BSEB Social Science Geography कक्षा 9 पाठ 13. समुदाय आधारित आपदा प्रबंधन | Samuday Aadharit Aapda Padbandh Class 9th Solutions

इस पोस्‍ट में हमलोग कक्षा 9 भूगोल के पाठ 13. समुदाय आधारित आपदा प्रबंधन (Samuday Aadharit Aapda Padbandh Class 9th Solutions)’ के महत्‍वपूर्ण टॉपिकों के बारे में अध्‍ययन करेंगें। 

Samuday Aadharit Aapda Padbandh Class 9th Solutions

13. समुदाय आधारित आपदा प्रबंधन

अभ्यास के प्रश्न तथा उनके उत्तर

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न :
निर्देश : नीचे दिए गए प्रश्नों में चार संकेत चिह्न हैं, जिनमें एक सही या सबसे उपयुक्त है। प्रश्नों का उत्तर देने के लिए प्रश्न- संख्या के सामने वह संकेत चिह्न (क, ख, ग, घ) लिखें, जो सही अथवा सबसे उपयुक्त हो ।

1. आपदा प्रबंधन के तीन प्रमुख अंगों में कौन एक निम्नलिखित में शामिल नहीं है ?
(क) पूर्वानुमान, चेतावनी एवं प्रशिक्षण
(ख) आपदा के समय प्रबंधन  गतिविधियाँ
(ग) आपदा के बाद निश्चित रहना
(घ) आपदा के बाद प्रबंधन करना

2. प्रत्येक ग्रीष्म ऋतु में कौन-सी आपदा लगभग निश्चित है ?
(क) आगजनी
(ख) वायु दुर्घटना
(ग) रेल दुर्घटना
(घ) सड़क दुर्घटना

3. सामुदायिक प्रबंधन के अंतर्गत निम्नलिखित में से कौन एक प्राथमिक क्रियाकलपाप में शामिल नहीं है ?
(क) निकटतम प्राथमिक चिकित्सा केंद्र को सूचित करना
(ख) प्रभावित लोगों को स्वच्छ जल और भोजन की उपलब्धता की गारंटी करना
(ग) आपदा की जानकारी प्रशासन तंत्र को नहीं देना
(घ) आपातकालीन राहत शिविर की व्यवस्था करना

4. ग्रामीण आपदा प्रबंधन समिति के प्रमुख कार्य इनमें कौन नहीं है ?
(क) प्राथमिक उपचार की व्यवस्था नहीं करना
(ख) सभी को सुरक्षा देना
(ग) राहत शिविर का चयन एवं राहत पहुँचाने का कार्य करना
(घ) स्वच्छता का ख्याल करना

उत्तर 1. (ग), 2. (क), 3. (ग), 4. (क)

II. लघु उत्तरीय प्रश्न :

प्रश्न 1. अग्निशमन दस्ता आने के पूर्व समुदाय द्वारा कौन-से प्रयास किए जाने चाहिए?
उत्तरअग्निशमन दस्ता आने पूर्व समुदाय को चाहिए कि वे झुलसे हुए लोगों को एक जगह रखकर प्राथमिक उपचार करें । मोबाइल फोन से निकटतम अस्पातल को सूचना दें तथा एम्बुलेंस की माँग करें। कुछ लोग आग बुझाने तथा उसे फैलने से रोकने का प्रयास करें। जिस घर में आग लगी हो उस घर पर पानी तो डालें ही, आसपास के घरों पर भी पानी डालें ताकि आग फैलने नहीं पाए । मिल-जुलकर इस काम को पूरा करना कठिन नहीं है ।

प्रश्न 2. ग्रामीण स्तर पर आपदा प्रबंधन समिति के गठन में कौन-कौन-से सदस्य शामिल होते हैं?
उत्तर ग्रामीण स्तर पर आपदा प्रबंधनन समिति का गठन करने का निर्णय राष्ट्रीय स्तर पर लिया गया है। इस समिति में निम्नलिखित सदस्य होते हैं :
(i) विद्यालय के प्रधानाध्यापक, (ii) गाँव के मुखिया, (iii) गाँव के सरपंच, (iv) गाँव के दो त्यागी और समर्पित लोग, (v) प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र का डॉक्टर, (vi) राष्ट्रीय सुरक्षा सेवा के सदस्य, (vii) ग्राम सेवक, (viii) स्वयं सहायता समूह की दो महिलाएँ ।

प्रश्न 3. आपदा प्रबंधन के लिए समुदाय में किन अच्छे गुणों का होना आवश्यक है ?
उत्तर—आपदा प्रबंधन के लिए समुदाय में निम्नलिखित गुण होने आवश्यक हैं : (i) पूर्वानुमान लगाने तथा चेतावनी देने की क्षमता हो । (ii) राहत शिविर का चयन कर प्रभावित लोगों को वहाँ पहुँचाने की क्षमता हो । (iii) लोगों को भोजन और स्वच्छ पेय मुहैया कराने की ताकत हो । (iv) प्रश्रमिक उपचार की व्यवस्था करने की जानकारी हो । (v) महिलाओं और बच्चों पर विशेष ध्यान दिया जाय। (vi) स्वच्छच्छता रखी जाय ताकि बीमारी फैलने नहीं पावें ।

III. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न :

प्रश्न 1. आपदा प्रबंधन में समुदाय की केन्द्रीय भूमिका का वर्णन करें ।
उत्तरआपदा प्रबंधन में समुदाय की केन्द्रीय भूमिका निम्नलिखित हैं :
आपदा का रूप कोई भी क्यों न हो, उसका विनाशकारी प्रभाव जानमाल पर तो पड़ता ही है । उसका पहला झटका मनुष्य को ही लगता है और मनुष्य ही आपदा को भी झटका देता है । यह तभी सम्भव हो पाता है, जब वह आपदा को कम करने की सामुदायिक प्रयास करता है। आपदा से होने वाले वास्तविक ह्रास का पता समुदाय ही लगा सकता है। आपदा प्रबंधन के लिए जो भी आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाती हैं, उसको बाँटने में तथा प्रत्येक परिवार तक उसका लाभ पहुँचाने में समुदाय की केन्द्रीय भूमिका होती है । समुदाय ही आपदा के पूर्वानुमान की जानकारी देता है और समुदाय के लोग ही सबसे पहले आपदा का सामना करते हैं। आपदा में अगलगी हो सकती है, भूकंप हो तो मकान ढह सकते हैं, बाढ़ आ सकती है, सूखा पड़ सकता है, लेकिन समुदाय जैसे -का-तैसे बना रहता है । उस पर कोई आँच नहीं आती । समुदाय दुख में और सुख में—दोनों में साथ निभाता है। प्राचीनकाल से ही भारत जैसे ग्रामीण बहुल देश में आपदा प्रबंधन की जिम्मेदारी समुदाय ही निभाता आ रहा है। प्रशासनिक तबका भी समुदाय की मदद से ही प्रबंधन कर सकता है। स्वयंसेवी संस्थाएँ भी समुदाय के ही अंग होती हैं । आपदा प्रबंधन के तीन अंग माने गए हैं :

(i) पूर्वानुमान, चेतावनी एवं प्रशिक्षण, (ii) आपदा के समय प्रबंधन गतिविधियाँ तथा (iii) आपदा के बाद प्रबंधन कार्य ।

प्रश्न 2. ग्रामीण आपदा प्रबंधन समिति के कार्यों का विस्तृत वर्णन कीजिए ।
उत्तरग्रामीण आपदा प्रबंधन समिति के निम्नलिखित कार्य हैं :
(i) पूर्वानुमान के अनुसार चेतावनी देना और सूचना प्रसारित करना । यह प्रबंधन समिति जिला मुख्यालय से प्राप्त सूचनाओं को तत्काल लोगों तक पहुँचाती है ।
(ii) राहत शिविर का चयन कर प्रभावित लोगों को वहाँ तक पहुँचाने का काम इसी में शामिल है। प्रबंधन समिति जिला प्रशासन को सूचित करेगी । यदि आग लगी हो तो दमकल की माँग करेगी ।
(iii) राहत कार्य में लगे लोग सर्वप्रथम आपदाग्रस्त लोगों को भोजन एवं पेयजल मुहैया कराते हैं।
(iv) प्रबंधन समिति प्राथमिक उपचार की व्यवस्था करती हैं ।
(v) सभी को सुरक्षा देती है। खास तौर पर महिलाओं और बच्चों पर विशेष रूप से ध्यान देती है ।
(vi) स्वच्छता का ध्यान रखती है । स्वच्छता से कोई बीमारी नहीं फैलतीं ।

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BSEB Social Science Geography कक्षा 9 पाठ 12. सामान्य आपदाएँ : निवारण एवं नियंत्रण | Samanya Aapda Nivaran Evam Nirdharan Class 9th Solutions

इस पोस्‍ट में हमलोग कक्षा 9 भूगोल के पाठ 12. सामान्य आपदाएँ : निवारण एवं नियंत्रण (Samanya Aapda Nivaran Evam Nirdharan Class 9th Solutions)’ के महत्‍वपूर्ण टॉपिकों के बारे में अध्‍ययन करेंगें। 

Samanya Aapda Nivaran Evam Nirdharan Class 9th Solutions

12. सामान्य आपदाएँ : निवारण एवं नियंत्रण

अभ्यास के प्रश्न तथा उनके उत्तर

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न :
निर्देश: नीचे दिए गए प्रश्नों में चार संकेत चिह्न हैं, जिनमें एक सही या सबसे उपयुक्त है। प्रश्नों का उत्तर देने के लिए प्रश्न- संख्या के सामने वह संकेत चिह्न (क, ख, ग, घ) लिखे, जो सही अथवा सबसे उपयुक्त हों ।

1. सामान्य आपदाओं को कितने वर्गों में रखा जाता है ?
(क) 1
(ख) 2
(ग) 3
(घ) 4

2. तीव्र ज्वर का क्या कारण है ?
(क) जीवाणु
(ख) विषाणु
(ग) फंगस
(घ) इनमें से कोई नहीं

3. नगरों में सड़क कहाँ से पार करनी चाहिए ?
(क) जहाँ जेब्रा का चिह्न नहीं बना हो
(ख) जहाँ जेब्रा का चिह्न बना हो
(ग) अपनी इच्छा के अनुसार
(घ) इनमें से कोई नहीं

4. पैदल चलते समय सड़क पर चलना आदर्श है
(क) दायीं तरफ
(ख) बीच से
(ग) बायीं तरफ
(घ) स्वेच्छा से

5. रेल यात्रा करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
(क) रेलफाटकों को पार करते समय दायीं बायीं ओर नहीं देखना चाहिए ।
(ख) रेल यात्रा के दौरान ज्वलनशील पदार्थ नहीं ले जाना चाहिए ।
(ग) बच्चों को रेलवे लाइन पार करने के नियमों की जानकारी नहीं होनी चाहिए ।
(घ) इनमें से कोई नहीं

उत्तर 1. (ख), 2. (क), 3. (ख) 4. (ग), 5. (ख) ।

II. लघु उत्तरीय प्रश्न :

प्रश्न 1. हवाई यात्रा करते समय सुरक्षा के कौन – सा नियम ध्यान मैं रखना चाहिए ?
उत्तर :
(i) यात्री – सुरक्षा सम्बंधी नियमों को पढ़ लेना और याद रखना चाहिए ।
(ii) सीट पर बैठें तो सीट बेल्ट बाँधे रखें और संकेतों का पालन करना चाहिए ।
(iii) आपातकालीन द्वारा के बारे में जानकारी प्राप्त कर लें ।
(iv) यात्रियों तथा सामानों की जाँच में अड़चन नहीं डालें ।

प्रश्न 2. रेलवे फाटक पार करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर—रेलवे फाटक पार करते समय पार करने के पहले थोड़ी देर रुककर दाएँ- बाएँ दोनों ओर सावधानीपूर्वक देख लेना चाहिए । जब यह निश्चित हो जाय कि कोई गाड़ी नहीं आ रही है तभी रेल पटरी को पार करना चाहिए । फाटक रहे या न रहे, दोनों ही स्थितियों में यह आवश्यक है । सम्भव हो कि फाटक तो हो और उसे बन्द करनेवाला बन्द नहीं किया हो । बिना फाटकवाले समपार पर तो यह सावधानी रखनी ही है ।

प्रश्न 3. सड़क यात्रा के दौरान किन महत्वपूर्ण बातों पर ध्यान रखा जाना चाहिए ?
उत्तरसड़क पर यदि पैदल चल रहे हैं तो सदा बाईं ओर से चलना चाहिए। बड़े नगरों में सड़क पार करने के लिए जेब्रा चिह्न बने होते हैं। वहीं से सड़क के इस पार से उस पार जाना चाहिए । कार हो या ट्रक- दोनों के चालकों को ट्राफिक नियमों का पालन अवश्य करना चाहिए। ध्यान सदैव सड़क के सामने रहना चाहिए ।

प्रश्न 4. आग से उत्पन्न आपदा क्या है ?
उत्तर आग से उत्पन्न आपदा कभी तो मानवीय भूल के कारण होती है या उत्तेजना के कारण भी लोग आग लगा देते हैं, जिससे भारी हानि होती है। धन का नुकसान तो होता ही है, कभी-कभी जान का भी नुकसान हो जाता है । लोग आग लगे मकान के अन्दर ही फँसे रह जाते हैं और अन्दर ही जल मरते हैं। बाढ़ जैसी आपदा से तो कुछ बच जाता है, लेकिन आग से उत्पन्न आपदा से तो सबकुछ नष्ट हो जाता है ।

प्रश्न 5. साम्प्रदायिक दंगों से बचाव के किन्हीं तीन उपायों का वर्णन कीजिए ।
उत्तरसाम्प्रदायिक दंगों से बचाव के तीन उपाय निम्नांकित हो सकते हैं :
(i) साम्प्रदायिक हिंसा से बचना है तो हमें न तो अफवाह फैलाना चाहिए और न अफवाहों पर विश्वास करना चाहिए ।
(ii) यदि कोई अफवाह फैला रहा हो तो इसकी सूचना तुरत निकटवर्ती पुलिस स्टेशन को दी जाय ।
(iii) साम्प्रदायिक दंगों में लगे लोगों को किसी भी तरह पनाह नहीं दें ।

प्रश्न 6. आतंकवादी आपदा से बचाव के किन्हीं तीन उपायों का वर्णन कीजिए ।
उत्तरआतंकवादी आपदा से बचाव तीन उपाय निम्नांकित हो सकते हैं :
(i) अचानक कहीं अनजान लावारिस, ग, अटैची या गठरी मिले तो उसे हर्गिज हाथ नहीं लगाया जाय और पुलित को खबर किया जाय ।
(ii) यदि किसी व्यक्ति की गतिविधि पर संदेह हो तो तुरत पुलिस को फोन किया जाय या निकटतम थाने में खबर कर दिया जाय। इसमें आलस्य समाज के लिए मँहगा पड़ सकता है।
(iii) मकान में किरायेदार रखते समय उसका पूरी तरह शिनाख्त कर लिया जाय तथा उसका फोटो सहित पुलिस को सूचित कर दिया जाय ।

III. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न :

प्रश्न 1. आग से उत्पन्न आपदा के अंतर्गत आग लगने के कारणों तथा रोकथाम के उपायों का विस्तृत वर्णन करें ।
उत्तर प्रायः मानव भूल के कारण ही आग लगने की घटनाएँ होती हैं और उस आपदा को एक परिवार या कभी-कभी पूरे समाज को झेलना पड़ता है। आग लगने के अनेक कारण होते हैं। जैसे :
(i) खाना पकाते समय लगनेवाली आग, (ii) हीटर से लगनेवाली आग. (iii) अतिभारण (शार्ट सर्किट) से लगनेवाली आग (iv) वीड़ी-सिगरेट से लगनेवाली आग, (v) कूड़ा-कर्कट से फैलनेवाली आग, (vi) कारखाने में रखी पैकिंग सामग्री से लगनेवाली आग तथा (vii) रासायनिक वस्तु, पेंट, तरल गैस, किरासन या पेट्रोल के भंडारण से लगनेवाली आग |

आग लगने की रोकथाम के लिए निम्नलिखित उपाय हैं :
(i) वर के अन्दर कभी अत्यधिक ज्वलनशील पदार्थ न रखा जाय ।
(ii) सभी घरों में अग्निशमन यंत्र रखा जाय और उसके व्यवहार करने की सीख परिवार के सभी लोगों को दी जाय ।
(iii) घर से बाहर निकलते समय बिजली के सभी उपकरणों को बन्द कर दिया जाय और यदि अधिक दिनों तक घर बंद रखना है तो मेन स्वीच ऑफ कर दिया जाय |
(iv) यदि किसी कारणवश घर में आग लग ही जाय तो घर से बाहर निकलने का आपातकालीन द्वारा को सदैव याद रखा जाय ।
(v) भोजन तैयार हो जाने के पश्चात गैस सिलिंडर को बन्द कर दिया जाय ।
(vi) एक ही साकेट में अधिक विद्युत उपकरण न लगाए जाएँ ।
(vii) जिस घर में धुआँ फैल चुका हो उस घर से जमीन पर रेंगकर बाहर निकला जाय ।
(viii) आग लगते ही दमकल विभाग को तुरंत सूचित किया जाय और उसको सही और आसान मार्ग का पता दिया जाय ।
(ix) बिजली से लगी आग पर पानी बिल्कुल न डाला जाय, इससे करंट फैलने की आशंका रहती है ।
(x) बच्चों के हाथ में दियासलाई त्योहार पर पटाखें आदि घर जायें। बच्चों के साथ बड़े दें और न रहने दें। दिवाली या अन्य किसी दूर और वह भी पूरी सावधानी के साथ छोड़े उपस्थित रहें ।

प्रश्न 2. आतंकवाद क्या है ? आतंकवादी आपदा से बचाव के उपायों का विस्तृत वर्णन कीजिए ।
उत्तर- आतंकवाद ऐसी मानवीय आपदा है जो हिंसात्मक मार्ग से राजनीतिक उद्देश्यों. की पूर्ति चाहता है। यह पूर्णतः राजनीतिक प्रेरित हिंसा होती है। इसका एकमात्र उद्देश्य होता है कि वर्तमान शासन को समाप्त कर अपने मन का शासन स्थापति किया जाय। ये आतंकवादी उस देश में हैं कि उससे बाहर हैं, इसका पता नहीं चलता। यह संभव है कि देश के शासन का ही कोई तंत्र अन्दर – अन्दर आतंकियों को बढ़ावा देता हो, उन्हें धन मुहैया कराता हो ।

आतंकवादी आपदा से बचाव के निम्नलिखित उपाय हैं
जैसा कि सभी जान चुके हैं कि आतंकवादी हमलों में अधिकतर बमों और ग्रेनेडों का उपयोग किया जाता है। इसके लिए कुछ आत्मघाती हमलावरों का भी उपयोग किया जाता है। इनसे बचाव के निम्नलिखित उपाय हो सकते हैं.
(i) यदि अचानक कोई गठरी मिल जाय तो उसे छूएँ नहीं, बल्कि तत्काल पुलिस को इसकी सूचना दे दें !
(ii) यदि कहीं पर लावारिस एंटैची, थैला या टिफिन कैरियर दिखाई दे तो उन्हें हर्गिज़ हाथ नहीं लगाएँ और तुरंत पुलिस को सूचना दे दें।
(iii) यदि किसी व्यक्ति की गतिविधि संदिग्ध लगे तो उसे फौरन पुलिस से पकड़वाने की व्यवस्था की जाय। यह ध्यान रहे कि वह भागने नहीं पाए ।
(iv) किसी अनजान व्यक्ति को अपने घर में किरायेदार के रूप में न रखें। पूरी छान-बीन और पुलिस को सूचना देकर उसको मकान किराये पर दिया जाय ।
(v) यदि कोई युवक सामज से बहक गया हो तो सरकार को चाहिए कि उसे माफ करने और रोजगार मुहैया कराने का आश्वासन दे और आत्मसमर्पण करने को प्रेरित करे ।
(vi) विद्यालय के छात्रों को आतंकवाद और उसकी हानियों से अवगत कराया जाय ।
(vii) प्रत्येक गाँव, टोले, शहर, शहरी मुहल्ले में आतंकवाद विरोधी अभियान चलाया जाय और इसके लिए समितियाँ गठित की जायें।

प्रश्न 3. विद्यालय स्तरीय आपदा प्रबंधन की जानकारी का वर्णन कीजिए ।
उत्तरविद्यार्थी अनेक साधनों से विद्यालय पहुँचते हैं । जैसे कोई अपनी सायकिल से आता है तो कोई स्कलू बस से । कुछ विद्यार्थी पैदल ही आते हैं, खासकर ग्रामीण क्षेत्रां में। सभी को परिवहन सम्बंधी दुर्घटनाओं की जानकारी दी जानी चाहिए कि सड़क पर कैसे चलें । पैदल चलनेवालों के लिए भी कुछ नियम हैं, जिनका पालन आवश्यक है ।
दुर्घटनाओं से बचने के लिए छात्र निम्नलिखित बातों का पालन करें ।
(i) सड़क पर सदैव बाईं ओर से चलें ।
(ii) यदि सड़क पार करनी हो तो लाल बत्ती की प्रतीक्षा करें और सदैव जेब्रा क्रॉसिंग पर ही सड़क पार करें ।
(iii) सड़क पर बने गतिअवरोधक के पास से यदि सड़क पार किया जाय तो दुर्घटना की आशंक नहीं रहती या कम रहती है। वाहन चालकों को भी चाहिए कि वे गति अवरोधक के पास अपने हन की चाल धीमी कर दें ।
(iv) परिवहन मार्ग और दुर्घटना से जुड़े कुछ चित्रात्मक मॉडल का प्रदर्शन विद्यालय में किया जाय और ऐसा मॉडल विद्यार्थियों से बनवाए भी जाएँ ।
(v) विद्यालय का बस चालक पूरा प्रशिक्षित हो तथा सहचालक छात्रों को हिदायत देता रहे कि वे खिड़की से हाथ बाहर न रखें तथा बस के पूरा रूक जाने पर ही उससे नीचे उतरें ।
(vi) बस में प्राथमिक उपचार की व्यवस्था होनी चाहिए तथा चालक और सहचालक को इसकी पूरी जानकारी रहनी चाहिए।
(vii) विद्यालय में भी प्राथमिक उपचार का बक्सा रहना चाहिए, ताकि खेल-कूद के समय कहीं कट-फट जाय तो प्राथमिक मरहम-पट्टी की जा सके ।
(viii) विद्यालय में छात्रों को बताना चाहिए कि शरीर के किसी अंग के जलने की स्थिति में तुरत उसपर ठंडा जल डाला जाय । यदि उपलब्ध हो तो बर्फ के टुकड़ों को भी जले स्थान पर रखना चाहिए ।
(ix) बच्चों को इस बात की जानकारी दी जाय कि यदि किसी व्यक्ति के कपड़ों में आग पकड़ ले तो उसे कम्बल से ढँक दिया जाय ।

प्रश्न 4. लघु स्तरीय आपदाओं के कारणों एवं उनसे बचाव के तरीकों का विस्तृत वर्णन कीजिए ।
उत्तर – लघु स्तरीय आपदाओं के कारणों पर जब हम ध्यान देते हैं तो पाते हैं कि इसकी जड़ में गरीबी और बेरोजगारी ही है। गरीबी के कारण देश के एक बड़े तबका को उचित और पौष्टिकर भोजन समय पर नहीं मिल पाता । सामाजिक जाकरुकता की भी कमी है। स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव है और आये दिन बीमारियाँ महामारी का रूप धारण कर लेती हैं । गरीबों के लिए तो ये आपदाएँ मौत के संदेश के समान होती हैं । ऐसी बीमारियों के अंतर्गत कुपाचन, कै, दस्त, हैजा, प्लेग, कालाजार, मलेरिया, तीव्र ज्वर महामारी का रूप लेकर आती हैं । साफ-सफाई के अभाव में चेचक भी अपना जोर दिखाने में पीछे नहीं रहता ।
यदि ऊपर बताई गई बीमारियाँ हो भी जायँ तो उनकी रोकथाम तथा उनसे बचाव के उपाय करना नितांत आवश्यक है। प्रारंभिक प्रबंधन की व्यवस्था तो परिवार से ही आरम्भ होनी चाहिए। यदि कै, दस्त या डायरिया हो जाय तो नमक और चीनी का हल्का घोल बीमार व्यक्ति को देते रहना चाहिए। पानी में नमक और चीनी की मात्रा बहुत ही कम रखी जाती है, जिससे उनका हल्का स्वाद भर आए। कागजी नींबू का रस चूसने या दाँत के नीचे लौंग रखना भी लाभदायक होता है। सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में सामुदायिक प्रबंधन अधिक कारगर सिद्ध होता है । सरकार को चाहिए कि वह ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य केन्द्र अवश्य स्थापित कराए और वहाँ डॉक्टर सदैव उपलब्ध रहें। घर-घर में इलेक्ट्रॉल पाउडर रहे तो अच्छा है।

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BSEB Social Science Geography कक्षा 9 पाठ 11. मानवीय गलतियां के कारण घटित घटनाएँ : नाभिकीय, जैविक और रासायनि‍क

इस पोस्‍ट में हमलोग कक्षा 9 भूगोल के पाठ 11. मानवीय गलतियां के कारण घटित घटनाएँ : नाभिकीय, जैविक और रासायनि‍क’ के महत्‍वपूर्ण टॉपिकों के बारे में अध्‍ययन करेंगें। BSEB Class 9th Geography Ch 11 Solutions

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11. मानवीय गलतियां के कारण घटित घटनाएँ : नाभिकीय, जैविक और रासायनि‍क
11.1 नाभिकीय आपदा

