Bihar Board Class 7 Social Science History Ch 3 तुर्क-अफगान शासन | Turkey Afghanistan Swasan Class 7th Solutions

इस पोस्‍ट में हमलोग कक्षा 7 सामाजिक विज्ञान इतिहास के पाठ 3. तुर्क-अफगान शासन (Turkey Afghanistan Swasan Class 7th Solutions)के सभी टॉपिकों के बारे में अध्‍ययन करेंगे।

Turkey Afghanistan Swasan Class 7th Solutions

3. तुर्क-अफगान शासन

अध्याय में अंतर्निहित प्रश्न और उनके उत्तर

प्रश्न 1. गंगा-यमुना का दोआब किसे कहा गया है? (पृष्ठ 41 )
उत्तर— गंगा-यमुना के बीच की भूमि को गंगा-यमुना का दोआब कहा गया है ।

प्रश्न 2. बरनी ने सुल्तान की आलोचना क्यों की थी ? ( पृष्ठ 43 )
उत्तर – बरनी ने सुल्तान की आलोचना इसलिये की थी क्योंकि के लोगों को भी उच्च पदों पर आसीन करने लगा था । बरनी का ख्याल था कि निम्न वर्ग के लोग उच्च पदों पर रहकर अपने दायित्वों का निर्वाह नहीं कर सकते ।

प्रश्न 3. अमीर के रूप में किस वर्ग के लोग शामिल थे ? ( पृष्ठ 43 )
उत्तर- दिल्ली सल्तनत के विस्तार के कारण सुल्तान को कुछ नये अधिकारियों को नियुक्त करना पड़ा। इसके लिये सुल्तानों ने सूबेदार, सेनापति और प्रशासक नियुक्त किये। इन्हीं तीनों को ‘अमीर’ कहा गया ।

प्रश्न 4. टंका क्या था ? उस समय का एक मन आज के कितने वजन के बराबर था ? ( पृष्ठ 48 )
उत्तर—एक टंका आज के चाँदी के एक रुपये के बराबर था। एक टंका में 48 जितल होता था । उस समय का एक मन आज के 15 किलो वजन के बराबर था ।

प्रश्न 5. आप विचार करें कि अलाउद्दीन खिलजी के मूल्य नियंत्रण की व्यवस्था से जनसाधारण को क्या लाभ हुआ ? ( पृष्ठ 50 )
उत्तर— अलाउद्दीन खिलजी के मूल्य नियंत्रण की व्यवस्था से जन साधारण को यह लाभ हुआ कि उन्हें उचित मूल्य पर सस्ती वस्तुएँ मिलने लगीं ।

प्रश्न 6. दिल्ली से दौलताबाद जाने में लोगों को किन-किन क्षेत्रों से होकर गुजरना पड़ा था ? ( पृष्ठ 53 )
उत्तर- दिल्ली से दौलताबाद जाने में लोगों को रणथम्भौर, मांडू तथा चित्तौड़ क्षेत्र होकर जाना पड़ा होगा। सबसे अधिक कठिनाई चंबल नदी पार करने में हुई होगी।

प्रश्न 7. आपके अनुसार राजधानी परिवर्तन का कौन-सा कारण उपयुक्त होगा ? ( पृष्ठ 53 )
उत्तर – मेरे अनुसार राजधानी परिवर्तन का कोई भी कारण उपयुक्त नहीं होगा । यदि कुछ कारण था भी तो वह मात्र सुल्तान का वहम था और था उसका सनकी मिजाज ।

प्रश्न 8. राजधानी परिवर्तन के दौरान नागरिकों को किस प्रकार के कष्ट हुए होंगे ? ( पृष्ठ 53 )
उत्तर—राजधानी परिवर्तन के दौरान नागरिकों को अनेक प्रकार के कष्ट हुए होंगे । पैदल चलते-चलते उनके पैरों में फोड़ा हो गया होगा । रास्ते में खाने-पीने की भी असुविधा हुई होगी। अनजान राह में उन्हें यह भी पता नहीं होगा कि कहाँ पानी मिलेगा और कहाँ रात बिताना अच्छा होगा ।

