BSEB Class 8 Social Science Chapter 8. जातीय व्‍यवस्‍था की चुनौतियाँ | Jati Vyavastha ki Chunautiyan Class 8th History Solutions

Bihar Board Class 8 Social Science जातीय व्‍यवस्‍था की चुनौतियाँ (Jati Vyavastha ki Chunautiyan Class 8th History Solutions) Text Book Questions and Answers

Jati Vyavastha ki Chunautiyan Class 8th History Solutions

8. जातीय व्‍यवस्‍था की चुनौतियाँ

अध्याय में अंतर्निहित प्रश्न और उनके उत्तर

प्रश्न 1. भारत में उपेक्षित जनसमूहों के विषय में आप क्या जानते हैं? संक्षेप में लिखिए । (पृष्ठ 116)
उत्तरउपेक्षित जन समूहों में पहले बंगाल पर ध्यान देते हैं । बंगाल में उपेक्षितों को चांडाल कहा जाता था। बिहार में डोम और हलखोर, दक्षिण बिहार की सूइया, महाराष्ट्र में महार तथा उत्तर भारत के अधिकांश क्षेत्र में चमार और जाटव नाम से, जाने जाते हैं। परम्परा से ही ये निम्न जाति के समझे जाते हैं । लेकिन आज जो शिक्षित हो गये हैं, आर्थिक रूप से सम्पन्न हो गये हैं, उन्हें इसकी पीड़ा अब नहीं भुगतनी पड़ती है ।

प्रश्न 2. ब्राह्मणों ने दूसरी जातियों पर अपना प्रभुत्व कैसे कायम किया ? पठित पाठ के आधार पर बतावें । (पृष्ठ 117)
उत्तर ब्राह्मणों ने अपनी शिक्षा, ज्ञान और कर्मकांडी शक्ति के रूप में गैर-ब्राह्मण जातियों पर अपना एकाधिकार स्थापित कर प्रभुत्व स्थापित कर लिया ।

प्रश्न 3. अंत्यज समाज के संबंध में आप क्या मानते हैं ? (पृष्ठ 117)
उत्तरजिसे अछूत कहा गया है, उन्हीं को अंत्यज भी कहा जाता है । इनको वेद पढ़ने और सुनने की मनाही थी । यदि ये गलती से वेद के शब्द उच्चरित करते तो इनकी जीभ काट ली जाती थीं । वेदवाणी सुनने के अपराध में कान में रांगा पिघला कर डाल दिया जाता था। लेकिन यह बात बहुत पुरानी है जो अब देखने को नहीं मिलती ।

प्रश्न 4. मद्रास बोर्ड ऑफ रेवेन्यू 1818 क्या था ? (पृष्ठ 121)
उत्तर- मद्रास बोर्ड ऑफ रेवेन्यू 1818 द्वारा किये गये सर्वेक्षण की रिपोर्ट की जानकारी दी गई थी कि निचली जातियों के समूहों से आये खेतिहर मजदूर लगभग गुलामी की स्थिति में धकेल दिये गये थे ।

अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर

आइये फिर से याद करें :
प्रश्न 1. सही विकल्प को चुनें :

(i) फूले के द्वारा किस संगठन की स्थापना हुई ?
(क) ब्राह्मण समाज
(ख) आर्य समाज
(ग) सत्य शोधक समाज
(घ) प्रार्थना समाज

(ii) गैर बराबरी विरोधी आंदोलन केरल में किसके द्वारा प्रारंभ किया गया ?
(क) वीरशेलिंगम
(ख) नारायण गुरु
(ग) पेरियार
(घ) ज्योतिराव फूले

(iii) पेरियार के द्वारा कौन-सा आंदोलन प्रारंभ किया गया ।
(क) आत्म सम्मान आंदोलन
(ख) जाति सुधार आंदोलन
(ग) छुआछूत विरोधी आंदोलन
(घ) धार्मिक समानता आंदोलन

 (iv) हरिजन सेवक संघ महात्मा गाँधी के द्वारा किस वर्ष गठित किया गया ?
(क) 1932
(ख) 1933
(ग) 1934
(घ) 1935

(v) बाबा भीमराव अम्बेदकर के द्वारा किस वर्ष बहिष्कृत हितकारणी सभा की स्थापना हुई ?
(क) 1921
(ख) 1924
(ग) 1934
(घ) 1945

