BSEB Class 8 Social Science Chapter 14. हमारे इतिहासकार कालीकिंकर दत्त (1905-1982) |

Bihar Board Class 8 Social Science हमारे इतिहासकार कालीकिंकर दत्त (1905-1982) (Hamare Itihaskar Kaliking Dant Class 8th History Solutions) 

Hamare Itihaskar Kaliking Dant Class 8th History Solutions

14. हमारे इतिहासकार कालीकिंकर दत्त (1905-1982)

डॉ कालीकिंकर दत्त का जन्म पाकुर जिला के झिकरहारी गाँव में 1905 में हुआ था। 1927 ई० में इन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से एम० ए० की

परीक्षा पास की। 1930 में ये पटना कॉलेज इतिहास विभाग में व्याख्याता भी नियुक्त हुए। ‘अलीवर्दी अण्ड हिज टाइम्स’ नामक शोध-प्रबंध पर इन्हें कलकत्ता विश्वविद्यालय से पी० एच डी० की उपाधि मिली।

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1958 में इन्हें पटना कॉलेज का प्राचार्य बनाया गया। 14 मार्च, 1965 को ये पटना विश्वविद्यालय के उपकुलपति बने । दो पूर्ण कालावधि पूरा करनेके बाद 1971 में ये सेवानिवृत्त हुए। डॉ. दत्त शोध एवं सर्वेक्षण कार्य से – संबंधित अन्य संस्थाओं से भी जुड़े रहे।

उन्होंने पचास से भी अधिक पुस्तकों का लेखन एवं संपादन कार्य किया। इनके द्वारा लिखित महत्त्वपूर्ण पुस्तकों में हिस्ट्री ऑफ फ्रीडम मूवमेंट इन बिहार, तीन भागों में (1956-58) पटना से प्रकाशित हुई। यह पुस्तक आजादी की लड़ाई का मुख्य स्रोत तो बनी ही, 1857 की क्रांति की शताब्दी ग्रंथ भी बन गयी । इस पुस्तक के महत्त्व को देखते हुए बिहार हिन्दी ग्रंथ अकादमी ने बिहार में स्वातंत्र्य आंदोलन का इतिहास नाम से हिन्दी में अनुवाद कराया।

इसके अतिरिक्त इन्होंने गांधीजी इन बिहार (पटना 1969), बायोग्राफी ऑफ कुंवर सिंह एण्ड अमर सिंह, राजेन्द्र प्रसाद (नई दिल्ली, 1970) के साथ-साथ रिफ्लेक्शन ऑन द म्यूटिनी (कलकत्ता, 1966) की भी रचना की।

इन्होंने इतिहास की लगभग पचासों पुस्तकों का लेखन एवं संपादन । किया। जिसमें उनकी सबसे महत्त्वपूर्ण कृति कम्प्रीहेन्सिव हिस्ट्री ऑफ बिहार .. खण्ड-III है। वर्द्धमान विश्वविद्यालय ने इन्हें डी. लिट की उपाधि भी प्रदान की। अध्ययन-अध्यापन, शोध और लेखन के उच्च मानदण्ड का निर्वाह करते हुए डॉ. दत्त 24 मार्च, 1982 को परलोकवासी हो गए।

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