• Skip to primary navigation
  • Skip to main content
  • Skip to primary sidebar
  • Skip to footer

ECI TUTORIAL

Everything about Bihar Board

  • Home
  • Class 12th Solution
  • Class 10th Solution
  • Class 9th Solution
  • Bihar Board Class 8th Solution
  • Bihar Board Class 7th Solutions
  • Bihar Board Class 6th Solutions
  • Latest News
  • Contact Us

Bihar Board Class 7 Social Science Ch 8 हमारे आस-पास के बाजार | Hamare Aas Paas ke Bajar Class 7th Solutions

May 4, 2023 by Tabrej Alam Leave a Comment

इस पोस्‍ट में हमलोग कक्षा 7 सामाजिक विज्ञान के पाठ 8 हमारे आस-पास के बाजार (Hamare Aas Paas ke Bajar Class 7th Solutions) के सभी टॉपिकों के बारे में अध्‍ययन करेंगे।

Hamare Aas Paas ke Bajar Class 7th Solutions

8. हमारे आस-पास के बाजार

पाठ के अंदर आए प्रश्न तथा उनके उत्तर 

प्रश्न 1. रामजी की दुकान से लोग किन-किन कारणों से सामान खरीदते हैं । संक्षेप में लिखिए । ( पृष्ठ 7.1 )
उत्तर- रामजी की दुकान घर के निकट है। वहाँ जरूरत की छोटी-मोटी सभी वस्तुएँ मिल जाती हैं। चूँकि सभी ग्राहक जान-पहचान के ही होते हैं, अतः उधार- बाकी भी चलता रहता है। रामजी की दुकान पर वस्तु के बदले वस्तु देने का भी रिवाज है। किसान अपनी उपज की वस्तु देकर जरूरत की वस्तुएँ जैसे― चाय, चीनी, माचिस, गुड़ आदि ले लेते हैं। इन्हीं सब कारणों से गाँव के लोग रामजी की दुकान से सामान खरीदते हैं ।

प्रश्न 2. किराने के सामान के लिये जलहरा के कुछ लोग ही रामजी की दुकान पर बार-बार आते हैं। ऐसा क्यों ?  ( पृष्ठ 71 )
उत्तर – जिन लोगों का घर रामजी की दुकान के निकट है, वे ही लोग दुकान पर आते हैं । वे बार-बार इसलिए आते हैं कि जब जिस वस्तु की आवश्यकता हुई, तब दुकान पर पहुँच जाते हैं। शहरों जैसा वे एक साथ सामान नहीं खरीदते । इसलिए उन्हें बार-बार आना पड़ता है ।

प्रश्न 3. बहुत कम मात्रा में सामान खरीदने पर महँगा मिलता है । उदाहरण देते हुए अपने मत रखिए । ( पृष्ठ 71 )
उत्तर – हाँ, यह सही है कि बहुत कम मात्रा में सामान खरीदने पर महँगा मिलता है । कारण कि दुकानदर को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में सामान बेचना पड़ता है और इसके लिये वह इस पर आय बढ़ाने के लिये उसे कुछ महँगा बेचेगा ही। दो रुपये की चाय खरीदनी महँगी तो पड़ेगी ही । होना तो यह चाहिए भाव पूछकर 100 ग्राम, 200 ग्राम करके खरीदी जाय तो कुछ सस्ती पड़ सकती थी। लेकिन गाँव में भाव नहीं पूछा जाता। एक रुपये की गोलमिर्च दे दो । पचास पैसे का गुड़ दे दो। ऐसे तो सामान महँगा होगा ही ।

