कक्षा 9 इतिहास पाठ 5 नाजीवाद / Najiwad Class 9th history Notes

इस लेख में बिहार बोर्ड कक्षा 9 इतिहास के पाठ 5 ‘फ्रांस की क्रांति (Najiwad class 9th History Notes)’ के नोट्स को पढ़ेंगे।

Najiwad Class 9th history Notes

पाठ-5 नाजीवाद

1. वर्साय संधि ने हिटलर के उदय की पृष्टभुमी तैयार की कैसे ?
उत्तर-वर्साय की संधि ने हिटलर के उदय की पृष्टभुमि तैयार की। यह एक संधि जबरदस्ती थोपा गया एकदस्तावेज थी जिसके प्रावधानी को निश्तिकरते समय जर्मनी को अंधकार में रखा गया उसे जबरदस्ती हस्ताक्षर कराया गया। उसे उसके खनिज क्षेत्रों से बेदखल कर दिया गया। सेना कोसमीत कर दिया गया उसपर भारी जुर्मना लगाया गया। जीसे वहां की जनता अपमानित महसुस कर रही थी इसी समय हिटलर का उदय हुआ।

2.वाइमर गणतंत्र नाजीवाद केउदय में सहायक बनाकैसें?
उत्तर-वाइमर गणतंत्र में संघीय शासन व्यवस्था की स्थापना की तथा राष्ट्रपति को आपतकालीन शक्तियाँ प्रदान कर दी। यही शक्ती, हीटलर के लिए वरदान साबित हुई । संसद का बहुमत प्राप्त करने के बाद अपनी मनमानी निर्णय लेने लग आगे चलकर जर्मनी में नाजीवाद को बढ़ावा देने लगा वाइमर गणतंत्र नाजीवाद के उदय में काफी सहायक बना

3.नाजीवादकार्यक्रम ने द्वितीय विश्व युद्धकी पृष्टभुमि तैयार की कैसे?
उत्तर-नाजीवाद कार्यक्रम ने द्वितीय विश्वयुद्ध की पृष्टभुमि तैयार कीया। देश भर में उससे आतंक का शासन स्थापित किया। हीटलरवर्साय की संघी को मानने से इनकार कर दीया नाजीवाद साम्यवाद का कटर विरोधी था। उसने जर्मनी से या तो कम्युनिष्ट को भागा दिया! जर्मनी को आगे बढ़ाने का प्रयास किया । उसे सफता भी मिली। लेकिन उसने पोलैंड पर आक्रमण किया जिसे विश्व युद्ध आरंभ हो गया नाजीबाद कार्यक्रम ने द्वितीय विश्‍व युद्ध को पृष्टभूमि तैयार की

4.क्यासाम्यवाद हिटलर के भय ने जर्मन पुँजीपतियों को हिटलर का समर्थक बनाया?
उत्तर-हाँसाम्यवादके भय ने जर्मनी के पुजीपतियों को हिटलर का समर्थक बना दिया। हिटलर पुँजीवादी नही था, लेकीन कम्युनिटों का कटर विरोधी था। जर्मनी की संसद में जब बिद्रोह होने लगी तो हिटलर ने इसका सारा दोष कम्युनिष्टों के सर पर डाल दिया। जिसके प्रचार में पूँजीपतियों ने काफी प्रयास कीया। इन्ही के प्रयास से कम्युनिष्ट पार्टी पर प्रतिबंध लगा।

5.रोम -बेलिन टोकियों धुरी क्या हैं?
उत्तर-इटली की राजधानी रोम, जर्मनी की राजधानी  बेलिन तथा जापान की राजधानी टोकियों थी। अतः इन तिनों देशो को मित्रता को रोम-बेलिन- टोकीयों धुरी कहा जाया। द्वितिय विश्वयुद्धं के समय इन्हीं तीनों देशों को धुरी राष्ट्रकहा जाता था।

