क्रियताम् एतत् Subjective Questions

त्रयोविंशति: पाठ:  क्रियताम् एतत् (ऐसा करें)

  1. लोगों के लिए क्या करणीय, पालनीय एवं वक्तव्य है?

उत्तर- लोगों को परोपकार एवं सज्जनों की संगति करनी चाहिए। सत्य बोलना चाहिए एवं दान धर्म का पालन करना चाहिए।

  1. ‘क्रियताम एतत्’ पाठ का उद्देश्‍य क्या है?

उत्तर- इस पाठ का मुख्य प्रयोजन लोगों को व्यावहारिक जीवन में कुशल बनाना है। हमें क्या करना चाहिए इस बात की सम्यक् जानकारी दी गई है। मानव किस प्रकार आसानी से संस्कारयुक्त होकर कर्मपथ पर अग्रसर होकर जीवन में सफल हो सकता है। इसका सम्यक ज्ञान देना ही पाठ का मुख्य प्रयोजन है।

प्रियं भारतम् Subjective Questions

द्वाविंशति: पाठ:

प्रियं भारतम् (प्रिय भारत)

  1. कवि को कैसा भारत प्रिय है?

उत्तर- कवि सदैव चमकते हुए भारत को अपने मन में विद्यमान रखना चाहता है। जिस भारत की कटि विन्ध्याचल, कमरबन्द गोदावरी एवं गंगा, मस्तक हिमालय जैसा गर्वोन्नत है तथा जिसके चरणों को सागर पखार रहे हैं वह भारत कवि को प्रिय है।

  1. कवि ने भारत के कुछ महापुरुषों को उनके किन कर्मों के कारण स्मरण किया है?

उत्तर- भारत में शिवि तथा दधीचि जैसे दानी हए हैं। चन्द्रशेखर, भगत सिंह एवं बिस्मिल जैसे लोगों ने भारत की अस्मिता की रक्षा के लिए कुर्बानी दी है। गाँधीजी ने देश के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। प्रजातन्त्र के समर्थक एवं विश्व के प्रिय नेता पंडित जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, राजेन्द्र प्रसाद, अब्दुल हमीद आदि ने अपने कर्म से भारत का सिर ऊंचा किया। इस प्रकार कवि ने विभिन्न महापुरुषों को राष्ट्र प्रेम, दानवीरता, परोपकार, समाज सेवा इत्यादि के लिए स्मरण किया है।

भारतभूषा संस्कृतभाषा Subjective Questions

एकविंशतिः पाठः

भारतभूषा संस्कृतभाषा (भारत की शोभा संस्कृत भाषा है।)

  1. संस्कृत भाषा की विशेषता क्या है?

उत्तर- संस्कृत मधुर, सरस एवं सरल भाषा है। यह भारत की गौरवपूर्ण भाषा है। यह प्रत्येक भारतीयों के हदय में आनन्द प्रदान करती हैं। इससे भारतीय संस्कृति की रक्षा होती है। इससे राष्ट्र का पूर्ण विकास संभव है।

  1. ‘भारतभूषा संस्कृतभावा’ पाठ में कवि की क्या आकांक्षा है?

उत्तर- पाठ से प्रतीत होता है कि कवि संस्कृत भाषा का सम्यक् विकास चाहता है। उसकी अभिलाषा है कि सम्पूर्ण संसार में संस्कृत भाषा पुर्णरूपेण प्रयुक्त हो। विश्व संस्कृत की बोली से गुंजायमान हो। घरती सुसंस्कृत एवं संस्कृतमय हो।

  1. कवि की भारतीयों से क्या अपेक्षा है?

उत्तर- कवि भारतीयों से आशा करता है कि देश की प्राचीन भाषा संस्कृत को अक्षुण्ण बनाये रखेंगे। भाषा एवं राष्ट्र के प्रति श्रद्धा रखेंगे। भारतीयों का पेशा पवित्र होगा। मन, वचन तथा कर्म से संस्कृत के विकास में तत्पर रहेंगे।

समयप्रजा Subjective Questions

विंशतिः पाठः

समयप्रजा (समय की पहचान )

  1. ‘समयप्रज्ञा’ पाठ से हमें क्या शिक्षा मिलती है?

उत्तर- प्रस्तुत पाठ में समय की महत्ता को बताया गया है। उचित समय पर बुद्धिमानी का प्रयोग करके कार्य सिद्ध किया जा सकता है। समयानुसार उपयुक्त उपाय करना चाहिए। बुद्धि से कठिन-से-कठिन समस्या का आसानी से समाधान किया जा सकता है।

  1. दुर्गादास ने बाघ को देखकर उसकी बातें नहीं कहके चोर-चोर हल्ला क्यों किया?

