सूती वस्त्र उद्योग :
भारत में सर्वप्रथम 1854 ई० में काबस जी नानाभाई डाबर ने मुम्बई में आधुनिक सुती वस्त्र उद्योग का विकास किया।
सूती वस्त्र उद्योग आज भारत का सबसे विशाल उद्योग है। यह कृषि के बाद रोजगार प्रदान करनेवाला दूसरा सबसे बड़ा क्षेत्र है।
सकल घरेलू उत्पादन में इसका योगदान 4.0 प्रतिशत है एवं विदेशी आय में इसका योगदान 17 प्रतिशत है।
सूती वस्त्र उद्योग के लिए कच्चे माल के रूप में कपास का उपयोग किया जाता है। मुम्बई को सूती कपड़ों की महानगरी कहा जाता है। क्योंकि सिर्फ मुम्बई महानगरी क्षेत्र में देश का लगभग एक चौथाई सूती वस्त्र तैयार किया जाता है।
जूट या पटसन उद्योग :
सूती वस्त्र उद्योग के बाद जूट उद्योग भारत का दूसरा महत्वपूर्ण उद्योग है। कच्चे जूट और जूट से बने समान के उत्पादन में भारत विश्व में पहला स्थान है। जूट के समान के निर्यात में भारत विश्व में बंगलादेश के बाद दूसरा स्थान है। पश्चिम बंगाल में 80 प्रतिशत से अधिक जूट के समानों का उत्पादन होता है।