प्रश्न 9. आप वर्तमान समय में प्रचलित सांकेतिक मुद्रा के विषय में जानकारी प्राप्त करें । ( पृष्ठ 54 )
उत्तर—वर्तमान समय में अंग्रेजों के जमाने से ही सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन हो गया था। अंग्रेजों के एक रुपया के सिक्का का वजन एक तोला होता था और एक तोला चाँदी का मूल्य बाजार में तीन आना था। कागज के नोट का मूल्य तो एक पैसा भी नहीं है। आज के सभी सिक्के सांकेतिक हैं, चाहे वह धातुई हो या कागजी मुद्रा ।

प्रश्न 12. “कृषि सुधार एक सरकारी दायित्व है ।” यह बात मुहम्मद तुगलक के समय में उभर कर सामने आई है। क्या आप बता सकते हैं कि वर्तमान सरकार द्वारा किसानों को कृषि के विकास एवं सुधार के लिये क्या सहायता दी जाती है ? ( पृष्ठ 55 )
उत्तर — वर्तमान राज्य सरकारें कृषि के विकास एवं सुधार के लिये बहुत कुछ कर रही हैं । स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद अनेक नहरें खोदी गईं। इतनी अधिक नहरें खोदी गईं कि देश में नहरों का जाल बिछ गया । कृषि ऋण के लिये ग्रामीण बैंक लगभग सभी बड़े गाँवों में खुले हैं । कृषि यंत्र खरीद पर भी सरकार कुछ सहायता राशि भी देती है। अच्छे बीज और अच्छी खाद किसानों को मुहैया कराये जा रहे हैं । खेती मारी जाने की अवस्था में किसानों को कुछ भरपायी हो सके इसके लिए कृषि बीमा की प्रथा चलाई गई है ।

प्रश्न 13. सल्तनत काल में साधारण किसान एवं धनी किसान में आप क्या अंतर देखते हैं?  (पृष्ठ 57 )
उत्तर—सल्तनत काल में कुछ किसान ऐसे थे जिनके पास भूमि के बड़े-बड़े टुकड़े थे। ये धनी होते थे और इनको ‘खुत’, ‘मुक्कदम’ एवं ‘चौधरी’ कहलाते थे । छोटे किसान के पास जमीन के छोटे-छोटे टुकड़े होते थे और ये प्रायः गरीब हुआ करते थे । इन्हें ‘बलहर’ किसान कहा जाता था और समाज में इनको निम्न स्थान प्राप्त था । बहुत लोग भूमिहीन भी थे, जो बड़े किसानों के खेतों में मजदूरी करते थे ।

अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. दिल्ली की स्थापना किस राजवंश के काल में हुई ?
उत्तर- दिल्ली की स्थापना 950 में तोमर राजवंश के काल में हुई । लेकिन 12वीं सदी में अजमेर के शासक चौहानों ने दिल्ली पर अधिकार कर लिया ।

प्रश्न 2. अलाउद्दीन खिलजी के समय किस गुलाम सेना नायक ने दक्षिण भारत पर विजय प्राप्त की थी ?
उत्तर—अलाउद्दीन खिलजी ने दक्षिण भारत में तुर्क राज्य के विस्तार के लिये अपने एक गुलाम मलिक काफूर के नेतृत्व में एक विशाल सेना भेजी । उसने देवगिरि, वारंगल, द्वारसमुद्र, मदुरई पर विजय प्राप्त कर दक्षिण के एक बड़े भांग पर सल्तनत राज्य अधीन कर लिया। लेकिन खिलजी ने उन राज्यों पर अधिकार न कर उनसे सालाना कर देने के करार पर उनके राज्य लौटा दिये

प्रश्न 3. मूल्य नियंत्रण की नीति किस सुल्तान ने लागू की थी ?
उत्तर — मूल्य नियंत्रण की नीति अलाउद्दीन खिलजी ने लागू की थी। इससे उसका उद्देश्य था कि किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिल सके और आम जनता से भी कोई अधिक मूल्य नहीं वसूल सके ।

प्रश्न 4. दिल्ली के किस सुल्तान ने नहरों का निर्माण करवाया था ?
उत्तर- दिल्ली के सुल्तान फिरोजशाह तुगलक ने नहरों का निर्माण करवाया था ।