उत्तर- दुर्गादास ने जब बाघ को देखा तब उसे मारने के लिए अविलम्ब अत्यधिक लोगों की आवश्यकता थी। उसे ज्ञात था कि बाघ का नाम सुनते ही लोग अपने-अपने घरों में दरवाजा बंद करके छुपे रह जायेंगे, जबकि चोर का नाम सुनकर लोग हथियार लेकर शीघ्रातिशीघ्र जमा हो जायेंगे। तत्पश्चात् उस संगठित शक्ति का उपयोग बाघ रूपी संकट के समाधान में किया जा सकेगा। ऐसा विचार कर अपनी बुद्धि का उचित समय प्रदर्शन करते हुए उसने चोर-चोर डल्ला किया।

जागरण-गीनम् Subjective Questions

एकोनविंशतिः पाल

जागरण-गीनम् ( जागरण-गीत)

  1. हमें लक्ष्य प्राप्ति के लिए कौन प्रेरित कर रही है।

उत्तर- हमारे पूर्वजों की विजय परमरा हमें विजय प्राप्ति की प्रेरणा दे रही है। हमें पूर्वजों का यशरूपी वैभव मिला है। हमारे पूर्वजों की कीर्ति हमें लक्ष्य प्राप्ति के लिए प्रेरित कर रही है।

  1. ‘जागरण गीत’ के माध्यम से किन्हें जागरूक करने का प्रयास है और क्यों?

उत्तर- ‘जागरण गीत’ के द्वारा देश के नौजवानों को जगाया गया है। यह गीत राष्ट्र चेतना का स्वरूप है। देश को अग्रसर करते हुए संसार में मानवता स्थापित करने की प्रेरणा इस गीत में निहित है। नौजवानों को जागरूकता से ही मानवता की दानवता पर विजय प्राप्त करना संभव है।

सत्यप्रियता Subjective Questions

अष्टादशः पाठः

सत्यप्रियता

  1. ‘सत्यप्रियता’ पाठ के आधार पर विधानचन्द्र के गुणों का वर्णन करें। (2013A)

उत्तर- विधानचन्द्र राय सत्यप्रिय थे। वे मेधाव भी थे। उनमें काम करने की असीम क्षमता थी। वे कुशल राजनेता भी थे। उनमें सफल चिकित्सक का गुण भी था।

  1. विधानचन्द्र राय पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।

अथवा, ‘सत्यप्रियता’ पाठ के आधार पर विधानचन्द्र के चरित्र का वर्णन करें। (2013A)

उत्तर- विधानचन्द्र राय महान राजनीतिज्ञ एवं चिकित्सक थे। भारत रत्न की उपाधि से पुरस्कृत बंगाल के मुख्यमंत्री थे। वे अत्‍यन्त प्रतिभाशाली थे। उन्होंने प्रत्येक परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया। वे सत्यनिष्ठ थे। सत्य मार्ग पर चलना उनके लिए सबसे बड़ा धर्म था।

राष्ट्रस्तुति Subjective Questions

सप्तदशः पाठः

राष्ट्रस्तुति (राष्ट्र की प्रार्थना)

  1. राष्ट्रस्तुति के आधार पर भारत के विशिष्ट स्वरूप का चित्रण अपने शब्दों में करें।

उत्तर- राष्ट्ररूपी देवता अखण्ड भारत अति सुशोभित है। उत्तर दिशा में विशाल आकृति वाला पर्वतराव हिमालय प्रहरी रूप में अवस्थित है। विनम्र सेवक की भांति तीन ओर सागर इसका पैर धो रहा है। यहाँ के हरे-भरे खेत रमणीय हैं। इस राष्ट्र की शोभा अनुपम है।

  1. भारत ‘विश्वगुरू’ क्यों कहलाया?

उत्तर- धरती पर भारत एक विशिष्ट भूखण्ड है। दुनिया में सर्वप्रथम ज्ञानोदय इसी भूखण्ड पर हुआ। भारत में ही उत्कृष्ट मानवीय जीवन-शैली विकासित हुई। ज्ञान अन्वेषण के पश्चात् यहाँ से विश्व को ज्ञान दिया गय। यहीं वेद, पुराण, उपनिषद् इत्यादि ग्रन्थों की रचना हुई। प्राचीन विश्वविद्यालय भारत में ही था जहाँ से शिक्षा प्राप्त कर दुनिया के लोग आगे बढ़े। संसार को ज्ञान, सभ्यता, संस्कार एवं सही दिशा देने के करण यह विश्गुरु कहलाया।

कन्याया: पतिनिर्णयः Subjective Questions

षोडशः पाठः

कन्याया: पतिनिर्णयः (पत्ति के लिए कन्या का निर्णय)

  1. कन्यायाः पनि निर्णयः पाठ से क्या संदेश मिलता है?