प्रश्न 1. जलहरा की दुकान तथा तियरा के बाजार वाली दुकानों में क्या अंतर है ?  ( पृष्ठ 71)
उत्तर—जलहरा की दुकान गाँव में एक मात्र दुकान हैं, वहीं तियरा 500 घरों के बीच बसा एक बाजार है। तियरा बाजार में 20 के लगभग किराने की दुकानें हैं। कपड़े की दुकानें हैं। दर्जी हैं। चाय-नाश्ता की दुकानें हैं। दूध भी मिल जाता है। सब्जियों की भी दुकाने हैं। ठेले पर नमकीन जैसे छोले, गोलगप्पे मिल जाते हैं । तियरा की दुकानें अलग-अलग हैं। इस बाजार में तियरा गाँव के अलावा आस पास के गाँव के लोग भी सामान खरीदने आ जाते हैं । यहाँ कॉपी-किताबें भी मिल जाती हैं। साइकिल मरम्मत की दुकाने हैं, जहाँ उनके पार्ट-पुर्जे भी रहते हैं। कुल मिलाकर यही कहा जा सकता है कि जलहरा में केवल घरेलू उपयोग के सामान मिलते हैं जबकि तियरा बाजार में लम्बी अवधि तक काम में आने वाले सामानों के साथ नाश्ता – पानी भी मिल जाते हैं ।

प्रश्न 2. आस-पास के गाँवों के लोग किन कारणों से तियरा के बाजार में आते हैं ?  ( पृष्ठ 71 )
उत्तर – चूँकि तियरा बाजार में तरह-तरह की वस्तुएँ मिल जाती हैं, जिनकी आवश्यकता गाँव वालों को गाहे – बिगाहे पड़ती है। कपड़े रोज नहीं खरीदे जाते और न कुरता – कमीज रोज सिलवाये जाते हैं। साइकिल की मरम्मती भी कभी-कभी ही होती है । दूसरी बात कि किराने का सामान एक साथ अधिक लेना हो तो तियरा की दुकानों पर ही आना पड़ेगा। शाम को घूमने टहलने भी लोग बाजार आ जाते हैं और चाय-नाश्ता कर लेते हैं । इस कारण शाम के समय बाजार कुछ गुलजार हो जाता है । कारण कि इस समय आस-पास के गाँव वाले सब्जी लेकर चले आते हैं । फलतः लोग ताजी हरी सब्जियाँ भी खरीदते हैं। वास्तव में संध्या समय हर वस्तु की बिक्री बढ़ जाती है ।

प्रश्न 3. उधार लेना कभी तो मजबूरी है तो कभी सुविधा । उदाहरण देकर समझाइए । ( पृष्ठ 71 )
उत्तर — ग्राहकों को कभी-कभी ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ता है जब कोई वस्तु खरीदनी आवश्यक हो जाती है और हाथ में रुपया नहीं रहता । ऐसी स्थिति में उधार लेना मजबूरी हो जाती है । कभी-कभी बाजार में कोई ऐसी वस्तु आ गई कि उसे खरीद लेने का मन हो गया और पास में रुपया नहीं है। ऐसी स्थिति में उधारी लेना सुविधा कहलाएगी। लेकिन यह तभी सम्भव होगा जब दुकानदर को आप पर भरोसा हो, बाजार में आपकी साख हो ।

प्रश्न 1. लोग साप्ताहिक बाजार क्यों आना पसन्द करते हैं ? ( पृ० 72 )
उत्तर — खासकर हरी साग-सब्जियाँ खरीदने की गरज से लोग साप्ताहिक बाजार में जाते हैं। वहाँ गृहस्थी के सभी सामान मिल जाते हैं। हँसुआ, खुरपी, पहसुल, हल, हल के फाल, मिट्टी के बरतन, खिलौने, अनाज, चावल, दाल, किरासन तेल इत्यादि सभी साप्ताहिक बाजार में मिल जाते हैं। बाजार में सरसों, तीसी, मकई, महुआ खरीदने वाले भी होते हैं । जिन ग्रामीणों के पास नगद पैसा नहीं है और अपनी उपज की वस्तु है तो वहाँ बेचकर नगद रुपया खड़ाकर लेते हैं और उसी से अपनी जरूरत के सामान खरीद लेते हैं । ये ही सब कारण है कि लोग साप्ताहिक बाजार में आना पसन्द करते हैं ।

प्रश्न 2. साप्ताहिक बाजार में वस्तुएँ सस्तो क्यों होती हैं ? (पृष्ठ 72 )
उत्तर – साप्ताहिक बाजार में वैसी ही वस्तुएँ होती है जो स्थानीय लोगों या आस-पास के ग्रामीण द्वारा उपजाई या बनाई हुई होती हैं । इस कारण वे सस्ते में ही बेंच कर पैसा खड़ा कर लेना चाहते हैं । खरीदी गई वस्तुओं को भी बिक्रेता कम लाभ पर ही बेचकर केवल रुपया लेकर घर जाना चाहते हैं । यदि वे बेच न दें तो ढोकर वस्तु उन्हें घर ले जाना पड़ेगा। इसी कारण साप्ताहिक बाजार में वस्तुएँ सस्ती होती हैं ।

