राजनीतिक कारण
भारत में राष्ट्रवाद : 19वीं शताब्दी में भारत में राष्ट्रीय चेतना का उदय मुख्य रूप से अंग्रजी शासन व्यवस्था का परिणाम था।
- भारत में राष्ट्रीय चेतना जागृत करने में विभिन्न कारणों का योगदान रहा परन्तु सभी किसी-न-किसी रूप में ब्रिटेन सरकार की प्रशासनिक नीतियों से संबंधित थी।
- 1878 ई॰ में तत्कालीन वायसराय लॉर्ड लिटन ने ‘वर्नाक्युलर प्रेस एक्ट‘ पारित कर प्रेस पर कठोर प्रतिबंध लगा दिया।
- 1879 में ‘आर्म्स एक्ट‘ के द्वारा भारतीयों के लिए अस्त्र-शस्त्र को रखना गैर कानूनी घोषित कर दिया गया।
- 1883 में ‘इलबर्ट बिल‘ का पारित होना। इस बिल का उद्देश्य भारतीय और यूरोपीय व्यक्तियों के फौजदारी मुकदमों की सुनवाई सामान्य न्यायालय में करना था और उस विशेषाधिकार को समाप्त करना था, जो यूरोप के निवासियों को अभी तक प्राप्त था और जिसके अर्न्तगत उनके मुकदमें सिर्फ यूरोपीय जज ही सुन सकते थे। यूरोपीय जनता ने इसका विरोध किया जिसके कारण सरकार को इस बिल को वापस लेना पड़ा।
- 1899 में लार्ड कर्जन ने ‘कलकŸा कॉपरेशन‘ एक्ट पारित किया जिसमें नगर पालिका में निर्वाचित सदस्यों की संख्या में कमी और गैर निर्वाचित सदस्यों की संख्या में वृद्धि की गई।
- 1904 में विश्वविद्यालय अधिनियम द्वारा विश्वविद्यालय पर सरकारी नियंत्रण बढ़ा दिया जाना।
- 1905 में बंगाल विभाजन कर्जन के द्वारा सम्प्रदायिकता के आधार पर कर देना।
- 1910 में इंडियन प्रेस एक्ट पारित कर उŸोजित लेख छापने वाले को दंडित करना।
आर्थिक कारण
- नकदी फसलों की उगाही अपनी मनमानी किमतों पर करना।
- उद्योग क्षेत्रों में मजदूरों, कामगारों को मुसीबतों का सामना करना
- 1882 में सूती वस्त्रों पर से आयात शुल्क हटा लेना।
- भारत में औद्योगीकरण की समस्या।
- अधिक भू-राजस्व (लगान) वसुलना।
- सामाजिक कारण
- अंग्रेजों के द्वारा भारतीयों को हेय दृष्टि से देखना।
- रेलगाड़ी में, क्लबों में, सड़कों पर और होटलों में अंग्रेज भारतीय के साथ दुर्व्यवहार करना।
- इंडियन सिविल सर्विस में भारतीयों के साथ भेद-भाव करना।
धार्मिक कारण
- धर्मसुधार आंदोलन
- धर्म के प्रति लोगों में निष्ठा की भाव को जागृत करना।
- बहुत सारे धर्म सुधारकों ने एकता, समानता एवं स्वतंत्रता का पाठ पढ़ाना।