Bihar Board Class 7 Social Science Ch 4 समाज में लिंग भेद | Samaj me Ling Bhed Class 7th Solutions

इस पोस्‍ट में हमलोग कक्षा 7 सामाजिक विज्ञान के पाठ 4 समाज में लिंग भेद (Samaj me Ling Bhed Class 7th Solutions) के सभी टॉपिकों के बारे में अध्‍ययन करेंगे।

Samaj me Ling Bhed Class 7th Solutions

4. समाज में लिंग भेद

पाठ के अंदर आए प्रश्न तथ उनके उत्तर

प्रश्न 1. अगर किसी लड़की के बाल छोटे हों तो क्या आप उसका मजाक उड़ाते हैं ( पृष्ठ 33 )
उत्तर- हाँ, गाँवों में तो मजाक उड़ाते हैं. लेकिन शहरों में उसके ऊपर कोई ध्यान भी नहीं देता। जिसको जो पसंद है वैसा बाल रखें। कोई फर्क नहीं पड़ता ।

प्रश्न 2. कोई लड़का गले में माला या कान में बाली पहनता है, तो क्या वह लड़कियों जैसा हो जाता है ?       ( पृष्ठ 33 )
उत्तर— नहीं, जिसकी इच्छा होती है वह इस तरह का जेवर पहनता है, जिसकी इच्छा नहीं होती है वह नहीं पहनता । जेवर पहनने मात्र से कोई लड़का या लड़की जैसा नहीं बन जाता। लेकिन अधिकांश लड़के ऐसा नहीं करते ।

प्रश्न 3. परिवार में लड़कियों द्वारा किये जाने वाले कार्यों की सूची बनाएँ । इनमें कौन से कार्य हैं जो लड़के नहीं कर सकते और क्यों ? ( पृष्ठ 33 )
उत्तर—लड़कियाँ सवेरे उठकर घर में झाड़ू-पोंछा करती है। बर्तन धोने में, नाश्ता और भोजन बनाने में माँ की सहायता करती हैं। लड़कों और बड़ों के नाश्ता- भोजन कराती हैं। पानी देती हैं। जूठी थाली उठाती हैं। लड़के इन सभी कामों को कर सकते हैं, लेकिन नहीं करते, क्योंकि सदा से यही परम्परा चलती आई है।
लेकिन इन कामों में लड़कों को बिलकुल नालायक कहना ठीक नहीं । कारण कि जिस घर में लड़कियाँ नहीं होतीं या बहुत छोटी होती हैं तो इन कामों को लड़का करते ही हैं । अब थोड़ा कम या अधिक हो लेकिन लड़के भी सब काम करते ही हैं । उनको करना पड़ता है। नहीं करेंगे तो कौन करेगा ?

प्रश्न 4. क्या लड़कियाँ लड़कों के समान मैदानों में खेलने जाती हैं ? अगर नहीं, तो क्यों नहीं जाती हैं ? ( पृष्ठ 33 )
उत्तर— एक समय था जब लड़कियाँ लड़कों के समान मैदानों में खेलने नहीं जाती थीं। क्योंकि समाज में इसे अच्छा नहीं माना जाता था। लेकिन अब तो ल लड़कों के बराबर खेल में हिस्सा लेती हैं। यह बात अलग है कि लड़कि टीम अलग होती है और लड़कों की टीम अलग ।

प्रश्न 5. अगर आप लड़की हैं तो क्या बड़ी होकर सुरक्षा बल में काम करना पसन्द करेंगी, और अगर आप लड़का हैं तो क्या नर्सिंग की ट्रेनिंग लेना पसन्द करेंगे। अगर हाँ तो क्यों और नहीं तो क्यों नहीं ? ( पृष्ठ 33 )  
उत्तर — बशर्ते मैं लड़की हूँ । फिर भी बड़ी होने पर मुझे सुरक्षा बल में जाने का मौका मिला तो मैं अवश्य जाऊँगी। क्योंकि मैं किसी से डरती नहीं और मुझमें आत्मविश्वास और आत्मबल दोनों हैं ।
बशर्ते मैं लड़का हूँ और यदि मुझे नर्सिंग की ट्रेनिंग लेने की छूट मिले तो मैं अवश्य लूँगा। क्योंकि कोई भी काम बुरा नहीं होता। आज तो स्थिति यह है कि जितने उम्मीदवार हैं, उनके मुकाबले काम बहुत कम है। देश में बेकारी की स्थिति विकराल है । अतः जो काम मिले उसे स्वीकार कर लेना चाहिए ।

