शुकेश्वराष्टकम् Subjective Questions

त्रयोदशः पाठः

शुकेश्वराष्टकम् (शुकेश्वर अष्टक)

  1. शुकेश्वर महादेव के सुशोभित रूप का वर्णन करें।

उत्तर- शुकश्वर तीन आँखों से युक्त हैं। गंगाजल से सदा सिर गीला रहता है। उनका वस्त्र गजचर्म है एवं हाथ में त्रिशुल धारण किये हुए हैं। द्वितीया के

चन्द्रमा से शोभायमान भगवान शिव का रूप दिव्‍य है।

  1. ‘शुकश्वराष्टकम्’ में किसकी वन्दना की गई है और आराध्य देव के किन गुणों का स्मरण किया गया है?

उत्तर- प्रस्तुत अष्टक में शुकेश्वर महादेव को वन्दना की गई है। वे परोपकारी की मनोकामना पूर्ण करने वाले हैं। कामदेव के अहंकार को चूर करने वाले एवं अज्ञानरूपी अंधकार को दूर करनेवाले हैं। ये सज्जनों को सदा सुरक्षा प्रदान करते हैं। आदिदेव उमापति भवसागर से पार उतारने वाले हैं। इस तरह से कल्याणकारी महादेव का स्मरण किया गया है।

स्वामिनः विवेकानन्दस्य व्यथा Subjective Questions

द्वादश: पाठ:

स्वामिनः विवेकानन्दस्य व्यथा (स्वामी विवेकानन्द की व्यथा)

  1. 1893 ई0 में विश्व धर्म सम्मेलन कहाँ हुआ था? (2015A)

उत्तर- अमेरिका के शिकागो शहर में हुआ था।

  1. अमेरिका प्रवास के दरम्यान रात्रि विश्राम के समय विवेकानन्द क्यों रोने लगे थे?

 उत्तर- भोजनोपरान्त जब वे शयनकक्ष में सोने के लिए गए तब उन्हें अपने देश के गरीब बन्धु-बान्धवों को याद आ गयी। वहाँ की व्यवस्था देखकर उन्हें अनुभव हुआ कि उनके देश में अधिकतर लोग कितना दयनीय स्थिति में जीवन व्यतीत करते हैं। अधिकतर लोगों को अच्छा भोजन एवं आरामदायक बिछावन नसीब नहीं है। इन बातों का स्मरण ही उन्हें रोने को विवश कर दिया।

  1. ‘स्वामिनः विवेकानन्दस्य व्यथा’ पाठ में विवेकानन्‍द के किस गुण को उजागर किया गया है?

उत्तर- प्रस्तुत पाठ में विवेकानन्द की राष्ट्रभक्ति उद्घाटित है। पाठानुसार यह प्रतीत होता है कि वे देश के दीनहीन जनता के प्रति अपनत्व का भाव रखते थे। वे यहाँ की गरीब जनों का कल्पना करके रो पड़ते थे। पाठ में उनका परदु:खकातरता एवं सर्वे भवन्तु सुखिनः जैसे गुण का वर्णन किया गया है।

पर्यटनम् Subjective Questions

एकादशः पाठः

पर्यटनम् (देशाटन)

  1. पञ्चवटी का धार्मिक महत्व लिखें। (2015A)

उत्तर- वनवास गमन काल में लक्ष्मण और सीता के साथ पञ्चवट में हो राम ने निवास किया था। यहाँ दीर्घकाल तक सीता सुरक्षित रही थी। इस कारण से इस स्थान का विशिष्ट महत्त्व है।

  1. सीता गुफा से सम्बद्ध क्या कथा प्रचलित है?

उत्तर- सीता गुफा से जुड़ी हुई कथा है कि जब शूर्पणखा का नाक काट दिया गया तब राम के आश्रम पर राक्षसों का आक्रमण बढ़ गया। इसलिए राम ने सीता के लिए एक गुफा का निर्माण किया और उसमें सीता को सुरक्षित रखते हुए खरदूषण आदि चौदह हजार राक्षसों से युद्ध किया।

  1. धार्मिक दृष्टि से नासिक की विशेषताओं को लिखें।

उत्तर- भारत में कुम्भ मेला चार जगहों में लगी हैं जिनमें एक नासिक भी है। यह पवित्र नदी गोदावरी के तट पर अवस्थित है। शूर्पणखा की नाक कटने के कारण इसको नासिक कहा गया। पञ्चवटी भी उसी क्षेत्र में अवस्थित है। नासिक क्षेत्र के गोदावरी तट पर ही प्रसिद्ध शिव का स्थान त्र्यम्‍बकेश्‍वर भी अवस्थित है। इस प्रकार यह एक विशिष्ट स्थल है।

संस्‍कृतेन जीवनम् Subjective Questions

दशम: पाठ: संस्‍कृतेन जीवनम् (संस्कत से ही जीवन सफल होता है)

  1. संस्कृत भाषा की क्या-क्या विशेषताएं हैं?

