Bihar Board Class 7 Social Science History Ch 4 मुगल साम्राज्‍य | Mughal Samrajya Class 7th Solutions

इस पोस्‍ट में हमलोग कक्षा 7 सामाजिक विज्ञान इतिहास के पाठ 4. मुगल साम्राज्‍य (TMughal Samrajya Class 7th  Solutions)के सभी टॉपिकों के बारे में अध्‍ययन करेंगे। Mughal Samrajya Class 7th Solutions

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4. मुगल साम्राज्‍य

अध्याय में अंतर्निहित प्रश्न और उनके उत्तर

प्रश्न 1. इकाई 3 की तालिका – 1 पर नजर डालिये एवं मानचित्र 4 को देखकर लोदियों के राज्य क्षेत्र को चिह्नित कीजिए । (पृष्ठ 59 )
उत्तर—लोदियों के राज्य क्षेत्र थे : बनारस, बिहार, अवध, बदायूँ, कोल, दिल्ली, कुहराम, सरहिंद, सरसुती, हाँसी, लाहौर, नंदाना, कच्छ, मुल्तान, राजकोट आदि ।

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प्रश्न 2. अफगान और मुगल संघर्ष के क्या कारण थे? ( पृष्ठ 62 )
उत्तर- अफगान और मुगल संघर्ष के कारण थे अपने-अपने राज्य क्षेत्र का विस्तार और शेर खाँ द्वारा दिल्ली पर अधिकार ।

प्रश्न 3. क्या आप सल्तनतकालीन अमीर एवं मुगलकालीन अमीर वर्ग में कोई अंतर देखते हैं? ( पृष्ठ 66 )
उत्तर— सल्तनत काल में कुछ ऐसे अमीर बना दिये गये थे, जो वास्तव में उसके योग्य नहीं थे । बरनी ने इसी बात की आलोचना की थी । सल्तनत काल में अमीरों की संख्या कम थी। हालाँकि इन्होंने भारतीय मुसलमानों को भी अमीर बनाया और कुछ हिन्दू, जैन, अफगान और अरब लोगों को अमीर बनाया लेकिन उनकी संख्या नगण्य थी ।
अकबर के दरबार में 51 दरबारी अमीर के ओहदा पर थे । यही लोग शासन-प्रशासन की देखरेख करते थे। इनमें अनेक अकबर के रिश्तेदार भी शामिल थे । इनको बड़ी- बड़ी जागीरें दी गई थीं। ये अपने को बादशाह के समकक्ष समझते थे । अकबर ने कुछ भारतीय मुसलमानों को भी अमीर बनाया और इसके कुछ अमीर ईरानी और तूरानी भी थे। हिन्दुओं को इसने अमीरों से भी ऊँचे ओहदों पर रखा ।

प्रश्न 4. अभी के अधिकारी और मुगलकालीन मनसबदारों में क्या कोई समानता है ?
उत्तर—हाँ, समानता है। मुगलकालीन मनसबदार प्रशासनिक जिम्मेदारी निभाते थे, तो आधुनिक अधिकारी भी प्रशासनिक जिम्मेदारी निभाते हैं ।

अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर

फिर से याद करें :

प्रश्न 1. सही जोड़ बनाएँ :
(क) मनसब                           न्याय की जंजीर
(ख) बैरम खाँ                         पद
(ग) सूबेदार                           अकबर
(घ) जहाँगीर                          चित्तौड़
(ङ) महाराणा प्रताप                गवर्नर

उत्तर :
(क) मनसब                           पद
(ख) बैरम खाँ                        अकबर
(ग) सूबेदार                           गवर्नर
(घ) जहाँगीर                         न्याय की जंजीर
(ङ) महाराणा प्रताप              चित्तौड

प्रश्न 2. रिक्त स्थानों को भरें :
(i) पानीपत की प्रथम लड़ाई बाबर और ……….. के बीच ……… ई. में हुई ।
(ii) यदि जात एक मनसबदार के पद और वेतन का द्योतक था, तो सवार उसके ……….
(iii) शेरशाह ने ………. बड़ी संख्या में निर्माण करवाया ।
(iv) अकबर का दरबारी इतिहासकार …………… था जिसने ……….. नामक पुस्तक लिखी।
(v) ……….. मुगल साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक था ।

उत्तर : (i) इब्राहिम लोदी, 1526, (ii) सैन्य बल, (iii) सरायों की, (iv) अबुल फजल, अकबरनामा, (v) अकबर ।

आइए विचार करें :

प्रश्न 1. मनसबदार और जागीरदार में क्या संबंध था ?
उत्तर – मनसबदार और जागीरदार में यह संबंध था कि मनसबदार केवल भूमि कर से मतलब रखते थे किंतु जागीरदार अपने जागीर पर प्रशासनिक कार्य भी करते थे। जागीरदार भूमि कर स्वयं वसूलते थे, जिसके लिए उन्हें अपनी जागीर में ही रहना अनिवार्य था, लेकिन मनसबदार कहीं भी रहकर अपने कर्मचारियों से लगान वसूलवाते थे ।

प्रश्न 2. पानीपत के मैदान में होने वाली प्रथम लड़ाई का भारतीय इतिहास में क्या महत्व है ?
उत्तर – पानीपत के मैदान में होने वाली प्रथम लड़ाई का भारतीय इतिहास में यह महत्व है कि इस लड़ाई ने भारत में लोदी वंश का सर्वनाश कर दिया और भारत में एक नये वंश मुगल वंश की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया ।