प्रश्न 3. मोल-भाव कैसे और क्यों किया जात है। अपने अनुभव के आधार पर टोलियाँ बनाकर नाटक करें ।
उत्तर- मोल-भाव करते समय दुकानदार अधिक-से-अधिक मूल्य वसूलना चाहता है जबकि ग्राहक कम-से-कम मूल्य देना चाहता है । ऐसे ही मोल भाव करते- करते जिस मूल्य पर दोनों पक्ष सहमत हो जाते हैं, उस मूल्य पर खरीद-बिक्री हो जाती है ।

                                   नाटक

रमेश – ( दुकानदार से कहता है) इस स्वेटर का कितना मूल्य है ?
दुकानदार – इस स्वेटर का मूल्य 200 रुपया है ।
रमेश – ऐसे ही स्वेटर तो दिल्ली में 125 रुपया में मिल रह था ।
दुकानदार – दिल्ली की बात दिल्ली में, यहाँ तो 200 रु. ही लगेगा ।
रमेश – भाई इतना नफा क्यों रखते हैं 150 रु. में दे दीजिए ।
दुकानदार – नहीं, 200 से कम में नहीं मिलेगा ।
रमेश – तब आपकी मर्जी ( कहकर रमेश चलने लगता है)
दुकानदार – आइए 175 रुपया दे दीजिए ।
रमेश – नहीं, 160 रु. से अधिक नहीं दूँगा, देना हो तो दे दीजिए
दुकानदर –  ठीक है, लाइए, सुबह-सुबह की बोहनी है । मैं आपको वापस जाने देना नहीं चाहता ।
( रमेश 160 रुपया देता है और स्वेटर लेकर चल देता है ।)

प्रश्न 4. साप्ताहिक बाजार में जाने का अनुभव लिखिए ।
उत्तर—गर्मी की छुट्टी में मैं अपने सहपाठी सुरेन्द्र के यहाँ गया था । उसने एक सोमवार को कहा कि चलो आज साप्ताहिक हाट घूमने चलते हैं। हाट में पहुँचने पर हमनें पाया कि हाट का हो हल्ला दूर से ही सुनाई पड़ रहा था। हाट में घुसने के पहले मिले वे अनाज खरीदने वाले जो ग्रामीणों से अनाज खरीद कर उन्हें नगद पैसे दे रहे थे । फिर मिले किरासन बेचने वाले चार-पाँच दुकानदर जो ग्राहकों से बोतल लेकर अपने-अपने कब्जे में कर रहे थे, जिससे वे उन्हीं के यहाँ से किरासन लेवें। हर दुकानदार के पास दस से पन्द्रह बोतल देखने को मिले। अब हम बाजार में प्रवेश कर चुके थे। एक और अनाज, चावल आदि बेचनेवाले बैठे थे और ग्राहकों की माँग के मुताबिक तौल रहे थे। हर दुकानदार के पास दो-तीन ग्राहक खड़े मिले। हरी सब्जियाँ बिक रही थीं। अधिक हल्ला सब्जी बाजार में ही हो रहा था । इधर- उधर खैनी- चूना बेचने वाले बैठे थे। हाट के बाहर छोटी-छोटी मछलियाँ बिक रही थीं, जो ग्रामीण गड्ढों से निकाली गई थीं । एक तरफ मांस बिक रहा था। बड़ी भीड़ थी। पूरा हाट घूमते-घूमते संध्या हो गई । बिक्री करने वालों के सामान भी समाप्ति पर थे। हम लोग घूम-फिर कर घर को लौट चले । ग्राहक भी सामान लिए अपने- अपने घर लौट रहे थे। हम लोगों के साथ तो वही कहावत लागू हो रही थी कि : “पैसा न कौड़ी बीच बाजार में दौड़ा-दौड़ी। “