प्रश्न 5. मिलान करें :

राजवंश                                          संस्थापक
(क) प्रारंभिक तुर्क वंश                     (i) खिज्र खाँ
(ख) खिलजी वंश                           (ii) गयासुद्दीन
(ग) तुगलक वंश                            (iii) बहलोल
(घ) सैयद वंश                                (iv) जलालुद्दीन
(ङ) लोदी वंश                           (v) कुतुबुद्दीन ऐबक

उत्तर :
(क) प्रारंभिक तुर्क वंश               (i) कुतुबुद्दीन ऐबक
(ख) खिलजी वंश                      (ii) जलालुद्दीन
(ग) तुगलक वंश                       (iii) गयासुद्दीन
(घ) सैयद वंश                           (iv) खिज खाँ
(ङ) लोदी वंश                           (v) बहलोल

आइए समझें :

प्रश्न 6. दिल्ली सल्तनत के प्रशासनिक व्यवस्था के अंतर्गत अक्तादारी व्यवस्था पर प्रकाश डालें ।
उत्तर – दिल्ली के तुर्क शासकों ने अपने अमीरों को विभिन्न आकार के इलाकों में नियुक्त किया । इन इलाकों को ‘अक्ता’ कहा जाता था और अक्ता के अधिकारी ‘मुक्ती’ या ‘वली’ कहे जाते थे । इनका दायित्व था कि अपने अक्ता क्षेत्र में कानून-व्यवस्था को बनाये रखेंगे । कभी आवश्यकता पड़ने पर सुल्तान को सैनिक मदद भी देंगे। इसके लिए घुड़सवार सिपाही रखने पड़ते थे । भूमि कर की वसूली भी ‘वली’ ही करते थे । वसूली का कुछ भाग अपने स्वयं रख लेने की छूट थी ताकि सैनिकों को वेतन दिया जा सके ।

प्रश्न 7. सल्तनत काल में लगान व्यवस्था का वर्णन करें और यह बतावें कि किसानों के जीवन पर इसका क्या प्रभाव था ?
उत्तर—सल्तनत काल में लगान व्यवस्था का अपना तरीका था । गाँव के बड़े और धनी किसान, जिन्हें खुत, मुक्कदम और चौधरी कहते थे राज्य की ओर से लगान वसूला करते थे। लगान अर्थात भूमिकर को खराज कहा जाता था । ‘खराज’ की मात्र भूमि पर उपजने वाले अनाज का एक हिस्सा होता था । खराज में वसूला गया अनाज सरकारी गोदामों में रखा जाता था । इस सेवा के बदले खुत, मुक्कदम और चौधरी को खराज का एक हिस्सा मिलता था । ये लोग छोटे किसानों को दबाते भी थे। बाद में अलाउद्दीन खिलजी ने इन ग्रामीणों को हटाकर लगान या खराज वसूलने का काम सरकारी अधिकारियों को सौंप दिया ।

प्रश्न 8. दिल्ली के सुलतानों की प्रशासनिक व्यवस्था में कार्यरत अधिकारियों की सूची बनाएँ और उनके कार्यों का उल्लेख करें ।
उत्तर- दिल्ली के सुल्तानों की प्रशासनिक व्यवस्था में कार्यरत अधिकारियों की सूची और उनके नाम निम्नांकित थे :

अधिकारी                         काम
सूबेदार                               सूबे का मुख्य अधिकारी
सेनापति                             सेना पर नियंत्रण रखना
प्रशासक                            प्रशासनिक कार्य को देखना
वजीर                               वित्त विभाग का प्रधान
आरिजे ममालिक                सुल्तान की सेना का प्रधान
वकील-ए-दर                      राजपरिवार की देखभाल करना
काजी                               न्याय करना मुख्य (न्यायाधीश)
दीवान-ए-इंशा                    राजकीय फरमान जारी करना
बरीद-ए-मुमालिक              गुप्त सूचना एकत्र करना (गुप्तचर)
मुक्ती या बली                    आक्ता में शांति व्यवस्था बनाये रखना
आमिल                            वसूले गये राजस्व का हिसाब रखना