उत्तर- संस्कृत मित्र जैसा आनन्द देनेवाला होता है। इससे वाचा-शक्ति शीघ्र बढ़ती है। इससे वाणी में ओजस्विता आती है। इसके अध्ययन से शाब्दिक ज्ञान में अधिकाधिक वृद्धि होती है। संस्कृत बोलने से अहंकार नष्ट होता है। संस्कृत मानव को विकासोन्मय बनाता है। अतः यह अति विशिष्ट भाषा है।

  1. ‘संस्कृत जीवन है’ कैसे?

उत्तर- संस्कृत वाणी में ओजस्विता, सरसता एवं मधुरता प्रदान करता है। संस्कृत में जीवन का सार ज्ञान निहित है। इसके माध्यम से ध्वनि में शाब्दिक जान, सदाचार का ज्ञान, धर्म एवं विज्ञान की जानकारी में वृद्धि होती है। इससे देवता प्रसन्न होते हैं। अत: संस्कृत जीवन है।

वृक्षै: समं भवतु मे जीवनम् Subjective Questions

अष्टमः पाठः

वृक्षै: समं भवतु मे जीवनम् (मेरा जीवन वृक्ष के समान हो।

  1. वृक्ष किस प्रकार परोपकार करता है?

उत्तर- वृक्ष भूख से व्याकुल व्यक्ति को अपना फल देकर तृप्ति प्रदान करता है, शरण में आए हुए को आश्रय प्रदान करता है, धूप से व्याकल व्यक्ति को अपनी शीतलता से शांति प्रदान करता है। इस तरह वृक्ष परोपकारी है।

  1. वृक्ष किस प्रकार जीवित एवं मृत दोनों अवस्था में उपकारी है?

उत्तर- वृक्ष जन्म से मरणोपरान्त दूसरों के उपकार के लिए समर्पित होता है। जीवित रहते हुए फल, वायु, छाया, पुष्‍प एवं सुगंध प्रदान करता है। मरणोपरांत जलावन, गृहोपयोगी विभिन्न सामग्रियाँ इत्यादि के रूप में हीतकारी है, अर्थात वृक्ष का सम्पूर्ण जीवन लोगों के लिए उपकारी है।

  1. ‘वृक्ष’ प्रत्येक ऋतु में किस प्रकार कर्मरत रहता है?

उत्तर- वृक्ष वसंतकाल में सुगंध बिखेरता है, फल प्रदान करता है, ठंड एवं गर्मी को धैर्यपूर्वक सहन करता है। वर्षा के समय प्रेममय हो जाता है, शिशिर के समय निडरता से ठंढ का सामना करता है तो हेमन्त के समय तपस्वी की भाँति ध्यानस्थ रहता है।

नवामः पाठः

अहो, सौन्दर्यस्य अस्थिरता (अहो, सौन्दर्य कितमा अस्थिर है।)

  1. मंत्री की उदासी का क्या कारण था?

उत्तर- मंत्री प्रजाहित के प्रति उत्तरदायी था। प्रजापालन उनके लिए परम कर्तव्य धा। लेकिन राजकुमार को अपने सौन्दर्य में लिप्त एवं प्रजापालन से विमख देखकर वे उदास हो गए। राजकुमार की प्रजापालन में अरुचि ने मंत्री को दु:ख पहुँचाया।

  1. राजकुमार का प्रजापालन में अरुचि का मुख्य कारण क्या था?

उत्तर- राजकुमार अद्वितीय सुन्दर था। उसे अपनी सुन्दरता पर गर्व था। वह प्रजा के प्रति सेवा एवं आदर भाव नहीं रखता था। वह हमेशा अपने सौन्दर्य के विषय में सोचता था। उसका सौन्दर्य-मोह ही प्रजापालन में बाधक था।

  1. ‘राजकुमार’ का सौन्दर्य-मोह कैसे दूर हुआ?