प्रश्न 1. अपने घर के आस-पास या किसी शहर के मुहल्ले की दुकान का विवरण लिखें ।  ( पृष्ठ 74 )
उत्तर – मेरे घर के पास रामजी की दुकान है । उस दुकान पर घरेलू उपयोग की जरूरी वस्तुएँ मिलती है । वहाँ बच्चों के लिये बिस्कुट और टॉफियाँ भी बिकती है। चाय, चीनी, गुड़, तम्बाकू, खैनी, चावल, दाल, मसाला, नमक आदि सभी वस्तुएँ रामजी की दुकान पर रहती हैं और बिकती है। रामजी खरीद-बिक्री का सारा काम अकेले करते हैं।

प्रश्न 2. साप्ताहिक बाजार और गाँव को दुकानों में क्या अंतर है ? (पृष्ठ 74 )
उत्तर— साप्ताहिक बाजार में आवश्यकता की सभी वस्तुएँ एक ही स्थान पर मिल जाती हैं। चाहे वह घरेलू सामान हो या खेती के सामान । मीट-मछली भी मिल जाती है। हर प्रकार की ताजी हरी सब्जियाँ मिल जाती हैं । लेकिन गाँव की दुकानों में मात्र कुछ ही घरेलू सामान मिलते हैं । साप्ताहिक बाजार में उधारी नहीं चलता लेकिन गाँव की दुकान में उधारी भी मिल जाता है ।

प्रश्न 3. पूरन और जूही उस रामजी की दुकान से ही सामान क्यों खरीदते हैं ?
उत्तर — पूरन और जूही उस रामजी की दुकान से ही सामान इसलिए खरीदते ( पृष्ठ 74 ) हैं क्योंकि वह दुकान उनके घर के निकट है। एक कारण यह भी है कि उस दुकान से पूरन और जूही का उधार – बाकी भी चलता है। भुगतान महीने के अंत में पिताजी का वेतन मिलने के बाद होता है।

प्रश्न 1. शहरों के कॉम्प्लेक्स या मॉल में लोग मोल-भाव क्यों नहीं करते हैं? ( पृष्ठ 75 )
उत्तर — शहरों के कॉम्प्लेक्स या मॉल में अधिकतर ब्राण्डेड वस्तुएँ ही रहती । यहाँ तक कि चावल-दाल से लेकर फलों तक को ब्राण्डेड किया हुआ रहता है । सभी वस्तुओं पर मूल्य अंकित रहता है । वहाँ बिक्री करने वाले मालिक नहीं, सेवक होते हैं। उन्हें मूल्य में पैसा दो पैसा भी कम करने का अधिकार नहीं । इसी कारण कॉम्पलेक्स या मॉल में लोग मोल-भाव नहीं करते ।

प्रश्न 2. मॉल के दुकानदार और मोहल्ले के दुकानदार में क्या-क्या अंतर है ? सोच कर उत्तर लिखिए । ( पृष्ठ 75 )
उत्तर- मॉल के दुकानदार जहाँ वैतनिक कर्मचारी होते हैं वहीं मोहल्ले के दुकनदार स्वयं मालिक होते हैं। एक तो कोई मॉल में मोल-भाव नहीं करता और यदि करे भी तो उस कर्मचारी को एक पैसा भी छोड़ने का अधिकार नहीं होता । लेकिन मोहल्ले के दुकानदार से लोग खुल कर मोल-भाव करते हैं । चूँकि दुकानदार स्वयं मालिक होता है, वह अपने मुनाफे में से कुछ अंश छोड़ भी देता है । वह इस प्रकार कुछ छूट देकर अपनी ग्राहक संख्या बढ़ाना चाहता है । वह यह भी चाहता है कि ग्राहक उससे प्रसन्न रहें। मॉल वालों को इससे कोई मतलब नहीं होता । इसलिए वहाँ मोल भाव नहीं होता ।

प्रश्न 3. ब्राण्डेड सामान किन कारणों से महँगा होता है ? ( पृष्ठ 75 )
उत्तर – ब्राण्ड को रजिस्टर्ड कराने में व्यय करना पड़ता है। ऐसे सामानों की पैकिंग भी सुन्दर और महँगी होती है। इनका खर्च भी सामानों के मूल्य में जुड़ा रहता है। ऐसे सामान बड़ी-बड़ी दुकानों या मॉलों में बिकते हैं। वहाँ दुकान का किराया, बिजली पर खर्च, कर्मचारियों पर खर्च आदि भी जोड़ा जाता है । इन्हीं सब कारणों से ब्राण्डेड सामान महँगा होता है ।