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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1.हिटलर के व्यक्तिव पर प्रकाश डाले।
उत्तर-हिटलर एक प्रसिद्ध जर्मन राजनेता, और तानाशाह था इसका जन्म 20 अप्रैल 1889 को हुआ था।इनका जन्‍म अस्ट्रिया में हुआ था। 16 साल कि उम्र में इन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा पढाई छोड़करपोस्टकार्यपर चित्र बनाकर अपना जिवन यापन करने लगा वह सेना में भर्ती हो गया।प्रथम विश्व युद्ध में जर्मनी की ओर से लड़ते हुऐ विरता का प्रदर्शन किया। वर्साय की संधि में जर्मन की जो दुर्गति हुई थी। उसके विरूध यह खड़ा हुआउसने वाइमर गणतंत्र का बिद्रोह किया। और खुद उसका नेता बना। अतः 1934 ई. हिडेने बर्ग की मृत्यु के बाद हिटलर ने राष्ट्रपति जर्मनी का बना, अपने व्यक्‍तीयों का उपयोग कर उन्होने वर्साय संधि की त्रुतियो से जनता के अवगत कराया उन्हे अपना सर्मथक बना लिया यह ठीक है की युद्धोतर जर्मन आर्थिकदृष्टि से बिल्कुल पगुं हो गया था वहाँ बेकारी और भुखमरी आ गई थी। हिटलर एक दुरदर्शी राजनीति था उसने परिस्थिति का लाभ उठाकर राजसत्तपर अधिपत्य कायम किया

2.हिटलर की विदेश नीति जर्मनी की खोई प्रतिष्ठा को प्राप्त करने का एक साधन था कैसे?
उत्तर- वर्साय की संधी ने जर्मनी को पंगु बना दिया था। इससे जर्मनीवासीयों को अपनीत महसुस होता था। हिटलर ने इसका लाभउठाया और जनताकेअनुरूप अपनी विदेशी तय की जिसके आधार पर उसने निम्नलिखितकदम उठाए:
(1) राष्ट्रसंघ से पृथ्कहोना – सर्वप्रथम हिटलर ने 1933 में जेनेवा निः शस्त्रीकरण की माँग की कि लेकिन नही माने जाने पर राष्ट्रसंघ से अलग हो गया
(2) वर्साय की संधी को भंग करना– 1935 में हिटलर ने वर्साय की संधी को मानने से इनकार दीया और जर्मनी में सैन्यशक्ती लागू का दीया,
(3) पोलैंड के साथ समझौता – हिटलर ने 1934 में पौलैंड के साथ दस बर्षीय आक्रमणसंधी समझौता कर लिया।
(4) ब्रिटेन से समझौता 1935 में ब्रिटेन से एक समझौता किया जिसके तहत अपनी सैन्य क्षमता बढ़ा सकता है।
(5) रोम – बेलिन धुरी- हिटलर ने इटली से समझौता कर लिया। इस प्रकार रोमन बेलिन धुरीकी नीव पड़ गई।
(6) कामिन्‍टर्न विरोध समझौता – सम्यवादी खतरा से बचने के लिए कामिन्टर्न विरोधी समझौता हुआ।
(7) पोलैंड पर आक्रमण- जर्मनी ने पौलेड परसितंबर 1939को आक्रमण कर दिया। जिससे विश्व युद्ध आरभ हो गया।

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3.नाजीवाद दर्शन निरकुशता का समर्थन और लोकतंत्र का विरोधी था। विवेचना कीजिए।
उत्तर-नाजीवाद दर्शन निरंकुशता का समर्थन, और लोकतंत्र का बोरोधी था यह निम्नलिखित बातो से सिद्धहोता है:
(1) हिटलर ने सत्ता प्राप्त करते ही प्रस तथा बोलने पर प्रतिबंध लगा दिया।
(2) यह दर्शन समाजवाद का विरोधी था। कम्युनीष्टों की बढ़ोत्तरी से डाराकर हिटलर पुजीपतियों को अपने पक्ष में करने में सफल हो गया
(3) नाजीवादी दर्शन सर्वसत्तावादी राज्य की एक संकल्पना है।
(4) यह दर्शन उग्र राष्ट्रवाद पर बल देता था।
(5) नाजीवाद राजा की निरंकुशता का समर्थन था
(6) नाजीवादी दर्शन में सैनिक शक्ती एवं हिसा को महिमा मंडित किया जाता था। इसे युरोप के अन्य देशो में स्वंत्रता विरोधी भावनाओ को प्रोतसाहीत मिला।

अभ्यास के प्रश्न तथा उनके उत्तर

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न :

निर्देश : नीचे दिए गए प्रश्नों में चार संकेत चिह्न हैं, जिनमें एक सही या सबसे उपयुक्त है। प्रश्नों का उत्तर देने के लिए प्रश्न- संख्या के सामने वह संकेत चिह्न (क, ख, ग, घ ) लिखें, जो सही अथवा सबसे उपयुक्त हो ।

1. हिटलर का जन्म कहाँ हुआ था ?
(क) जर्मनी
(ख) इटली
(ग) जापान
(घ) आस्ट्रिया

2. नाजी पार्टी का प्रतीक चिह्न क्या था ?
(क) लाल झंडा
(ख) स्वास्तिक
(ग) ब्लैक शर्ट
(घ) कबूतर

