नरस्‍य Subjective Questions

चतुर्विंशति: पाठ: नरस्‍य (मनुष्‍य का)

  1. नरस्य पाठ से क्या प्रेरणा मिलती है?

उत्तर- प्रस्तुत पाठ हमें जीवन के यथार्थ से जोड़ता है। इसमें कहा गया है कि धर्म ही मित्र है, सद्वाणी आभूषण हैं, दुर्गुण हमारे शत्रु हैं, अर्थात् हमारे अन्दर पुरुषार्थ की शक्ति निहित है। दोषों को त्यागकर एवं भौतिकता से दूर रहकर जीवन का वास्तविक अनन्द प्राप्त किया जा सकता है।

  1. ‘परस्य’ पाठ में निहित मुख्य बातों का उल्लेख करें।

उत्तर— पाठ में मुख्यतः कर्मण्य बनने को बात कही गयी है। जीवन की सच्चाई से हमें अवगत कराया गया है। इसमें बताया गया है कि मनुष्य का सच्चा मित्र धर्म है, सबसे बड़ा शत्रु दुर्गुण है, सत्य वचन अभूषण है, सचा गुरु माता-पिता हैं, वास्तविक ज्ञान सत्‍य की जानकारी है, अपना कार्यक्षेत्र समसे बढ़कर पूजा है, मनुष्य का रक्षक उसका कर्म है, मनुष्य कुकर्म से नष्ट होता है, दूसरे की भलाई असली उपलब्धि है। इस तरह से इसमें यथार्थ जीवन का दर्शन है।

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