अभ्यास के प्रश्न तथा उनके उत्तर

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न :
निर्देश : नीचे दिए गए प्रश्नों में चार संकेत चिह्न हैं, जिनमें एक सही या सबसे उपयुक्त है। प्रश्नों का उत्तर देने के लिए प्रश्न- संख्या के सामने वह संकेत चिह्न (क, ख, ग, घ) लिखें, जो सही अथवा सबसे उपयुक्त हो ।

1. इनमें से कौन परमाणु ऊर्जा केन्द्र है ?
(क) कैगा
(ख) वाराणसी
(ग) दिल्ली
(घ) मेरठ

2. हिरोशिमा किस देश में है ?
(क) भारत
(ख) जापान
(ग) चीन
(घ) ताईवान

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3. परमाणु विस्फोट से बचने के लिए किया है ?
(क) टोकियो विश्वविद्यालय
(ख) कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय
(ग) कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय
(घ) इनमें से कोई नहीं

उत्तर1. (क), 2. (ख), 3. (ग)।

II. लघु उत्तरीय प्रश्न :

प्रश्न 1. परमाणु ऊर्जा क्या है ?
उत्तर परमाणु ऊर्जा विज्ञान की एक ऐसी उपलब्धि है, जिससे विश्व में विकास कार्यों को गति मिल सकती है। परमाणु ऊर्जा प्राप्त करने के लिए नाभिकीय विखंडन ‘ कराया जाता है, जो वास्तव में एक जोखिम भरा काम है। जरा-सी मानवीय भूल मनुष्य को भारी कठिनाई में डाल सकती है। लेकिन यदि सावधानीपूर्वक काम किया जाय और इसका उपयोग केवल विकास के लिए किया जाय तो परमाणु ऊर्जा एक वरदान साबित हो सकती है और यदि इसका उपयोग बम बनाने में किया जाय तो यह अभिशाप बन जाएगी ।

प्रश्न 2. विश्व में सर्वप्रथम परमाणु बम किस देश पर गिराया गया था ?
उत्तरविश्व में सर्वप्रथम परमाणु बम जापान पर गिराया गया था। द्वितीय विश्वयुद्ध का अंतिम चरण चल रहा था । इटली और जर्मनी हार चुके थे। जापान युद्ध नहीं रोक रहा था। अतः शीघ्र युद्ध समाप्त कराने की गरज से अमेरिका ने पहला परमाणु बम जापान के शहर हिरोशिमा पर 6 अगस्त, 1945 ई. को और दूसरा 9 अगस्त, 1945 ई. को नागासाकी शहरों पर गिराया। दोनों ही शहर ध्वस्त हो गए। जानमाल की भारी हानि हुई थी। उसके कुप्रभाव को कई पीढ़ियों को झेलना पड़ा ।

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प्रश्न 3. भारत के किस राज्य में परमाणु परीक्षण किया गया ?
उत्तरभारत के राजस्थान राज्य में परमाणु परीक्षण किया गया । यद्यपि भारत की यह नीति कभी नहीं रही है कि कोई देश किसी देश पर परमाणु बम गिराए । लेकिन कुछ पड़ोसी देशों की धौंस से बचने के लिए भारत को भी परमाणु परीक्षण करना पड़ा । भारत के दो पड़ोसी देश पाकिस्तान तथा चीन परमाणु बम से लैस हो चुके हैं । अतः अपनी सामरिक क्षमता दर्शाने के लिए भारत को भी यह काम करना पड़ा ।

III. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न :

प्रश्न 1. रेडियेशन से क्या-क्या हानि होती है ? मनुष्य पर पड़ने वाले इसके प्रतिकूल प्रभावों की जानकारी दें ।
उत्तर- रेडियेशन से अनेक हानियाँ हैं । सर्वप्रथम तो यह किसी की जान भी ले सकता है । यदि व्यक्ति मरने से बच जाता है तो उसे अनेक प्रकार के चर्म रोग हो जाते हैं । गर्भवती माताओं पर तो कुप्रभाव पड़ता ही है, गर्भस्थ शिशु को भी रेडियेशन का भुक्तभोगी बनना पड़ता है । बच्चे अपंग पैदा होते हैं । उनकी मानसिक स्थिति भी ठीक नहीं रहती । फलतः वे बड़े होकर भी सामान्य जीवन नहीं जी पाते। वर्षों वर्ष तक वातावरण प्रदूषित बना रहता है । वातावरण में जब रेडियेशन का प्रभाव फैल जाता है तो शीघ्र उसको शमन करने का अभी तक कोई उपाय नहीं निकाला जा सका है ।
मनुष्य पर इसका सीधा कुप्रभाव पड़ता है। चर्म रोगों से तो लोग पीड़ित हो ही जाते हैं, बहुतों को कैंसर तक का शिकार होना पड़ता है । मनोरोग भी हो जाने का खतरा रहता है । जिस क्षेत्र में रेडियेशन फैलता है, वह हवा के माध्यम से अन्यत्र भी पहुँचने लगता है। अकारण मृत्यु दर बढ़ जाती है। नाभिकीय कचरे को जमीन में गाड़ने की प्रक्रिया चल निकली है। लेकिन इससे भौमजल प्रदूषित हो जाता है और वर्षो वर्ष तक प्रदूषित रहता है । यदि कचरे को समुद्र में फेंका जाता है तो जल जीव मरने लगते हैं । इससे एक नई समस्या खड़ी हो जाती है। वैज्ञानिकों को इससे बचाव का कोई कारगर उपाय सोचना चाहिए, ताकि मानवीय भूल से भी रेडियेशन फैले तो सस्ते में उससे बचा जा सके। प्रतिरोधी जैकेट का इजाद तो हुआ है, लेकिन वह सर्वसुलभ नहीं है । 

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प्रश्न 2. परमाणु ऊर्जा से क्या लाभ है ? वर्णन करें ।
उत्तर- आज के युग में ऊर्जा की खपत सर्वत्र बढ़ती जा रही है। खनिज ऊर्जाओं में कोयला, पेट्रोलियम, L.P.G. तथा C.N.G. का उपयोग हो रहा है, लेकिन एक तो ये महँगे हैं और दूसरे कि ये अक्षय नहीं हैं कि मनुष्य इनसे सदा लाभ उठाता रहेगा। इसके स्थान पर नाभिकीय ऊर्जा का व्यवहार होने लगा है। सबसे पहला लाभ तो यह हैं कि यह ऊर्जा का एक सस्ता साधन है । भले ही इसके संयंत्र की स्थापना में एक बार भारी व्यय होता है, लेकिन काल क्रम में इससे उत्पादित ऊर्जा (बिजली) काफी सस्ती होती है। बिजली एक ऐसी ऊर्जा है कि इससे बड़े-से-बड़े कारखाने, रेल, बस आदि चलाए जाते हैं। विश्व में कोई ऐसा क्षेत्र नहीं जहाँ बिजली से काम न हो सके। बिजली स्वयं में बिजली पैदा कर सकती है। अतः यदि देश में किसी प्रकार भी बिजली का काफी उत्पादन होने लगे तो न तो कोयला की आवश्यकता रह जाएगी और न पेट्रोलियम की और न ही गैस की ही । सारा काम बिजली से होने लगेंगे और इसका एकमात्र साधन हो सकता परमाणु ऊर्जा से प्राप्त बिजली । इसी कारण भारत सरकार ने अमेरिका तथा परमाणु कुछ अन्य यूरोपीय देशों से ऐसा समझौता किया है, जिससे भारत में ऊर्जा का अधिक-से-अधिक लाभ उठाया जा सके ।

परियोजना कार्य :

प्रश्न 1. आपदा क्या है, क्या आपके आस-पास कोई आपदा घटित हुई है । यदि हाँ, तो उससे संबंधित आँकड़ों का संकल्न करें ।
उत्तर- संकेत : परियोजना कार्य को छात्र स्वयं करें ।

कुछ अन्य प्रमुख प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. विश्व में पहला परमाणु विस्फोट कहाँ हुआ ?
उत्तरविश्व में पहला परमाणु विस्फोट जापान के दो नगरों हिरोशिमा तथा नागासाकी (1945 में) नगरों पर हुआ ।

प्रश्न 2. भारत द्वारा जमीन के अन्दर प्रथम परमाणु विस्फोट कहाँ किया गया ?
उत्तरभारत द्वारा जमीन के अन्दर प्रथम परमाणु विस्फोट राजस्थान के पोखरण में किया गया ।

प्रश्न 3. भारत में पहली बार परमाणु ऊर्जा उत्पादन केन्द्र कहाँ स्थापित किया गया था ?
उत्तरभारत में पहली बार परमाणु ऊर्जा उत्पादन केन्द्र तारापुर (महाराष्ट्र) में स्थापित किया गया था ।

11.2 रासायनिक आपदा
अभ्यास के प्रश्न तथा उनके उत्तर

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न :
निर्देश : नीचे दिए गए प्रश्नों में चार संकेत चिह्न हैं, जिनमें एक सही या सबसे उपयुक्त है। प्रश्नों का उत्तर देने के लिए प्रश्न- संख्या के सामने वह संकेत चिह्न (क, ख, ग, घ) लिखें, जो सही अथवा सबसे उपयुक्त हो ।

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1. भोपाल में रासायनिक गैस रिसाव कब हुआ था ?
(क) 1984
(ख) 1990
(ग) 1930
(घ) 2004

2. तूतीकोरिन में 1997 ई. में गैस रिसाव से कौन-सी बीमारी उत्पन्न हुई थी ?
(क) उल्टी होना
(ख) सर्दी एवं खाँसी
(ग) उल्टी होना, छाती में जलन
(घ) मस्तिष्क ज्वर

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3. अम्लीय वर्षा का सर्वाधिक प्रभाव कहाँ पड़ा है ?
(क) पटना महानगर
(ख) दामोदर घाटी क्षेत्र
(ग) उत्तरी बिहार
(घ) असम घाटी क्षेत्र

उत्तर- 1. (क), 2. (ग), 3. (ख) ।

II. लघु उत्तरीय प्रश्न :

प्रश्न 1. किस देश द्वारा गैस के उपयोग से यहूदियों को मारा गया था ?
उत्तरजर्मनी देश द्वारा गैस के उपयोग से यहूदियों को मारा गया था । यह कुकर्म द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान किया गया था ।

प्रश्न 2. कीटनाशक में किस रासायनिक पदार्थ का उपयोग होता है ?
उत्तरकीटनाशक में हाइड्रोजन साइनाइड या मिथाइल आइसो साइनेट नामक रासायनिक पदार्थ का उपयोग होता है ।

III. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न :

प्रश्न 1. गैस रिसाव होने पर किस प्रकार की सावधानी रखनी चाहिए?
उत्तर – गैस रिसाव होने पर तुरत इसकी सूचना निकटवर्ती बस्तियों में कर देनी चाहिए। उनसे कहा जाय कि वे हवा की उल्टी दिशा की ओर भाग कर चले जाएँ । कारण कि गैस हवा के साथ उस दिशा की ओर अधिक जाती है, जिस दिशा में हवा बहती है। अतः उल्टी दिशा में भागने पर गैस का असर कम होगा या नहीं होगा । माना कि हवा पश्चिम से पूरब की ओर बह रही है तो गैस रिसाव होने का पता चलते ही पश्चिम की ओर भागना चाहिए।
गैस मास्क यदि हो तो उसे तुरत पहल लें। कारखाना के प्रबंधन को चाहिए कि वे निकटवर्ती बस्ती के निवासियों को मुफ्त में मास्क मुहैया करा दें ।
रासायानिक आपदा से बचने और अपने कर्मियों तथा निकटवर्ती बस्तियों के लोगों को बचाने के लिए प्रबंधन को तात्कालिक और दीर्घकालिक दोनों प्रकार के प्रबंध करना चाहिए। तात्कालिक उपाय से स्वयं कारखाने के कर्मचारियों को सुरक्षा होगी। इसके लिए उसके परिसर में पर्याप्त जल तथा अग्निशामक सलेंडरों को रखना आवश्यक होता है।
गैस रिसाव होने पर क्या करना चाहिए, इस पर स्पष्ट दिशा-निर्देश लगभग सभी कर्मचारियों और प्रबंधन के सभी वर्गों को दे देना चाहिए ।
रासायनिक आयुधों के निर्माण पर रोक लगाने आवश्यक हैं। रासायनिक खाद, कीटनाशक से उत्पन्न आपदा स्पष्ट दृष्टि में नहीं आती । इसका कुप्रभाव धीरे-धीरे होता है ।
इससे बचने का उपाय है कि जैविक खाद उपयोग की जाय जो परम्परा से होती आई है। कीटनाशी के लिए रासायनिक दवाओं के बदले नीम की पत्ती के घोल का उपयोग हो । पातालनीम भी उपयोगी होगा ।

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प्रश्न 2. रासायनिक आपदा के अन्तर्गत आनेवाली समस्याओं का वर्णन कीजिए ।
उत्तर रासायनिक आपदा के अन्तर्गत आनेवाली समस्याओं को तीन वर्गों में बाँटा गया है :
(i) विषैले रासायनिक उत्पाद से उत्पन्न छिपी हुई आपदाएँ ।
(ii) रासायनिक युद्ध सामग्री के उपयोग से उत्पन्न आपदाएँ ।
(iii) रासायनिक औद्योगिक इकाइयों में रिसाव और कचरे से उत्पन्न आपदाएँ ।

(i) विषैले रासायनिक उत्पाद से उत्पन्न छिपी हुई आपदाएँ — ऐसी आपदा की `जानकारी तुरत नहीं होती। ये धीरे-धीरे असर करती हैं और व्यक्ति से व्यक्ति और पूरे समाज को अपने चपेट में ले लेती है। पहले तो तालाबों और नदियों का जल जहरीला होता है और अन्ततः कुँओं का जल भी जहरीला हो जाता है। कारण कि रासायनिक खाद और कीटनाशी दवाएँ खेतों की मिट्टी से होकर भौम जलस्तर तक पहुँच जाती हैं और जल किसी काम का नहीं रहता । नगरों में जीवाश्म ऊर्जा के उपयोग से वर्षा जल के माध्यम से अनेक जहरीले पदार्थ जल में मिल जाते हैं। जैसे : सल्फर डायक्साइड एवं नाइट्रोजन आक्साइड की मात्रा जल में बढ़ती जाती है। अम्लीय वर्षा से वृक्षों के जाते हैं ।

(ii) रासायनिक युद्ध सामग्री के उपयोग से उत्पन्न आपदा— युद्ध में रासायनिक आयुधों के अंतर्गत विभिन्न प्रकार की जहरीली गैसों का उपयोग होता है। इसके साथ ही विस्फोटक पदार्थ, जैसे छोटे बमों में भी विषैली गैसें रहती हैं, जिनके उपयोग के बाट वातावरण विषैला हो जाता है। जर्मनी ने तो द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान गैस चेम्बरों में लाखों यहूदियों को मार डाला था। इराक में गैसीय आयुधों के भंडार के सन्देह में अमेरिका ने उसको तबाह कर दिया था ।

(iii) रासायनिक औद्योगिक इकाईयों में रिसाव और कचरे से उत्पन्न आपदा— सन् 1984 ई. में भोपाल गैस त्रासदी ने वहाँ के लोगों को हिलाकर रख दिया था। उस समय उस कारखाने से हाइड्रोजन साइनाइड तथा अन्य अभिक्रियाशील उत्पादों सहित 45 टन मिथाइल आइसो सायनेट गैस ‘यूनियन कार्बाइड’ के कीटनाशी कारखाने से मध्य रात्रि में रिसकर हवा में फैल गई थी। आसपास के सभी निवासियों का दम घुटने लगा। 2000 लोगों की तत्काल मृत्यु हो गई तथा 10,000 से अधिक लोग अपंग हो गए। 1989 तक मृतकों की संख्या 16,000 तथा घायलों की संख्या 50,000 तक पहुँच गई। तूतीकोरिन में भी ऐसी ही घटना हुई थी। लेकिन इससे बहुत कम लोग कुप्रभावित हुए थे 1

11.3 जैविक आपदा
अभ्यास के प्रश्न तथा उनके उत्तर

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न :
निर्देश : नीचे दिए गए प्रश्नों में चार संकेत चिह्न हैं, जिनमें एक सही या सबसे उपयुक्त है। प्रश्नों का उत्तर देने के लिए प्रश्न- संख्या के सामने वह संकेत चिह्न (क, ख, ग, घ ) लिखें, जो सही अथवा सबसे उपयुक्त हो ।

1. डेंगू बीमारी का क्या कारण है ?
(क) आग लगने से
(ख) एक बर्तन में अधिक समय तक पानी रहने से
(ग) बाढ़ आने से
(घ) गंदे भोजन से

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2. एंथ्रेक्स क्या है ?
(क) अति सूक्ष्म जीव
(ख) युद्धपोत
(ग) जंगली जानवर
(घ) युद्ध का एक अस्त्र

3. भारत में एड्स से लगभग कितने लोग प्रभावित हैं ?
(क) 25 लाख
(ख) 30 लाख
(ग) एक करोड़
(घ) 50 लाख

उत्तर 1. (ख), 2. (क), 3. (क) ।

II. लघु उत्तरीय प्रश्न :

प्रश्न 1. प्लेग और हैजा का क्या कारण है ?
उत्तर सूक्ष्म जीवाणु और वायरस प्लेग और हैजा दोनों के कारण हैं ।

प्रश्न 2. ‘एड्स’ की बीमारी के कारणों को बतावें ।
उत्तर ‘एड्स’ की बीमारी के मुख्य कारण हैं तो वायरस ही, लेकिन संक्रमण भी इस बीमारी को फैलाने और बढ़ाने में मदद करते हैं। अनेक लोगों से यौन सम्बंध तथा इस्तेमाल किया गया सिरींज (सूई) से भी यह रोग फैलता है। दूषित खून चढ़ाने से भी यह बीमारी होती है ।

प्रश्न 3. हेपेटाइटिस बीमारी के कारणों को बतावें ।
उत्तर – हेपेटाइटिस कई प्रकार के होते हैं। जैसे : हेपेटाइटिस ABC इत्यादि । इन तीनों बीमारियों के कारण समान ही हैं। सूक्ष्मी जीवाणु तथा वायरस

III. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न :

प्रश्न 1. जैविक आपदा कितने प्रकार के हैं? उनका संक्षिप्त विवरण दीजिए
उत्तरजैविक आपदा चार प्रकार के हैं । वे हैं :
(अ) प्रथम प्रकार, जो अधिक विनाशकारी नहीं होते । इनका कारण सूक्ष्म जीवाणु और वायरस होते हैं। ये जीवाणु और वायरस चिकेन पॉक्स, केनिन हेपेटाइटिस जैसी साधारण बीमारियाँ उत्पन्न करते हैं । तात्कालिक कुछ उपाय से ये शीघ्र दूर हो जाते हैं
(ब) दूसरे वर्ग में वैसी बीमारियों को रखा गया है, जिनके कारण भी सूक्ष्म जीवाणु और वायरस ही होते हैं । लेकिन ये भिन्न प्रकार के होते हैं, जिनके कारण हेपेटाइटिस A, B, C, इंप्फ्लूएंजा, लाइमडिजिज, मिजिल्स, चिकेन पॉक्स और एड्स जैसी बीमारियाँ होती हैं । समय-समय पर स्वास्थ्य परीक्षण करते रहने से इन रोगों से बचा जा सकता है ।
(ग) तीसरे वर्ग की बीमारियों के कारण भी सूक्ष्म जीवाणु तथा वायरस ही होते हैं लेकिन इस अर्थ में भिन्न होते हैं कि इनसे विनाशकारी संक्रामक रोग फैलते हैं । जैसे : एन्थ्रेक्स, पश्चिमी नील वायरस, वेन जुलियन एन्सफ्लाइटिस, स्मॉल पॉक्स, टी. बी. रिफ्टवैली बुखार, पीला बुखार, मलेरिया, फ्लेग, हैजा, डायरिया आदि रोग होते हैं ।
(द) चौथे वर्ग में अति विनाशकारी वायरसों को रखा गया है। ऐसे वायरस हैं : बोलिवियन तथा अर्जेंटियन । इनसे होनेवाले रोग हैं गम्भीर बुखार, बर्ड फ्लू तथा एड्स । डेंगू बुखार, मारवर्ग बुखार, एबोला बुखार इत्यादि रोग होते हैं। डेंगू तथा एड्स दोनों सर्वाधिक जोखिम भरा आपदा हैं ।

प्रश्न 2. जैविक अस्त्र क्या है ? इससे उत्पन्न समस्याओं का वर्णन कीजिए ।
उत्तरजैविक अस्त्र एक नया युद्धक अस्त्र है । इसके आक्रमण से निर्दोष नागरिकों तथा पशुओं की मौत होने लगती है। पेड़-पौधे भी कुप्रभावित होने लगते हैं। यह महान अमानवीय अस्त्र माना जाने लगा है। अमेरीकियों को संदेह है कि जैविक अस्त्र का इजाद जापानियों ने किया था । लेकिन ऐसा लगता है कि जापान पर अणु बम गिराने जैसे घृणित काम पर पर्दा डालने का यह एक शगूफा है । इस अस्त्र का निर्माण किसने किया इसका सही पता तो नहीं है, लेकिन इसका दुरुपयोग 2001 ई. में संयुक्त राज्य अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर आतंकी हमले के बाद आरम्भ हुआ ।
जैविक अस्त्र से उत्पन्न समस्याओं का वर्णन कठिन है । यह इतना महान विनाशकारी है कि देखते-देखते व्यक्ति और अन्य जीव-जंतु काल की गाल में समा जाते हैं। एंथ्रेक्स नामक जीवाणु को अमेरिका के महत्वपूर्ण सामरिक क्षेत्रों में डाक सेवा द्वारा या अनजान व्यक्तियों द्वारा पहुँचाया जाने लगा। एंथ्रेक्स एक ऐसा सूक्ष्म जीवाणु है जो श्वसन तंत्र द्वारा शरीर के अंदर पहुँचकर एक प्रकार का जहर उत्पन्न कर देता है । यह की भारी आपदा को उत्पन्न करता है। एंथ्रेक्स के अलावा यह अनेक जीवाणु जैविक अस्त्र में उपयोग किए जाते हैं। जैसे : रुग्णता लानेवाला जीवाणु कहा जाता है। जैविक अस्त्र एक ऐसा अस्त्र समझा जाने लगा है, जिससे शीघ्र निजात की सम्भावना नहीं है । लेकिन इतना तो अवश्य कहा जाएगा कि इसका निर्माण करनेवाला और उपयोग करनेवाला — दोनों मानवता के महान शत्रु हैं ।

प्रश्न 3. जैविक आपदा से बचाव के उपाय बताइए ।
उत्तरजैविक आपदा से बचाव व उपाय ढूँढ़ना बहुत आसान नहीं है। फिर भी कुछ खास अहतियात बरता जाय तो कुछ हद तक इससे बचाव सम्भव है ।
सर्वप्रथम तो यह कि किसी अनजान व्यक्ति द्वारा भेजे गए पत्र या पार्सल को धड़ल्ले से नहीं खोला जाय । जाँच दल के जिम्मे इन्हें सौंप दिया जाय। वैसे कहा गया है कि गर्म जल पीया जाय। स्वच्छ एवं गर्म भोजन ग्रहण किया जाय। सुरक्षा दवा का छिड़काव और प्रशासनिक प्रतिबद्धता को मजबूती से लागू किया जाय। यदि अनजान पत्र या पार्सल को खोलना जरूरी ही हो तो ग्लब्स का उपयोग अवश्य किया जाय। इससे बहुत हद तक व्यक्ति अपना बचाव कर सकता है। डॉग स्क्वायड का गठन किया जाय। डॉग स्क्वायड की मदद से जैविक अस्त्रों के निर्माण का स्थान या एकत्रीकरण के स्थान का पता लगाया जा सकता है। विश्व स्तरीय ऐसा बड़ा कानून बनाया जाय जिससे कोई जैविक अस्त्र बनाने की हिम्मत नहीं कर सके। इसके लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रयास की आवश्यकता है।
जैविक अस्त्र रखने के संदेह मात्र से ही अमेरिका ने इराक को तबाही में डाल दिया था। उसके राष्ट्रपति को फाँसी पर लटकवा दिया गया था। बाद में अमेरिका ने निर्लज्जतापूर्वक स्वीकार किया कि इराक में ऐसा कुछ भी नहीं मिला जो विश्व के लिए अमानवीय हो ।

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BSEB Social Science Geography कक्षा 9 पाठ 10. आपदा प्रबंधन : एक परिचय | Aapda Prabandhan Ek Parichay Class 9th Solutions

इस पोस्‍ट में हमलोग कक्षा 9 भूगोल के पाठ 10. आपदा प्रबंधन : एक परिचय (Aapda Prabandhan Ek Parichay Class 9th Solutions)’ के महत्‍वपूर्ण टॉपिकों के बारे में अध्‍ययन करेंगें। 

Aapda Prabandhan Ek Parichay Class 9th Solutions

10. आपदा प्रबंधन : एक परिचय

अभ्यास के प्रश्न तथा उनके उत्तर

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न :
निर्देश : नीचे दिए गए प्रश्नों में चार संकेत चिह्न है, जिनमें एक सही या सबसे उपयुक्त है। प्रश्नों का उत्तर देने के लिए प्रश्न- संख्या के सामने वह संकेत चिह्न (क, ख, ग, घ ) लिखें, जो सही अथवा सबसे उपयुक्त हो ।

1. आपदा प्रबंधन के प्रमुख घटक हैं :
(i) आपदा के पूर्व वैयक्तिक स्तर पर तैयार करना
(ii) आपदा के पूर्व सामुदायिक स्तर पर तैयारी करना
(iii) रोकथाम के लिए दूसरों पर निर्भर रहना
(iv) आपदा के संबंध में जानकारी नहीं रखना

2. मानवजनित आपदा के प्रभाव को कम करने के कौन-से उपाय हैं ?
(i) भूमि उपयोग की जानकारी नहीं रखना
(ii) आपदारोधी भवन का निर्माण करना
(iii) सामुदायिक जागरूकता पर ध्यान देना
(iv) जोखिम क्षेत्रों में बसाव को बढ़ावा

उन्तर1. (ii), 2. (iii).

