7. Lokgeetam class 9 sanskrit | कक्षा 9 ‘लोकगीतम्’

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 9 संस्‍कृत भाग दो के कविता पाठ सात ‘लोकगीतम्’ (Lokgeetam class 9 sanskrit)’ के अर्थ को पढ़ेंगे।

Lokgeetam class 9 sanskrit

7. ‘लोकगीतम्’

पाठ-परिचय प्रस्तुत पाठ ‘लोकगीतम्’ में क्षेत्रविशेष में गाए जाने वाले गीतों के विषय में बताया गया है। लोकगीत क्षेत्र विशेष में गाए जाने वाले गीत को कहते हैं। हर क्षेत्र की बोली अलग प्रकार की होती है। इसलिए गीतों में भी भिन्नता पाई जाती है। मगध क्षेत्र के लोकगीत मगही में, भोजपुर के लोकगीत भोजपुरी में तो मिथिला के

लोकगीत मैथिली में गाए जाते हैं। इन लोकगीतों के माध्यम से उस क्षेत्र की सभ्यता, -संस्कृति की झलक मिल जाती है। अत: लोकगीतों का अपना खास महत्त्व होता है जो पर्व-त्योहारों तथा उत्सवों के अवसर पर गाये जाते हैं। लोग इन गीतों के माध्यम से अपने सुख-दुःख का भाव प्रकट करते हैं।

क्षेत्रं कर्षति कृषाणः ।
क्षेत्रं कर्षति कृषाणः ।।
प्रात: उत्थाय नित्यं-2
गृहीत्वा च वृषभौ,
क्षेत्रं गच्छति कृषाणः
क्षेत्रं कर्षति कृषाणः ।

अर्थ- किसान खेत जोतता है। किसान खेत जोतता है। वह प्रतिदिन सवेरे उठकर अपने दोनों बैलों को लेकर खेत में जाता है तथा खेत को जोतता है। Lokgeetam class 9 sanskrit

प्रस्तुत गीत में एक किसान के जीवन का वर्णन किया गया है कि वह किस प्रकार प्रतिदिन कृषि कार्य करता है।

अग्रे-अग्रे बलीवी द्वौ – 2
पृष्ठे कृषीवल,
क्षेत्रं कर्षति कृषाणः ।
क्षेत्रं कर्षति कृषाणः ।।

अर्थ आगे-आगे बैल तथा पीछे से हल लेकर किसान खेत पर जाता है तथा खेत को जोतता है, कृषि कार्य करता है। . .

एक-हस्ते रज्जु धृत्वा
द्वितीये तु दण्डम्,
वृषभं प्राजति कृषाणः
क्षेत्रं कर्षति कृषाणः ।

अर्थ- किसान बैलों को हाँकते समय एक हाथ में दोनों बैलों की रस्सी को पकड़े रहता है तो दूसरे हाथ में पैना लेकर बैलों को हाँकता है। इस प्रकार किसान खेत जोतता है। हल चलाते समय किसान की स्थिति कैसी होती है, उसी के विषय में कहा गया है।

 स्कन्धे तु बीजपात्रम्
नीत्वा करेण,
बीजम् उप्यते रे तेन
क्षेत्रं कर्षति कृषाणः।

उत्तर-इन पंक्तियों में खेतों में बीज लगाने के बारे में कहा गया है कि किसान बीज बोते समय बीज के पात्र को अपने कंधे पर रखता है और हाथ से बीजों को खेतों में डालता है। इस प्रकार बुआई का काम किसान करता है। खेत को किसान जोतता है।

दिवा मध्ये आगतः सः
पीपलच्छायायाम्,
क्रियते भोजनं रे तेन
क्षेत्रं कर्षति कृषाणः ।

अर्थ- दोपहर के समय किसान पीपल की छाया में बैठकर भोजन करता है। अर्थात् – इन किसानों द्वारा दिन का भोजन दोपहर में पीपल की छाया में किया जाता है। इस प्रकार हमारे देश के किसान खेती करते हैं। वे सुबह से शाम तक अपने खेतों में काम करते – हैं। वे अपने हर काम को समयानुसार करते हैं। Lokgeetam class 9 sanskrit

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