प्रश्न 9. सल्तनत काल में उपजाये जाने वाले अनाजों को खरीफ एवं रबी फसलों में बाँटकर समझाएँ ।
उत्तर – सल्तनत काल में उपजाये जाने वाले अनाजों की खरीफ एवं रबी फसल निम्नांकित थे :

खरीफ : धान, ज्वार, बाजरा, तिल, कपास ।

रबी : गेहूँ, जौ, उड़द, मूँग, मसूर ।

गन्ना और अरहर खरीफ और रबी दोनों में आते हैं, क्योंकि ये एक साल का समय ले लेते हैं। अंगूर स्थायी फसल है ।

आइए विचार करें :

प्रश्न 10. अलाउद्दीन खिलजी के मूल्य नियंत्रण पर प्रकाश डालते हुए विचार करें कि क्या वर्तमान समय में सरकार द्वारा निर्धारित मूल्य पर वस्तुओं की बिक्री की कोई योजना कार्य कर रही है?
उत्तर – अलाउद्दीन खिलजी ने मूल्य नियंत्रण इसलिये लागू किया ताकि प्रजा उचित मूल्य पर वस्तुएँ मिल सकें। सुल्तान ने खाद्यान्नों से लेकर वस्त्र तथा दास-दासियों और मवेशियों तक के मूल्य निश्चित कर दिये थे । दास-दासियों और घोड़ों के भी बाजार लगते थे ।

मेरे विचार से वर्तमान समय की सरकारें भी मूल्य निश्चित कर देती है। अनाजा के खरीद के लिये न्यूनतम मूल्य निश्चित कर देती हैं । यदि कोई खरीदे – न खरीदे सरकार उस मूल्य पर स्वयं अनाज खरीद लेती है और अपने गोदामों में रखती है। उन अनाजा को वह सरकारी राशन की दुकानों से बिकवाती है । किरासन, पेट्रोल और डीजल का मूल्य भी सरकार ही निश्चित करती है। दुकानों पर अधिकांश सामानों पर मूल्य अंकित रहते हैं । दवाओं पर तो खास तौर पर दाम अंकित रहता ही है । दास-दासी की बिक्री आज अपराध माना जाता है। पशुओं के मूल्य सरकार निश्चित नहीं करती।

प्रश्न 11. सल्तनत कालीन किसानों एवं आज के किसानों में आप क्या समानता और असमानता देखते हैं ?
उत्तर—सल्तनत कालीन किसानों एवं आज के किसानों में हम यह अंतर देखते हैं कि सल्तनत कालीन किसान उपज का एक निश्चित भाग अनाज का लगान में देते थे वहीं आज के किसान एक निश्चित रकम नकद लगान में देते हैं । उस समय किसानों को मजबूर किया जाता था कि वे अपना अनाज सरकारी दर पर व्यापारियों के हाथ बेंचे । लेकिन मूल्य निश्चित होने के बावजूद आज के किसान अपनी उपज बेचने-न- बेचने के लिए स्वतंत्र हैं । सल्तनत काल में सरकारी गोदामों में अनाज रखे जाते थे, आज भी रखे जाते हैं । सल्तनत कालीन किसान केवल हल-कुदाल से खेती करते थे लेकिन आज के किसान यांत्रिक कृषि भी करने लगे हैं ।

आइए करके देखें :

 12. मुहम्मद बिन तुगलक की योजनाओं को रेखांकित करते हुये उसकी असफलताओं के कारणों को ढूढ़ें :

उत्तर :

कुछ अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. दिल्ली के सुलतानों के शासन काल में प्रशासन की भाषा क्या थी?
उत्तर- दिल्ली के सुलतानों के शासन काल में प्रशासन की भाषा फारसी थी ।

प्रश्न 2. किसके शासन के दौरान सल्तनत का सबसे अधिक विस्तार हुआ ?
उत्तर—सुलतान अलाउद्दीन खिलजी के शासन के दौरान सल्तनत का सबसे अधिक विस्तार हुआ ।

प्रश्न 3. इब्न बतूता किस देश से भारत में आया था ?
उत्तर— इब्न बतूता अफ्रीकी देश मोरक्को से भारत आया था ।

