षोडशः पाठः
कन्याया: पतिनिर्णयः (पत्ति के लिए कन्या का निर्णय)
- कन्यायाः पनि निर्णयः पाठ से क्या संदेश मिलता है?
उत्तर- प्रस्तुत पाठ उच्च आकांक्षा के महत्त्व को प्रदर्शित करता है। उच्चाकांक्षा व्यक्ति को जीवन-पथ पर अग्रसर करता है। महत्त्वाकांक्षा व्यक्ति को दृढ़ निश्चयी बनाते हुए लक्ष्य प्राप्ति की ओर बढ़ते रहने के लिए प्रेरित करता है। यह व्यक्ति को एक जगह स्थिर रहने नहीं देता है जिसके कारण अन्तत: व्यक्ति लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है, अतः अपनी सोच ऊँचा रखना चाहिए।
- महत्त्वाकांक्षिणी कन्या की मनोकामना किस प्रकार पूर्ण?
उत्तर- महत्त्वाकांक्षणी ब्राह्मण कन्या सर्वश्रेष्ठ पति की अभिलाषा रखती थी। सर्वप्रथम राजा को श्रेष्ठ मानकर उसे ही मन में मति मानते हुए उसके पीछे-पीछे चल पड़ी तत्पश्चात् जब राजा ने एक साधु का चरण स्पर्श किया तब वह साधु को पति मानते हुए उसके पीछे चल दी। साधु ने शिव मंदिरों में शिवलिंग को स्पर्श करते हुए नमन किया, अत: वह शिव को ही पति मानकर मंदिर में खाने लगी। उसके बाद वन कुत्ता शिव पूर्ति पर अर्पित प्रसाद को खाने लगा तब वह उसी को अपना पति मान लेती है। अन्तत: जब कुता के पीछे-पीठे चली तव कुत्ता एक ब्राह्मण कुमार के समीप जाकर उसका पैर चाटने लगा। तब ब्राह्मण को श्रेष्ठ मानते हुए, उसी से उसने विवाह किया। इस प्रकार उसकी मनोकामना पूर्ण हुई।