प्रश्न 1. अगर आप श्यामा की जगह होते तो क्या करते ? ( पृष्ठ 35 )
उत्तर- अगर मैं श्यामा की जगह होता तो परिवार के लोगों को बाध्य कर देता कि वे उसे आगे की पढ़ाई जारी रखने दें, चाहे दूर के विद्यालय में ही क्यों न जाना पड़े। मैं दौड़ में भी भाग लेती और इनाम जीतती ।

प्रश्न 2. श्यामा के परिवर की सोच का श्यामा के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है ?  ( पृष्ठ 35 )
उत्तर – श्यामा के परिवार की सोच का श्यामा के जीवन पर यह प्रभाव पड़ता है कि उसका जीवन कुंठित हो जाता है। वह पढ़ना चाहती है, लेकिन लड़की होने के कारण उसे दूर स्कूल में नहीं जाने दिया जाता। वह दौड़ में हिरणी को भी मात देने वाली है, लेकिन उसे दौड़ में भाग नहीं लेने दिया जाता। यह लिंग भेद का जीता-जागता उदाहरण है ।

प्रश्न 3. शबाना, जावेद, श्यामा और गोबिन्द के जीवन में किस तरह का फर्क है ?
उत्तर – शबाना और जावेद को आधुनिक जीवन की सारी सुविधाएँ उपलब्ध हैं । वे घर का भी हल्का-फुल्का काम कर लेते हैं और पढ़ाई भी करते हैं। हर विषय में दोनों की अच्छी पैठ है। दोनों ही खेल में आगे हैं। दोनों क्रिकेट खिलाड़ी हैं। वे रोज हाफ पैंट और टी शर्ट पहन कर शाम को क्रिकेट खेलने जाते हैं। शबाना तो अपने विद्यालय की लड़कियों की टीम का कप्तान तक बन गई है ।
श्यामा की स्थिति यह है कि चाहते हुए भी उसे न तो पढ़ने जाने दिया जाता है और न ही दौड़ में भाग लेने दिया जाता है। जबकि पढ़ाई में भी वह मन लगाती है और दौड़ में भी उसका स्कूल में नाम है। उसके अभिभावक पुराने जमाने का मिजाज रखते हैं ।
गोविन्द की स्थिति इन दोनों से अलग है । वह घर में माँ-पिता के बीच किच- किन देखना नहीं चाहता। इसलिये वह घर के काम में अपनी माँ को मदद करता है और मदद के लिये सदैव तैयार रहता है। इससे थकी-माँदी उसकी माँ को बहुत आराम मिल जाता है और घर में शांति भी रहती है ।

प्रश्न 4. गोविन्द के दोस्त उसे क्यों चिढ़ाते हैं ? क्या उनका उसको चिढ़ाना उचित है ? ( पृष्ठ 35)
उत्तर – गोविन्द के दोस्त उसे इसलिये चिढ़ाते हैं कि वह पढ़ाई के साथ-साथ घर के भी काम करता है । लेकिन मेरी समझ से दोस्तों द्वारा गोविन्द को चिढ़ना उचित नहीं था। कारण कि घर का काम कर लेना कोई नीच काम नहीं है …सब बच्चों को चाहिए कि वे अपने अभिभावक के कामों में हिस्सा लें और उन्हें मदद करें ।