उत्तर : (i) → (ग) , (ii)→(ख), (iii) → (क), (iv)→ (क), (v)→ (ख)।

आइये विचार करें

प्रश्न 1. ज्योतिराव फूले के मुख्य विचार क्या थे ?
उत्तरज्योतिराव फूले के मुख्य विचार थे कि जाति-व्यवस्था मनुष्यता की समानता के खिलाफ है। उन्होंने जाति प्रथा को मानने से इंकार कर दिया। फूले ने शूद्रों की दासता को गलत बताया। उन्होंने अमेरिका के निग्रो और भारत के शूद्रों को एकसमान समझा । असमानता के खिलाफ लोगों को जगाना उनके विचारों का मुख्य अंग था। फूले ने अत्याचार और उत्पीड़न से संघर्ष करना सीखाया ।

प्रश्न 2. वीरशेलिंगम के योगदान की चर्चा करें ।
उत्तर वीरशेलिंगम जीवन भर सामाजिक भेदभाव को समाप्त कराने के लिए संघर्ष करते रहे। उन्होंने स्कूल शिक्षक के रूप में अपनी सेवा दी। तेलगू भाषा में लिखे उनके लेखों के कारण उन्हें तेलगू गद्य साहित्य का जनक माना जाता है । उन्होंने महिला उत्थान के लिए अनेक काम किये। विधवाओं के पुनर्विववाह के लिए उन्होंने आवाज उठाई। दबे-कुचले लोगों को ऊपर उठाने के प्रयास को दक्षिण भारत के अनेक क्षेत्रों में आदर के साथ देखा गया। लोगों ने उनके द्वारा दिखाये मार्ग पर चलने के लिए अपने लोगों को सीखाया ।

प्रश्न 3. श्री नारायण गुरु का समाज सुधार के क्षेत्र में क्या योगदान रहा ?
उत्तर – श्री नारायण गुरु एक धार्मिक गुरु के रूप में उभरे। उन्होंने अपने लोगों के बीच एकता का आदर्श रखा। चूँकि वे स्वयं एक निम्न जाति के थे, अतः उनके बताये रास्ते पर चलने के लिए निम्न जाति के लोग सदा तत्पर रहते थे। उन्होंने श्रीनारायण धर्म परिपालन योगम की स्थापना (1902 ई.) की। इस संगठन के समक्ष दो उद्देश्य थे— एक छुआछूत का विरोध और दूसरा कर्मकांडों की सरल विधि अपनाना। उन्होंने निम्न जाति के लोगों के बीच फैली बुरी आदतों को छोड़ने का आग्रह किया और बताया कि वे भी उच्च्च जातियों की तरह अपना रहन-सहन रखें। इन्होंने निम्न जातियों को मंदिर प्रवेश का आंदोलन चलाया ।

प्रश्न 4. महात्मा गाधा द्वारा छुआछूत निवारण के क्या उपाय किये गये ?
उत्तर- महात्मा गाँधी ने भारत में गैर-बराबरी के विरोध में आवाज उठाई। 1919 ई. में पहला अखिल भारतीय ‘डिप्रेस्ड क्लास’ सम्मेलन हुआ । इसमें कांग्रेस द्वारा गांधीजी के सुझाव पर छुआछूत के विरुद्ध घोषणा पत्र जारी किया गया। अछूतों और दलितों को उन्होंने ‘हरिजन’ नाम दिया। छुआ-छूत दूर करने और अछूतों के उद्धार और उन्नति के लिए अनेक रचनात्मक कार्य चलाये गये। इनके प्रयासों से छुआछूत की प्रथा बना कमजोर पड़ी । हरिजनों के उत्थान के लिए गाँधीजी ने हरिजन सेवक संघ की स्थापना की। फिर 1933 में ‘हरिजन’ नामक एक साप्ताहिक पत्र निकाला। उस पत्र में अनेक संवेदनशील समस्याएँ उठायी जाती थीं । इनके प्रयास से हरिजनों का विद्यालयों में प्रवेश सम्भव हो सका। अब ये भी सभी बच्चों के साथ समान अधिकार के रूप में शिक्षा- दीक्षा प्राप्त करने लगे। गाँधीजी का यह एक स्तुत्य कार्य था ।