4. ‘मीनकैम्फकिसकी रचना है ?
(क) मुसोलिनी.
(ख) हिटलर
(ग) हिण्डेनवर्ग
(घ) स्ट्रेसमैन

4. जर्मनी का प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र था :
(क) आल्सास लॉरेन
(ख) रूर
(ग) इवानोव
(घ) बर्लिन

5. जर्मनी की मुद्रा का नाम क्या था ?
(क) डॉलर
(ख) पौंड
(ग) मार्क
(घ) रूबल

उत्तर- 1. (घ), 2. (ख), 3. (ख), 4. (ख), 5. (ग) 1:

II. नीचे दिए गए कथनों में जो सही (/) हो उसके सामने सही तथा जो गलत हों, उनके सामने गलत (x) का चिह्न लगाएँ ।
1. हिटलर लोकतंत्र का समर्थक था । (x)
    (सही यह है कि हिटलर लोकतंत्र का विरोधी था ।)
2. नाजीवादी कार्यक्रम यहूदी समर्थक था । (x)
     (सही यह है कि नाजीवादी कार्यक्रम यहूदी विरोधी था ।) इसका कारण था कि हिटलर को विश्वास था कि यहूदी लोग रहते तो जर्मनी में हैं,              लेकिन इंग्लैंड के पक्ष में जासूसी करते हैं।
3. नाजीवाद में निरंकुश सरकार का प्रावधान था । (सही)
4. वर्साय संधि में हिटलर के उत्कर्ष के बीज निहित थे ।
   (सही यह है कि वर्साय संधि में द्वितीय विश्वयुद्ध के बीज निहित थे ।)
5. नाजीवाद में सैनिक शक्ति एवं हिंसा को गौरवान्वित किया जाता था । (सही)

III. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें :
1. हिटलर का जन्म …………. ई. में हुआ था।
2. हिटलर ने जर्मनी के चांसलर का पद ……………….. ई. में संभाला था ।
3. जर्मनी ने राष्ट्रसंघ से संबंध विच्छेद ……………… ई. में किया था।
4. नाजीवाद का प्रवर्तक …………. था।
5. जर्मनी के निम्न सदन को ………………… कहा जाता था ।

उत्तर- 1. 20 अप्रैल, 1889, 2.30 जनवरी, 1933. 3. 1933, 4. हिटलर, 5. राइखस्टैग ।

IV. निम्नलिखित के उत्तर 20 शब्दों में दें :

(1) तानाशाह, (2) वर्साय संधि, (3) तुष्टिकरण की नीति, (4) वाइमर गणराज्य, (5) साम्यवाद, (6) तृतीय राइख आदि पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें ।

उत्तर :
(1) तानाशाह – संसद इत्यादि के रहते हुए भी जो शासक मनमानी शासन करे उसे तानाशाह कहते हैं ।
(2) वर्साय संधि – प्रथम विश्वयुद्ध के बाद विजीत देशों के बताए बिना वर्साय में जो गुप-चुप संधि का मशविदा तैया किया गया और उन देशों से बलपूर्वक हस्ताक्षर कराया गया वही थी ‘वर्साय संधि’ ।
(3) तुष्टिकरण की नीति — यह जानते-समझते भी कि फलां देश या गुट या समूह देश के अहित में काम करता है, उसको बढ़ावा देना या उसकी ओर से अपने लाभ के लिए आँखें मूँदे रखना तुष्टिकरण की नीति कहलाती है ।
(4) वाइमर गणराज्य – जर्मनी का संविधान वाइमर नगर में बना था । इसी कारण उसे वाइमर गणराज्य भी कहा जाता था ।
(5) साम्यवाद – जिस शासन में सम्पूर्ण आर्थिक शक्ति सरकार के हाथ रहती है और देशवासियों को उनके काम के अनुसार मजदूरी दी जाती है, उसे साम्यवाद कहते हैं ।
(6) तृतीय राख–जर्मन गणतंत्र की समाप्ति के बाद नात्सी (नाजी) क्रांति के शुरुआत को हिटलर ने ‘तृतीय राइख’ नाम दिया ।

V. सही मिलान करें :
(1) गेस्टापो                       (क) जर्मनी का शहर
(2) वाइमर                        (ख) यहूदियों के प्रार्थनागृह
(3) सिनेगाँव                      (ग) गुप्तचर पुलिस
(4) ब्राउन शर्टस                (घ) निजी सेना
(5) हिंडेनबर्ग                    (ङ) जर्मनी का राष्ट्रपति

