बोल्शेविक क्रांति सम्‍पूर्ण जानकारी | खूनी रविवार | Bolshevik Revolution

खूनी रविवार

1905 में रूस-जापान युद्ध में रूस के पराजय के कारण 9 जनवरी 1905 को लोगों का समूह ‘रोटी दो‘ के नारे के साथ सड़कों पर प्रदर्शन करते हुए सेंट पीटर्सवर्ग स्थित महल की ओर जा रहा था। परन्तु जार की सेना ने इस निहत्थे लोगों पर गोलियाँ बरसाई जिसमें हजारों लोग मारे गये इसलिए 22 जनवरी को खूनी रविवार के नाम से जाना जाता है।

बोल्शेविक क्रांति

  • इसी समय लेनिन का उदय हुआ। जार की सरकार ने लेनिन को निर्वासित कर दिया था।
  • जब रूस में मार्च 1917 की क्रांति हुई, तो वह जर्मनी की सहायता से रूस पहुँचा, तब रूस की जनता का उत्साह बढ़ गया।
  • लेनिन ने घोषित किया कि रूसी क्रांति पूरी नहीं हुई है। अतः एक दूसरी क्रांति अनिवार्य है।
  • लेनिन ने तीन नारे दिये- भूमि, शांति और रोटी।
  • लेनिन ने बल प्रयोग द्वारा केरेन्सकी सरकार को उलट देने का निश्चय किया। सेना और जनता दोनों ने उसका साथ दिया।
  • 7 नवम्बर 1917 को बोल्शेविकों ने पेट्रोग्राद के रेलवे स्टेशन, बैंक, डाकघर, टेलिफोन-केंन्द्र, कचहरी तथा अन्य सरकारी भवनों पर अधिकार कर लिया।
  • केरेन्सकी रूस छोड़कर भाग गया।
  • इस प्रकार रूस की महान बोल्शेविक क्रांति ( इसे अक्टुबर क्रांति भी कहते हैं।) सम्पन्न हुई।

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