प्रश्न 5. आप गोविन्द के दोस्त होते तो क्या करते ? ( पृष्ठ 351)  
उत्तर – यदि मैं गोविन्द का दोस्त होता तो उसे चिढ़ाता नहीं, बल्कि मैं उसे शाबासी देता । अन्य दोस्तों से भी कहता कि हम सबको गोविन्द का अनुकरण करना चाहिए। घर के कामों में हाथ बँटा कर अपने अभिभावकों की मदद करना हम सबका कर्तव्य है ।

प्रश्न 6. पिछले पृष्ठों पर दिये गये उदाहरणों के आधार पर बताएँ कि आप किस रूप में बड़ा होना पसन्द करेंगे और क्यों ? ( पृष्ठ 36 )
उत्तर -मैं घर के कामों में अपने अभिभावकों के कामों में सहयोग करते हुए अपनी पढ़ाई का काम पूरा करूँगा । समय पर स्कूल जाऊँगा और संध्या में लौटने के बाद साथियों और अपने भाई-बहनों के साथ मैदान में खेलने जाऊँगा । इससे लाभ यह होगा कि जीवन में आगे चलकर मुझे जो काम भी करना पड़े, मैं उस काम में परिपक्व रहूँगा। मुझमें आत्मविश्वास बना रहेगा ।

प्रश्न 1. लड़के एवं लड़कियों के पहनावे और खिलौने में फर्क क्यों है ? चर्चा करें । ( पृष्ठ 36 )
उत्तर—लड़के एवं लड़कियों के पहनावे और खिलौने में फर्क का कारण यह है कि परम्परा से लड़कियों को घर के अन्दर रहने वाली और लड़कों को घर के बाहर के काम करने योग्य माना जाता रहा है। पहले के लोगों की समझ थी कि लड़कियाँ कमजोर होती हैं और लड़के मजबूत। यह सही है कि लड़कियाँ लड़कों की अपेक्षा कोमलांगी होती हैं, लेकिन इसका अर्थ यह हर्गिज नहीं कि वे कमजोर भी होती हैं । वे भारी बोझ नहीं उठा सकतीं। यदि ग्रामीण क्षेत्रों में हम देखें तो लड़कों की अपेक्षा लड़कियाँ ही अधिक काम करती हैं। वे दूर-दूर से पानी लाती है। जलावन की लकड़ियों के भारी गट्ठर वे आसानी से ढो लेती हैं। अब धीरे-धीरे लड़के और लड़कियों में अंतर समाप्त होते जा रहा है। हर क्षेत्र में लड़कियाँ लड़कों की बराबरी करने लगी हैं ।

प्रश्न 1. आपके घर के ज्यादातर काम कौन करता है ? क्यों ? (पृ. 37 )
उत्तर—मेरे घर के ज्यादातर काम मेरी माँ और बहनें करती हैं । इसका कारण है कि परंपरा से यही होता आया है । होना तो यह चाहिए कि घर के सभी सदस्य मिल-जुलकर घर के काम संभालें । घर का कोई काम ऐसा नहीं है, जो मर्द नहीं कर सकें। अतः लिंग भेद को दूर करने की दृष्टि से घर के कामों में सभी हाथ बटाएँ, यदि वे घर में बेकार बैठे हों ।

अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. सामान्यत: एक घर में लड़काऔर लड़कीके रूप में कौन ये काम करेगा :
(अ) मेहमान के लिये एक गिलास पानी लाना । उत्तर लड़का ।  
(ब) माँ के बीमार हेने पर डॉक्टर को बुलाना । उत्तर – लड़का ।
(स) घर के खिड़की-दरवाजे की सफाई । उत्तर— लड़की  
(द) पिताजी की मोटर साइकिल साफ करने में मदद करना । उत्तर- लड़का ।
(य) बाजार से चीनी खरीदना । उत्तर — लड़का ।
(र) किसी आगंतुक के आने पर दरवाजा खोलना । उत्तर – लड़का |
परम्परा से चली आ रही कार्य-प्रणाली के अनुसार ऊपर के उत्तर दिये गए हैं। लेकिन अब यह लीक लगभग समाप्त हो चली है । कोई भी कोई काम कर सकता है ।