उत्तर- राजकुमार जब अपने सौन्दर्य सजावट में मग्न था तब मंत्री ने उसकी वर्तमान सुन्दरता को बीते हुए कल से कम बताया। रावकमार ने इसे प्रमाणित करने को कहा। मंत्री ने जल से भरे हुए पात्र से थोड़ा जल निकालकर सिपाही से प्रश्न करके सिद्ध किया कि जिस प्रकार जल से भरे हुए पात्र से थोड़ा जल निकलने पर जल की कमी का शीघ्र पता नहीं चलता है उसी प्रकार दिन-प्रतिदिन घटते हुए सौन्दर्य का अनुभव शीघ्र नहीं होता। लेकिन यह अस्थायी है। स्थायी तो कीर्ति और यश है जो कर्तव्यपालन, सुकर्म और उद्यम से स्थापित होता है। इस प्रकार मंत्री के व्यावहारिक ज्ञानोपदेश से राजकुमार का सौन्दर्य-मोह भंग हुआ।

भीम-प्रतिज्ञा Subjective Questions

सप्तमः पाठः

भीम-प्रतिज्ञा (भीष्म की प्रतिज्ञा)

  1. भीष्म-प्रतिज्ञा’ के आधार पर ‘थीवर’ के चरित्र का वर्णन करें। (2011A)

उत्तर- भीष्म प्रतिज्ञा पाठ का धीवर मल्लाहों का राजा और सत्यवती का पिता है। इसमें एक उत्तरदायी पिता के सारे गुण विद्यमान हैं। कोई भी उत्तरदायी पिता अपनी संतान के भविष्य को सुरक्षित और उसके जीवन को सुखी बनाना अपना कर्त्तव्य समझता है। इसका निर्वाह धीवर ने कुशलतापूर्वक किया है। वह राजा शान्तनु के सत्यवती से विवाह करने के आग्रह को तब तक नहीं स्वीकारता है जब तक कि उनके ज्येष्ठ पुत्र देवव्रत पिता का उत्तराधिकारी नहीं बनने और आजीवन ब्रह्मचर्य रहने की भीष्म प्रतिज्ञा नहीं करते हैं। धीवर चतुर, धैर्यवान, निर्भीक और महत्त्वाकांक्षी व्यक्ति है।

  1. ‘भीष्मप्रतिज्ञा’ पाठ से क्या शिक्षा मिलती है? (2011C)

उत्तर- ‘भीष्मप्रतिज्ञा’ पाठ में भीष्म (देवव्रत) की पितृभक्ति दर्शायी गयी है। उनके त्याग की चर्चा की गयी है। पिता के मन को सुखी रखने के लिए आजीवन राज-सिंहासन का त्याग एवं आजीवन ब्रह्मचर्य-धर्म-निर्वहन का व्रत लेना बहुत कठिन कार्य है। लेकिन पिता सुखी रहें इसके लिए देवव्रत को यह कार्य सरल लगा। अतः प्रेरणा मिलती है कि माता-पिता सर्वोपरि हैं, साथ ही त्याग के लिए संकल्प-शक्ति आवश्यक है।

  1. कुमार ! भवतः परिचयम् आगमनकारणं च जातुमिच्छामि। (2015A)

(i) यह कथन किस पाठ से उद्धत है?

(ii) यह कथन किसका है?

(ii) यह किसके लिए कहा गया है?

उत्तर (i) वह पाठ भीष्‍म-प्रतिज्ञा पाठ से उद्धृत है।

(ii) यह कथन मल्लाह (धीवर) है।

(iii) यह देवव्रत के लिए कहा गया है।

  1. ‘भीष्य-प्रतिज्ञा’ के आधार पर भीष्म की प्रतिज्ञा का वर्णन करें।

अथवा, देवव्रत की प्रतिज्ञा क्या थी? (2011A,2012A, 2014A)

उत्तर- ‘भीष्म-प्रतिज्ञा’ में देवव्रत की पितृभक्ति, त्याग एवं दृढ़ संकल्प शक्ति परिलक्षित है। उनकी पितृक्ति अनुपम है। पिता के सुख के लिए वे राजसुख एवं दाम्पत्य जीवन का त्याग-परित्याग करने में तनिक भी नहीं हिचकते हैं। पितृ-सुख हेतु उनकी कठोरतम प्रतिज्ञा से भूलोक के साथ-साथ देवलोक में भी उनकी जय जयकार होती है। शान्तनु सत्‍यवती से विवाह हो इसके लिए उन्होंने आजीवन अखण्ड ब्रह्मचर्य क पालन करने एवं जीवनभर राजसत्ता से दूर रहकर हस्तिनापुर का सेवा-संरक्षण करने को कठोर प्रतिज्ञा करके अपने त्याग और पित-भक्ति का परिचय दिया।

मधुराष्टकम् Subjective Questions

पाठः पाठः

मधुराष्टकम् ( आठ मधुर गीत)