प्रश्न 5. बाबा साहब भीमराव अम्बेदकर ने जातीय भेद-भाव को दूर करने के लिये किस तरह के प्रयास किये ?
उत्तर- बाबा साहब भीमराव अम्बेदकर ने भारतीय जातिगत समाज में दलित वर्ग को सम्मानपूर्ण स्थान दिलाने का अथक प्रयास किया। उन्होंने दलितों को शिक्षा ग्रहण करने का आह्वान किया तथा दलितों के वैधानिक और राजनीतिक अधिकारों की मांग रखी । उन्होंने 1924 में बहिष्कृत हितकारी सभा का गठन किया। 1927 में महार सत्याग्रह आरम्भ हुआ ताकि दलितों के प्रति अपनाई गई भेदभाव की नीति समाप्त की जा सके । 1942 में अम्बेदकर ने अनुसूचित जाति संघ की स्थापना की । जब इन्होंने देखा कि हिन्दू धर्म में उनको कोई सम्मान मिलने वाला नहीं है तो उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया, कारण कि बौद्ध धर्म पूर्णतः समानता पर आधारित था । उनके समर्थकों ने भी वैसा ही किया । आज भारत में जिस दर्शन की लोकप्रियता मिली है, वह समता, भाईचारा और आजादी पर आधारित है । इस दर्शन को स्थापित करने में बाबा साहब अम्बेदकर का बहुत बड़ा हाथ था ।

आइए करके देखें :
1. आप अपने आस-पास समाज में किस तरह के असमानता को देखते हैं, इस पर वर्ग में शिक्षक की उपस्थिति में सहपाठियों से चर्चा करें ?
2. समाज में जातीय भेद-भाव को मिटाने या कम करने के लिए आप क्या प्रयास कर सकते हैं, इस पर अपने विचार वर्ग में सहपाठियों एवं शिक्षकों को बताएँ ।

कुछ अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. प्राचीन ग्रंथों के ज्ञान से सुधारकों को नए कानून बनवाने में किस तरह मदद मिली ?
उत्तरप्राचीन ग्रंथों के ज्ञान से सुधारकों को नए कानून बनवाने में इस तरह मदद मिली कि वे उन ग्रंथों से ऐसे श्लोक या उक्तियाँ ढूँढ़ निकालते थे, जो इनके सुधारवादी विचारों के समर्थन में जोर देते थे। ऐसे श्लोकों को या उक्तियों को स्वार्थी ब्राह्मण या तो लोप कर देते थे अथवा उनका गलत अर्थ लगाते थे। वे ऐसा अर्थ निकालते थे, जिनसे ब्राह्मणों का हित साधन होता था।

प्रश्न 2. लड़कियों को स्कूल न भेजने के पीछे लोगों के पास कौन-कौन से कारण होते थे ?
उत्तर आम जन यह मानता था कि स्कूल जाने के कारण लड़कियाँ पथ भ्राष्ट हो जाएँगी। स्कूल वाले उन्हें घर के काम-धंधा करने से रोकेंगे । उन्हें सार्वजनिक स्थानों से स्कूल जाना पड़ेगा। यह लड़कियों के लिए हितकारी नहीं होगा ।

प्रश्न 3. ईसाई धर्म प्रचारकों का बहुत सारे लोग क्यों आलोचना करते थे? क्या कुछ लोगों ने उनका समर्थन भी किया होगा? यदि हाँ तो किस कारण?
उत्तर- इसाई धर्म प्रचारकों का बहुत सारे लोग इसलिए आलोचना करते थे, क्योंकि ‘ का प्रचार अपने शासन क्षेत्र के विस्तार और उसे टिकाऊ बनाए रखने के लिए करते थे । हाँ, कुछ लोगों ने उनका समर्थन भी किया । ईसाई धर्म का समर्थन करने वाले वे लोग थे जो निम्न जाति के थे और हिन्दू समाज में जिन्हें निम्न दृष्टि से देखा जाता था। वे ईसाई धर्म इसलिए स्वीकार कर लेते थे, क्योंकि इनमें कोई ऊँच-नीच का भेट नहीं था। सबको बराबरी का दर्जा मिल जाता था। यह प्रक्रम आज भी जारी है। खासकर आदिवासी बहुल क्षेत्रों में । इसके लिए आर्थिक लालच भी उत्तरदायी है ।