प्रश्न 2. आपके परिवार या पास-पड़ोस में क्या लड़कियों और लड़कों में भेद होता है ? आपकी समझ से यह भेद किस प्रकार का होता है ?
उत्तर- मेरे परिवार या पास-पड़ोस में मेरी समझ से अब लड़कियों और लड़कों में कोई भेद नहीं होता है। अब तो लड़कियाँ साइकिल से अपने घर से मीलों दूर तक रोज पढ़ने आया-जाया करती हैं । उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिये अकेली लड़की शहर में रहती है । विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी गाँव से आकर शहरों में करती है। इससे ऐसा लगता है कि अब लड़कियाँ और लड़कों में कोई भेद नहीं किया जाता ।

प्रश्न 3. महिलाओं की तुलना में पुरुषों का काम, क्या ज्यादा मूल्यवान होता है ? अगर नहीं तो क्यों ?
उत्तर- आज के युग में, आज के समय में महिलाओं के काम में और पुरुषों के काम में कोई अन्तर नहीं रह गया है। समान काम के लिये स्त्री-पुरुष दोनों को समान वेतन देने की व्यवस्था है । गाँवों के स्त्री-पुरुष दोनों को समान मजदूरी दी जाती है ।

प्रश्न 4. घरेलू मजदूरी करने वाली महिलाओं से बातचीत कर उनके कार्यों का विवरण, काम के घंटे, समस्याएँ एवं मजदूरी आदि की सूची तैयार करें। -घरेलू मजदूरी करने वाली महिलाओं से बातचीत मैंने की। इनके कार्यो का विवरण, काम के घंटे, समस्याएँ एवं मजदूरी आदि की सूची निम्नांकित है :
उत्तर- घरेलू मजदूरी करने वाली महिलाएँ कहीं भी और कभी भी दिन भर काम नहीं करतीं। सुबह-शाम आकर बर्तन चौका करती हैं और चली जाती हैं। इसी प्रकार कपड़ा धोने वाली मजदूरीन केवल कपड़ा साफ कर उन्हें सूखने के लिए डालकर चली जाती है। सूख जाने पर घर के लोगों को उन्हें स्वयं उतारना पड़ता है। इस प्रकार एक मजदूरीन एक ही काम कई-कई घरों में करती है। प्रति घर से एक हजार से बारह सौ तक वेतन मिल जाता है। रोज का नाश्ता- भोजन अलग से मिलता है । वर्ष में दो बार – होली और दशहरा के मौकों पर साड़ी-साया और ब्लाउज का कपड़ा दिया जाता है। काम के घंटे का कोई सवाल नहीं है । यह उन पर निर्भर है कि वे कितना जल्दी काम समाप्त करती हैं। मुश्किल से एक घंटा सुबह और एक घंटा शाम में वे काम करती हैं। कपड़ा धोने में भी लगभग एक-डेढ़ घंटा ही लगता है ।

प्रश्न 3. अगर आपकी माँ घर का काम दो दिनों के लिये आपको सौंप दे तो उन कार्यों को करने में क्या समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं?
उत्तर— मेरी समझ से कोई समस्या उत्पन्न नहीं होगी। दिन का भोजन मैं जाने के पूर्व ही तैयार कर लूँगा । इसके पहले घर की सफाई – धुलाई करके बर्तन साफ-सुथरे कर लूँगा । शाम में स्कूल से लौटने के बाद पुनः घर की सफाई कर बर्तन धो लूँगा और रात का भोजन बना लूँगा । हाँ यह हो सकता है कि मेरे द्वारा बनाए गए भोजन में माँ द्वारा बनाये भोजन के जैसा स्वाद न हो। हम सब बच्चों को कोई भी काम करने के लिये सदैव तत्पर रहना चाहिए ।

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