प्रश्न 3. मुगल शासन की विशेषताओं को बताइए । उनमें मनसबदारों की क्या भूमिका थी?
उत्तर – मुगल शासन की विशेषता थी कि उस काल में जनसाधारण का जीवन सुखी और सम्पन्न था। अमीरों के लिये एशो आराम की वस्तुएँ बनाने वालों को यद्यपि मजदूरी कम मिलती थी लेकिन खाद्यान्नों के सस्ता होने के कारण इन्हें कठिनाई नहीं होती थी । बंगाल में मछली – भारत खाने का रिवाज था वहीं उत्तर भारत में रोटी-दाल खाया जाता था। बिहार के लोग भात खाते थे । पशुपालन के कारण दूध, दही, घी भी खूब थे। हालाँकि कपड़े की कमी थी। इसके बावजूद लोग सुखी थे ।

मनसबदार प्रशासनिक काम देखते थे। ये बादशाह के आदेशों और कानूनों का लोगों से पालन कराते थे। आवश्यकता पड़ने पर ये बादशाह को सैनिक मदद भी देते थे। मनसबदारों को एक निश्चित संख्या में घुड़सवार सैनिक रखना पड़ता था। इस खर्च को वहन करने के लिये इन्हें जमीन दी जाती थी, जिसकी लगान की आय से ये अपने सैनिकों को वेतनादि तो देते ही थे, और अपना खर्च भी चलाते थे ।

प्रश्न 4. मुगल साम्राज्य के पतन के क्या कारण थे?
उत्तर—मुगल साम्राज्य के पतन के कारण थे औरंगजेब की अदूरदर्शिता । वह बिना सोचे समझे निर्णय ले लिया करता था । जजिया कर को लागू करके, जिसे अकबर उठा दिया था, हिन्दुओं को नाराज कर दिया। उसने दक्षिण विजय के लिये अपनी सारी शक्ति झोंक दी। इससे उत्तर के सूबेदार निरंकुश होने लगे । 1707 में उसकी मृत्यु आग में घी का काम किया। अब मुगल दरबार षड्यंत्र का अखाड़ा बन गया । और धीरे-धीरे मुगल साम्राज्य ध्वस्त हो गया ।

प्रश्न 5. भू-राजस्व से प्राप्त होनेवाली आय, मुगल साम्राज्य के स्थायित्व के लिए कहाँ तक जरूरी थी ?
उत्तर – ऐसा ज्ञात होता है कि मुगल सम्राटों को भू-राजस्व के अलावा आय का कोई अन्य स्रोत नहीं था । शहर के शिल्पियों से कुछ कर मिल जाता था, लेकिन वह दाल में नमक के बराबर था। साम्राज्य में जो भी वाणिज्य – व्यापार था वह स्थानीय ही था । अतः वाणिज्य कर भी नगण्य ही था । इसी कारण मुगल साम्राज्य के स्थायित्व के लिए भू- राजस्व से प्राप्त होनेवाली आय ही जरूरी थी ।

प्रश्न 6. मुगल अपने आपको तैमूर का वंशज क्यों कहते थे ?
उत्तर – मुगलों का मंगोल और तैमूर — दोनों वंशजों से संबंध था । माता की ओर से वे मंगोलों से सम्बद्ध थे तो पिता की ओर से वे तैमूर वंश से संबंध रखते थे। उन्होंने मंगोल कहलाना इसलिए अच्छा नहीं समझा क्योंकि मंगोल अपनी नृशंसता के लिए बदनाम थे। तैमूर का नाम ऊँचाई पर पहुँचा हुआ था क्योंकि उसने दिल्ली को फतह किया था । हालाँकि नृशंसता में तैमूर भी कोई कम नहीं था लेकिन वीरता में उसका बड़ा नाम था । इसी कारण मुगलों ने खुद को मंगोल की अपेक्षा तैमूर का वंशज कहलाना अधिक अच्छा समझा और उसी पर बल दिया ।

आइए करके देखें :

कुछ अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. मुगल प्रशासन में जमींदार की क्या भूमिका थी?
उत्तर — मुगल प्रशासन में जमींदार की भूमिका यह थी कि वे किसानों से राजस्व वसूलते थे और मुगल खजाने में जमाकर देते थे । ये जमींदार ग्रामीण कुलीन घरानों के लोग होते थे या गाँव के मुखिया । इनमें कोई शक्तिशाली सरदार भी हो सकता था ।

कुछ क्षेत्रों में जमींदार इतने शक्तिशाली थे कि मुगलों द्वारा शोषण किए जाने पर विद्रोह भी कर देते थे । यदि किसान भी जमींदार की जाति के हुए तो वे सभी मिलकर विद्रोह कर देते थे। सत्रहवीं शताब्दी के आखिर में तो जमींदार – किसान विद्रोह ने मुगल साम्राज्य के स्थायित्व को ही चुनौती दे दी थी ।

प्रश्न 2. शासन-प्रशासन संबंधी अकबर के विचारों के निर्माण में धार्मिक विद्वानों से होनेवाली चर्चाएँ कितनी महत्वपूर्ण थीं ?
उत्तर—इबादतखाने में हुईं विभिन्न धर्मों की चर्चाओं से अकबर की समझ बनी कि किसी एक धर्म के व्यक्ति में धार्मिक कट्टरता अधिक होती है । यदि धार्मिक आधार पर शासन चलाया जाय तो जनता में विभाजन और असमंजस की स्थिति बनेगी । यह समझ अकबर को सुलह-ए-कुल अर्थात ‘सर्वत्र शांति’ के विचार की ओर ले गया । अकबर की यह सहिष्णुता विभिन्न धर्मों के अनुयायियों में कोई अंतर नहीं करती थी । इस प्रकार हम देखते हैं कि शासन-प्रशासन संबंधी अकबर के विचारों के निर्माण में धार्मिक विद्वानों से होनेवाली चर्चाएँ बहुत महत्वपूर्ण थीं ।

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