II. लघु उत्तरीय प्रश्न :

प्रश्न 1. आपदा प्रबंधन क्या है ?
उत्तर- किसी भी तरह की आपदा से बचाव का प्रबंध करना ‘आपदा प्रबंधन’ कहलाता है। आपदा प्राकृतिक भी हो सकती है और मानवजनित भी।, लेकिन वह जैसी भी हो, उससे बचने का उपाय करना अति आवश्यक है और बचाव के लिए उसका प्रबंधन आवश्यक है।

प्रश्न 2. आपदा को कम करने के लिए कौन-कौन से उपाय किये जाने चाहिए?
उत्तरआपदा को कम करने के लिए निम्नलिखित उपाय किये जा सकते हैं
(i) जोखिमवाले क्षेत्र में मानव बसाव को रोकना ।
(ii) यथासंभव भूमि उपयोग की योजना तैयार करना।
(iii) आपदा क्षेत्रों में आपदारोधी भवन का निर्माण करना ।
(iv) आपदा घटने से पहले ही जोखिम को कम करने के तरीके तलाशना ।
(v) सामुदायिक जागरूकता बढ़ाना तथां तत्सम्बंधी शिक्षा का प्रसार करना ।

प्रश्न 3. आप आपदा प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को किस प्रकार मदद कीजिएगा ?
उत्तरकहीं भी आपदा की उद्घोषणा से हम घबड़ाएँगे नहीं। इसकी सूचना शीघ्र ही अपने परिवारजनों तथा पड़ोसियों को देंगे। इससे लाभ होगा कि सभी लोग अपनी योग्यता के अनुसार बचाव के काम में लग जाएँगे। अपने मित्रों तथा शिक्षकों की मदद से राहत कार्य में जुट जाएँगे। प्रभावित लोगों को कुछ समय के लिए विद्यालय में ही शरण दे दिया जाएगा। गाँव के सहयोग से उनके भोजन और बिछावन आदि का प्रबंध कर देंगे। स्थानीय चिकित्सों की मदद से आवश्यकता के अनुसार चिकित्सा व्यवस्था कर देंगे।’

प्रश्न 4. विद्यालय द्वारा किस प्रकार आपदा प्रभावित लोगों को मदद पहुँचायी जा सकती हैं?

उत्तर—विद्यालय द्वारा निम्नलिखित प्रकार से आपदा प्रभावित लोगों को मदद पहुँचाई जा सकती है :
(i) सामुदायिक जागरूकता बढ़ाना और लोगों को शिक्षित करना ।
(ii) मॉक ड्रिल चेतावनी प्रणाली का प्रशिक्षण देना ।
(iii) समुचित चेतावनी प्रणाली की पूर्ण जानकारी रखना और देना ।
(iv) असुरक्षित समूहों और भवनों की पहचान कर सूची रखना।

III. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न :

प्रश्न 1. आपदा प्रबंधन में ग्राम पंचायत की भूमिका का वर्णन कीजिए ।
उत्तरआपदा प्रबंधन में ग्राम पंचायत की भूमिका निम्नलिखित है। ग्राम पंचायत गाँव का प्रतिनिधि संगठन है। लोगों की सहायात के लिए ही ग्राम पंचायतों का गठन किया गया था। उन्हीं में से आपदा प्रबंधन भी एक आवश्यक तत्व है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि आपदा प्रबंधन का काम ग्राम पंचायत की साझेदारी के बिना नहीं हो सकता । साझेदारी ही क्यों ? ग्राम पंचायत को तो सामूहिक मदद के लिए ही ग्राम पंचायत के सदस्यों को चुना जाता है। अतः उन्हें अपनी जिम्मेदारी समझकर भी आपदा प्रबंधन में सहयोग देना चाहिए। इसके लिए ग्राम पंचायतें गाँव के लोगों का सहयोग ले सकती हैं। ग्राम पंचायत की सक्रियता से गाँव के लोगों में भी सक्रियता बढ़ जाती है। सब मिल-जुलकर आपदा को कम करने का प्रयास करते हैं सभी मदद में जुट जाते हैं, जिससे जितना पड़ सकता है करता है और दूसरों से भी ऐसा ही करने के लिए कहता है । देखा-देखी में लोग एक-दूसरे से अधिक कामकर नाम कमा लेना चाहते हैं। आपदा में फँसे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाना, घायलों को चिकित्सा की व्यवस्था करना, सबके लिए रहने और भोजन की व्यवस्था करना पहला काम हो जाता है। ग्राम पंचायतें अपने प्रभाव का उपयोग कर सरकारी सहायात भी प्राप्त कर सकती हैं। सरकार भी ग्राम पंचायातें के माध्यम से व्यवस्था जुटाने में मदद करती है और किसी भी स्थिति में पीछे नहीं हटती । कारण कि सरकार के पास आपदा से निपटने के लिए अलग से राशि संचित रहती है ।

प्रश्न 2. आपदा प्रबंधन में राष्ट्रीय स्तर पर किये जा रहे कार्यों की समीक्षा करें ।
उत्तरभारत में राष्ट्रीय स्तर पर लगभग सदैव किसी-न-किसी आपदा की आशंका रहती है । वह आपदा मानवजनित भी होती हैं या प्राकृतिक भी । मानवजनित में परस्पर के झगड़े अधिक देखने को मिलते हैं। प्राकृतिक आपदा के अनेक रूप होते हैं। आँधी, ओला, पाला, कुहासा, अति जाड़ा या अति गर्मी, सूखा, बाढ़, सुनामी आदि में से कोई- न-कोई एक देखने-सुनने को मिलता ही रहता है । भूकंप भी एक ऐसी आपदा हैं जो कभी सूचना देकर नहीं आती लेकिन इससे सर्वाधिक जान-माल की हानि होती है । यह जानकर आश्चर्य होता है कि सुनामी भी भूकंप के कारण ही आता है। वह भूकम्प समुद्र के अन्दर होता है और जल में उथल-पुथल मचा देता है। भूकंप में जो हानि होती है, उससे कई गुणा अधिक हानि सुनामी से होती है। राष्ट्रीय स्तर पर ऐसी आपदाओं से निबटने के लिए योजनाएँ पहले से ही बनाई गई हैं। इसका दूरगामी प्रभाव अवश्य लाभदायी और प्रभावी होगा। उदाहरण के लिए :
(i) आपदा प्रबंधन के लिए प्रतिवर्ष राष्ट्रीय बजट में आकस्मिक निधि का प्रबंध किया जाता है। (ii) आपदा प्रबंधन के लिए प्रधानमंत्री राहत कोष का भी गठन किया गया है। (iii) कौन-सी और कैसी आपदा बार-बार आती है इसका मानचित्र बना लेना लाभदायक होता है। (iv) आपदा प्रबंधन में लगनेवाले लोगों को प्रशिक्षित करना आवश्यक समझ सरकार उन्हें प्रशिक्षित करती है । अब आपदा प्रबंधन की पढ़ाई भी शुरू हो गई है । (v) आपदा प्रबंधन का प्रशिक्षण पंचायत स्तर पर भी दिया जाता है । प्रत्येक ग्राम पंचायत में आतंकवादी विरोधी दस्ते गठित किए गए हैं। (vi) आपदा प्रबंधन में स्वयंसेवी संस्थाओं का योगदान महत्वपूर्ण है । ये संस्थाएँ परामर्श भी देती हैं । परियोजना कार्य

प्रश्न 1. बच्चो, आप अपने गाँव / मुहल्ले में एक वर्ष के अंतर्गत आग और महामारी के बारे में दादा-दादी तथा बुजुर्गों से जानकारी इकट्ठी करें ।
उत्तर – संकेत : इसे छात्रों को स्वयं करना है ।

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BSEB Social Science Geography कक्षा 9 पाठ 9. क्षेत्रीय अध्‍ययन | Kshetriya Adhyayan Class 9th Solutions

इस पोस्‍ट में हमलोग कक्षा 9 भूगोल के पाठ 9. क्षेत्रीय अध्‍ययन (Kshetriya Adhyayan Class 9th Solutions)’ के महत्‍वपूर्ण टॉपिकों के बारे में अध्‍ययन करेंगें। 

9. क्षेत्रीय अध्‍ययन
अभ्यास के प्रश्न तथा उनके उत्तर

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न :
निर्देश : नीचे दिए गए प्रश्नों में चार संकेत चिह्न हैं, जिनमें एक सही या सबसे उपयुक्त है। प्रश्नों का उत्तर देने के लिए प्रश्न- संख्या के सामने वह संकेत चिह्न (क, ख, ग, घ) लिखें, जो सही अथवा सबसे उपयुक्त हो ।

1. क्षेत्र में जाकर इकट्ठे किये गये आँकड़ों को क्या कहा जाता है ?
(क) द्वितीयक आँकड़ा,
(ख) प्राथमिक आँकड़ा
(ग) तृतीयक आँकड़ा
(घ) चतुर्थक आँकड़ा

2. भूगोल में क्षेत्रीय अध्ययन है :
(क) एक उपागम
(ख) एक विधितंत्र
(ग) एक सिद्धान्त
(घ) एक मॉडल

उत्तर –1. (ख), 2. (क) ।

II. लघु उत्तरीय प्रश्न :

प्रश्न 1. भौगोलिक अध्ययन के महत्व को स्पष्ट करें ।
उत्तरभौगोलिक अध्ययन का महत्व इस बात में निहित है कि हम क्षेत्र विशेष में रहनेवाले मानव और उसके परिवेश के बारे में जानकारी प्राप्त करें । न केवल मानव, बल्कि अन्य प्रमुख बातें; जैसे : लोगों के जीवन पर वहाँ की स्लाकृति का प्रभाव, जलवायु, अपवाह, कृषि उत्पादकता, पशु पालन, औद्योगिक विकास, शहरीकरण इत्यादि की सही-सही जानकारी प्राप्त की जा सके । भूगोल के अध्ययन में ये सारी बातें आ जाती हैं।

प्रश्न 2. भूमि का कृषि के लिए उपयोग किस क्षेत्र में अधिक होता है ?
उत्तर- भूमि का कृषि के लिए उपयोग ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक होता है। गाँव वहीं बसते हैं, जहाँ कृषि कार्य की सुविधा रहती है । कारण कि मानव की पहली आवश्यकता भूख की संतुष्टि है। ग्रामीण क्षेत्रों में ही कृषक रहते हैं और वे ही वहाँ भूमि का उपयोग कृषि कार्य के लिए करते हैं ।

प्रश्न 3. वायु प्रदूषण से किस प्रकार की हानि होती है ?
उत्तर – वायु प्रदूषण से श्वास सम्बंधी रोग होता है। श्वास रोग के अंतर्गत आनेवाले रोग हैं : दम फूलना अर्थात ‘दमा’, क्षय रोग अर्थात टी. वी., उच्च रक्त चाप और अन्ततः उक्त रक्त चाप के कारण लकवा, ब्रेन हैम्ब्रेज या हार्ट एटैक; कुछ भी हो सकता है । इस प्रकार हम देखते हैं कि वायु प्रदूषण से एक हानि नहीं, बल्कि अनेक हानियाँ होती हैं ।

प्रश्न 4. जल प्रदूषण से होनेवाली हानि की चर्चा करें ।
उत्तर जल प्रदूषण एक ऐसा प्रदूषण है कि यह धीरे-धीरे भी व्यक्ति पर असर करता है और अकस्मात भी । जल प्रदूषण से व्यक्ति को पेट सम्बंधी बीमारियाँ होती हैं। डायरिया, हैजा, मिचली आदि जल प्रदूषण के कारण ही होते हैं । जिस तालाब का जल प्रदूषित हो जाता है उस तालाब के जल जीव (खासकर मछली) मरने लगते हैं । परिणाम होता है कि व्यक्ति भोजन के एक अंग से वंचित हो जाता है ।

प्रश्न 5. वर्षा जल का संग्रहण किस प्रकार किया जाता है ?
उत्तरगाँवों में ढाल वाली जमीन पर गहरा गड्ढा खोदकर तालाब का शक्ल दिया जाता है । गाँव भर के वर्षा जल को उसी गड्ढे में एकत्र किया जाता है। इससे दो लाभ होते हैं। एक तो भौम जल स्तर में कमी नहीं होने पाती और दूसरे कृषि में उस जल से सिंचाई की जाती है । उसमें मछली पालन भी किया जा सकता है । शहरों में मकान की छत पर जल एकत्र करने की परम्परा चल पड़ी है। इस जल को पाइपों द्वारा जमीन के अन्दर बहाकर भौम जल स्तर को बढ़ाया जाता है

प्रश्न 6. क्षेत्रीय अध्ययन से क्या समझते हैं ?
उत्तरक्षेत्रीय अध्ययन एक ऐसा उपागम है, जिसके द्वारा क्षेत्र विषेश के लोगों के रहन-सहन, कृषि कार्य, पशुपालन तथा तत्सम्बंधी अनेक बातों की जानकारी होती है । इससे क्षेत्र विशेष की आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक बातों के अलावा वहाँ की स्थलाकृति, जलवायु, अपवाह, औद्योगिक विकास की जानकारी प्राप्त की जा सकती हैं।

प्रश्‍न 7. एक आरेख की सहायता से वर्षा जल संग्रहण को दिखाएँ ।
उत्तर – गाँवों में वर्षाजल के संग्रहण के लिए तालाब बनाए जाते हैं, जबकि शहरों में छत के वर्षा जल को जमीन के अन्दर भौम जल स्तर तक पहुँचा देते हैं ।

Kshetriya Adhyayan Class 9th Solutions

प्रश्न 8. क्षेत्रीय अध्ययन के उक्या लाभ हैं ?
उत्तरक्षेत्रीय अध्ययन के अनेक लाभ हैं। जैसे : क्षेत्र विशेष में कृषि का प्रकार, भूमि का किस्म, जल का बहाव, भौम जल स्तर की स्थिति, जनसंख्या का घनत्व, उनके रहन- सहन का स्तर, उपज की स्थिति तथा किस्म इत्यादि सभी भौगोलिक बातों का ज्ञान प्राप्त होता है । यदि उसका लेख तैयार कर दिया जाय तो अनेक लोग पढ़कर लाभ उठा सकते हैं ।

प्रश्न 9. अध्ययन के लिए क्षेत्र का चयन करते समय किन बिन्दुओं पर ध्यान देना चाहिए ?
उत्तरअध्ययन के लिए क्षेत्र का चयन करते समय निम्नलिखित बिन्दुओं पर ध्यान देना चाहिए :
(i) स्थलाकृति, (ii) जलवायु, (iii) अपवाह, (iv) कृषि उत्पादकता, (v) औद्योगिक विकास, (vi) नगरीकरण, (vii) आवागमन के साधन, (viii) आर्थिक विषयों से सम्बद्ध कोई अन्य बिन्दु |

III. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न :

प्रश्न 1. नीचे दी गई सारणी का अध्ययन कर उसके नीचे दिए गए प्रश्नों का उत्तर दें :

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(क) उस भू-उपयोग वर्ग का नाम लिखें जिसका क्षेत्रफल लगातार घट रहा है ?
(ख) फसल क्षेत्र के लगातार बढ़ने का मुख्य कारण स्पष्ट करें ।
(ग) स भू-उपयोग वर्ग के अंतगर्त सबसे कम भू-क्षेत्र का उपयोग हुआ है ?

उत्तर :
(क) सारणी को देखने से ज्ञात होता है कि देश में ‘वन’ का क्षेत्रफल लगातार घट रहा है ।
(ख) फसल क्षेत्र लगातार बढ़ रहा है, लेकिन 2000 ई. में कम हो गया । बढ़ने का कारण है कि लगतार वन क्षेत्र को नष्ट कर कृषि भूमि को बढ़ाया गया है (ग) सारणी से यह भी पता चलता है कि तृण भूमि में लगातार वृद्धि होती गई है और उसके क्षेत्रफल का अधिक उपयोग हुआ है ।

प्रश्न 2. क्षेत्र अध्ययन के लिए प्रश्नावली की विभिन्न विधियों की चर्चा करें ।
उत्तरक्षेत्र अध्ययन के लिए प्रश्नावली की विभिन्न विधियाँ निम्नलिखित हैं : (i) कार्यविधि, (ii) प्रश्नावली, (iii) भूमिगत जलस्तर में गिरावट के कारण, (iv) भूमिगत जलस्तर को बढ़ाने के उपाय, (v) भूमि उपयोग के रूप में परितर्वन ।

(i) कार्यविधि – सर्वप्रथम क्षेत्र विशेष में जाकर अवलोकन किया जाता है । क्षेत्र का अध्ययन कर सूचनाएँ एकत्र करते हैं। ये ही प्राथमिक आँकड़ों के स्रोत बनते हैं । क्षेत्रीय अध्ययन में प्राथमिक एवं द्वितीयक दोनों प्रकार के आँकड़ों का उपयोग रहता है । अध्ययन में क्षेत्र के भौम जल स्तर में गिरावट, भूमि उपयोग, प्रदूषण के विभिन्न प्रकार आदि ।

(ii) प्रश्नावली – प्रश्नवली को पहले से ही तैयार कर लिया जाता है और उन्हीं में से क्षेत्र विशेष के लोगों से प्रश्न पूछे जाते हैं । प्रश्नों के उत्तर ‘हाँ’ अथवा ‘ना’ भी हो सकता है या एक-दो वाक्य में भी । इसके लिए कभी-कभी बहुविकल्पीय प्रश्न भी पूछे जा सकते हैं। सर्वेक्षणकर्ता वहाँ की मुख्य बातों का पता लगाता है । तत्पश्चात उनके आँकड़े एकत्र करता है । उदाहरण के लिए बिहार की बाढ़ या बुंदलेखंड का सूखा।

(iii) भूमिगत जलस्तर में गिरावट के कारण — जनसंख्या में वृद्धि तथा उद्योगों के साथ ही कृषि के विकास के कारण जल की खपत बढ़ी है। सिंचाई के लिए गहरे ट्यूबवेल डालकर जल का शोषण किया जाता है । नगरों में सिवर सिस्टम में भी जल की खपत बढ़ी है । गाँवों में भी सेप्टिक पखानों की बढ़ोत्तरी हो रही है । जहाँ पहले एक लोटा पानी लगता था वहीं आज एक बड़ी बाल्टी पानी व्यय करना पड़ता है ।

(iv) भूमिगत जल स्तर को बढ़ाने के उपाय — भूमिगत जल स्तर को बढ़ाने का एकमात्र उपाय है वर्षा जल को किसी भी रूप में या किसी तरह भूमि के अन्दर पहुँचा देना । ग्रामीण क्षेत्र में ढालू जमीन की ओर कहीं गड्ढा बना दिया जाय जिसमें वर्षा का जल एकत्र होगा और रिस कर भूमि के अन्दर तक पहुँच जाएगा । नगरों में छतों पर के वर्षा जल को पाइपों के सहारे भूमि के अन्दर पहुँचा देने से भूमिगत जल स्तर को बढ़ाने का एक कारगर उपाय है

(v) भूमि के उपयोग के रूप में परिवर्तन — भूमि उपयोग के क्षेत्रीय अध्ययन के लिए पूरे गाँव को या उसके किसी टोले को लिया जा सकता है। उसका भूमि उपयोग सर्वेक्षण करते समय ‘भूकर मानचित्र’ में सभी प्रकार की भूमि को दिखाना आवश्यक है खेतों के आकार और संख्या को दर्शाना भी आवश्यक है। भूमि का उपयोग किस अन्न के उत्पादन के लिए हो रहा है, यह दिखाना भी जरूरी है। इसके लिए अन्न के नाम का पहला अक्षर उपयोग में लाया जा सकता है ।

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प्रश्न 3. वायु प्रदूषण के चार स्रोतों का वर्णन करें ।
उत्तर- वायु प्रदूषण के चार स्रोत निम्नांकित हैं
(i) पेट्रोलियम चालित वाहनों में वृद्धि, (ii) कारखानों की चिमनियों से निकलनेवाला धुआँ, (iii) वाहनों द्वारा उड़ाए गए धूलकण, (iv) तेज गति के पवन द्वारा अपरदित मृदा को उड़ाकर वायु में मिला देना ।

(i) पेट्रोलियम चालित वाहनों में वृद्धि – आज न केवल नगरों में, बल्कि गाँवों में भी पेट्रोलियम चालित वाहनों में वृद्धि होने लगी है। ट्रैक्टर खास तौर पर गाँवों में ही चलते हैं। पेट्रोल अथवा डिजल के जलने से धुआँ निकलता है, जिससे वायु प्रदूषित होती है। जनरेटर सेटों का भी उपयोग धड़ल्ले से होने लगा है। वायु प्रदूषण का यह भी एक मुख्य कारण है ।

(ii) कारखानों की चिमनियों से निकलनेवाला धुआँ — कारखानों में अधिकतर ईंधन के रूप में कोयला का उपयोग होता है। कोयला जलाने से चिमनियों द्वारा धुआँ तो वायुमंडल में पहुँचता भी है, राख के कण भी काफी मात्रा में फैलते हैं । ये हवा में फैलकर भारी होने के कारण पृथ्वी तल पर पहुँच जाते हैं और वायु को प्रदूषित करते हैं ।

 (iii) वाहनों द्वारा उड़ाए गए धूलकण – वाहनों में मोटरगाड़ियाँ हों या ट्रक अथवा ट्रैक्टर, सभी तेज गति से चलते हुए धूलकणों को उड़ाकर वायु में फैला देते हैं । सड़कों के किनारे वृक्षों के पत्तों पर एकत्र धूल को स्पष्ट देखा जा सकता है । ये धूल कण किसी-न-किसी प्रकार वायु को प्रदूषित करते हैं । इसको रोकने का कोई उपाय भी नहीं है ।

(iv) तेज गति से चलनेवाले. पवन द्वारा अपरदित मृदा को वायुमंडल में उड़ा देना — कभी-कभी तेज पवन चलते हैं और मृदा का अपरदन कर अपरदित मृदा को वायु में फैला देते हैं। इससे भी वायु प्रदूषण को बल मिलता है। खासतौर पर वृक्षों के कट जाने से यह क्रिया तेजी से होने लगी है ।

IV. क्षेत्रीय अध्ययन : प्रश्नावली मॉडल :

प्रश्न :
1. क्षेत्र का नाम :
2. उत्तरदाता का नाम एवं पता ?
3. क्या कृषि क्षेत्र में वृद्धि हुई है ?
4. क्या आपके. गाँव में नलकूप है ?
5. कुएँ का जलस्तर पिछले पाँच वर्षों में बढ़ा है या घटा है ?
6. सिंचाई के कौन-कौन से साधन इस क्षेत्र में उपलब्ध हैं ?
7. एक वर्ष में कौन-कौन सी बीमारियाँ बड़े स्तर पर उस क्षेत्र में हुई हैं ?
8. अध्ययन क्षेत्र में किस प्रकार का प्रदूषण है ?
9. जल-स्तर के घटने के क्या कारण हैं ?
10. क्या आप वर्षा जल का संग्रह करते हैं ?
11. आप वर्ष में कौन-कौन फसलें उत्पन्न करते हैं ?