उत्तर- प्रस्तुत पाठ उच्‍च आकांक्षा के महत्त्व को प्रदर्शित करता है। उच्‍चाकांक्षा व्यक्ति को जीवन-पथ पर अग्रसर करता है। महत्त्वाकांक्षा व्यक्ति को दृढ़ निश्चयी बनाते हुए लक्ष्य प्राप्ति की ओर बढ़ते रहने के लिए प्रेरित करता है। यह व्यक्ति को एक जगह स्थिर रहने नहीं देता है जिसके कारण अन्तत: व्यक्ति लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है, अतः अपनी सोच ऊँचा रखना चाहिए।

  1. महत्त्वाकांक्षिणी कन्या की मनोकामना किस प्रकार पूर्ण?

उत्तर- महत्त्वाकांक्षणी ब्राह्मण कन्या सर्वश्रेष्ठ पति की अभिलाषा रखती थी। सर्वप्रथम राजा को श्रेष्ठ मानकर उसे ही मन में मति मानते हुए उसके पीछे-पीछे चल पड़ी तत्पश्चात् जब राजा ने एक साधु का चरण स्पर्श किया तब वह साधु को पति मानते हुए उसके पीछे चल दी। साधु ने शिव मंदिरों में शिवलिंग को स्पर्श करते हुए नमन किया, अत: वह शिव को ही पति मानकर मंदिर में खाने लगी। उसके बाद वन कुत्ता शिव पूर्ति पर अर्पित प्रसाद को खाने लगा तब वह उसी को अपना पति मान लेती है। अन्तत: जब कुता के पीछे-पीठे चली तव कुत्ता एक ब्राह्मण कुमार के समीप जाकर उसका पैर चाटने लगा। तब ब्राह्मण को श्रेष्ठ मानते हुए, उसी से उसने विवाह किया। इस प्रकार उसकी मनोकामना पूर्ण हुई।

जयतु संस्कृतम् Subjective Queations

पंचादशः पाठ:

जयतु संस्कृतम् (संस्कृत की जय हो)

  1. संस्कृत भाषा की विशेषताओं को लिखें।

उत्तर- संस्कृत शुद्ध, सभ्‍य तथा देवभाषा है। यह कल्याणकारी है। यह सुन्दर राग, ताल और लययुक्‍त है। संस्कृत भाषा सरल एवं सुबोध है। यह सीखने में आसान है। अतः यह विशिष्ट भाषा है।

  1. हमें संस्कृत क्यों सीखना चाहिए?

उत्तर- संस्कृत सीखने से हम संस्कारवान होते हैं। इसके अध्ययन से चारों प्रकार के पुरुषार्थ की प्राप्‍ति होती है। इससे उत्तम आचरण का ज्ञान होता है। इसके अध्ययन से संसार में मानवता की स्थापना संभव है। यह विश्व में एकता स्थापित करने वाली है, अत: हमें संस्कृत अवश्य सीखना चाहिए।

वणिजः कृपणता Subjective Questions

चतुर्दशः पाठः

वणिजः कृपणता (व्यापारी की कंजूसी)

  1. ‘वणिजः कृपणता’ पाठ में निहित संदेश को स्पष्ट करें।

उत्तर- पाठ के माध्यम से बताया गया है कि ईमानदारी सर्वोतम नीति है। लोभ पाप का मूल है। व्यक्ति को संतोष सुखी बनाता है। अत्यधिक लोभ करने से एवं झूठ बोलने से व्यक्ति सबकुछ खो देता है। सत्यमार्ग पर चलकर ही धन एवं मान सम्मान प्राप्त होता है। अत्यधिक कंजूसी एवं झूठ हानिकारक होता है।

  1. धन वापस मिलने पर व्यापारी ने पुरस्कार की राशि चार सौ रुपये बचाने के लिए क्या किया?

उत्तर– जब मुखिया के प्रयास से व्यापारी का खोया हुआ धन वापस मिल गया तब उसे घोषित पुरस्कार की राशि चार सौ रुपये देना बोझस्वरूप लगा। इसके लिए वह झूठ का सहारा लेते हुए सबके समक्ष गणना करते हुए चार हजार रुपये को चार हजार चार सौ रुपये बताकर वृद्धा पर चार सौ रुपये लेने का अरोप मढ़ दिया। उसने कहा कि वृद्धा अपने पुराकार की राशि स्वयं ले चुकी है। इसे धन देने की आवश्यकता नहीं है। इस तरह उसने धन बचाने का झूठा प्रयास किया।