प्रश्न 4. सल्तनत की ‘भीतरी’ और ‘बाहरी’ सीमा से आप क्या समझते हैं?
उत्तर—सल्तनत की ‘भीतरी’ सीमा से तात्पर्य राजधानी के आसपास के स्थानों में मजबूत किलेबंदी करनी थी, ताकि बाहर के खतरों से बचा जा सके। बाहरी सीमा से तात्पर्य सुदूर सिंध, बंगाल और दक्षिण भारत के क्षेत्र आते थे, जहाँ पर नियंत्रण रखना कठिन था । उन्हें दबाया तो जाता था, लेकिन वे पुनः अपने को स्वतंत्र घोषित कर लेते थे

प्रश्न 5. मुक्ती अपने कर्तव्यों का पालन करें, यह सुनिश्चित करने के लिए कौन-कौन-से कदम उठाए गए थे? आपके विचार में सुलतान के आदेशों का उल्लंघन करना चाहने के पीछे उनके क्या कारण हो सकते थे ?
उत्तर – मुक्ती अपने कर्तव्यों का पालन अच्छी तरह करें इसके लिए उन्हें इक्ता पर वंशगत अधिकार नहीं होने दिया गया । समय-समय पर उन्हें एक इक्ता से दूसरे इक्ता में भेज दिया जाता था। वे मनमाना कर नहीं वसूल सकें, इसके लिए अलग से राजकीय पदाधिकारी नियुक्त थे। उन्हें एक निश्चित संख्या में सेना रखनी पड़ती थी । कर के धन से वे सेना और सैन्य अधिकारियों को वेतन देते थे । युद्ध की स्थिति में इक्तेदार को सैनिक सहायता देनी थी और स्वयं सेनानायक का काम सँभालना होता था ।

कभी-कभी कोई मुक्ती सुलतान के आदेशों का उल्लंघन भी कर दिया करता था । इसका कारण उसकी महत्वाकांक्षा हो सकती है । कोई-कोई मुक्ती अपने इक्ता विशेष का स्वतंत्र शासक घोषित कर लेता था। हालाँकि बाद में वे दबा दिए जाते थे ।

प्रश्न 6. दिल्ली सल्तनत पर मंगोल आक्रमणों का क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर – दिल्ली सल्तनत पर मंगोल आक्रमणों का यह प्रभाव पड़ा कि सुलतानों को अपनी फौजी ताकत बढ़ानी पड़ी, हालाँकि इतनी बड़ी सैन्य शक्ति को सँभालना उनके लिए कुछ कंठिन था, लेकिन सुलतानों ने वैसा किया। मंगोलों ने दो बार दिल्ली पर धावा बोला, लेकिन दोनों बार वे असफल रहे ।

प्रश्न 7. क्या आपको समझ में तवारीख के लेखक, आम जनता के जीवन के बारे में कोई जानकारी देते हैं?
उत्तर – नहीं, मेरी समझ में तवारीख के लेखक केवल सुलतानों, उनके सरदारों, सेनानायकों और नौकर-चाकरों तक ही अपने को सीमित रखते थे । उन्हें आम जनता की न तो कोई जानकारी थी और न कोई मतलब था । अतः उन्होंने आम जनता के जीवन के बारे में कोई जानकारी नहीं दी ।

प्रश्न 8. दिल्ली के सुलतान जंगलों को क्यों कटवा देना चाहते थे? क्या आज भी जंगल उन्हीं कारणों से काटे जा रहे हैं?
उत्तर- दिल्ली के सुलतान जंगलों को इसलिए कटवा देना चाहते थे ताकि उनकी राज्य सीमा का विस्तार हो । उन्हें खेती योग्य उपजाऊ भूमि की भी आवश्यकता थी । आज वैसी बात नहीं । अब कृषि विस्तार के लिए जंगल नहीं काटे जा सकते। जंगल के किनारे-किनारे धीरे-धीरे पेड़ चोरी-छिपे कट रहे हैं और रिहायशी मकान बन रहे हैं। जनसंख्या में अपार वृद्धि के कारण ऐसा हो रहा है, लेकिन कानूनन यह वर्जित है ।

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