उत्तर- संकेत : छात्र उत्तर अनुमान से तैयार करें ।

V. परियोजना कार्य :

प्रश्न :
1. अपने आस-पास के किसी एक मुहल्ले या गाँव की भूमि के उपयोग का सर्वेक्षण कर एक प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करें ।
2. विद्यालय के आस-पास के क्षेत्र में जल तथा मृदा प्रदूषण से होने वाली हानि की जानकारी प्राप्त करें
3. शिक्षक छात्रों के एक दल बनाकर किसी एक स्थानीय क्षेत्र का भ्रमण करें तथा बच्चों को उस क्षेत्र की भौगोलिक विशेषताओं की प्रत्यक्ष जानकारी दें । तत्पश्चात, बच्चों से भौगोलिक रिपोर्ट तैयार करवाएँ ।

उत्तर-संकेत : परियोजना कार्य छात्रों को शिक्षक की सहायता से स्वयं करना है ।

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BSEB Social Science Geography कक्षा 9 पाठ 8. मानचित्र अध्‍ययन | Manchitra Adhyayan Class 9th Solutions

इस पोस्‍ट में हमलोग कक्षा 9 भूगोल के पाठ 8. मानचित्र अध्‍ययन (Manchitra Adhyayan Class 9th Solutions)’ के महत्‍वपूर्ण टॉपिकों के बारे में अध्‍ययन करेंगें। 

8. मानचित्र अध्‍ययन

अभ्यास के प्रश्न तथा उनके उत्तर

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न :
निर्देश : नीचे दिए गए प्रश्नों में चार संकेत चिह्न हैं, जिनमें एक सही या सबसे उपयुक्त है। प्रश्नों का उत्तर देने के लिए प्रश्न- संख्या के सामने वह संकेत चिह्न (क, ख, ग, घ) लिखें, जो सही अथवा सबसे उपयुक्त हो ।

(i) कौन-सी मापक विधि सर्वाधिक मान्य है ?
(क) प्रकथन
(ख) निरूपक भिन्न
(ग) आलेख
(घ) कोई नहीं

(ii) मानचित्र की दूरी को मापनी से कैसे जाना जाता है ?
(क) अंश
(ख) हर
(ग) मापनी का प्रकथन
(घ) कोई नहीं

(iii) मापनी में हर व्यक्त करता है
(क) धरातल की दूरी
(ख) मानचित्र पर दूरी
(ग) दोनों दूरियाँ
(घ) उनमें से कोई नहीं

(iv) निम्नलिखित में कौन-सा मा निरूपक भिन्न का है ?
(क) मीटर
(ख) सेंटीमीटर
(ग) ईंच
(घ) इनमें से कोई भी नहीं

(v) निम्न में किस मापनी के द्वारा किलोमीटर और मील दोनों की दूरियों को दर्शाया जा सकता है ?
(क) रेखीय मापनी
(ख) आरेखीय मापनी
(ग) प्रतिनिधि भिन्न
(घ) तुलनात्मक मापनी

उत्तर – (i)→(ख), (ii)→ (ग), (iii)→ (क), (iv)→(ख), (v)→(ग)।

II. लघु उत्तरीय प्रश्न :

प्रश्न 1. मापक क्या है? मापक का क्या महत्व है ? स्पष्ट करें ।
उत्तर मानचित्र पर प्रदर्शित किए गए किन्हीं दो बिन्दुओं के बीच की दूरी को धरातल पर उन्हीं दो बिन्दुओं के बीच की वास्तविक दूरी के अनुपात को ‘मापक’ कहते हैं ।
मापक का महत्व है कि इसके उपयेग से हम मानचित्र पर दर्शाई गई दूरी को धरातल की वास्तविक दूरी को आसानी से और जल्दी समझ जाते हैं ।

प्रश्न 2. मापक को प्रदर्शित करने की विधियाँ बताएँ ।
उत्तर – मापक को प्रदर्शित करने की मुख्यतः तीन विधियों को सर्वमान्य कहा गया है । वे तीन विधियाँ हैं : (i) कथन या प्राक्कथन विधि, (ii) प्रदर्शक विधि तथा (iii) रैखिक मापक विधि । इन विधियों की अन्य उपविधियाँ भी हैं

प्रश्न 3. प्रतिनिधि अथवा प्रदर्शक भिन्न क्या है ?
उत्तर – प्रदर्शक भिन्न को प्रतिनिधि भिन्न से व्यक्त किया जाता है । अनेक देशों की इकाइयाँ भी अनेक होती हैं। देश विदेश के लोग अपनी इकाई में ही इकाई को परिवर्तित कर सही दूरी का अनुमान लगा सकते हैं। प्रदर्शक भिन्न को निरूपक भिन्न भी कहते हैं ।
इस विधि से प्रत्येक देश का नागरिक आसानी से मानचित्र का अध्ययन कर सकता है ।

प्रश्न 4. मापक कितने प्रकार का होता है ?
उत्तरमापक दो प्रकार का होता है : (i) लघुमापक तथा (ii) दीर्घमापक ।

(i) लघुमापक – लघु का अर्थ ही छोटा होता है । इसमें 1 सेमी = 1 किलोमीटर |
माना कि 1 सेमी = 5 किमी हो तो प्रतिनिधि भिन्न में इसे ; इसका अर्थ हुआ कि 1 सेमी की दूरी धरातल कपर के 5,00,000 सेमी अर्थात 5 किमी को प्रदर्शित करता है ।

(ii) दीर्घमापक – मानचित्र में बड़ी दूरियों को दिखाने के लिए दीर्घमापक का उपयोग किया जाता है। जैसे : 5 सेमी = 1 किमी अथवा  का अर्थ होगा मानचित्र में 1 सेमी की दूरी धरातल पर की 20,000 सेमी । इसके उपयोग से छोटी दूरियों की पूर्ण जानकारी प्राप्त हो जाती है ।

प्रश्न 5. मापक की दो विभिन्न प्रणालियाँ कौन-कौन सी हैं ?
उत्तरमापक की तो अनेक प्रणालियाँ हैं, किन्तु दो प्रणालियाँ अधिक प्रचलित हैं : (i) प्रदर्शक भिन्न प्रणाली तथा (ii) रैखिक मापक प्रणाली । प्रदर्शक भिन्न प्रणाली में हर के स्थान पर मानचित्र में दर्शाई दूरी रहती है जब अंश में धरातल पर की वास्तविक दूरी रहती है । रैखिक मापक प्रणाली में रेखा का उपयोग किया जाता है तथा मानचित्र के कोने में दर्शा दिया जाता है कि मानचित्र की दूरी धरातल पर की कितनी दूरी को प्रदर्शित करती है।

प्रश्न 6. प्रदर्शक भिन्न विधि को सर्वमान्य विधि क्यों कहा जाता है ?
उत्तर प्रदर्शक भिन्न विधि को सर्वमान्य विधि इसलिए कहा जाता है क्योंकि भिन्न में नक्शे पर की दूरी और धरातल पर की दूरी चाहे जिस इकाई में भी दी गयी हो, पढ़नेवाला उसे अपनी समझ की इकाई में बदलकर वास्तविक दूरी को समझ सकता है

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प्रश्न 7. आलेखी विधि के मुख्य उपयोग क्या हैं?
उत्तर – आलेखी विधि के मुख्य उपयोग हैं कि सरल रेखा की लम्बाई अथवा प्रदर्शन भिन्न की सहायता से गणित के आधार पर निश्चित की जाती है। ध्यान रखा जाता कि आलेख में कोई गलती नहीं हो । रेखा की मूल तथा गौण भागों को ज्यामितीय विधि द्वारा विभक्त किया जाता है। मूल भाग पर बड़ी इकाई जैसे मील अथवा किमी तथा गौण भाग छोटी इकाई जैसे फर्लांग या मीटर में दर्शाया जाता है ।

प्रश्न 8. तुलनात्मक मापक की क्या विशेषताएँ हैं ?
उत्तरतुलनात्मक मापक की विशेषता है कि इसमें एक या एक से अधिक माप प्रणालियों में दूरियाँ प्रदर्शित की जाती हैं, जैसे मील, फर्लांग, गज, किलोमीटर, मीटर इत्यादि । कभी-कभी इसमें दूरी और समय को भी दर्शा दिया जाता है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता है कि इसके प्राथमिक या द्वितीयक मापकों को भी दर्शा दिया जाता है । फलतः दोनों की तुलना द्वारा दूरियों को ज्ञात कर लिया जाता है ।

III. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न :

प्रश्न 1. मापक क्या है? मानचित्र के लिए इसका क्या महत्व है ? मापक को प्रदर्शित करने के लिए विभिन्न विधियों का विस्तृत वर्णन करें ।
उत्तर कागज पर दर्शाई गई दूरी को धरातल और कागज पर की वास्तविक दूरी को ज्ञात करने की क्रिया को मापक कहते हैं ।
मानचित्र के लिए मापक का महत्व है कि इसके रहने से किसी स्थान से किसी अन्य स्थान की दूरी ज्ञात करना आसान होता है। मापक को प्रदर्शित करने की विभिन्न विधियाँ निम्नलिखित हैं :

(i) कथन विधि – कथन विधि में मापक को एक कथन द्वारा व्यक्ति किया जाता है। जैसे : 1 सेमी = 5 किमी या 1 ईंच = 18 मील आदि ।
1 सेमी = 5 किमी का अर्थ है कि मानचित्र पर की 1 सेमी की दूरी धरातल पर की 5 किमी को दर्शा रहा है। इसी प्रकार 1 ईंच = 18 मील का अर्थ है कि मानचित्र की 1 ईंच की दूरी धरातल पर की 18 मील को दर्शा रहा है। इसमें मानचित्र की दूरी धरातल पर की वास्तविक दूरी को दर्शाती है।

(ii) प्रदर्शक भिन्न विधि – वास्तव में विश्व के सभी भागों में किसी एक ही इकाई का उपयोग नहीं होता। हर देश अपनी-अपनी भाषा की इकाई का उपयोग करता है। इस मानचित्र की दूरी और धरातल की दूरी को समझना सबके लिए आसान नहीं होता । जानकार व्यक्ति मानचित्र पर दर्शाई कई दूरी को धरातल पर की वास्तविक दूरी ज्ञात करने के लिए इकाई को अपनी जानकार भाषा में बदलकर सही दूरी का पता लगा लिया जाता है। यह विधि सम्पूर्ण विश्व में मान्य है। इसमें प्रायः भिन्न का उपयोग होता है।

(iii) रैखिक मापक विधि- रैखिक मापक विधि को सरल मापक या आलेखीय मापक विधि भी कहते हैं। सरल रेखा की लम्बाई कथन अथवा प्रदर्शन भिन्न की सहायता से गणितीय आधार पर निरूपित की जाती है । तत्पश्चात रेखा की मूल तथा गौण विभागों में ज्यामितीय विधि द्वारा विभक्त कर लिया जाता है। मूल भाग पर बड़ी इकाई को तथा गौण भाग पर छोटी इकाई को दर्शाया जाता है। विभाजित रेखा का मूल्यांकन प्रथम मूल भाग को छोड़कर किया जाता है ।
इसके अलावा भी अनेक उपविधियाँ हैं ।

प्रश्न 2. निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए :
(i) प्रदर्शक भिन्न, (ii) रैखिक मापक, (iii) कथनात्मक मापक ।
उत्तर-संकेत : प्रश्नोत्तर 1 के अंतिम तीनों भागों को देखें और लिखें ।

IV. परियोजना कार्य :

प्रश्न 1. अपने घर से अपने विद्यालय की दूरी ज्ञात कीजिए और उसे सेन्टी मीटर और मीटर में बदलिए ।
उत्तर-संकेत : छात्र इस परियोजना कार्य को स्वयं अपने विद्यालय की दूरी के आधार पर करें ।

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BSEB Social Science Geography कक्षा 9 पाठ 7. भारत का पड़ोसी देश | Bharat Ka Padosi Desh Class 9th Solutions

इस पोस्‍ट में हमलोग कक्षा 9 भूगोल के पाठ 7. भारत का पड़ोसी देश (Bharat Ka Padosi Desh Class 9th Solutions)’ के महत्‍वपूर्ण टॉपिकों के बारे में अध्‍ययन करेंगें। 

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7. भारत का पड़ोसी देश
(अ) नेपाल

अभ्यास के प्रश्न तथा उनके उत्तर

वस्तुनिष्ठ प्रश्न
निर्देश : नीचे दिए गए प्रश्नों में चार संकेत चिह्न हैं, जिनमें एक सही या सबसे उपयुक्त है। प्रश्नों का उत्तर देने के लिए प्रश्न- संख्या के सामने वह संकेत चिह्न (क, ख, ग, घ) लिखे, जो सही अथवा सबसे उपयुक्त हो ।

1. नेपाल की सीमा भारत के किस राज्य से मिलती है ?
(क) अरुणाचल प्रदेश
(ख) मणिपुर
(ग) सिक्किम
(घ) पंजाब

2. महाभारत लेख क्या है ?
(क) पर्वत श्रृंखला
(ख) लेखागार
(ग) मैदान
(घ) राजमहल

3. गंडक नदी को नेपाल में किस नाम से जाना जाता है ?
(क) काली गंडक नदी
(ख) नारायणी नदी
(ग) त्रिशुल नदी
(घ) कृष्णा नदी

उत्तर- 1. (ग), 2. (क), 3. (ख) ।

लघु उत्तरीय प्रश्न :

प्रश्न 1. नेपाल के सर्वोच्च शिखर का नाम एवं ऊँचाई बताएँ ।
उत्तर नेपाल के सर्वोच्च शिखर का नाम एवरेस्ट या सागरमाथा है तथा इसकी ऊँचाई 8,848 मीटर है ।

प्रश्न 2. नेपाल की तीन प्रमुख नदियों के नाम लिखें ।
उत्तर नेपाल की तीन प्रमुख नदियों के नाम हैं : (क) कोसी, (ख) गंडक तथा (ग) घाघरा ।

प्रश्न 3. नेपाल के पड़ोसी देश और सीमावर्ती भारतीय राज्यों के नाम लिखें।
उत्तरनेपाल के पड़ोसी देशों में केवल दो देश हैं : दक्षिण में तिब्बत (चीन) तथा उत्तर में भारत। इसके सीमावर्ती भारतीय राज्यों के नाम सिक्किम, पश्चिम बंगाल, बिहार उत्तराखंड तथा उत्तर प्रदेश हैं ।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न :

प्रश्न 1. नेपाल की अर्थव्यवस्था का विवरण दीजिए ।
उत्तर नेपाल की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार कृषि है । कृषि के साथ पशुपालन भी होता है। मुख्य खाद्यान्नों में चावल, मक्का, गेहूँ, ज्वार-बाजरा आदि उपजाए जाते हैं। इन खाद्यान्नों के अलावा व्यापारिक फसल भी उपजाए जाते हैं । व्यापारिक फसलों मुख्य हैं जूट, गन्ना, फल, तम्बाकू, चाय तथा कपास । कुल कृषि उत्पादन का 70 प्रतिशत भाग अकेले तराई प्रदेश से आता है। काठमांडू घाटी में भी सघन कृषि होती है, जिसमें चावल तथा फल और सब्जी उपजाए जाते हैं ।
यद्यपि नेपाल में खनिजों का अभाव है। फिर भी अल्प मात्रा में अभ्रक, लिग्नाइट, ताँबा, कोबाल्ट आदि प्राप्त हो जाते हैं । शक्ति के साधन रूप में भारतीय सहयोग से घाट जल विद्युत परियोजना’ चालू की गई है, जिससे नेपाल को सालों भर पर्याप्त बिजली प्राप्त हो जाती है। यहाँ बिजली के विकास की असीम सम्भावनाएँ हैं ।
औद्योगिक दृष्टि नेपाल अवश्य ही पिछड़ा है, फिर भी अब कुछ उद्योगों का विकास भी किया जा रहा है। यहाँ सूती वस्त्र, चीनी, जूट, चमड़ा, वनस्पति तेल, तम्बाकू, बीड़ी, सिगरेट, दियासलाई, कागज तथा कागज के लिए लुगदी का उत्पादन होने लगा है। अब यहाँ सीमेंट तथा कृषि उपकरण भी बनाए जाने लगे हैं। नेपाल का प्राकृतिक सौंदर्य, धार्मिक स्थल तथा पर्वातरोहण के कारण सैलानी यहाँ आकर्षित होते रहे हैं । अतः पर्यटन उद्योग विकास की ओर अग्रसर है।
खनन एवं उद्योग में वृद्धि के कारण नेपाल के विदेश व्यापार आर्थिक स्थिति में सुधार हो रही है। भारत, बांग्लादेश, चीन, भूटान के साथ विदेश व्यापार होता है । नेपाल से सूती एवं ऊनी वस्त्र, छोटे-बड़े वाहनों आदि का आयात होता है । इसे मात्र कोलकाता बन्दरगाह से आयात की सुविधा है ।

प्रश्न 2. नेपाल की जलवायु, मृदा और जलप्रवाह का वर्णन कीजिए ।
उत्तरमुख्यतः नेपाल की जलवायु शीत प्रधान है, जो यहाँ की भू-आकृतियों से प्रभावित है। दक्षिण के तराई भाग को छोड़ सभी स्थानों पर तापमान न्यून रहता है । कारण कि यहाँ का 75% भू-भाग समुद्रतल से काफी ऊँचाई पर है। जाड़े में यहाँ का तापमान सामान्यतः 2°C से भी नीचे चला जाता है, वहीं गर्मी में 30° के आसपास पहुँच जाता है । यहाँ का वार्षिक औसत तापमान 10°C माना जाता है । यहाँ मार्च से अगस्त तक ग्रीष्मऋतु तथा सितम्बर से फरवरी तक शीतऋतु रहता है। गर्मी में मानसूनी हवाओं से नेपाल के पूर्वी भागों में 200 सेमी के आसपास तथा पश्चिम में 100 सेमी के आसपास वार्षिक वर्षा होती है । जाड़े में उत्तरी भाग में हिमपात होते हैं तथा शीतकालीन चक्रवतीय वर्षा होती है ।

नेपाल में नदियाँ पूर्व से पश्चिम की ओर तीन तंत्रों में बँटी हैं : (क) कोसी नदी तंत्र, (ख) गंडक नदी तंत्र तथा (ग) घाघरा नदी तंत्र। सबसे लम्बी ‘करनाली’ है, घाघरा की सहायक नदी है। इसका प्रवाह पश्चिम नेपाल में है और बाद में यह भारत में प्रवेश कर जाती है । मध्य नेपाल की मुख्य नदी गंडक है, जिसे नेपाली लोग नारायणी कहते हैं। भारतीय प्राचीन ग्रंथों में भी गंडक को नारायणी कहा गया हैं । पूर्वी नेपाल की मुख्य नदी कोसी को सप्त कोसी के नाम से पुकारते हैं। सभी नदियाँ उत्तर से दक्षिण की ओर प्रवाहित होती हैं और भारत में प्रवेश कर किसी-न-किसी नदी की सहायक नदी बनती है। खासकर ये गंगा की सहायक बनती हैं। ढाल काफी होने के कारण नदियों का प्रवाह बहुत तीव्र होता है, जिससे अपरदन की समस्या बनी रहती है। इन नदियों तथा इनके तीव्र प्रवाह के कारण यहाँ बिजली उत्पादन की अपार सम्भावनाएँ हैं । नेपाल की राजधानी काठमांडू में जहाँ पशुपतिनाथ का मंदिर है, उसके ठीक सटे बागमती नदी बहती है जो भारत में गंगा की सहायक नदी बनती है ।

प्रश्न 3. नेपाल की अर्थव्यवस्था पर उद्योगों के प्रभाव का वर्णन कीजिए ।
उत्तरजैसा कि हम पहले से जानते हैं कि नेपाल में खनिजों का अभाव है, हालाँकि अल्प मात्रा में यहाँ अभ्रक, लिग्नाइट, ताँबा, कोबाल्ट आदि प्राप्त हो जाते हैं । शक्ति के साधन के रूप में एकमात्र ‘देवीघाट जल विद्युत परियोजना’ चालू की गई है, जिसमें भारत ने सहयोग दिया था । औद्योगिक कच्चे माल के अभाव में यहाँ के उद्योग भी पिछड़े हुए हैं। इधर आकर कृषिजनित कच्चे माल से चलनेवाले कुछ उद्योग स्थापित हुए हैं। कृषि औद्योगिक फसलों में गन्ना, जूट, कपास, बाँस, तेलहन आदि से चलनेवाले उद्योग जैसे— चीनी, जूट, सूती वस्त्र, कागज, वनस्पति तेल, ऊनी वस्त्र आदि के उद्योगों का विकास हुआ है। इसके साथ ही सीमेंट, चमड़ा, तम्बाकू, सिगरेट, दियासलाई और कागज के लिए लुगदी बनाने के उद्योग भी फलने-फूलने लगे हैं। उद्योगों के लिए मशीनों का आयात करना पड़ता है, कारण कि वैसी मशीनें बनाने की यहाँ कोई व्यवस्था नहीं है । यहाँ की उत्पादित वस्तुओं का निर्यात होता है ।

नेपाल के विदेश व्यापार में भारत, चीन, भूटान, बांग्लादेश आदि की प्रमुखता है। यहाँ से जड़ी-बूटियों जैसे वन उत्पादों का अधिक निर्यात होता है । वैसे कुछ सूती एवं ऊनी वस्त्र का भी निर्यात होता है। आयात में भारी मशीनें, बिजली के सामान, छोटे- बडे वाहन तथा नमक की प्रमुखता है । विदेश व्यापार के लिए कोलकाता बन्दरगाह का उपयोग होता है, जो नेपाल से निकटतम बन्दरगाह है।

मानचित्र कार्य (परियोजना कार्य) :
प्रश्न 1. एटलस की सहायता से नेपाल का मानचित्र बनाएँ तथा उसपर नेपाल के प्रमुख पर्वत शिखरों और औद्योगिक केन्द्रों को दिखाएँ ।
उत्तर- संकेत : यह परियोजना कार्य हैं। छात्र इसे स्वयं करें ।

(ब) भूटान

अभ्यास के प्रश्न तथा उनके उत्तर

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न :
निर्देश : नीचे दिए गए प्रश्नों में चार संकेत चिह्न हैं, जिनमें एक सही या सबसे उपयुक्त है। प्रश्नों का उत्तर देने के लिए प्रश्न- संख्या के सामने वह संकेत चिह्न (क, ख, ग, घ) लिखें, जो सही अथवा सबसे उपयुक्त हो ।

(i) भूटान की राजधानी कहाँ है ?
(क) काठमांडू
(ख) ढाका
(ग) थिम्फू
(घ) यंगून

(ii) भूटान में हिमालय की सर्वाधिक ऊँचाई है :
(क) 8848 मीटर
(ख) 7554 मीटर
(ग) 7115 मीटर
(घ) 8850 मीटर

(iii) भूटान में औसत वार्षिक वर्षा होती है :
(क) 350 सेमी.
(ख) 300 सेमी.
(ग) 250 सेमी.
(घ) 380 सेमी.

(iv) भूटान के कितने प्रतिशत क्षेत्र पर वनों का विस्तार है ?
(क) 20%
(ख) 50%.
(ग) 70%
(घ) 21%

(v) भूटान की साक्षरता दर कितना प्रतिशत हैं ?
(क) 30%
(ख) 40%
(ग) 42%
(घ) 50%

उत्तर (i)→ (ग), → (ii) (ख), (iii) (ग), (iv) → (ग), (v)→ (ग)।

II. लघु उत्तरीय प्रश्न :

प्रश्न 1. भूटान के धरातल का विवरण दीजिए ।
उत्तरभूटान 26°45′ एवं 20°20′ उत्तरी अक्षांश तथा 89° 45′ एवं 92°05′ पूर्वी देशांतर के मध्य अवस्थित है । भूटान का क्षेत्रफल 46,500 वर्ग किमी है। भूटान के दक्षिणी किनारे पर लगभग 16 किमी चौड़ी मैदानी संकरी पट्टी है, जिसको ‘द्वार’ कहते हैं, जो 600 मीटर ऊँची है। इस मैदान के उत्तर में निचला हिमालय पर्वत है, जिसकी ऊँचाई 1500 से 3000 मीटर के बीच है। भूटान में सर्वाधिक ऊँचा स्थान 7574 मीटर है।

प्रश्न 2. भूटान के आर्थिक संसाधनों का संक्षेप में वर्णन कीजिए ।
उत्तर भूटान के मात्र 10% भाग में कृषि कार्य होता है । कृषि कार्य आंतरिक घाटियों तथा मध्यम ढालों पर होता है। देश के पूर्वी भाग में स्थानांतरी कृषि होती है । यहाँ चावल, गेहूँ, जौ, मक्का, आलू और अन्य सब्जियाँ उपजाई जाती हैं । कठोर और ऊँची-नीची धरातलीय स्थिति के कारण यातायात के साधनों का विकास नहीं हो सका है। यद्यपि भूटान उद्योग में पिछड़ा है, फिर भी कुछ लघु और कुटीर उद्योगों का विकास हुआ है । यहाँ प्लाईवुड, पैकिंग की लकड़ी, शराब, रेजिन तथा तारपीन के तेल का उद्योग विकसित है। पर्यटन उद्योग का विकास तेजी की ओर अग्रसर है।

III. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न :

प्रश्न 1. भूटान का संक्षिप्त परिचय दीजिए ।
उत्तर-संकेत : पृष्ठ 51 पर ‘पाठ की मुख्य बातें’ देखें और लिखें ।

प्रश्न 2. भूटान की जलवायु की विशेषताओं का व्याख्या कीजिए ।
उत्तर भूटान की जलवायु पर्वतीय मॉनसूनी है। ऊँचाई के साथ ही तापमान प्रभावित होने लगता है। सालों भर कड़ी सर्दी पड़ती है। जनवरी महीने का औसत तापमान 4°C तथा जुलाई का 17°C रहता है। मई से सितम्बर के बीच 185 सेमी से भी अधिक वर्षा होती है, लेकिन वार्षिक वर्षा का औसत 250 सेमी है। मैदानी भाग, जिसे ‘द्वार’ भी कहते हैं, की जलवायु उष्ण कटिबंधीय है । इस भाग में जनवरी महीना अपेक्षाकृत अधिक ठंडा रहता है। लगभग 1.050 मीटर से 2250 मीटर ऊँचे पर्वतीय भागों में जलवायु शीतोष्ण है । देश की अधिकांश आबादी इसी भाग में निवास करती है । जहाँ की ऊँचाई इससे अधिक है, वहाँ की जलवायु बहुत ठंडी है । ये प्रायः बर्फ से अच्छादित रहते हैं । ऊँचे पठारी भागों में भी कम लोग निवास करते हैं । वहाँ प्राकृतिक वनस्पति का अभाव है और है भी तो नाम मात्र की। अधिक वर्षा पर्वतों के दक्षिणी ढलानों पर होती है, जो किसी- किसी वर्ष 500 सेमी से 750 सेमी तक रिकॉर्ड की जाती है । जलवायु के अनुरूप ही वनस्पतियाँ पाई जाती हैं । ‘द्वार’ प्रवेश में चौड़ी पत्तीवाले उष्ण कटिबंधीय वन, 1200  से 2200 गीटर ऊँचे क्षेत्र में चीड़ के वृक्ष तथा 1500 से 3000 मीटर की ऊँचाई पर चीड़ के साथ ओक, मेपल, पोपल, वालनट आदि के वृक्ष मिलते हैं। इससे अधिक ऊँचाई पर फर, बर्च किस्म की वनस्पतियाँ पाई जाती हैं। भूटान के कुल क्षेत्रफल के 68 प्रतिशत भाग वनों से भरे हुए हैं।

प्रश्न 3. भूटान की कृषि की विशेषता तथा वहाँ के औद्योगिक विकास का वर्णन कीजिए ।
उत्तर भूटान की कुल भूमि के मात्र 10 प्रतिशत भाग पर ही कृषि कार्य होता है । अधिकतर नदियों की आतंरिक घाटियों एवं मध्यम ढालों पर सीढ़ीदार खेत बनाकर कृषि कार्य किया जाता है। भूटान के दक्षिण-पश्चिम भागों में कृषि का अधिक विकास हुआ है । देश के पूर्वी भाग में आज भी स्थानांतरी कृषि कार्य होता है, जबकि विश्व के अधिक: भाग में इस पर रोक लग गई हैं । फसलों की उपज पर्वतीय ढाल की ऊँचाई के अनुसार होती है। चावल, गेहूँ, जौ, मक्का, आलू तथा अन्य सब्जियाँ उपजाई जाती हैं ।
उद्योग की दृष्टि से भूटान एक पिछड़ा देश है। कारण कि एक तो यहाँ खनिजों का अभाव है और भूमि के ऊँची-नीची होने के कारण यातायात के साधनों का विकास न के बराबर हुआ है । जहाँ-तहाँ लघु और कुटीर उद्योगों का विकास हुआ है । कुछ बड़े उद्योगों में प्लाईवुड, पैकिंग की लकड़ी तैयार करने, शराब बनाने, रेजिन और तारपीन का तेल बनाने के उद्योग हैं । यहाँ का पर्यटन उद्योग विकास की ओर गतिशील है ।
भूटान की भौगोलिक स्थिति एवं भौतिक संरचना के कारण यातायात के साधनों का पर्याप्त विकास नहीं हो सका है। खनिज पदार्थ हैं तो सही लेकिन बहुत कम । जो थोड़े खनिज मिलते भी हैं तो उनके सहायक खनिजों के अभाव से वे काम में नहीं आ पाते. और उद्योगों का विकास कठिन होता है । यहाँ बड़े उद्योग तो हैं ही नहीं । लघु और कुटीर उद्योग के रूप में कुछ खास-खास उद्योगों के साथ पशुपालन और कृषि पर आधारित उद्योगों का कुछ विकास हो सका है। यहाँ का पर्यटन उद्योग देश की अर्थव्यवस्था में विशेष सहायक हो रहा है। वास्तव में यह भारत के सहयोग के बिना आर्थिक विकास कर ही नहीं सकता। अभी हाल के वर्षों में भारत के सहयोग से यहां अनेक जल विद्युत परियोजनाएँ पूरी की गई हैं। इन परियोजनाओं से भारत को भी बिजली मिलती है ।

IV. परियोजना कार्य :

प्रश्न 1. भूटान का अक्षांशीय एवं देशान्तरीय विस्तार ज्ञात कीजिए ।
उत्तर भूटान 26°45′ एवं 20°20′ उत्तरी अक्षांश तथा 89° 45′ एवं 92°05′ पूर्वी देशांतर के बीच अवस्थित है ।

प्रश्न 2. विश्व मानचित्र पर भूटान की स्थिति को दर्शाएँ ।
प्रश्न 3. ग्लोब पर भूटान की स्थिति को स्पष्ट करें ।
उत्तर-संकेत : परियोजना कार्य स्वयं कीजिए। यदि आवश्यकता समझें तो शिक्षक की सहायता लीजिए ।

(स) बांग्‍लादेश

अभ्यास के प्रश्न तथा उनके उत्तर

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न :
निर्देश : नीचे दिए गए प्रश्नों में चार संकेत चिह्न हैं, जिनमें एक सही या सबसे उपयुक्त है। प्रश्नों का उत्तर देने के लिए प्रश्न- संख्या के सामने वह संकेत चिह्न (क, ख, ग, घ) लिखें, जो सही अथवा सबसे उपयुक्त लगे।

(i) बांग्लादेश का पूर्व का नाम क्या था ?
(क) पूर्वी पाकिस्तान
(ख) पूर्वी बंगाल
(ग) पाकिस्तान
(घ) मुजीबनगर

(ii) भारत के साथ बांग्लादेश की स्थलीय सीमा कितनी लम्बी है ?
(क) 4018 किमी.
(ख) 4096 किमी.
(ग) 4180 किमी.
(घ) 4009 किमी.