प्रश्न 4. अंग्रेजों के काल में ऐसे लोगों के लिए कौन-से नए अवसर पैदा हुए जो ‘निम्न’ मानी जाने वाली जातियों से संबंधित थे?
उत्तर – अंग्रेजी काल में हर प्रांत और क्षेत्र में नए नगर बस रहे थे । वहाँ सड़क, नाली, मकान आदि बनाने के लिए लोगों की आवश्यकता थी । बहुत लोग वहाँ जाकर काम करने लगे । सेना में भारी मात्रा में महार जाति के लोग भर्ती हुए । उन्हीं के नाम पर महार रेजिमेंट बना था । तथाकथित निम्न जाति के लोग कुछ मारीशस, त्रिनिदाद, मलाया आदि द्विपीय देशों में काम के लिए चले गए। ऊँची जातियों की दमनकारी व्यवहारों से इन्हें निजात मिल गई ।

Jati Vyavastha ki Chunautiyan Class 8th History Solutions

प्रश्न 5. ज्योतिराव और अन्य सुधारकों ने समाज में जातीय असमानताओं की आलोचनाओं को किस तरह सही ठहराया ?
उत्तरअनेक सुधारकों ने समाज में जातीय असमानताओं की आलोचना भारत के प्राचीन ग्रंथों से हवाला देकर किया लेकिन ज्योतिराव फुले ने जो दलील दी, मेरी समझ से लेखक या लेखकों के अपने विचार होंगे। फुले के लिए बताया गया है कि उन्होंने आर्यों को आक्रामणकारी और स्वयं को आक्रांता बताया । वास्वत में आर्य आक्रमणकारी. नहीं थे। वे उत्तर भारत के मूल निवासी थे । यह बात दूसरी है कि दक्षिण भारत द्रविड़ों के बीच उन्होंने वैदिक धर्म का प्रचार-प्रसार किया और उनकी खुबियों को समझाया। वैदिक धर्म में विकृति तो बाद में आई, जो उत्तर भारत और दक्षिण भारत में समान रूप से दृष्टिगोचर हुई। दक्षिण भारत से अधिक सुधारक उत्तर और मध्य भारत में हुए । उनमें से किसी ने ऐसे विचार प्रकट नहीं किए ।

प्रश्न 6. फुले ने अपनी पुस्तक गुलामगीरी को गुलामों की आजादी के लिए
उत्तर—फुले ने अपनी पुस्तक गुलामगीरी को गुलामों की आजादी के लिए चल चल रहे अमेरिकी आंदोलन को समर्पित क्यों किया अमेरिकी आन्दोलन को समर्पित इसलिए किया क्योंकि भारत और अमेरिका दोनों ही देशों में गुलामी के विरोध में संघर्ष चल रहा था ।

प्रश्न 7. मंदिर प्रवेश आंदोलन के जरिए अम्बेडकर क्या प्राप्त करना
उत्तर- मंदिर प्रवेश आंदोलन के जरिए अम्बेडकर तथाकथित अछूत जातियों को उच्च जातियों के समक्ष बराबरी का दर्जा प्राप्त करना चाहते थे । वे ब्राह्मणों के एकाधिकार को समाप्त करना चाहते थे ।

प्रश्न 8. ज्योतिराव फुले और रमास्वामी नायकर राष्ट्रीय आंदोलन की आलोचना क्यों करते थे? क्या उनकी आलोचना से राष्ट्रीय संघर्ष में किसी तरह कही मदद मिली ?
उत्तर – ज्योतिराव फुले तो राष्ट्रीय आंदोलन के आरंभ होने के पहले ही गुजर चुके थे। अतः राष्ट्रीय आंदोलन की आलोचना से उनका कोई मतलब नहीं था । जहाँ तक ‘नायकर’ साहेब का सवाल है, सम्भव है, ये किसी कांग्रेसी के व्यक्तिगत दावत में शामिल । वरना किसी भी राष्ट्रीय आंदोलन के अधिवेशन में शामिल सभी लोगों के हुए होंगे एक साथ भोजन की व्यवस्था होती थी । हम जानते हैं कि कांग्रेस में अधिकांश आर्य समाज के समर्थक नेता ही थे, जो छुआ-छूत और जात-पात पर विश्वास नहीं रखते थे। आर्य समाजियों में लाला लाजपत राय का नाम पहले लिखा जा सकता है । अतः नायकर का यह आरोप निराधार लगता है । ऐसे लोग राष्ट्रीय आंदोलन में अड़ंगा ही लगा रहे थे, इनसे किसी प्रकार के सहयोग की आशा नहीं थी ।

Jati Vyavastha ki Chunautiyan Class 8th History Solutions

Read more- Click here
You Tube Click here  

Leave a Comment