प्रश्न 4. दुकान या बाजार एक सार्वजनिक जगह है। शिक्षक संग चर्चा करें ।
उत्तर – दुकान निजी होती है लेकिन बाजार सार्वजनिक होते हैं। सार्वजनिक का अर्थ होता है सरकारी । सरकार चूँकि जनता की है और बाजार सरकार का है, फलतः बाजार को स्पष्टतः सार्वजनिक कह सकते हैं । अतः एक वाक्य में हम कहें तो कह सकते हैं कि दुकान निजी स्थान है तथा बाजार सार्वजनिक स्थान हैं ।

अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. पाठ एवं अपने अनुभव के आधार पर इन दुकानों की तुलना करें । निम्नांकित खाली जगहों को भरें ।

प्रश्न 2. बाजार क्या है ? यह कितने प्रकार का होता है ?
उत्तर—जहाँ तरह-तरह की वस्तुएँ बेचने की दुकानें होती हैं और खरीददार अपनी आवश्यकता की वस्तुएँ खरीदते हैं । अर्थात् जहाँ क्रेता तथा विक्रेता दोनों होते हैं, उसे बाजार कहते हैं ।
बाजार अनेक प्रकार के होते हैं । जैसे—स्थानीय बाजार, प्रखंड के बाजार, जिलों के बाजार, बड़े शहरों के बाजार आदि । स्थानीय बाजार में स्थान विशेष के खरीददार होते हैं। प्रखंड स्तर के बाजार में प्रखंड भर के लोग खरीददार होते हैं। जिले के बाजार में जिले भर के खरीददार आते हैं। वैसे ही बड़े बाजारों में राज्य भर के और कभी-कभी दूसरे राज्यों के खरीददार भी खरीददारी करने आ जाते हैं।

प्रश्न 3. ग्राहक सभी बाजारों से समान रूप से खरीददारी क्यों नहीं कर पाते ?
उत्तर— ग्राहक सभी बाजारों से समान रूप से खरीददारी इसलिये नहीं कर पाते क्योंकि जहाँ से जिस खरीददार को खरीददारी करने में सुविधा होती है, वे उसी बाजार से खरीददारी करते हैं । बहुत खरीददारों को वस्तु के बदले वस्तुएँ खरीदनी होती हैं, बहुतों को उधारी लेनी होती है, कुछ मासिक भुगतान करते हैं। कुछ सामान नजदीकी बाजार में नहीं मिलने की स्थिति में खरीददार को दूर के बाजार में जाना पड़ता है। टेलिविजन और मोटरकार सर्वत्र नहीं मिल सकते। अतः इनके लिए उसे बड़े शहर के बाजार में जाना पड़ता है ।

प्रश्न 4. बाजार में कई छोटे दुकानदार से बातचीत कर के उनके काम और आर्थिक स्थिति के बारे में लिखें ।
उत्तर— बाजार के कई छोटे दुकानदारों से बातचीत करने पर पता चला कि उनकी आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं होती। पूँजी की कमी के कारण उन्हें थोक विक्रेताओं से उधारी लेने के कारण वस्तुएँ महँगी मिलती हैं, जिससे उनका लाभ कम हो जाता है। वे उधारी देते हैं। खरीददार समय पर चुकता नहीं करते। इस कारण उन्हें सदैव कमी से जूझना पड़ता है । किसी-किसी प्रकार घर का खर्चा भर निकल पाता है । वार्षिक बचत नगण्य होती है ।