(iii) बांग्लादशे कब स्वतंत्र हुआ ?
(क) 17 दिसम्बर, 1970
(ख) 18 अक्टूबर, 1971
(ग) 17 दिसम्बर, 1971
(घ) 18 मार्च, 1981

(iv) बांग्लादेश एशिया महाद्वीप के किस भाग में हैं ?
(क) पश्चिमी भाग
(ख) दक्षिणी भाग
(ग) उत्तरी भाग
(घ) पूर्वी भाग

(v) ब्रह्मपुत्र नदी को बांग्लादेश में किस नाम से जाना जाता है ?
(क) मेघना
(ख) जमुना
(ग) सूरमा
(घ) कर्णफूली

उत्तर (i)→(क), (ii) → (ख), (iii) → (ग), (iv)→ (ख), (v)→ (ख)।

II. लघु उत्तरीय प्रश्न :

प्रश्न 1. ढाका नगर की स्थिति एवं महत्व पर प्रकाश डालें ।
उत्तर- ढाका नगर देश के लगभग बीचोबीच पद्मा नदी के तट पर अवस्थित है । इस नगर का महत्व इस बात पर निर्भर है कि यह बांग्लादेश की राजधानी है ।

प्रश्न 2. बांग्लादेश के धरातल का विवरण दीजिए ।
उत्तर बांग्लादेश 20° उत्तरी अक्षांश तथा 27° उत्तरी अक्षांश और 85° पूर्वी देशांतर तथा 93° पूर्वी देशांतर के बीच अवस्थित है। बांग्लादेश एक डेल्टाई क्षेत्र हैं। मैदानी क्षेत्र की समुद्रतल से ऊँचाई कहीं भी 25 मीटर से कम ही है। डेल्टा क्षेत्र होने के कारण यहाँ का धरातल काफी उपजाऊ है। मुख्य उपज धान है ।

प्रश्न 3. बांग्लादेश के आर्थिक संसाधनों का संक्षेप में वर्णन करें ।
उत्तर बांग्लादेश का मुख्य आर्थिक आधार कृषि है । यहाँ की 80% जनता कृषि में लगी हुई है। एकल घरेलू उत्पाद का एक-तिहाई भाग कृषि से प्राप्त होता है। मैग्रोव वनों में सुन्दरी वृक्ष की अधिकता से लकड़ी उद्योग विकसित है । यद्यपि यहाँ खनिजों का अभाव है फिर भी कुछ महत्व का कोयला, चूना पत्थर, नमक, काँच का बालू, लोहा तथा प्राकृतिक गैस प्राप्त होते हैं, जो अर्थव्यवस्था को मदद पहुँचाते हैं । बांग्लादेश में आधुनिक उद्योग-धंधों का कोई खास विकास नहीं हो सका है ।

III. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न :

प्रश्न 1. बांग्लादेश का भौगोलिक वर्णन विस्तार से कीजिए ।
उत्तर बांग्लादेश की सीमा पश्चिम, उत्तर और पूर्व की ओर भारत की सीमा से सटी हुई है। इसकी लम्बाई 4,096 किलोमीटर है। इसके पूरब में म्यांमार (बर्मा) तथा दक्षिण में बंगाल की खाड़ी है। उत्तर में भारतीय राज्य असम और मेघालय, पूरब में त्रिपुरा तथा मिजोरम एवं पश्चिम बंगाल राज्य अवस्थित हैं । बांग्लादेश का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 1,48,393 वर्ग किलोमीटर है। यह 20° उत्तरी अक्षांश से 27° उत्तरी अक्षांश और 85° पूर्वी देशांतर से 93° पूर्वी देशांतर के बीच फैला हुआ है। बांग्लादेश एक डेल्टाई क्षेत्र है, जो विश्व की सर्वाधिक बड़ी नदियों गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियों के डेल्टा के मध्य अवस्थित है। इस देश के मैदानी भाग की ऊँचाई कहीं भी समुद्रतल से 25 मीटर से अधिक नहीं, बल्कि कम ही है। डेल्टा क्षेत्र में नदियों की ढाल कम रहने के कारण उनके प्रवाह की गति धीमी पड़ जाती है, फलतः वितरिकाओं की संख्या अधिक हैं। बिना नदी पार किए कहीं आना-जाना कठिन है। चूँकि वर्ष- प्रति वर्ष यहाँ बाढ़ में लाई मिट्टी की परत जमती जाती है, जिससे डेल्टा भाग काफी उपजाऊ क्षेत्र है। नदियों या वितरिकाओं द्वारा जमा की गई मिट्टी से स्थान-स्थान पर टापू-से बन गए हैं। वहाँ भी आने-जाने के लिए नावों का ही सहारा लेना पड़ता है । तटवर्ती क्षेत्र दलदली है। कॉक्स बाजार विश्व प्रसिद्ध ‘बीच’ है। भौगोलिक दृष्टि से बांग्लादेश को नौ भागों में बाँटा जा सकता है वे भाग हैं : (i) चटगाँव तथ सिलहट की पहाड़ियाँ, (ii) प्राचीन जलोढ़ वेदिकाएँ, (iii) टिपरा धरातल, (iv) रेतीला जलोढ़ पंख प्रदेश, (v) मोरी बन्द डेल्टा, (vi) स्थिर डेल्टा, (vii) दलदलीगर्त, (viii) गुम्फित नदीय. ‘ज्वार भूमि’ तथा (ix) ज्वारीय डेल्टा पर्वतीय क्षेत्र केवल पूर्वी तथा दक्षिणी-पूर्वी भाग में हैं। ये पहाड़ियाँ समुद्रतल से औसतल 200 मीटर से 300 मीटर की ऊँचाई वाली हैं ।

प्रश्न 2. बांग्लादेश की कृषि का आर्थिक महत्व बताते हुए प्रमुख व्यापारिक फसलों का वर्णन करें ।
उत्तरबांग्लादेश के अर्थतंत्र की रीढ़ की हड्डी कृषि ही है। देश की लगभग 80 प्रतिशत लोग कृषि कार्य में लगे हैं। लगभग 63% भूमि पर कृषि कार्य होता है ! कृषि में यहाँ अन्नोत्पादन, पशुपालन, मछली पकड़ना तथा वानिकी का अधिक महत्व है। सकल घरेलू उत्पाद का लगभग एक तिहाई योगदान कृषि का है। विदेश व्यापार में भी 50% निर्यात कृषिगत वस्तुओं का ही होता है । देश की कुल कृषि योग्य भूमि के 82% भाग में से 6% पर जूट, 4% पर गेहूँ तथा अन्य 10% भाग पर सब्जी, फल तथा अन्य नकदी फसलें बोई जाती हैं। शेष पर धान की खेती होती है। इस प्रकार हम देखते हैं कि बांग्लादेश में कृषि का इतना आर्थिक महत्व है कि उसका शब्दों में बयान करना कठिन है ।
बांग्लादेश की प्रमुख व्यापारिक फसलें हैं जूट, चाय, गन्ना, तम्बाकू, फल, गेहूँ, मछली तथा खाल ।

(i) जूट — डेल्टाई भूमि तथा नदियों की अधिकता के कारण बांग्लादेश में प्रायः सर्वत्र जूट उपजाया जाता है। जूट से बने सामानों का तो निर्यात होता ही है, जूट का भी निर्यात कर दिया जाता है। जूट बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था का एक मुख्य आधार है ।

(ii) चाय — चटगाँव और सिलहट की पहाड़ियों की ढलानों पर चाय उपजाई जाती हैं। चाय की खेती करना अंग्रेजों ने आरम्भ किया था, जो आज भी चालू है। चाय का कुछ भाग तो देश में ही खप जाता है लेकिन शेष का यूरोपीय देशों को निर्यात कर दिया जाता है। निर्यातक बंदरगाह चटगाँव है ।

(iii) गन्ना— गन्ना एक महत्वपूर्ण नकदी फसल है। चीनी मिलों को गन्ना दिया जाता है, जिससे चीनी बनती है। घरेलू खपत से बची चीनी निर्यात कर दी जाती है ।

(iv) तम्बाकू — तम्बाकू एक चौथी नगदी फसल है। देश में खैनी (सूरती) के रूप में इस्तेमाल होता है और बीड़ी बनती ही है । बचे तम्बाकू विदेशों को निर्यात कर दिया जाता है ।

IV. मानचित्र कार्य :

प्रश्न 1. बांग्लादेश के मानचित्र पर प्रमुख नदियों एवं नगरों को प्रदर्शित करें ।
उत्तर- संकेत : यह परियोजना र्का है। छात्र इसे स्वयं करें ।

कुछ अन्य प्रमुख प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. विश्व का सबसे बड़ा डेल्टा कौन है और वह कहाँ है ?
उत्तरविश्व का सबसे बड़ा डेल्टा गंगा – ब्रह्मपुत्र का डेल्टा है । यह इन दोनों नदियों के मुहाने पर अवस्थित है। इस डेल्टा का कुछ भाग तो बांग्लादेश में है और कुछ भारत (पश्चिम बंगाल) में है ।

प्रश्न 2. ब्रह्मपुत्र नदी को बांग्लादेश में किस नाम से जाना जाता है ?
उत्तर – ब्रह्मपुत्र नदी को बांग्लादेश में ‘जमुना’ नाम से जाना जाता है ।

प्रश्न 3. सुन्दरी नामक वृक्ष कहाँ पाया जाता है ?
उत्तरसुन्दरी नामक वृक्ष सुन्दरवन में पाया जाता है जो गंगा-ब्रह्मपुत्र नदियों के डेल्टा क्षेत्र में अवस्थित है ।

प्रश्न 4. मैग्रोव वन से आप क्या समझते हैं ?
उत्तरमैग्रोव वन उस वन को कहते हैं, जो ज्वारीय क्षेत्र में प्राकृतिक रूप से उगते हैं। भारत के पश्चिम बंगाल तथा बांग्लादेश में सम्मिलित रूप से पाए जानेवाले वन मैग्रोव वन ही हैं। वहाँ इन वन को सुन्दरवन के नाम से जाना जाता है। इस वन में सुन्दरी नामक विश्व प्रसिद्ध वृक्ष मिलते हैं तथा विश्व प्रसिद्ध ‘बाघ’ (बंगाल टाइगर) भी इसी वन में मिलते हैं।

(द) श्रीलंका
अभ्यास के प्रश्न तथा उनके उत्तर

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न :
निर्देश : नीचे दिए गए प्रश्नों में चार संकेत चिह्न हैं, जिनमें एक सही या सबसे उपयुक्त है। प्रश्नों का उत्तर देने के लिए प्रश्न- संख्या के सामने वह संकेत चिह्न (क, ख, ग, घ) लिखें, जो सही अथवा सबसे उपयुक्त हो ।

1. श्रीलंका की आकृति कैसी है ?
(क) आयताकार
(ख) अंडाकार
(ग) त्रिभुजाकार
(घ) वृत्तकार

2. पिदुरतालगाला श्रीलंका का एक प्रमुख स्थलाकृति है
(क) नदी
(ख) झील.
(ग) शिखर
(घ) गर्त

3. श्रीलंका की राजधानी है
(क) कैंडी
(ख) कोलंबो
(ग) जाफना
(घ) अनुराधानगर

4. भारत से श्रीलंका को अलग करता है
(क) पाक जलसंधि
(ख) श्रीलंका जलसंधि
(ग) हरमुज जलसंधि
(घ) इनमें से कोई नहीं

5. श्रीलंका में लोकतंत्र की स्थापना कब हुई ?
(क) 1948 में
(ख) 1949 में
(ग) 1955 में
(घ) 1956 में

उत्तर- 1. (ख), 2. (ग), 3. (ख), 4. (क), 5. (घ) ।

II. लघु उत्तरीय प्रश्न :

प्रश्न 1. श्रीलंका की जलवायु किस प्रकार की है ?
उत्तर श्रीलंका की जलवायु मॉनसूनी प्रकार की है । विषुवत रेखा इसके निकट से ही गुजरती है। इस कारण यहाँ सालों भर गर्मी का मौसम बना रहता है। वर्षा भी लगभग सालों भर पड़ती है। लेकिन यहाँ जाड़े की ऋतु नहीं आती । तटीय भागों में 200 सेमी तक तथा पर्वतीय क्षेत्रों में 500 सेमी से भी अधिक वर्षा होती है। श्रीलंका में मात्र 5°C से 7°C तक ही वार्षिक तापांतर दर्ज किया जाता है। शीत ऋतु में देश का औसत तापमान 22°C रहता है वहीं पहाड़ी भागों में 20°C रहता है।

प्रश्न 2. ‘पूर्व का मोती’ श्रीलंका को क्यों कहते हैं ?
उत्तर एक प्रकार से श्रीलंका रत्नों का भंडार है । यहाँ अनेक प्रकार के कीमती रत्न प्रचुरता से पाये जाते हैं । मुख्य रूप से यहाँ नीलम, रक्तमणि, पुखराज, गोमेद आदि पाए जाते हैं। ‘सीलोनी गोमेद’ बड़े महत्व का माना जाता है। समुद्र से मोती भी काफी मात्रा में निकाले जाते हैं । इसी कारण श्रीलंका को ‘पूर्व का मोती (Pearl of the East) कहा जाता है ।

प्रश्न 3. श्रीलंका में किस प्रकार की वनस्पति पायी जाती है ?
उत्तर विषुवत रेखा के निकट होने के कारण श्रीलंका में मुख्य रूप से विषुवतीय प्रकार की वनस्पति पायी जाती है। सूर्य का प्रकाश पाने की होड़ में विषुवतीय वनों के वृक्ष लम्बा-से-लम्बा होते जाते हैं, वन उतने ही सघन भी होते हैं। वनों में मुख्य रूप से रबर, सिनकोना, गटापार्चा और चेरू के वृक्ष पाए जाते हैं । गटापर्चा और चेरू क्रमशः भारतीय सखुआ और सागवान की तरह होते हैं। कुल भूमि के 30% भाग में वन फैले हैं । सघन वन मध्यवर्ती पठारों पर पाये जाते हैं ।

III. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न :

प्रश्न 1. श्रीलंका की जलवायु का वर्णन कीजिए ।
उत्तर किसी भी देश की जलवायु पर वहाँ की स्थलाकृति की संरचना भी प्रभावी रहती है। इसी कारण श्रीलंका की जलवायु का वर्णन करने के लिए हमें यहाँ की स्थलाकृति की संरचना को थोड़ा समझ लेना आवश्यक है। श्रीलंका प्रायद्वीपीय भारत की दक्षिण ओर भारत से लगभग 50 किलोमीटर दूरी पर हिन्द महासागर में अवस्थित तात्पर्य कि श्रीलंका चारों ओर समुद्र से घिरा है। इससे वहाँ प्रमुख रूप से पूरे श्रीलंका में समुद्री प्रभाव को देखा जाता है । मध्यवर्ती भाग पर्वतीय है तथा तटीय भाग समतल मैदानी है। अन्य पर्वत शिखर रमण, बुद्ध पद, आदम आदि प्रमुख हैं। ऐसा लगता है कि बुद्ध पद का नामकरण भगवाद बुद्ध तथा आदम का श्रीराम के नाम पर आधारित है। समुद्र के बीच अवस्थिति तथा लगभग द्वीप के बीच में पर्वतों की स्थिति वहाँ मॉनसूनी जलवायु को कायम करने में बड़ी भूमिका अदा करती हैं। विषुवत रेखा के नजदीक होने के कारण सालों भर गर्मी पड़ती रहती है। मुख्यतः यहाँ दो ही ऋतु दृष्टिकोचर होते हैं— ग्रीष्म और वर्षा । शीतऋतु नाममात्र की आती है जिस समय 20°C से 22°C के बीच तापमान रहता है। 20°C तापमान रहता भी है तो पर्वतीय भागों में । तटीय भागों में औसत वार्षिक वर्षा 200 सेमी तथा पर्वतीय भागों में 500 सेमी के लगभग होती है। लंका में वार्षिक तापांतर समझ में नहीं आता क्योंकि वह मात्र 5°C से 7°C के बीच रहता है ।

प्रश्न 2. श्रीलंका की अर्थव्यवस्था पर टिप्पणी लिखिए ।
उत्तरश्रीलंका की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करनेवाले कारक हैं :
(i) कृषि, (ii) खनन तथा (iii) उद्योग |

(i) कृषि — श्रीलंका में खाद्यान्न तो कम ही उपजाए जाते हैं, अधिकतर व्यवसायिक कृषि को प्राथमिकता दी जाती है। व्यावसायिक कृषि की मुख्य उपज है : (i) चाय, (ii) काली मिर्च, (iii) दाल चीनी, (iv) कहवा (कॉफी), (v) तम्बाकू, (vi) केला, (vii) अनानास, (viii) पान, (ix) सुपारी, (x) गन्ना एवं (xi) काजू । इनमें से कुछ मात्रा को घरेलू खपत में उपयोग होता है तथा शेष का निर्यात कर दिया जाता है। गन्ना से चीनी बनती है। चीनी का भी कुछ अंश निर्यात किया जाता है। इस प्रकार हम देखते हैं कि कृषि श्रीलंका की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण हिस्सेदारी निभाती है।

(ii) खनन – श्रीलंका में खनिजों का प्रायः अभाव है, फिर भी अल्पमात्रा में ग्रेफेटाइट, मोनाजाइट, अवरख और लौह-अयस्क प्राप्य हैं। इनका खनन होता है। फिर खनन योग्य कुछ मूल्यवान पत्थर मिल जाते हैं, उनमें प्रमुख और सबसे मूल्यवान नीलम, रक्तमणि, पुखराज, गोमद जैसे रत्न हैं । इनका खनन होता है और निर्यात कर दिया जाता है । समुद्र से मोती निकालने का काम होता है, वह भी भारी मात्रा में । फलतः श्रीलंका प्राकृतिक मोती का एक मुख्य निर्यातक देश है। यहाँ इतने अधिक मोती मिलते हैं कि श्रीलंका का नाम ही ‘पूर्व का मोती’ (Pearl of East ) पड़ गया

 (iii) उद्योग – श्रीलंका का उद्योग का आधार कृषि और खनिज दोनों हैं। दोनों के सम्मिलित उत्पाद के उद्योग चलाए जाते हैं । यहाँ शक्ति के साधनों का अभाव है, इसलिए कोई बड़े उद्योग स्थापित नहीं हो सके हैं। नूना-पत्थर के मिलने से वहाँ का सबसे बड़ा उद्योग सीमेंट उत्पादन है। अधिक उद्योग कृषि पर आधारित ही हैं। यहाँ चाय संस्करण, अन्य खाद्य संस्करण, मछली उद्योग तथा मसाला उद्योग विकास की ओर अगरार है। चीनी उद्योग और रबर उद्योग भी मुख्य उद्योगों में आते हैं तथा ये श्रीलंका की अर्थव्यवस्था के आधार हैं।

IV. मानचित्र कार्य :

प्रश्न 1. श्रीलंका के मानचित्र पर एटलस की सहायता से महत्त्वपूर्ण नगरों को दिखायें ।
उत्तर-संकेत : यह परियोजना कार्य है। छात्र इसे स्वयं करें ।

कुछ अन्य प्रमुख प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. ‘मोतियों का द्वीप’ किस द्वीप को कहा गया है ? क्यों ?
उत्तर श्रीलंका द्वीप को मोतियों का द्वीप कहा गया है क्योंकि वहाँ विश्व का सर्वाधिक मोती निकाला जाता है और वह भी उत्तम कोटि का ।

प्रश्न 2. श्रीलंका कव स्वतंत्र हुआ ?
उत्तर- श्रीलंका 1948 में स्वतंत्र हुआ।

प्रश्न 3. विषुवत रेखीय वनस्पति काफी लम्बे क्यों होते हैं?
उत्तर- विषुवत रेखीय वनस्पति काफी बनी होती है। इस कारण सूर्य का प्रकाश मिलने में वनस्पतियों को कठिनाई होती है। प्रकाश पाने की उनमें प्रतियोगिता होती है और इसी क्रम में वे लम्बा-से-लम्बा होते जाता है।

(य) पाकिस्तान
अभ्यास के प्रश्न तथा उनके उत्तर

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न :
निर्देश : नीचे दिए गए प्रश्नों में चार संकेत चिह्न हैं, जिनमें एक सही या सबसे उपयुक्त है। प्रश्नों का उत्तर देने के लिए प्रश्न- संख्या के सामने वह संकेत चिह्न (क, ख, ग, घ) लिखें, जो सही अथवा सबसे उपयुक्त हो ।

1. पाकिस्तान का सबसे बड़ा हवाई अड्डा कहाँ है ?
(क) इस्लामाबाद.
(ख) कराँची
(ग) स्यालकोट
(घ) मुल्तान

2. खेल का सामान बनाने में विश्व प्रसिद्ध है :
(क) कराची
(ख) रावलपिण्डी
(ग) स्यालकोट
(घ) लाहौर

3. पाकिस्तान की सबसे प्रसिद्ध चोटी तख्त सुलेमान की ऊँचाई क्या है ?
(क) 3750 मीटर
(ख) 3770 मीटर
(ग) 3700 मीटर
(घ) 4400 मीटर

4. सिंधु नदी बहती है
(क) दक्षिण से उत्तर
(ख) पूरब से पश्चिम
(ग) उत्तर से दक्षिण
(घ) इनमें से कोई नहीं

उत्तर- 1. (क), 2. (ग), 3. (ख), 4. (ख ) ।

II. लघु उत्तरीय प्रश्न :

प्रश्न 1. पाकिस्तान को ‘सिंधु की देन’ क्यों कहा जाता है ?
उत्तरपाकिस्तान की मुख्य नदी सिंधु है । इसकी सहायक नदियों में ‘पंचनद’ प्रमुख है, जिनमें झेलम, चिनाव, रावी, सतलज एवं व्यास मुख्य हैं। सिंधु सहित सभी नदियों का उद्गम भारतीय क्षेत्र हिमालय है । ये सभी सहायक नदियाँ तो सिंधु में मिल जाती हैं, लेकिन सिंधु अरब सागर में गिर जाता है । यह अपने लम्बे रास्ते में हजारों वर्षों से अवसाद जमा करते रहा है, जिससे पाकिस्तान का मैदानी भाग बना है, जो काफी उपजाऊ है। यह मैदान पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था को काफी प्रभावित करता है। इसी कारण ‘पाकिस्तान को सिंधु नदी की देन’ कहा जाता है ।

III. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न :

प्रश्न 1. पाकिस्तान की जलवायु की विशेषताओं की व्याख्या करें ।
उत्तरपाकिस्तान की जलवायु मॉनसूनी तथा उष्ण मरुस्थलीय है । यहाँ गर्मी के मौसम में भारी गर्मी पड़ती है तो ठीक इसके उलट जाड़े के मौसम में जाड़ा भी काफी पड़ता है। गर्मी के दिनों में औसत तापमान 45°C तक पहुँच जाता है, बल्कि जैकोबाबाद में इससे भी अधिक 55°C तक। जाड़े में औसत तापमान 7°C रहता है । पर्वतीय भाग में कहीं-कहीं बर्फ भी जम जाता है । पूर्वी मरुस्थलीय भाग में धूलभरी आँधियाँ चलती हैं, जिससे जनजीवन तबाह हो जाता है। यह बात अलग है कि यह भाग अल्प जनसंख्या वाला है। जैकोबाबाद की गर्मी के विषय में कहा जाता है कि यह पाकिस्तान ही नहीं, बल्कि एशिया का सबसे गर्म स्थान है । मरुस्थलीय भागों में चारों ओर रेत के टीले दिखाई देते हैं, जिन टिलों को भूगोल की भाषा में ‘बलुआ टिब्बा’ कहा जाता है।
पाकिस्तान में वर्षा का वितरण असमान है। उत्तर के पर्वतपदीय क्षेत्रों में 75 से 80 सेमी के बीच तथा पूर्व के मैदानी क्षेत्र में 35 से 50 सेमी के बीच वर्षा होती है । लेकिन पश्चिमी क्षेत्र में मात्र 10 से 25 सेमी के बीच तक ही वर्षा हो पाती है। कुल मिलाकर हम देखते हैं कि पूरे पाकिस्तान में औसत वर्षा मात्र 35 सेमी ही हो पाती है ।
पाकिस्तानी जलवायु पर वहाँ की नदियों का भी प्रभाव पड़ता है। पहाड़ भी अपना प्रभाव डालते हैं ।

प्रश्न 2. पाकिस्तान में खनन एवं उद्योगों के विकास का वर्णन कीजिए ।
उत्तरपाकिस्तान में खनिज पदार्थों का प्रायः अभाव-सा है। फिर भी निम्न कोटि का कोयला मिल जाता है। कोयला के अलावे खनिज तेल, प्राकृतिक गैस, क्रोमाईट, जिप्सम, लोहा, सेंधा नमक, चूना पत्थर, बॉक्साइट एवं गंधक की भी प्राप्ति होती है खनिज तेल बलाकासार, खैरपुर, अटक, चाकवाल में निकाला जाता है। इसकी खनन मशीनों को लगाने में अमेरिका ने मदद दी थी। कोयला खनन का काम रावलपिण्डी, मलराबल, हैदराबाद के अनेक क्षेत्रों में किया जाता है । लौह अयस्क की प्राप्ति अटक, सरगोधा, जितरल और मियाँवाली क्षेत्र में होती है। बलूचिस्तान की जोब घाटी में क्रोमियम का भण्डार है और वह भी काफी मात्रा में । मैंगजनीम लासबेला और कोहाट क्षेत्र में मिलता है। प्राकृतिक गैस का मुख्य प्राप्ति स्थान सूई, खैरपुर और लायलपुर हैं ।
पाकिस्तान खासकर कृषि और रसायन से सम्बन्धित उद्योगों का विकास अधिक हुआ है । कृषि से सम्बद्ध उद्योग हैं सूती वस्त्र, ऊनी वस्त्र, चीनी, खेल के सामान, कागज उद्योग रसायन से सम्बद्ध उद्योग तो विकसित हैं ही दियासलाई उद्योग को भी वहाँ प्रमुख उद्योग माना गया है। खनिजों पर आधारित उद्योगों में प्रमुख उद्योग हैं: सीमेंट उद्योग, तेल शोधन और प्राकृतिक गैस उत्पादन उद्योग । वनों पर आधारित उद्योगों में मुख्य उद्योग है खेल के सामान बनाना, जिसके लिए सियालकोट प्रसिद्ध है ।
मुलतान, करांची, लायलपुर, लाहौर, उकाड़ा आदि सूत एवं सूती वस्त्र उद्योग के लिए प्रमुखता रखते हैं । हरनाई, बन्नू एवं कादिराबाद ऊनी वस्त्र के केन्द्र हैं। नौशेरा और रहवाली में उत्तम कोटि के कागज और दफ्ती बनते हैं और ये बाँस पर आधारित हैं। चारसद्दा, मारदान औहराबाद में चीनी बनाने के कारखाने हैं ।

IV. मानचित्र कार्य :

प्रश्न 1. पाकिस्तान का रेखाचित्र बनाकर उसके प्रमुख औद्योगिक एवं खनिज केन्द्रों को दर्शाएँ :
उत्तर- संकेत : यह परियोजना कार्य है। छात्र इसे स्वयं करें ।

कुछ अन्य प्रमुख प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. 14 अगस्त, 1947 को पाकिस्तान के बनने के पश्चात वह कितने भागों में था और कौन-कौन ?
उत्तरपाकिस्तान बनने के समय वह दो भागों में था । एक पश्चिम की ओर पश्चिम पाकिस्तान और दूसरा पूर्व की ओर पूर्वी पाकिस्तान । दोनों के बीच भारत का विशाल क्षेत्र था। इस कारण दोनों में काफी दूरी थी ।

प्रश्न 2. जब पाकिस्तान दो भागों में था तो अब वह केवल पश्चिम पाकिस्तान अर्थात एक भाग ही क्यों हो गया ?
उत्तर-पश्चिम पाकिस्तान में पंजाबियों का बोलबाला था और पूर्व पाकिस्तान के लोग बंगला भाषी थे। पंजाब के लोग सदा उनपर अपना दबदबा बनाए रखते थे । फलतः बंगालियों में चेतना आई और उन्होंने युद्ध का एलान कर दिया। युद्ध में वे विजयी रहे और 1971 में वह स्वतंत्र होकर बांग्लादेश के नाम से अलग देश बन गया । फलतः पाकिस्तान केवल पश्चिम पाकिस्तान में ही सिमट कर रह गया ।

प्रश्न 3. ‘दोआब’ किसे कहते हैं? कोई एक उदाहरण दें।
उत्तर—दो नदियों के बीच के क्षेत्र को ‘दोआब’ कहते हैं । भारत उपमहाद्वीप का प्रसिद्ध दोआब है गंगा और जमुना का दोआब है, जो काफी उपजाऊ है ।

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BSEB Social Science Geography कक्षा 9 पाठ 6. जनसंख्‍या | Jansankhya Class 9th Solutions

इस पोस्‍ट में हमलोग कक्षा 9 भूगोल के पाठ 6. जनसंख्‍या (Jansankhya Class 9th Solutions)’ के महत्‍वपूर्ण टॉपिकों के बारे में अध्‍ययन करेंगें।

6. जनसंख्‍या

अभ्यास के प्रश्न तथा उनके उत्तर

वस्तुनिष्ठ प्रश्न :
निर्देश : नीचे दिए गए प्रश्नों में चार संकेत चिह्न हैं, जिनमें एक सही या सबसे उपयुक्त है। प्रश्नों का उत्तर देने के लिए प्रश्न- संख्या के सामने वह संकेत चिह्न (क, ख, ग, घ) लिखें, जो सही अथवा सबसे उपयुक्त हो ।

1. भारत में सर्वाधिक साक्षरता दर किस राज्य की है ?
(क) पश्चिम बंगाल
(ख) बिहार
(ग) महाराष्ट्र
(घ) केरल

2. भारत की औसत आयु संरचना क्या है ?
(क) 64.6 वर्ष
(ख) 81.6 वर्ष
(ग) 64.9 वर्ष
(घ) 70.2 वर्ष

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3. सन् 2001 ई. की जनगणना में प्रति 1000 पुरुषों पर महिलाओं के अनुपात की स्थिति क्या थी ?
(क) 927 महिलाएँ
(ख) 932 महिलाएँ
(ग) 990 महिलाएँ
(घ) 1010 महिलाएँ

4. भारत का औसत जनसंख्या घनत्व प्रति वर्ग किमी क्या है ?
(क) 318 व्यक्ति
(ख) 302 व्यक्ति
(ग) 325 व्यक्ति
(घ) 288 व्यक्ति

उत्तर- 1. (घ), 2. (क), 3. (ग), 4. (ग) ।

लघु उत्तरीय प्रश्न :

प्रश्न 1. सन् 1951 ई० में भारत की जनसंख्या कितनी थी ?
उत्तर – सन् 1951 ई. में भारत की जनसंख्या 361 लाख थी ।

प्रश्न 2. भारत में 2001 ई. में नगरीय जनसंख्या का प्रतिशत क्या था ?
उत्तर – भारत में 2001 ई. में नगरीय जनसंख्या का प्रतिशत 27.78 था।

प्रश्न 3. केरल में प्रति 1000 पुरुष पर महिलाओं की संख्या कितनी है ?
उत्तरकेरल में प्रति 1000 पुरुष पर महिलाओं की संख्या 1058 है।

प्रश्न 4. भारत की साक्षरता दर का वर्णन करें ।
उत्तरस्वतंत्रता प्राप्ति के समय भारत की साक्षरता दर अत्यन्त न्यून थी । सरकारी प्रयास से यह वर्ष – प्रति वर्ष बढ़ने की ओर अग्रसर है। धीरे-धीरे बढ़ती हुई 2001 में कुल साक्षरता दर 64.84 प्रतिशत थी, जिसमें 73 प्रतिशत पुरुष साक्षर थे और 53.67 प्रतिशत महिलाएँ साक्षर थीं। अब तेजी से सुधार की प्रक्रिया जारी है ।

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प्रश्न 5. भारत के लिंग अनुपात की विशेषताओं को बताएँ ।
उत्तरभारत के लिंग अनुपात की विशेषता कोई उत्साहजनक नहीं है । इसका कारण है कि गर्भ जाँच कराना और यदि पता लगा कि गर्भ में लड़की है तो उसका गर्भपात करा देना।, 1951 से ही लगातार भारत में लिंग अनुपात महिलाओं के पक्ष में नहीं रहा है। केवल एक केरल राज्य है कि वहाँ लिंगानुपात महिलाओं के पक्ष में (1000-1058) हैं। हरियाणा में यह स्थिति गंभीर है, वहाँ 1000 पुरुषों पर मात्र 861 महिलाएँ हैं ।

प्रश्न 6. जनगणना से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – जनगणना से मेरी समझ बनती है कि देश में देशवासियों की गिनती । इस गिनती से अनेक बातें सामने आती हैं। देश में कुल पुरुषों, महिलाओं, बच्चों, अल्पवयस्कों, वयस्कों, बूढ़ों की संख्या देश में कितनी है । देश में कितने निरक्षर, कितने साक्षर तथा कितने शिक्षित हैं। किसकी आय की क्या स्थिति है ? आर्थिक संसाधनों का कौन, कितना उपभोग कर रहा है ? आदि बातों का पता चलता है । प्रत्येक दस वर्षों के अंतराल पर भारत में जनगणना होती है ।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न :

प्रश्न 1. भारत की जनसंख्या वृद्धि की विशेषताओं को बताएँ ।
उत्तरभारत की जनसंख्या की वृद्धि की विशेषताओं पर हम ध्यान देते हैं तो देखते हैं कि वर्ष-प्रतिवर्ष यहाँ की जनसंख्या वृद्धि की ओर ही अग्रसर रही है। खासकर स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद तो यह स्थिति सदा बढ़ोत्तरी की ओर ही रही है। देश के बँटवारे के पहले सम्मिलित भारत की जनसंख्या लगभग 40 करोड़ थी । इनमें से 11 करोड़ पाकिस्तान में रहे और 29 करोड़ लोग भारत में बच गए। 1947 का वह 29 करोड़ 1951 में 36 करोड़ के लगभग पहुँच गया। 1951 से 1981 तक वृद्धि दर बढ़ोत्तरी की दर बढ़ती रही। इस प्रकार 1981 में भारत की जनसंख्या लगभग 68 करोड़ से अधिक पहुँच गई। वृद्धि की दर 1951 में 1.25%, 1961 में 1.96%, 1971 तक 2.20% तथा 1981 तक 2.22% थी । इस प्रकार हम देखते हैं कि 1981 तक वृद्धि दर बढ़ोत्तरी की ओर ही थी । लेकिन सरकार ने प्रयासपूर्वक जनता को जन्म दर कम करने की प्रेरणा दी। परिणाम हुआ कि वृद्धि दर घटकर 1991 में 2.14% तथा 2001 में 1.93% पर आ गई ।
बावजूद वृद्धि दर घटने के जनसंख्या में वृद्धि जारी रही। 1981 में भारत की जनसंख्या 68 करोड़ के लगभग थी। वह 1991 में बढ़कर 84 करोड़ और 2001 में 103 करोड़ के लगभग हो गई। इसका कारण यह था कि जनसंख्या जिनती ही अधिक थी वृद्धि दर के कमने के बावजूद कुल जनसंख्या बढ़ती ही रही। ऐसा अनुमान किया जाता है कि अभी (अप्रैल, 2009 तक) भारत की जनसंख्या 110 करोड़ के लगभग हो गई होगी ।

प्रश्न 2. भारत के विषम जनसंख्या घनत्व का वर्णन करें ।
उत्तर हमने देखा कि 2001 में भारत की कुल जनसंख्या लगभग 103 करोड थी । इस प्रकार क्रमशः जनसंख्या तो बढ़ती रही लेकिन भूमि में कोई बढ़ोत्तरी नहीं हुई । हालाँकि मानव बसाव के लिए कुछ वनों को नष्ट किया गया। फिर भी जन घनत्व को बढ़ने से हम रोक नहीं सके । देश की कुल जनसंख्या लगभग 103 करोड़ भारत के 32.8 लाख वर्ग किलोमीटर में (विश्व की कुल भू-भाग के 2.24 प्रतिशत) में सिमटी हुई है । लेकिन ऐसा नहीं है कि देश में जनसंख्या का घनत्व सर्वत्र एक समान ही है । कहीं तो जन- घनत्व अधिक है तो कहीं विरल भी है। 2001 की जनगणना के अनुसार देश का सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य उत्तर प्रदेश है । दूसरा स्थान महाराष्ट्र का है, जहाँ की जनसंख्या 9.68 करोड़ है। तीसरे स्थान पर बिहार है, जिसकी जनसंख्या 8.29 करोड़ है । इन बड़े राज्यों के विपरीत हिमालय क्षेत्र के राज्य सिक्किम की जनसंख्या केवल 5 लाख है तथा लक्षद्वीप की जनसंख्या 60 हजार ही है । भारत की कुल आबादी का लगभग आधी जनसंख्या केवल पाँच राज्यों में निवास करती है । वह राज्य हैं : उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल तथा आंध्र प्रदेश । इस प्रकार इन पाँचों राज्यों का जनघनत्व देश में सर्वाधिक है । लेकिन इसमें भी विषमता है। पश्चिम बंगाल का जनघनत्व सर्वाधिक है, यहाँ औसतन प्रति वर्ग किमी 904 लोग रहते हैं । इसके बाद बिहार का स्थान है जहाँ प्रति वर्ग किमी क्षेत्र में 881 लोग रहते हैं । केरल में प्रति वर्ग किमी 819 लोग निवास करते हैं। सबसे कम जनघनत्व अरुणाचल प्रदेश का है जहाँ प्रति वर्ग किंमी. 14 लोग रहते हैं ।
केन्द्रशासित क्षेत्रों पर यदि ध्यान दिया जाय तो सर्वाधिक जनसंख्या दिल्ली की है, जहाँ 93,340 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी में निवास करते हैं जो कि सर्वाधिक है । अंडमान- निकोबार द्वीप समूह में प्रति वर्ग किमी 34 व्यक्ति निवास करते हैं जो सबसे कम है ।

कुछ अन्य प्रमुख प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. जनगणना से आप क्या समझते हैं? भारत में सबसे पहले कब जनगणना हुई थी ?
उत्तर एक निश्चित समयान्तराल पर (भारत में 10 वर्षों पर) की गई सरकारी गणना को ‘जनगणना’ कहते हैं । भारत में सबसे पहले 1872 ई. में जनगणना हुई थी । 1872 वाली जनगणना अधूरी थी। लेकिन पूरी और सही पहली गणना 1881ई. में हुई थी ।

प्रश्न 2. भारत में जनसंख्या के असमान वितरण का क्या कारण है ?
उत्तरभारत में जनसंख्या के असमान वितरण का कारण यहाँ की धरती की बनावट है । समतल मैदानों में जहाँ कृषि कार्य आसान है तथा सड़क और रेल का विस्तार आसानी से हो सकता है वहाँ जनसंख्या अधिक है । इसके विपरीत पहाड़ी और असमतल तथा वनों में कम जनसंख्या है। यदि जमीन ऊबड़-खाबड़ भी है और वहाँ खान, उद्योगों और बन्दरगाहों ही स्थापना हो गई है, वहाँ अधिक जनसंख्या पाई जाती है ।

प्रश्न 3. हमने पढ़ा है कि 1991 तथा 2001 में वृद्धि दर कम थी। फिर भी जनसंख्या बढ़ती ही रही। इसका कारण क्या है ?
उत्तरजनसंख्या में वृद्धि दर में कमी के बावजूद जनसंख्या में वृद्धि इस कारण होती रही, क्योंकि अधिक व्यक्तियों के रहने से जन्म-दर बढ़ती रही। स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार से बच्चों की मृत्यु दर कम रही ।

प्रश्न 4. वर्तमान समय में भारत में प्रति मिनट कितने व्यक्तियों की वृद्धि हो रही है ?
उत्तर – वर्तमान समय में भारत में प्रति मिनट 29 व्यक्तियों की वृद्धि हो रही है ।

प्रश्न 5. साक्षर का क्या अर्थ है ?
उत्तर— साक्षर का अर्थ है कि 7 वर्ष या इससे अधिक आयु का व्यक्ति किसी भी भाषा को समझकर लिख या पढ़ सकने की क्षमता रखता हो ।

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BSEB Social Science Geography कक्षा 9 पाठ 5. प्राकृतिक वनस्‍पति एवं वन्य प्राणी | Prakritik Vanaspati Awam Wan Prani Class 9th Solutions

इस पोस्‍ट में हमलोग कक्षा 9 भूगोल के पाठ 5. प्राकृतिक वनस्‍पति एवं वन्य प्राणी (Prakritik Vanaspati Awam Wan Prani Class 9th Solutions)’ के महत्‍वपूर्ण टॉपिकों के बारे में अध्‍ययन करेंगें।

5. प्राकृतिक वनस्‍पति एवं वन्य प्राणी

अभ्यास के प्रश्न तथा उनके उत्तर

वस्तुनिष्ठ प्रश्न :
निर्देश : नीचे दिए गए प्रश्नों में चार संकेत चिह्न हैं, जिनमें एक सही या सबसे उपयुक्त है। प्रश्नों का उत्तर देने के लिए प्रश्न- संख्या के सामने वह संकेत चिह्न (क, ख, ग, घ) लिखे, जो सही अथवा सबसे उपयुक्त हो ।

1. भारत में जीव संरक्षण अधिनियम कब लागू हुआ ?
(क) 1982
(ख) 1972
(ग) 1992
(घ) 1985

2. भरतपूर पक्षी विहार कहाँ स्थित है ?
(क) असम
(ख) गुजरात
(ग) राजस्थान
(घ) पटना

3. भारत में कितने प्रकार की वनस्पति प्रजातियाँ पायी जाती हैं ?
(क) 89000
(ख) 47000
(ग) 95000.
(घ) 85000

उत्तर- 1. (ख), 2. (ग), 3. (ख)।

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें :
1. भारत में तापमान चूँकि सर्वत्र पर्याप्त है अतः के प्रकार को यहाँ निर्धारित करती है । …………. की मात्रा वनस्पति
2. धरातल पर एक विशिष्ट प्रकार की वनस्पति या प्राणी जीवन वाले पारिस्थितिक तंत्र को ……………. कहते हैं ।
3. मनुष्य भी पारिस्थितिक तंत्र का एक …………… अंग हैं।
4. घड़ियाल मगरमच्छ की एक प्रजाति विश्व में केवल ……………. देश में पाया जात हैं।
5. देश में जीव मंडल निचय (आरक्षित क्षेत्र) की कुल संख्या ……………. है जिसमें को विश्व के जीवमंडल निचयों में सम्मिलित किया गया हैं।

उत्तर1. तापमान, 2. जीवोम, 3. अभिन्न, 4. भारत, 5. चौदह; चार ।

कारण बताओ :

प्रश्न 1. हिमालय के दक्षिणी ढलान पर उत्तरी ढलान की अपेक्षा सघन वन पाए जाते हैं ।
उत्तरहिमालय के दक्षिणी ढलान पर उत्तरी ढलान की अपेक्षा सवन वन पाए जाने का कारण यह है कि दक्षिणी ढलान पर तापमान कम रहता है। धीरे-धीरे ऊँचाई के साथ तापमान घटता जाता है और बर्फ की अधिकता बढ़ती जाती है। उत्तरी ढाल पर बर्फ की ही अधिकता है। बर्फ पर वनस्पति उग ही नहीं पाती । फलतः दक्षिणी, ढाल पर सवन वन पाए जाते हैं, जबकि उत्तरी ढाल वनस्पति विहीन है ।

प्रश्न 2. उष्ण कटिबंधीय वर्षा वन में धरातल लता-वितानों से ढँका हुआ है
उत्तर उष्ण कटिबंधीय वर्षा वन को सदाबहार वन भी कहते हैं। इसका घरातल लता-वितानों से इस कारण ढँका रहता है कि यहाँ लगभग सालों भर वर्षा होती रहती है और थोड़े समय ही शुष्कता रहती है। इस कारण वहाँ सघन वन तो जाए ही जाते हैं, धरातल भी सदैव लता-वितानों से ढँका रहता है। ये लता-वितान इतने सवन होते हैं कि आदमी के लिए चलना कठिन रहता है

प्रश्न 3. जैव विविधता में भारत बहुत धनी है ।
उत्तरजैव विविधता में भारत बहुत धनी इस कारण है क्योकि यह एक बड़ा देश है और यहाँ सभी तरह की भौगोलिक परिस्थितियाँ विद्यमान हैं। यहाँ भू-भाग का स्वरूप, मिट्टी, जलवायु, तापमान, सूर्य प्रकाश, वर्षा आदि की विविधता है। ये ही सव कारण हैं कि वनस्पति हो या जीव दोनों की विविध मात्रा काफी अधिक है। भारत में जैव विविधता के ये ही सब कारण हैं ।

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प्रश्न 4. झाड़ी एवं कँटीले वन में पौधों की पत्तियाँ रोएँदार, मोमी, गूद्देदार एवं छोटी होती हैं।
उत्तर- झाड़ी एवं कँटीले वन में पौधों की पत्तियाँ रोएँदार, मोमी, गुद्देदार एवं छोटी इस कारण होती हैं क्योंकि ऐसी वनस्पतियाँ खासकर मरुस्थलों में या उसके आसपास होती हैं । वहाँ वर्षा का अभाव रहता है तथा जमीन में भी नमी का अभाव होता है । अतः पत्तियों से होकर वाष्पीकरण द्वारा पौधे से जल बाहर नहीं निकले और पौधों में नमी बनी रहे, इस कारण यहाँ के पौधों की पत्तियाँ रोएँदार, मोमी, गुद्देदार एवं छोटी होती हैं ।

लघु उत्तरीय प्रश्न :

प्रश्न 1. सिमलीपाल जीवमंडल निचय कहाँ है ?
उत्तर- सिमलीपाल जीवमंडल निचय (नेशनल पार्क) उड़ीसा में है ।

प्रश्न 2. बिहार किस प्रकार के वनस्पति प्रदेश में आता है ?
उत्तर – बिहार ‘शुष्क पपाती’ प्रकार के वनस्पति प्रदेश में आता है ।

प्रश्न 3. हाथी किस-किस वनस्पति प्रदेश में पाया जाता है ?
उत्तर – हाथी उष्ण कटिबंधीय सदाबहार वन तथा उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वनों के आर्द्र पर्णपाती किस्म के वनस्पति प्रदेश में पाया जाता है । यदि संक्षेप में कहना हो तो कहेंगे कि हाथी ‘उष्णार्द्र’ वनस्पति प्रदेश में पाया जाता है ।

प्रश्न 4. भारत में पाये जानेवाले कुछ सकंटग्रस्त वनस्पति एवं प्राणी के नाम बताएँ ।
उत्तरभारत में पाई जाने वाली कुछ संकटग्रस्त वनस्पतियाँ निम्नलिखित हैं
गुलचीन, भृंगराज, अमरबेल, चन्दन, रक्त चंदन आदि ।
भारत में पाए जाने वाले कुछ संकटग्रस्त प्राणी निम्नलिखित हैं.
गुलाबी सिर वाले बत्तख, गिद्ध, चाहा, लालमुनिया आदि ।

प्रश्न 5. बिहार में किस वन्य प्राणी को सुरक्षित रखने के लिए वाल्मिकी नगर में प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है ?
उत्तरबिहार में हिरण और वनया सूअर को सुरक्षित रखने के लिए वाल्मिकी नगर में प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है ।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न :