  1. “मधुराष्टकम्’ पाठ में निहित कवि की अभिलाषा को उद्घाटित करें।

उत्तर- कवि कृष्ण का गुणगान करने, उनका सानिध्य प्राप्त करने का अभिलाषी है ताकि उसका उद्धार हो जाए। कवि श्री कृष्ण को सारे सौन्दर्यों का मूल मानते हुए उनका दर्शनाभिलाषी है।

  1. ‘मधुराष्टकम्’ पाठ का भावार्थ लिखें।

उत्तर- प्रस्तुत पाठ में कहा गया है कि श्रीकृष्ण सौंदर्य के स्वामी हैं। अत: उनका सब कुछ सुन्दर है। ईश्वर ही सत्य है, यह संसार मिथ्या है। श्रीकृष्ण के सानिध्य को प्राप्त करके भवसागर से मुक्ति मिल सकती है।

संसारमोहः Subjective Questions

पञ्चमः पाठः

संसारमोहः (संसार से मोह)

  1. 1. भगवान नृसिंह के समक्ष प्रह्लाद ने क्या इच्छा प्रकट की?

उत्तर- प्रह्लाद ने भगवान नृसिंह से संसार के सारे दीन-दुखी प्राणियों का वैकुण्ठवास देने की कामना प्रकट की। उन्होंने अपने साथ-साथ सभी प्राणियों को मोक्ष प्रदान करने की इच्छा भगवान से प्रकट किये।

  1. संसार का मोह किस प्रकार बैकुण्ठ के मार्ग में भी बाधक होता है?

उत्तर- सांसारिक मोह-पाश के कारण लोग पारिवारिक माया एवं कार्य व्यापार में मग्न होता है। यह व्यामोह इतना प्रभावी होता है कि लोग इससे बाहर निकलना नहीं चाहते हैं। यहाँ तक की वैकुण्ठवास का अवसर आने पर भी उससे वंचित रह जाते हैं।

हास्यकणिकाः Subjective Questions

चतुर्थः पाठः

हास्यकणिकाः (हँसाने वाले कथन)

  1. मानव-जीवन में हास्य की क्या आवश्यकता है?

उत्तर- मानवीय जीवन में हास्य अत्यावश्यक है। हँसने से दुःख और चिन्ता दूर होता है। मन प्रफुल्लित रहता है। हँसना स्वास्थ्यप्रद् है। हँसने से मन विकाररहित होता है।

  1. ‘हास्य’ की क्या परिभाषा है?

उत्तर- ‘हास्य’ कलात्मक वार्तालाप है। जिस वार्तालाप से लोग प्रसन्न होते हैं एवं हँसते हैं, उसे हास्य कहा जाता है। यह संवाद की ऐसी विधा है जो हर किसी के चित्त को प्रसन्न करता है।

अच्युताष्टकम् Subjective Questions

तृतीयः पाठः

अच्युताष्टकम् (अच्युत अष्टक)

  1. ‘अच्यताष्टकम्’ पाठ में किनकी वन्दना की गई है और भक्त अपने इष्ट से क्या चाहता है?

उत्तर- प्रस्तुत पाठ में भगवान विष्णु की स्तुति है। भक्त भवसागर पार होना चाहता है। अपने उद्धार हेतु भगवान विष्णु की स्तुति करता है। वह चाहता है कि भक्तवत्सल भगवान जो सदा भक्तों के उद्धार करने वाले हैं विषय-वासनाओं को नष्ट करके, सांसारिक मोह को दूर करके परम पथ प्रदान करें।

  1. भगवान विष्णु ने किन-किन रूपों में अवतार लेकर भक्तों का उद्धार किये?

अथवा, भगवान विष्‍णु के प्रमुख अवतारों एवं कुछ प्रमुख नाम का उल्लेख करें।

उत्तर- जब-जब पृथ्वी पर भक्त, सज्जन, संत, कष्ट में पड़े हैं या पृथ्वी पर अत्याचार, दानवता प्रभावी हुआ है तब-तब भगवान विष्णु किसी न किसी रूप में अवतरित होकर भक्त की रक्षा की है एवं पृथ्वी को अत्याचार से मुक्त किया है। भगवद् अवतारों में रामावतार एवं कृष्णावतार प्रमुख रहा है। इन अवतारों में वृहद् रूप से पृथ्वी पर भक्तों का उद्धार एवं सत्य की रक्षा किये गये। अधिकाधिक राक्षसों का विनाश करते हुए भगवान सत्य का राज्य स्थापित किये। भक्तों ने भगवान विष्णु को अच्युत, केशव, कृष्ण, वासुदेव, राम, माधव, गोविन्द, नारायण, रमापति, लक्ष्मीपति, श्रीपति, सीतापति, देवकीनन्दन इत्यादि अनेकानेक नाम से पुकारा है।