प्रश्न 5. बाजार को समझने के लिये अपने माता-पिता के साथ आसपास के बाजारों का परिभ्रमण करके संक्षिप्त लेख लिखिए ।
उत्तर— मैं अपने पिताजी के साथ गाँव के साप्ताहिक हाट से लेकर गाँव की दुकान तथा शहर तक के बाजारों में घूसा। सभी बाजारों के सामानों, खरीददारों, दुकानदारों को समझा। सर्वत्र अनेक अंतर देखने को मिले। हमारे गाँव की दुकानों पर जहाँ वस्तु के बदले वस्तु मिल जाती है तो दूर के बाजारों में केवल नकद खरीद- बिक्री होते देखा ।
बड़े शहरों में तो वस्तु के बदले चेक से लेन-देन होते देखा । क्रेडिट कार्ड भी शहरों की एक खास सुविधा है। बड़ी दुकानें अपनी बिक्री के फैक्स या इन्टरनेट से देते हैं और इसका भुगतान भी बैंक के जरिये इन्टरनेट से  ही कर देते हैं । वहाँ माल या ट्रांसपोर्ट से आता है और बाजार में सज जाता है, जहाँ से ग्राहक नगद रुपया या ड्राफ्ट या चेक देकर खरीदते हैं ।
इस प्रकार हमने देखा कि बाजार सामानों के उत्पादन और बिक्री का अवसर देता है । गाँव की छोटी दुकान, साप्ताहिक हाट, मुहल्ले की दुकान से लेकर शॉपिंग कम्पलेक्स तथा मॉल के व्यापारियों के साथ ही खरीददारों की एक जमात होती है । उत्पादक से लेकर छोटे दुकानदार सभी एक-दूसरे से जुड़े होते हैं । वास्तव में इन सभी लोगों के मिले-जुले रूप को बाजार कहते हैं ।

प्रश्न 6. आप भी बाजार जाते होंगे। अपने अनुभव के अधार पर इस तालिका को भरें ।

प्रश्न 7. किसी साप्ताहिक बाजार में दुकानें लगाने वालों से बातचीत करके अनुभव लिखें कि उन्होंने यह काम कब और कैसे शुरू किया ? पैसों की व्यवस्था कैसे की ? कहाँ-कहाँ दुकानें लगाता/लगाती है ? सामान कहाँ से खरीदता/खरीदती है ?

उत्तर – मैंने साप्ताहिक बाजार (हाट) में दुकान लगानेवाले तीन लोगों से बातें की। इनमें एक दुकानदार अनाज बेचते हैं, एक दुकानदार सब्जियाँ बेचते हैं । एक दुकानदार खैनी बेचते हैं।

अनाज बेचने वाले दुकानदार ने बताया कि यह मेरी पुश्तैनी धंधा है। मैंने अपनी बैलों की जोड़ी तथा बैलगाड़ी रखी है। बाजार लगने के एक दिन पहले मैं जिले के थोक बाजार में जाकर अढ़तिये से बिक्री लायक अनाज खरीदता हूँ । अनाजों में मकई, चना, चावल, जौ, जो मिल गया एक बैल गाड़ी भर कभी छः बोरे और कभी सात बोरे माल लेता हूँ । चावल अधिक लाता हूँ । माल खरीदते लदवाते संध्या हो जाती है। रात की यात्रा करके सुबह तक हाट में पहुँच जाता हूँ । बैलों को भूसा- पानी देकर स्वयं स्नानादि कर कभी दही चिउड़ा और कभी सत्तू खाकर सो जाता हूँ। दो बजे उठता हूँ और अपने स्थान पर करीने से सभी अनाज सजा देता हूँ । . लगभग तीन बजे से बिक्री शुरू हो जाती है। कुछ बोरे तो थोक में ही बेच देता हुँ । और कुछ अनाज खुदरा बेचता हूँ । संध्या होते-होते खाली बोरों और बाट- बटखरों के साथ घर के लिये रवाना हो जाता हूँ। एक डेढ़ घंटे में घर पहुँच जाता हूँ। बैलों को खाना-पानी देकर स्वयं फ्रेश होता हूँ और खाकर सो जाता हूँ। बैलों को भी आरामदेह स्थान पर बाँध देता हूँ । पुनः एक दिन बीच देकर दूसरे बाजार के लिए जोगाड़ करता हूँ । यही धंधा मेरा सालों भर का है

