शिकार हो गए थे। हजारों लोग बेघर हो गए थे।

भूकंप और सुनामी भारत के लिए बड़ी चुनौती है। भूकंप निरोधी भवनों के निर्माण से इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है।

26 दिसम्बर, 2004 को भारत के पूर्वी तट और अंडमान निकोबार पर भंयकर सुनामी आया था, जिसमें लाखों लोग मर गए। हजारों लोग लापता हो गए तथा काफी जान-माल की क्षति हुई थी। सबसे अधिक इंडोनेशिया देश की इससे क्षति हुई थी।

किसी भी आपदा के पूर्वानुमान अथवा पूर्व जानकारी से विनाश को कम किया जा सकता है। इसका पाठ के अध्ययन का मूल उद्देश्य यही है।

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