प्रश्न 1. पारिस्थितिक तंत्र किसे कहते हैं?
उत्तरपारिस्थितिक तंत्र किसी खास प्रकार के जीवोम को कहते हैं । पृथ्वी पर एक खास किस्मवाले वनस्पति जगत एवं प्राणी – जगतवाले विशाल पारिस्थितिक तंत्र का गठन होता है । वास्तव में पारिस्थितिक तंत्र के गठन से ही जीवोम बनता है । जीवोम अनेक प्रकार के हो सकते हैं। जैसे—मानसूनी जीवोम, मरुस्थलीय जीवोम, विषुवत रेखीय जीवोम इत्यादि । इनके अलावा भी स्थिति, परिस्थिति एवं वातावरण के अनुसार कुछ अन्य जीवोम भी हो सकते हैं, जो अपने खास पारिस्थितिक तंत्र से बने हो सकते हैं । इन सभी प्रकार के जीवोमों में एक खास किस्म के वनस्पति जगत एवं खास किस्म के प्राणी-जगत एक-दूसरे से अंतर्सम्बंधित हैं । ये सभी पृथ्वी के एक विस्तृत क्षेत्र में पाये जाते हैं ।
वास्तव में पृथ्वी पर पेड़-पौधे तथा जीवों का वितरण काफी हद तक भौतिक दशाओं से प्रभावित होते हैं और अंततः भौतिक दशाओं को प्रभावित भी करते हैं। वन खास
किस्म की वनस्पति और खास किस्म के प्राणी-जगत को संरक्षण देते हैं और आगे चलकर ये वनस्पति और प्राणी स्वयं संरक्षण देने लगते हैं। कुल मिला-जुलाकर हम सीधे कह सकते हैं कि पेड़-पौधे तथा जीव-जंतु अपने भौतिक वातावरण से अंतर्सम्बंधित होते हैं तथा एक-दूसरे से भी सम्बंधित होते हैं । इस प्रकार ये तीनों परस्पर मिलकर एक पारिस्थितिक तंत्र का निर्माण कर लेते हैं । प्राणी भी इस पारिस्थितिक तंत्र का अभिन्न अंग है तथा पादप भी । प्राणियों, खासकर मनुष्य अपने लाभ के लिए वनों की कटाई करता है, जिससे पारिस्थितिक तंत्र में बदलाव आने लगता है । मनुष्य ही नहीं हाथी जैसे जन्तु भी वनों को नष्ट करते या बाघ या शेर हरिण जैसे जंतुओं का नाश करते हैं । परिणाम होता है कि भौतिक वातावरण की गुणवत्ता समाप्त होने लगती है। इससे पारिस्थितिक तंत्र में बदलाव आकर पूरा जन-जीवन के साथ प्राणी जगत के जीव भी लुप्त होने लगते हैं ।

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प्रश्न 2. भारत में पादपों तथा जीवों का वितरण किन कारकों द्वारा प्रभावित होता है ?
उत्तरभारत में पादपों तथा जीवों का वितरण निम्नलिखित कारकों द्वारा प्रभावित होती हैं :

(i) भू-भाग का स्वरूप — भू-भाग के स्वरूप का पादपों के प्रकार पर बहुत प्रभाव पड़ता है। पहाड़, पठार, मैदानी भागों में किसी एक ही तरह के पादप नहीं पाये जाते । पहाड़ हो या पठार — इन दोने के धरातल काफी ऊबड़-खाबड़, ऊँचा-नीचा तथा कहीं- कहीं दुर्गम भी होता है। फल होता है कि इन स्थानों के पादपों में काफी भिन्नता होती है। पहाड़ों और पठारों की अपेक्षा मैदान काफी समतल होते हैं और यहाँ जीवोपयोगी या मानवोपयोगी पादपों को उगाना आसान होता है । यदि धरातल समतल है, वनों से भरा है तो जीव उसे अपने लाभ के योग्य बना लेता है । इसके लिए उसे वनों को काटना तक पड़ जाता हैं ।

(ii) मिट्टी की बनावट — मिट्टी की बनावट के अनुसार ही उस पर पादपों की उत्पत्ति होती है और पादपों के अनुसार ही जीवों का वास या विनाश होता है । डेल्टा क्षेत्र के दलदली जमीन में सुन्दरी जैसी अच्छी लकड़ी के वृक्ष उगते हैं तथा पहाड़ और पठारों जैसे पथरीले और उबड़-खाबड़ धरती पर महँगी लकड़ी के वृक्ष भी उग सकते हैं किन्तु मनुष्य जैसा जीव वहाँ नहीं रह सकता, भले ही वन्य जीवों के लिए वह प्राकृतिक आवास हो । मनुष्य वहाँ रहने का प्रयास भी करता तो रह नहीं सकता, क्योंकि वहाँ अन्नोत्पादन आसानी से नहीं हो सकता। यदि मिट्टी ऐसी हो जो सपाट और उपजाऊ हो तो मनुष्य वहाँ बस सकता है, खेती कर सकता है, कारखाने लगा सकता है और कारखानों के लिए कच्चा माल लाने और तैयार माल को बाजार में भेजने के लिए रेल-सड़क आदि का विकास कर सकता है ।

(iii) जलवायु — जलवायु को तीन उपभागों में बाँटकर स्थिति को स्पष्ट करना आसान होगा । जैसे— (क) तापमान, (ख) सूर्य का प्रकाश तथा (ग) वर्षा की मात्रा ।
(क) तापमान – तापमान के आधार पर भी पादप तथा जीवों का वितरण निर्भर करता है । थार मरुस्थल में अत्यधिक ताप के कारण वहाँ की जनसंख्या विरल है तथा पादपों की भी कमी है ।
(ख) सूर्य का प्रकाशसूर्य का प्रकाश भी वनस्पति की विविधता को प्रभावित करता है तथा वनस्पति की विविधता जीवों के बसाव को प्रभावित करती है। घने वन में जनसंख्या कम रहती है जबकि विरल वृक्षों वाले स्थानों में जनसंख्या अधिक रहती है ।
(ग) वर्षा की मात्रा – वर्षा की मात्रा पादपों को तो प्रभावित करती ही है, उन पादपों के अन्तर्गत न केवल वृक्ष, बल्कि अन्न के पौधे भी आते हैं। वर्षा की मात्रा के आधार पर ही अन्नोत्पादन होता है और जहाँ पर्याप्त अन्न उपजता है, वहाँ जनसंख्या घनी होती है । लोग अपने साथ विभिन्न पालतू पशुओं को भी रखते हैं ।

प्रश्न 3. वनस्पति- जगत एवं प्राणी-जगत हमारे अस्तित्व के लिए क्यों आवश्यक हैं?

उत्तर वनस्पति-जगत एवं प्राणी जगत हमारे अस्तित्व के लिए क्यों आवश्यक है यह निम्नलिखित बातों से सिद्ध हो जाता है :

वनस्पति जगतवनस्पति जगत हमारे अस्तित्व के लिए अत्यन्त आवश्यक है वनों के पेड़, वृक्ष आदि हमारे जीवन के लिए आवश्यक गैसों के संतुलन को बनाए रखते हैं। ये वृक्ष ही हैं कि वातावरण में ऑक्सीजन-कार्बन डाइऑक्साइड के संतुलन को बनाए रखने में मदद करते हैं। ये हम मनुष्यों तथा अन्य जीवों द्वारा छोड़े गए साँस में वर्तमान कार्बन डाइऑक्साइड को ग्रहण कर लेते हैं और बदले में आक्सीजन छोड़ते हैं, जिसे मनुष्य तथा अन्य जीव साँस द्वारा ग्रहण कर अपने को जीवित रखते हैं। जंगल वर्षा को आकर्षित करते हैं और वर्षा कराने में सहायक बनते हैं । वन या वनों के वृक्ष बाढ़ों को रोकते हैं और मृदा अपरदन नहीं होने देते । अन्ततः इससे मनुष्य ही लाभान्वित होते हैं । उपजाऊ मृदा के बचे रहने से खेतों के उपजाऊपन में कमी नहीं होने पाती । वृक्षों की पत्तियाँ उच्च कोटि की प्राकृतिक खाद बनती हैं। वनों से हमें अनेक वन्य उत्पाद प्राप्त होते हैं । इनमें से फर्निचर के लिए, भवन निर्माण के लिए मूल्यवान लकड़ियों के साथ जलावन योग्य लकड़ियाँ भी मिलती हैं। इसके अलावा पशुओं के लिए चारा, शहद, कत्था, जड़ी-बूटियाँ, मधु, रेशम, बीड़ी पत्ता, पत्तल पत्ता आदि आर्थिक महत्व की वस्तुएँ वनों से ही प्राप्त होती हैं ।

प्राणी जगत – मनुष्य स्वयं में एक प्राणी है लेकिन अपने साथ इसे गाय, बैल, बकरी, घोड़ा, गदहा, हाथी, ऊँट आदि प्राणियों को पालना पड़ता है। वनों में यदि हिरणों को रहना आवश्यक है तो बाघों का रहना भी आवश्यक है। यदि साँप हैं तो चूहों की भी आवश्यकता है। यदि वनों में हिरणों की संख्या कम होगी तो बाघों को भोजन दुर्लभ हो जाएगा। वैसी स्थिति में ये वनों के निकट ग्रामीण बस्तियों पर धावा बोलेंगे और पशुओं के साथ मनुष्यों पर भी आक्रमण करेंगे। यदि साँपों की संख्या कम हो जाय तो चूहों की संख्या इतनी बढ़ जाएगी कि ये खेतों से ही खाद्यान्नों को नष्ट करना शुरू कर देंगे ।
इस प्रकार हम देखते हैं कि हमारे अस्तित्व के लिए वनस्पति जगत तथा प्राणी-जगत दोनों का रहना आवश्यक है

मानचित्र कौशल :

भारत में मानचित्र पर निम्नलिखित को प्रदर्शित करें
1. भारत के वनस्पति प्रदेश
2. भारत के चौदह जीवमंडल निचय
उत्तर – भारत के वनस्‍पति प्रदेश :

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उत्तर 2. भारत के चौदह जीवमंडल निचय :
(1) सुंदर वन, (2) मन्नार की खाड़ी, (3) नीलगिरि, (4) नंदा देवी, (5) नोकरेक, (6) ग्रेट निकोबार, (7) मानस, (8) सिमलीपाल, (9) दिहांग दिबांग, (10) डिबू साइकवोच, (11) अगस्त्य मलाई, (12) कंचनजंघा, (13) पंचमढ़ी और ( 14 ) अचनकमार – अमरकंटक ।

परियोजना कार्य :
1. किन्हीं दस व्यवसायों का नाम पता करें जिन्हें जंगल एवं जंगली जानवरों से कच्चा माल प्राप्त होता है ।
2. परिवार के सदस्यों के जन्म-दिन के अवसर पर कम-से-कम एक पौधा अवश्य लगाएँ ।
3. अपने स्कूल परिसर में औषधीय गुणों से युक्त फल (जामुन), सब्जी (सजहन, बोरा), फूल (देशी गुलाब, सदाबहार ) आदि को लगाएँ और उनकी देखभाल करें ।
4. अपने मुहल्ले एवं गाँव में भी बड़ों के साथ मिलकर उपयुक्त ऋतु में वृक्ष लगाएँ एवं उनकी देखभाल करें ।
उत्तर- संकेत : परियोजना कार्य को छात्रों को ही पूरा करना है ।

कुछ अन्य प्रमुख प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. जन्म (उत्पत्ति) के आधार पर वनस्पति को कितने भागों में बाँटा गया है ? कौन कौन ? संक्षेप में समझाएँ ।
उत्तर – जन्म (उत्पत्ति) के आधार पर वनस्पति को दो भागों में बाँटा गया है : देशज तथा विदेशज । स्थानीय अर्थात अपने देश की वनस्पति ‘देशज’ कहलाती है जबकि विदेशों से लाई गई वनस्पति ‘विदेशज’ कहलाती है ।

प्रश्न 2. भारत को तापमान के आधार पर कितने भागों में बाँटा गया है ? प्रत्येक के औसत वार्षिक तापमान का उल्लेख करें ।
उत्तरभारत को तापमान के उधार पर मुख्यतः चार भागों में बाँटा गया है । उनके नाम तथा औसत वार्षिक तापमान निम्नलिखित हैं :
तापमान खंड               औसत वार्षिक तापमान
(i) उष्ण                       24° से अधिक
(ii) उपोष्ण                   17° से 24° तक
(iii) शीतोष्ण                70 से 17° तक
(iv) अल्पाइन              70 से कम

प्रश्न 3. आयुर्वेद में लगभग कितने पादपों का वर्णन है? इनमें से कितने का निरंतर उपयोग होते रहता है ? विश्व संरक्षण संघ द्वारा लाल सूची में कितने पादपों को रखा गया है ? इनमें से कितने पादप अति संकटग्रस्त हैं?
उत्तर – आयुर्वेद में लगभग 2000 पादपों का वर्णन है। इनमें से 500 पादपों का निरंतर उपयोग होते रहा है। विश्व संरक्षण संघ द्वारा लाल सूची के अंतर्गत 352 पादपों को शामिल किया गया है, जिनमें 52 पादप अति संकटग्रस्त हैं ।

प्रश्न 4. भारत में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम कब लागू किया गया ?
उत्तर- भारत में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 में लागू किया गया।

प्रश्न 5. प्रवासी पक्षी, खासकर साइबेरियन सारस शीतऋतु में भारत में कहाँ- कहाँ आते हैं ?
उत्तर- प्रवासी पक्षी, खासकर साइबेरियन सारस भारत में अनेक स्थानों पर बड़ी संख्या में आते हैं । उनमें से कुछ तो गुजरात के कच्छ-रन में, कुछ राजस्थान स्थिति भरतपुर के पक्षी विहार में तथा कुछ बिहार के काँवरझील के पास चले आते हैं। लुक- छिपकर भारी मात्रा में इनका शिकर होता है। शिकार होने से जो बच जाते हैं, वे शीतऋतु समाप्त होते ही अपने मूल स्थान को लौट जाते हैं ।

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BSEB Social Science Geography कक्षा 9 पाठ 4. जलवायु | Jalvayu Class 9th Solutions

इस पोस्‍ट में हमलोग कक्षा 9 भूगोल के पाठ 4. जलवायु (Jalvayu Class 9th Solutions)’ के महत्‍वपूर्ण टॉपिकों के बारे में अध्‍ययन करेंगें।

4. जलवायु

अभ्यास के प्रश्न तथा उनके उत्तर

वस्तुनिष्ठ प्रश्न :
निर्देश : नीचे दिए गए प्रश्नों में चार संकेत चिह्न हैं, जिनमें एक सही या सबसे उपयुक्त है। प्रश्नों का उत्तर देने के लिए प्रश्न- संख्या के सामने वह संकेत चिह्न (क, ख, ग, घ) लिखें, जो सही अथवा सबसे उपयुक्त हो ।

(i) जाड़े में तमिलनाडु के तटीय भागों में वर्षा का क्या कारण है ?
(क) दक्षिण-पश्चिमी मानसून
(ग) शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात
(ख) उत्तर-पूर्वी मानसून
(घ) स्थानीय वायु परिसंचरण

(ii) दक्षिण भारत के संदर्भ में कौन-सा तथ्य गलत है ?
(क) दैनिक तापांतर कम होता है ।
(ख) वार्षिक तापांतर कम होता हैं ।
(ग) तापांतर भर वर्ष अधिक रहता है ।
(घ) विषम जलवायु पायी जाती है।

(iii) जब सूर्य कर्क रेखा पर सीधा चमकता है, तो उसका प्रभाव होता है ?
(क) उत्तरी-पश्चिमी भारत में उच्च वायुदाब रहता है
(ख) उत्तरी-पश्चिमी भारत में निम्नवायुदाब रहता है ।
(ग) उत्तरी-पश्चिमी भारत में तापमान एवं वायुदाब में कोई परिवर्तन नहीं होता है।
(घ) उत्तर-पश्चिमी भारत से मानसून लौटने लगता है ।

(iv) विश्व में सबसे अधिक वर्षा किस स्थान पर होती है ?
(क) सिलचर
(ख) चेरापूँजी
(ग) मौसिमराम
(घ) गुवाहाटी

(v) मई महीने में पश्चिम बंगाल में चलनेवाली धूल भरी आँधी को क्या कहते हैं
(क) लू
(ख) व्यापारिक पवन
(ग) काल वैशाखी
(घ) इनमें से कोई नहीं

(vi) भारत में दक्षिण-पश्चिम मानसून का आगमन कब से होता है
(क) 1 मई से
(ख) 1 जून से
(ग) 1 जुलाई से
(घ) 1 अगस्त से

(vii) जाड़े में सबसे ज़्यादा ठंढा कहाँ पड़ता है ?
(क) गुलमर्ग
(ख) पहलगाँव
(ग) खिलनमर्ग
(घ) जम्मू

(viii) उत्तर पश्चिमी भारत में शीतकालीन वर्षा का क्या कारण है ?
(क) उत्तर-पूर्वी मॉनसून
(ख) दक्षिण-पश्चिमी मॉनसून
(ग) पश्चिमी विक्षोभ
(घ) उष्णकटिबंधीय चक्रवात

(ix) ग्रीष्म ऋतु का कौन स्थानीय तूफान है जो कहवा की खेती के लिए उपयोग होती है ?
(क) आम्र वर्षा
(ख) फूलों वाली बौछार
(ग) काल वैशाखी
(घ) लू

उत्तर— (i) → (ख), (ii) → (ख), (iii) → (ख), (iv)→ (ग), (v)→ (ग), (vi) → (ख) (vii) → (ग), (viii) → (ग), (ix) → (क) ।

कोष्ठक में से सही शब्द चुनकर रिक्त स्थानों को भरें :
(क) जनवरी में चेन्नई का तापमान कोलकाता से ……………. रहता है ।                               (कम/अधिक)
(ख) उत्तर भारत में वर्षा पूरब की अपेक्षा पश्चिम की ओर से उत्तर …………… होती है ।        (अधिक/कम)
(ग) मानसून शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम ………….. के नाविकों ने किया था ।                         (अरब /भारत)
(घ) पश्चिम घाट पहाड़ के पश्चिमी भाग में ……………. वर्षा होती है ।                                   (कम/अधिक)
(ङ) पर्वत का ……………. भाग वृष्टिछाया का प्रदेश होता है ।                                            (पवन विमुख / पवन अभिमुख)

उत्तर (क) कम, (ख) कम, (ग) अरब, (घ) अधिक, (ङ) पवन – विमुख ।

निम्नलिखित के भौगोलिक कारण बतलाइए :

प्रश्न (क) पश्चिमी राजस्थान एक मरुस्थल है ।
उत्तर – मानसून हवाएँ दो शाखाओं में बँट जाती हैं। पहली अरब सागर की शाखा और दूसरी बंगाल की खाड़ी की शाखा । बंगाल की खाड़ी शाखा उत्तर की ओर बढ़ती हुई असम- मेघालय में पहुँचकर पूर्वांचल तथा गारो, खासी, जयंतिया पहाड़ों से टकराकर मेघालय तथा असम की घाटी में भारी वर्षा करती है । इसके बाद ये हवाएँ देश के उत्तर- पश्चिम भाग स्थित निम्न दाब क्षेत्र की ओर बढ़ने लगती है । ये जैसे-जैसे पश्चिम की ओर बढ़ती हैं, वैसे-वैसे वर्षा की मात्रा कम होती जाती है। जून से सितम्बर तक कोलकाता में 118 सेमी, पटना में 100 सेमी, इलाहाबाद में 90 सेमी, दिल्ली में 55 सेमी और वैसे ही क्रमशः पश्चिम की ओर कम होते-होते राजस्थान में मात्र 10 सेमी ही वर्षा हो पाती है । यही कारण है कि राजस्थान के पश्चिम भाग एक मरुस्थल में विकसित हो गया हैं ।

प्रश्न (ख) तमिलनाडु में जाड़े में वर्षा होती है ।
उत्तर लौटते मानसून के समय अक्टूबर में यह बंगाल की खाड़ी के उत्तर में स्थित हो जाता है । नवम्बर में यह तमिलनाडु तक ही पहुँच पाने में सक्षम हो पाता है । फलतः सम्पूर्ण तमिलनाडु के साथ कर्नाटक में भी वर्षा हो जाती है। यही कारण है कि तमिलनाडु में जाड़े में भी वर्षा होती है ।

प्रश्न (ग) भारतीय कृषि मानसून के साथ जुआ का खेल खेलती है ।
उत्तरयह आवश्यक नहीं कि प्रति वर्ष मानसून आ ही जाए। कभी-कभी यह नहीं भी आता है या आता भी है तो कभी समय से काफी पहले या काफी देर से । किसी वर्ष पर्याप्त वर्षा देता है और कभी थोड़ा ही पानी देकर मुँह मोड़ लेता है। भारतीय किसानों के पास मानसूनी वर्षा के पानी के अलावा सिंचाई के अन्य साधनों का काफी अभाव है । यदि सिंचाई की सुविधा प्राप्त है तो कुछ ही को प्राप्त है । अधिकांश के पास नहीं । इस प्रकार हम देखते हैं कि जिस वर्ष मानसून समय पर आ गया और पर्याप्त पानी दे गया उस वर्ष तो कृषि अच्छी होती है, बरना कृषि नहीं हो पाती । इसी कारण कहा जाता है कि “भारतीय कृषि मानसून के साथ जुआ का खेल खेलती है ।

प्रश्न (घ) मौसिमराम में विश्व की सर्वाधिक वर्षा होती है ।
उत्तरमौसिमराम का पहाड़ मानसूनी हवा की राह के अभिमुख भाग में पड़ता है । यही कारण है कि मानसूनी हवाओं से, जो बंगाल की खाड़ी से होकर जाने के कारण नमी से लदी होती है, पहाड़ से टकराती है । फलतः मौसिमराम में अधिक वर्षा हो जाती है। इतना अधिक कि विश्व के किसी भी भाग में इतना अधिक वर्षा नहीं होती। इसी कारण कहा जाता है कि मौसिमराम में विश्व की सर्वाधिक वर्षा होती

प्रश्न (ङ) उटी में सालोभर तापमान काफी नीचे रहता हैं।
उत्तर जैसे-जैसे समुद्रतल से धरातल की ऊँचाई बढ़ती जाती है वैसे-वैसे हवा विरल होती जाती है। परिणाम होता है कि वहाँ तापमान घटता जाता है, जिससे वह स्थान गर्मी में भी ठंडा ही बना रहता है । ‘उटी’ के साथ भी यही बात है । ‘उटी’ निम्न अक्षांश में तो स्थित है ही, वहाँ धरातल की ऊँचाई भी समुद्रतल से अधिक है । यही कारण है कि ऊटी में सालो भर तापमान काफी नीचे रहता है । (ऊटी को ही ‘ऊटकमंड’ भी कहा जाता है ।)

लघु उत्तरीय प्रश्न :
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें :

प्रश्न (क) जाड़े के दिनों में भारत में कहाँ-कहाँ वर्षा होती है ?
उत्तरजाड़े के दिनों में भारत में तमिलनाडु तथा कर्नाटक राज्यों में वर्षा होती है

प्रश्न (ख) फेरल का क्या नियम है ?
उत्तर उत्तरी गोलार्द्ध में निम्न दाब क्षेत्र की ओर आकर्षित होकर हवाएँ जब विषुवत रेखा को पार करती हैं तब अपनी दाहिनी ओर मुड़ जाती हैं। इसी को ‘फेरल का नियम कहा जाता है । दक्षिणी गोलार्द्ध में यह क्रिया उलट जाती है अर्थात हवाएँ अपनी बाई – ओर मुड़ती हैं।

प्रश्न (ग) जेट स्ट्रीम क्या है ?
उत्तरलगभग 27° उत्तरी अक्षांश से 30° उत्तरी अक्षांश के बीच ऊपरी वा परिसंचरण जब तेज गति पकड़ लेती है तो भारी तूफान आता है और वर्षा होती है इससे जान-माल की हानि तक हो जाती है । इन्हीं धाराओं को ‘जेट स्ट्रीम’ या ‘जेट धारा कहते हैं ।

प्रश्न (घ) भारतीय मॉनसून की कोई तीन विशेषताएँ बताइए ।
उत्तरभारतीय मानसून की तीन विशेषताएँ हैं कि यह (i) भारत में उत्तर से दक्षिण तथा पूर्व से पश्चिम तक वर्षा का कारक बनाता है, जिससे कृषि में सहायता मिल है। (ii) यह देश में खान-पान से लेकर वस्त्र और आवास तक को प्रभावित करता- (iii) मानसून देश को सूखा तथा अकाल से बचाता है ।

प्रश्न (ङ) ‘लू’ से आप क्या समझते हैं ?
उत्तरग्रीष्म ऋतु में भारत में चलनेवाली गर्म पछुआ हवा को ‘लू’ कहते हैं स्थानानुसार इसका नाम बदलते रहता है। उत्तर प्रदेश और बिहार में जिसे ‘लू’ कह हैं उसी को पश्चिम बंगाल में ‘काल वैशाखी’ कहते हैं !