 सब्जी बेचने वाले एक दुकानदार से पूछने पर उन्होंने बताया कि कुल मिलाकर हमारे आस-पास तीन साप्ताहिक हाट लगते हैं। सभी हाट अलग-अलग दिनों पर दो-दो दिन बीच देकर लगते हैं। मैं गाँवों में घूम कर देखता हूँ कि वहाँ कौन सब्जी तैयार है। किसानों से मोलभाव करके जो सब्जी मिली, खरीदता हूँ। अपने सर पर लेकर हाट पहुँचता हूँ । संध्या तक सभी सब्जियाँ बिक जाती हैं और रात में घर पहुँच जाता हूँ। इसमें अधिक पूँजी की जरूरत नहीं पड़ती। कुछ अपना पैसा लगाता

और अधिकतर उधारी मिल जाता है, जिसका भुगतान हाट के दूसरे दिन दे देता हूँ। यह काम मैं दो वर्षों से करता हूँ । अब लगता है कि अपनी पूँजी तैयार हो जाएगी। यदि घर खर्च नहीं चलाना रहता तो कब का कितना रुपया मेरे पास हो गया रहता ।

खैनी वाले दुकानदार ने मुझे बताया कि मैं अपने आस-पास के थोक विक्रेता. से खैनी थोक में खरीदता हूँ और सभी हाटों में जाकर एक जगह बैठ जाता हूँ और खुदरा में बेचता हूँ । साथ में चूना तो रखता ही हूँ, तक्था तथा कटर भी रखता हूँ । जिस पत्ते को ग्राहक पसंद करता है, उसे कतरकर उसके डिबिया में भर देता हूँ तथा चूना मुफ्त से दे देता हूँ। इस व्यापार से मुझे लगभग 25% का लाभ हो जाता है। पूँजी मुझे अपने घर से मिली थी ।

कुछ अन्य प्रमुख प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. एक फेरी वाला, किसी दुकानदार से कैसे भिन्न है ?
उत्तर- एक फेरी वाला एक दुकानदार से इस प्रकार भिन्न है कि फेरी वाला कुछ वस्तु या वस्तुओं को गली-गली में घूम कर बेचता है। जबकि दूकानदार एक जगह स्थायी रूप से रह कर बेचता है। फेरी वाले खास-खास वस्तुएँ ही रखते हैं जबकि दुकानदार प्रायः जरूरत के सभी सामान रखते हैं। कुछ लोग ठेले पर घूमकर सब्जियाँ बेचते हैं, लेकिन ग्राहक को उनसे विकल्प की आशा नहीं रहती । बाजार में जाने पर घूम कर ताजी और अच्छी सब्जियाँ खरीदी जा सकती हैं। आजकल तो सब्जी की दुकानें भी होने लगी हैं।

प्रश्न 2. स्पष्ट कीजिए कि बाजारों की श्रृंखला कैसे बनती है ? इससे किन उद्देश्यों की पूर्ति होती है ?
उत्तर—उत्पादक और उपभोक्ता के बीच जितने लोग आते हैं उन्हीं को मिलाकर बाजार की शृंखला बनती है। आप हिन्दुस्तान लीवर से एक साबुन नहीं खरीद सकते और न किसी किसान से एक किलो आलू । वास्तव में ये लोग अपना उत्पादन थोक व्यापारियों के हाथ बेचते हैं। थोक व्यापारी उपव्यापारियों के हाथ और फिर उनसे खुदरा व्यापारी माल खरीदते हैं और बाजारों में या गाँव के मोहल्लों या गुमटी जैसे दुकानदारों के पास वस्तुएँ पहुँचती हैं, जहाँ से हमारे आपके जैसे उपभोक्ता सामान खरीदते हैं।

प्रश्न 3. सब लोगों को बाजार में किसी भी दुकान पर जाने का समान अधिकार है । क्या आपके विचार से महँगे उत्पादों की दुकानों के बारे में यह बात सत्य है ? उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर – प्रश्न का यह वाक्य लोकतंत्र में समानता के अधिकार को व्यक्त करता है। कोई दुकानदार जाति, धर्म, लिंग, धनी, निर्धन आदि के आधार पर किसी नागरिक को अपनी दुकान पर आने से नहीं रोक सकता । बस उस आदमी को चोर उचक्का, या लूटमार करनेवाला नहीं होना चाहिए।
जहाँ तक महँगे उत्पाद का प्रश्न है वहाँ कोई जाएगा ही नहीं, यदि उस वस्तु को खरीदने की यदि उसमें क्षमता नहीं होगी। इसके बावजूद उस दुकान में जाकर वह वस्तु को देख ले और दाम पूछ ले तो इसमें हर्ज क्या है ? दूकानों में ऐरा – गैरा कोई जाएगा ही नहीं और यदि चला भी गया कोई एतराज नहीं होना चाहिए