प्रश्न (च) मानसून का विस्फोट क्या है ?
उत्तरभारत में 15 जून के बाद मौसम में अचानक परिवतर्नन होने लगता दक्षिण-पश्चिम दिशाओं से हवा का तेजी से चलना आरंभ हो जाता है। आसमान काल काले बादलों से आच्छादित हो जाता है । बादल गरजने लगते हैं और बिजली चमक लगती है। इस गर्जन-तर्जन के साथ ही भारी वर्षा आरम्भ हो जाती है। इसी प्रक्रि को ‘मानसून का विस्फोट’ या ‘मानसून का फटना’ कहते हैं ।

प्रश्न (छ) भारत के अत्यधिक गर्म एवं अत्यधिक ठंडे क्षेत्रों के नाम बताइए ।
उत्तर :
भारत के अत्यधिक गर्म क्षेत्र हैं : उत्तर प्रदेश, बिहार तथा पश्चिम बंगाल ।
भारत के अत्यधिक ठंडे क्षेत्र हैं: जम्मू-कश्मीर, उत्तरांचल तथा हिमाचल प्रदेश ।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न (क) भारत की मानसूनी जलवायु की क्षेत्रीय विभिन्नताओं को सोदाहरण समझाइए ।
उत्तरभारत की मानसूनी जलवायु की क्षेत्रीय विभिन्नता में केवल मानसूनी हवाओं का ही हाथ नहीं है। इसमें सूर्य की तीरछी-सीधी किरणों का भी प्रभाव पड़ता है। जब कर्क रेखा के आसपास सूर्य लम्बवत चमकता है तब भारत का उत्तर-पश्चिमी भाग अत्यधिक गर्म हो जाता है। इसका फल होता है कि उस क्षेत्र में वृहत् न्यूनदाब का क्षेत्र विकसित हो जाता है। लेकिन मकर रेखा के पास सूर्य की तिरछी किरणों के कारण तुलनात्मक रूप से उच्चदाब का क्षेत्र ही बना रहता है । यहाँ की हवा निम्न दाब की ओर चल देती है और जब विषुवत रेखा को पार करती है, तब फेरेल को नियम का अनुसरण करते हुए दाहिनी ओर मुड़ जाती है तथा उत्तर-पूर्व दिशा में चलती हुई केरल तट पर पहुँचती है। इसी हवा को दक्षिण-पश्चिम मानसून कहा जाता है । ये हवाएँ हजारों किमी समुद्री मार्ग से आने के कारण अपने साथ प्रचुर मात्रा में जलवाष्प लाती हैं । यह केरल में लगभग 1 जून को पहुँचती है और शीघ्र ही 13 से 15 जून तक मुंबई और कोलकाता होते हुए मध्य जुलाई तक सम्पूर्ण भारत में फैल जाती हैं। मानसूनी हवाओं के मार्ग में यदि कोई पहाड़ रास्ते में रुकावट खड़ा करता है तो ये हवाएँ ऊपर उठ जाती हैं और घनीभूत होकर वर्षा कर देती हैं। इसको पहला अवरोध तो केरल में पश्चिम घाट पहाड़ का ही झेलना पड़ता है- और भारत में पहली वर्षा केरल में ही पश्चिमी घाट के पश्चिमी क्षेत्र में हो जाती है । इसकी ऊँचाई अधिक नहीं होने के कारण इसे पार कर ये हवाएँ आगे बढ़ जाती हैं और हिमालय के अभिमुख ढाल तक पहुँच जाती है। हिमालय के दक्षिणी ढाल पर अधिक वर्षा का यही कारण है। लेकिन पर्वत के विमुख ढाल वृष्टिछाया में पड़ने के कारण सूखा ही रह जाते हैं या वहाँ वर्षा होती भी है तो बहुत कम । नवम्बर-दिसम्बर माह में सूर्य मकररेखा पर सीधी चमकने लगता है । फलतः वहाँ निम्न दाब का क्षेत्र बनने लगता है । यह वह समय रहता है जब उत्तर भारत में कड़ाके की सर्दी पड़ती है जिससे वह भाग उच्च दाब के अधीन रहता है। अब जून माह के विपरीत स्थिति बन जाती है और दक्षिण-पश्चिम के स्थान पर अब उत्तर-पूर्वी मानसून का प्रभाव जमने लगता है । उत्तर-पूर्वी मानसून का समय नवम्बर से मध्य मार्च तक प्रभावित रहता है । इससे भारत के दक्षिण तटीय भाग तमिलनाडु, कर्नाटक आदि राज्यों में वर्षा होती है । इस समय पछुआ हवा की पेटी के दक्षिण की ओर खिसक जाने के कारण विक्षोभ उत्पन्न होता है, जिस कारण भारत के उत्तरी मैदान में भी वर्षा होती है, जिससे रब्बी फसलों को लाभ होता हैं ।
पुनः दक्षिण-पश्चिम मानसून का पश्चिम की ओर बढ़ना धीरे-धीरे कम होने लगता है। परिणामस्वरूप 1 सितम्बर को यह थार मरुस्थल तक नहीं पहुँच पाता । 15 दिसम्बर तक यह चंडीगढ़, दिल्ली तथा श्रीनगर तक पहुँचकर रुक जाता है। 1 अक्टूबर तक यह मुंबई, भोपाल, लखनऊ आदि को छोड़ देता है । 10 अक्टूबर तक यह पूरा उत्तरी भारत को छोड़ देता है और 15 नवम्बर को पूरे भारत से नदारद हो जाता है। भारत की मानसूनी जलवायु की क्षेत्रीय विभिन्नताओं के ये ही सब कारण हैं ।

प्रश्न (ख) भारत में कितनी ऋतुएँ पाई जाती हैं? किसी एक का भौगोलिक विवरण दीजिए ।
उत्तर – भारत में कुल छः ऋतुएँ पाई जाती हैं जो विश्व के किसी भी देश हैं। ये हैं: वसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत एवं शिशिर । हिन्दी महीनों के आधार पर चैत्र-वैशाख के महीने वसंत ऋतु के हैं, ज्येष्ठ-आषाढ़ के महीने ग्रीष्म ऋतु के हैं, सावन- भादों के महीने वर्षा ऋतु के हैं, आसिन-कार्तिक के महीने शरत ऋतु के हैं, अगहन – पौप के महीने हेमंत ऋतु एवं माघ – फाल्गुन के महीने शिशिर ऋतु के हैं । वैसे मुख्यतः निम्नलिखित चार ऋतुओं को ही प्रभावी माना जाता है । वे निम्नलिखित हैं :
(1) शीत ऋतु – मध्य नवम्बर से मध्य मार्च ।
(2) ग्रीष्म ऋतु – मध्य मार्च से मध्य जून तक ।
(3) वर्षा ऋतु – मध्य – जून से मध्य सितम्बर तक ।
(4) लौटती मानसून ऋतु मध्य सितम्बर से मध्य नवम्बर तक ।
इन चारों में हम वर्षा ऋतु को ही महत्व देंगे कारण की यही ऋतु भारत की अर्थव्यवस्था पर प्रभावी रहती है तथा भारतीय किसान इस ऋतु की बड़ी बेसब्री से प्रतीक्षा करते हैं।

वर्षा ऋतु जून महीने में गर्मी चरम पर रहती है, लेकिन 15 जून के बाद मौसम में एकाएक बदलाव आता है । दक्षिण-पश्चिम हवाएँ बहने लगती हैं। इन्हीं हवाओं को मानसूनी हवा कहते हैं । इन हवाओं का परिणाम होता है कि आसमान काले-काले बादलों से आच्छादित रहने लगता है । बादल गरजने लगते हैं, बिजली चमकने लगती है । इसके साथ ही पानी का बरसना शुरू हो जाता है। जुलाई के पहले सप्ताह तक मानसूनी हवाएँ पूरे भारत को अपने गिरफ्त में ले लेती हैं तथा सभी जगह कुछ-न-कुछ और कभी-न- कभी पानी बरसने लगता है । कहीं-कहीं तो मूसलधार वर्षा होती है । गर्मी गायब हो जाती है । किसान अपने हल बैलों के साथ खेत में पहुँचने लगते हैं और खरीफ फसल की ‘तैयारी में लग जाते हैं ।
मॉनसूनी हवाएँ भारत में पहुँचते ही दो शाखाओं में बँट जाती हैं । पहली शाखा अरब सागर शाखा तथा दूसरी बंगाल की खाड़ी शाखा के नाम से जानी जाती है । उत्तर भारत में पश्चिम बंगाल की खाड़ी शाखा से वर्षा होती है तथा दक्षिण-पश्चिम भारत में अरब सागर शाखा से । वर्षा का वितरण और उसकी मात्रा भारतीय स्थलाकृति एवं उच्चावच से प्रभावित होती है ।
अरब सागर शाखा पश्चिमी घाट पहाड़ से टकराकर ऊपर उठती है और उसके पश्चिमी भाग में भारी वर्षा करती है । पूर्वी भाग वृष्टि छाया में पड़ने के कारण वर्षा से वंचित रह जाता या वहाँ कम वर्षा होती है ।
बंगाल की खाड़ी शाखा की मानसूनी हवाएँ उत्तर की ओर बढ़ती हुई असम-मेघालय में पहुँचकर पूर्वांचल तथा गारो, खासी व जयंतिया पहाड़ों से टकड़ाकर मेघालय तथा असम घाटी में भारी वर्षा करती है
ये हवाएँ अब देश के उत्तर-पश्चिम स्थित निम्न दाब क्षेत्र की ओर बढ़ना तथा बरसना आरम्भ कर देती हैं। ये जैसे-जैसे पश्चिम की ओर बढ़ती जाती है वैसे-वैसे वर्षा की मात्रा कम होती जाती है । असम के बाद सर्वप्रथम पश्चिम बंगाल में 118 से 120 सेमी, बिहार में लगभग 100 सेमी, उत्तर प्रदेश में 100 तथा 90 सेमी के बीच, दिल्ली में 55 सेमी और क्रमशः हरियाणा, पंजाब में कम वर्षा देती हुई राजस्थान के पूर्वी भाग में मांत्र 10 सेमी वर्षा दे पाती हैं और इसका पश्चिमी भाग सूखा रह जाता है, जिस कारण वहाँ मरुस्थल विकसित हो गया है।

प्रश्न (ग) भारत की जलवायु के मुख्य कारकों को स्पष्ट कीजिए ।
उत्तरभारत की जलवायु के मुख्य कारण हैं: (i) अक्षांश, (ii) समुद्रतल से ऊँचाई, (iii) वायु दाब, (iv) हवाओं की दिशा और (v) जल एवं स्थल का वितरण ।

(i) अक्षांश – भारत की जलवायु को अक्षांश रेखाएँ भी प्रभावित करती हैं। अक्षांश रेखाएँ देश की अवस्थिति को बताती हैं। कर्क रेखा (23.5°3′) भारत के मध्य से गुजरती हैं। इस रेखा के उत्तर में उपोष्ण जलवायु पाई जाती है तथा दक्षिण में उष्ण कटिबंधीय जलवायु पाई जाती है । इसका परिणाम होता है कि दक्षिण भारत गर्म एवं उत्तर भारत अपेक्षाकृत ठंडा रहता है। इस प्रकार अक्षांशों की स्थिति को हम जलवायु के मुख्य कारकों में एक मुख्य कारक मान सकते हैं ।

(ii) समुद्रतल से ऊँचाई – जो स्थान समुद्रतल से जितना ऊँचा रहता है, वह स्थान उतना ही ठंडा रहता है तथा जो स्थान जितना भी कम ऊँचा रहता है वह उतना ही गर्म रहता है । महान हिमालय की औसत ऊँचाई 6000 मीटर है, इस कारण यहाँ सालो भर वर्फ जमा रहा है। मैदानी क्षेत्र औसतन 150 मीटर के लगभग ऊँचे हैं तथा तटीय क्षेत्र औसतन 30 मीटर । इसी का परिणाम होता है कि मैदानी क्षेत्र की अपेक्षा तटीय क्षेत्र गर्म रहते हैं ।

(iii) वायुदाब – वायुदाब भारत की जलवायु को विशिष्टता प्रदान करता है । वायुदाब का ही परिणाम होता है कि विषुवत रेखा क्षेत्र की ओर हवाओं का आना जारी रहता है। हवाएँ उपोष्ण कटिबंधीय उच्चदाब पेटी से उष्ण कटिबंधीय निम्न दापपेटी अर्थात स्थल की ओर से समुद्र की ओर चलने लगती हैं । फलतः ये तापमान को बढ़ा देती हैं और गर्मी महसूस होती है और वर्षा भी नहीं होती ।

(iv) हवाओं की दिशा – हवाओं की दिशा से भी भारतीय जलवायु प्रभावित होती है । थार की ओर से आनेवाली पछुआ हवा से देश में गर्मी बढ़ती है और कितने लोग गर्म हवा के शिकार होकर बीमार तक पड़ जाते हैं। वहीं समुद्र की ओर से चलनेवाली पुरवा हवा से गर्मी से राहत मिलती है । समुद्र की ओर से आनेवाली हवाओं से वर्षा भी होती है, जो जलवायु को प्रभावित करती है ।

(v) जल एवं स्थल का वितरण – भारतीय जलवायु यहाँ के जल तथा स्थल के वितरण से भी प्रभावित होती है । समुद्र तटीय क्षेत्र में वर्ष भर न अधिक जाड़ा पड़ता है और न ही अधिक गर्मी पड़ती है । जल भाग देर से गर्म होता है और देर से ही ठंढा होता है। फलतः वार्षिक तापांतर बहुत कम होता है या होता ही नहीं । दूसरी ओर समुद्र से दूर स्थल भाग में गर्मी में अधिक गर्मी तथा जाड़े में अधिक जाड़ा पड़ता है । तात्पर्य की वार्षिक तापांतर अधिक रहता है

प्रश्न (घ) जेट घोराऐं क्या हैं तथा भारतीय जलवायु पर उनका क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर- जेट धाराएँ ऊपरी वायु परिसंचरण का एक अंश होती हैं । चूँकि ऊपरी वायु परिसंचरण भारत में पश्चिमी प्रवाह से प्रभावित रहता है, इसका फल होता है कि ये हवाएँ 27° से 30° उत्तरी अक्षांशों के बीच वायु मंडल के ऊपरी भाग में चलती हैं। अतः इन्हें उपोष्ण कटिबंधीय पश्चिमी जेट धाराओं का नाम दिया जाता है। ये जाड़े के दिनों में सितम्बर से मार्च तक हिमालय के दक्षिणी ढाल की ओर चला करती हैं। इससे भारत के उत्तर एवं उत्तर-पश्चिमी भाग में पश्चिमी चक्रवातीय विक्षोभ उत्पन्न हो जाता है। इस विक्षोभ का परिणाम होता है कि वर्षा की झड़ी लग जाती है। गर्मी के दिनों में सूर्य कर्क रेखा के ऊपर चमकते रहता है। इससे पश्चिमी जेट धारा हिमालय के उत्तरी छोर की ओर खिसक जाती है। इसी समय एक अन्य पूर्वी जेट धारा जो उष्ण कटिबंधीय पूर्वी जेट धारा कहलाती है। गर्मी में (अप्रैल से अगस्त तक) दक्षिण भारत के ऊपर लगभग 14° उत्तरी अक्षांश के आस-पास बहती है तथा बंगाल, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश आदि के तटीय भाग में कभी-कभी तूफानी हवा के साथ वर्षा करती है। इस स्थिति के निर्माण में वायु दाब में अंतर तथा पवन की दिशा मुख्य कारक कान कान करते हैं ।
कुल मिला-जुलाकर हम देखते हैं कि जेट धाराएँ चाहे जहाँ भी चलें भारी वर्षा का कारण बनती हैं तथा क्षेत्र विशेष में मौसम पर अपना प्रभाव डालती हैं।

प्रश्न (ङ) भारत में होनेवाली मानसूनी वर्षा एवं उसकी विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर सम्पूर्ण भारत में मानसून का अर्ध वर्षा ही समझा जाता है। देश में अच्छा मानसून का अर्ध अच्छी वर्षा समझा जाता है। भारत में मानसूनी हवाओं की दिशा 6 नाह दक्षिण-पश्चिन और 6 नाह तक उत्तर-पूर्व की ओर रहता है।
जून के महीने में सूर्य जब कर्क रेखा के आसपास लम्बत किरणें फैलाता है तब भारत का उत्तर-पश्चिम भाग अत्यन्त गर्न हो जाता है। इसका फल होता है कि इस पूरे क्षेत्र में एक वृहत् तथा गहन न्यून वायुदाब का क्षेत्र विकसित हो जाता है। इसके विपरीत मकर रेखा के आसपास सूर्य की तिरछी किरणों के कारण तापीय प्रभाव कम रहता है। परिणामस्वरूप तुलनात्मक दृष्टि से इस पूरे क्षेत्र में उच्च दाब का क्षेत्र बन जाता है। यहाँ की वायु राशि भारत में विकसित निम्न दाब क्षेत्र की ओर बढ़ना आरंभ कर देती है। यह वायु राशि जब विषुवत् रेखा को पार करती है, तब फेरेल के नियम का पालन करते हुए अपनी दाहिनी ओर मुड़ जाती है। यह मुड़कर उत्तर-पूर्व दिशा में चलती हुई भारत के केरल तट पर पहुँचती है। यह वायु दक्षिण-पश्चिम मानसून के नाम से जानी जाती है। वास्तव में ये दक्षिण-पूर्वी सन्मार्गी हवाओं का ही विस्तार होता है। ये हजारों किलोमीटर समुद्री मार्ग तय कर आने के कारण अपने साथ प्रचुर मात्रा में जलवाप्य लाती हैं। सर्वप्रथम यह 1 जून को केरल तट तक पहुँचता है और शीघ्र ही 13 से 15 जून तक मुंबई, कोलकाता होते हुए नव्य जुलाई तक सम्पूर्ण भारत में फैल जाता है। मानसूनी हवाओं के मार्ग में पहाड़ जैसी रुकावट बनता है ये ऊपर उठकर घनीभूत हो जाती हैं और भारी वर्षाकाठी हैं। पश्चिमी घाट का पश्चिमी बाल तथा हिमालय के दक्षिणी ब्लान पर अधिक वर्षा का यही कारण है। पहाड़ के अभिमुख ढाल पर भारी वर्षा होती है, जबकि इसका विमुख भाग सूखा ही रह जाता है, क्योंकि यह वृष्टि छाया में पड़ जाता है। पश्चिमी घाट पहाड़ के पूर्वी भाग में कम वर्षा का यही कारण है।
दक्षिण- मानसून जिन क्षेत्रों को खाली करता है वहाँ उत्तर-पूर्वी मानसून अपना प्रभाव जमा लेता है । यह समय लगभग मध्य नवम्बर से मध्य मार्च का रहता है। इससे दक्षिण तटीय प्रदेशों में भारी वर्षा होती है, जैसे खासकर तमिलनाडु और कर्नाटक में । इस अवधि में कभी-कभी पछुआ पवन की पेटी कुछ दक्षिण की ओर खिसक जाती है, जिससे विक्षोभ उत्पन्न होता है तथा उत्तर भारत में वर्षा होती है जो रब्बी के लिए लाभदायक होती है ।

प्रश्न (च) एल निनो एवं ला निनो में अंतर स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर- एल निनो गर्म जलधारा है जबकि ला निनो ठंडी धारा है। ये गर्म या ठंडी धाराएँ जब चलती हैं तब तटीय क्षेत्रों पर प्रभाव डालती हैं । ‘एल निनो’ की गर्म धाराएँ कभी-कभी ही उत्पन्न होती हैं । यह गर्म धारा दक्षिण अमेरिका के पेरू एवं एक्वाडोर देशों के प्रशांत तटीय भाग में उत्पन्न होती है । फलतः अचानक उस क्षेत्र में तापमान 5° से 10° तक बढ़ जाती है । जब यह धारा पूर्वी द्वीप समूह क्षेत्र में पहुँचती है तो वहाँ निम्न दाब का क्षेत्र बन जाता है । इस कारण दक्षिण-पश्चिम मानसून की हवाएँ इस निम्न दाब की ओर बढ़ जाती हैं । फलतः उत्तर भारत में सामान्य से कम ही वर्षा होती है और सूखे की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इसके विपरीत ला निनो, जो ठंडी धारा है, की उत्पति कभी-कभी पेरू तट पर ही होती है । पूर्वी द्वीप समूह में पहुँचकर ठंडा होने के कारण वायु दाब को बढ़ा देती हैं अर्थात उस क्षेत्र में उच्च दाब का प्रभाव बढ़ जाता है। उच्च दाब के कारण उस क्षेत्र से चारों ओर हवाएँ फैलने लगती हैं, जिसका कुछ भाग भारत में पहुँचकर दक्षिण-पश्चिम मानसूनी हवा में जल की मात्रा को बढ़ा देती है । इस कारण भारत में उस वर्ष भारी वर्षा होती है और बाढ़ तक की स्थिति आ जाती है । इसके प्रभाव से आस्ट्रेलिया, दक्षिण-पूर्व एशिया तथा चीन में भी भारी वर्षा होती है।
इस प्रकार यदि संक्षेप में कहना पड़े तो हम कहेंगे कि ‘एल निनो’ गर्म समुद्री धारा हैं जबकि ‘ला निनो’ ठंडी समुद्री धारा हैं। दोनों ही दक्षिण अमेरिका में ही उत्पन्न होती हैं और भारतीय मानसून में दखल दे बैठती हैं । ‘एल निनो’ के प्रभाव से भारत में कम वर्षा होती है जबकि ‘ला नीनो’ के प्रभाव से भारत में भारी वर्षा होती है ।
मौसम वैज्ञानिकों का यह मानना है कि ‘एल निनो’ तथा ‘ला निनो’ के अध्ययन से भारत में मानसून की भविष्यवाणी करना आसान होता है ।

मानचित्र कार्य :

प्रश्न : पूर्ण पृष्ठ पर भारत का मानचित्र बनाकर निम्नलिखित को दर्शाइए :
(क) 400 सेमी से अधिक वर्षा का क्षेत्र ।.
(ख) 20 सेमी से कम वर्षा का क्षेत्र ।
(ग) भारत में दक्षिण-पश्चिमी मानसून की दिशा ।
(घ) शीतकालीन वर्षा वाले क्षेत्र ।
(ङ) चेरापूँजी, मौसिमराम, जोधपुर, मंगलोर, उटी, नैनीताल ।
उत्तर –

परियोजना कार्य :
आप एक तालिका बनाइए जिसमें मौसम अथवा ऋतु के अनुसार गीत एवं नृत्य, भोजन के विशेष सामान तथा वस्तुओं को सूचीबद्ध कीजिए ।
उत्तर- संकेत : यह परियोजना कार्य है, अतः छात्र इसे स्वयं करें।

कुछ अन्य प्रमुख प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. मुख्यत: किन तत्वों ने भारतीय जलवायु को प्रभावित किया है ?
उत्तरभारत का लगभग आधा भू-भाग कर्क रेखा के दक्षिण में है, जो उष्णकटिबंध में है तथा आधा भाग उत्तर में है, जो नार की दृष्टि से उपोष्ण कटिबंध में है। उत्तरी सीमा पर महान हिमालय तथा दक्षिण-पूर्व दक्षिण-पश्चिम सीमाओं पर हिन्द महासागर, अरब सागर तथा बंगाल की खाड़ी (बंगे। सागर) ने भारत की जलवायु को काफी प्रभावित किया है ।

प्रश्न 2. मौसम तथा जलवायु में क्या अंतर है ?
उत्तरमौसम दिन-प्रतिदिन बदलनेवाला होता है लेकिन जलवायु लगभग स्थाई होती ता है। मौसम एक दिन में कई रूप धारण कर सकता है लेकिन जलवायु में बहुत ड़ा अंतर कभी नहीं आता । उदाहरण के लिए आज दिन में भारी गर्मी थी. लेकिन जल्दी ही हवा बहने लगी, बादल छा गए और वर्षा हो गई जिससे दिन सुहावना हो गया । हालाँकि ऐसा प्रतिदिन नहीं होता ।
एक विस्तृत क्षेत्र में लगभग 30-40 वर्षो के औसत मौसम से जलवायु को निश्चित किया जाता है। इसमें मौसमी तथा वायुमंडलीय विशेषताओं को भी शामिल किया जाता है। इस प्रकार संक्षेप में कहें तो कह सकते हैं कि नित्य प्रति की वायुमंडलीय स्थिति को मौसम तथा एक लम्बी अवधि तक बने रहनेवाले मौसम को जलवायु कहते हैं।

प्रश्न 3. व्युत्पति के आधार पर ‘मानसून’ शब्द का अर्थ बताइए । भारत में इसका क्या महत्व है ?
उत्तर- मानसून शब्द की उत्पत्ति अरबी भाषा ‘मौसिम’ से हुई है, जिसका सीधा अर्थ है ‘मौसम’। ‘मौसिम’ शब्द का उपयोग सर्वप्रथम अरब के नाविकों ने उन हवाओं के लिए किया जो ऋतु के बदलते ही अपनी दिशा भी बदल लेती थीं। कालक्रम से ‘मौसिम’ से ‘मौसम’ तथा बाद में ‘मानसून’ शब्द का उपयोग होने लगा ।
भारत में मानसून का महत्व इस कारण है, क्योंकि इसी की हवाओं से भारत में वर्षा होती है, जो खेती के लिए वरदान स्वरूप है ।

प्रश्न 4. कहा जाता है कि भारत में एकता के बीच विविधता पाई जाती है । तापमान के सम्बंध में आप क्या कहेंगे? वस्त्र और भोजन के विषय में भी बताइए ।
उत्तर – तापमान के विषय में भी हम यही कहेंगे । कारण कि भारत एक भौगोलिक इकाई है, इस कारण यह एक है या इसमें एकता है। वहीं तापमान में भिन्नता पाई जाती है। उत्तर में जिस समय कारगिल का तापमान – 40°C रहता है, वहीं दक्षिण तिरुवनन्तपुरम तथा चेन्नई में 25° से 30°C के बीच रहता है तथा राजस्थान के बाड़मेर में 50°C तक पहुँच जाता है। इस प्रकार भारत भौगोलिक दृष्टि से तो भारत एक है, लेकिन तापमान की दृष्टि से इसमें काफी विविधता है। तापमान में विविधता रहने से वस्त्र एवं भोजन में भी विविधता आ जाती है ।

प्रश्न 5. गर्म एवं ठंडी धारा से आप क्या समझते हैं? इसके प्रभाव को भी रेखांकित करें ।
उत्तर – गर्म एवं ठंडी धाराएँ समुद्र में चला करती है। इसका प्रभाव यह पड़ता है कि गर्म धारा जिस तट से होकर गुजरती है वहाँ का तापमान बढ़ जाता है तथा ठंडी धारा जिस तट से होकर गुजरती है वहाँ के तापमान को कमकर देती है। गर्म एवं ठंढी धाराओं के मिलन स्थान पर कुहासा छा जाता है, जिससे जहाजों को चलने में कठिनाई होती है ।

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