प्रश्न 4. बाजार में गए बिना भी खरीदना और बेचना हो सकता है। उदाहरण देकर इस कथन की व्याख्या कीजिए ।
उत्तर – यह बात बिलकुल सही है कि बाजार में गए बिना भी खरीदना और बेचना हो सकता है । आजकल बड़े शहरों में दुकानदार को टेलीफोन करके आवश्यकता की वस्तुओं के नाम और परिमाण लिखा देने पर दुकानदार स्वयं सामान पहुँचा देता है और मूल्य ले जाता है। ऐसी दुकानों पर उधार – बाकी भी चलता यदि दोनों पूर्व परिचित हो ।

Read more- Click here
You Tube – Click here

Post Views: 155

Filed Under: Sanskrit

Reader Interactions

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Primary Sidebar

Class 10th Solutions Notes

  • Class 10th Hindi Solutions
  • Class 10th Sanskrit Solutions
  • Class 10th English Solutions
  • Class 10th Science Solutions
  • Class 10th Social Science Solutions
  • Class 10th Maths Solutions

Class 12th Solutions

  • Class 12th English Solutions
  • Class 12th Hindi Solutions
  • Class 12th Physics Solutions
  • Class 12th Chemistry Solutions
  • Class 12th Biology Objective Questions
  • Class 12th Geography Solutions
  • Class 12th History Solutions
  • Class 12th Political Science Solutions

Search here

Social Media

  • YouTube
  • Instagram
  • Twitter
  • Facebook

Recent Comments

  • Aman reja on Class 10th Science Notes Bihar Board | Bihar Board Class 10 Science Book Solutions
  • Aman reja on Class 10th Science Notes Bihar Board | Bihar Board Class 10 Science Book Solutions
  • Aman reja on Class 10th Science Notes Bihar Board | Bihar Board Class 10 Science Book Solutions

Recent Posts

  • Bihar Board Class 9th Maths Book Solutions in Hindi Medium
  • BSEB Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Ex 2.5
  • BSEB Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Ex 2.4
  • BSEB Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Ex 2.3
  • BSEB Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Ex 2.2

Connect with Me

  • Email
  • Facebook
  • Instagram
  • Twitter
  • YouTube

Most Viewed Posts

  • Bihar Board Text Book Solutions for Class 12th, 11th, 10th, 9th, 8th, 7th, 6th
  • Bihar Board Class 12th Book Notes and Solutions
  • Patliputra Vaibhavam in Hindi – संस्‍कृत कक्षा 10 पाटलिपुत्रवैभवम् ( पाटलिपुत्र का वैभव )
  • Bihar Board Class 10th Sanskrit Solutions Notes पीयूषम् द्वितीयो भाग: (भाग 2)
  • Ameriki Swatantrata Sangram Class 9 | कक्षा 9 इतिहास इकाई-2 अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम

About Me

Hey friends, This is Tabrej Alam. In this website, we will discuss all about bihar board syllabus.

Footer

Most Viewed Posts

  • Bihar Board Text Book Solutions for Class 12th, 11th, 10th, 9th, 8th, 7th, 6th
  • Bihar Board Class 12th Book Notes and Solutions
  • Patliputra Vaibhavam in Hindi – संस्‍कृत कक्षा 10 पाटलिपुत्रवैभवम् ( पाटलिपुत्र का वैभव )

Class 10th Solutions

Class 10th Hindi Solutions
Class 10th Sanskrit Solutions
Class 10th English Solutions
Class 10th Science Solutions
Class 10th Social Science Solutions
Class 10th Maths Solutions

Recent Posts

  • Bihar Board Class 9th Maths Book Solutions in Hindi Medium
  • BSEB Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Ex 2.5

Follow Me

  • YouTube
  • Instagram
  • Twitter
  • Facebook

Quick Links

  • Home
  • Bihar Board
  • Books Downloads
  • Tenth Books Pdf

Other Links

  • About us
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer

Copyright © 2022 ECI TUTORIAL.