उत्तर— (1) → (ग), (2) (क), (3) → (ख), (4) → (घ), (5) → (ङ) ।

VI. लघु उत्तरीय प्रश्न :

प्रश्न 1. वर्साय संधि ने हिटलर के उदय की पृष्ठभूमि तैयार की। कैसे ?
उत्तर—प्रायः इतिहासकारों द्वारा सदा यह सुनने में आता रहा है कि ‘द्वितीय विश्वयुद्ध के बीज वर्साय की संधि में निहित थे’ लेकिन यह भी सही लगता है कि ‘वर्साय की संधि ने हिटलर के उदय की पृष्ठभूमि तैयार की।’ वास्वत में वर्साय की संधि संधि नहीं बल्कि जबरदस्ती थोपा गया एक दस्तावेज थी, जिसके प्रावधानों को निश्चित करते समय जर्मनी को अंधकार में रखा गया और बिना कुछ बताए उससे हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया। जर्मनी का अंग-भंग कर दिया गया। उसके सार कोयला क्षेत्र को 15 वर्षों के लिए फ्रांस को दे दिया गया। राइन नदी घाटी को सेना – विहिन रखने की हिदायत दी गई। उस पर भारी जुर्माना भी लगाया गया, जिसे देना उसकी क्षमता के बाहर था। फलतः जनता अपने को अपमानित महसूस कर रही थी। इसी समय वहाँ हिटलर का उदय हुआ, जिसे जनता ने सिर – आँखों पर बैठा लिया। उसने वादा किया कि जर्मनी के पूर्व सम्मान को वह लौटाएगा और उसके साथ दगा देनेवालों को वह सबक सीखाएगा । बहुत हद तक उसने प्रतिष्ठा को बढ़ाया भी ।

प्रश्न 2. “वाइमर गणतंत्र नाजीवाद के उदय में सहायक बना ।” कैसे ?
उत्तर—‘वाइमर गणतंत्र’ एक बहुत कमजोर शासनवाला गणतंत्र सिद्ध हुआ । इसने संघीय शासन व्यवस्था की स्थापना की तथा राष्ट्रपति को आपातकालीन शक्तियाँ प्रदान कर दी। यही शक्ति हिटलर के लिए वरदान साबित हुई । संसद में बहुमत प्राप्त करने के बाद वह मनमानी निर्णय लेने लगा। आगे चलकर वह जर्मनी का सर्वेसर्वा बन गया। वह खुलकर नाजीवाद को बढ़ावा देने लगा। उसे कुछ ऐसे साथी भी मिले जो झूठ को भी सच में बदल देने में माहिर थे । इस प्रकार हम देखते हैं कि वाइमर गणतंत्र नाजीवाद के उदय में काफी सहायक बना ।

प्रश्न 3. ‘‘नाजीवादी कार्यक्रम ने द्वितीय विश्वयुद्ध की पृष्ठभूमि तैयार की।” कैसे ?
उत्तर—नाजीवाद का सारा कार्यक्रम अतंक के सहारे चल रहा था। देश भर में उसने आतंक का शासन स्थापित किया । हिटलर ने वर्साय की संधि के प्रावधानों का उल्लंघन आरंभ कर दिया। उसने जुमनि की रकम देने से साफ मना कर दिया। सार कोयला क्षेत्र से उसने फ्रांस को मार भगाया और उसपर फिर अधिकार कर लिया । ‘नाजीवाद’, ‘साम्यवाद’ का कट्टर विरोधी था । उसने जर्मनी से या तो कम्युनिस्टों को भगा दिया अथवा मरवा दिया। उसने जर्मनी के विजय अभियान को एक-एक कर आगे बढ़ाते जाने का
प्रयास किया जिसमें उसे सफलता भी मिली। लेकिन जैसे ही उसने पोलैंड पर आक्रमण किया कि विश्वयुद्ध आरंभ हो गया। जर्मनी के विरोध में इंग्लैंड, फ्रांस, रूस और अमेरिका (मित्र राष्ट्र) थे तो समर्थन में जर्मनी के साथ इटली और जापान धुरी राष्ट्र थे । इस प्रकार स्पष्ट है कि ‘नाजीवादी’ कार्यक्रम ने द्वितीय विश्वयुद्ध की पृष्ठभूमि तैयार की ।

प्रश्न 4. क्या साम्यवाद के भय ने जर्मन पूँजीपतियों को हिटलर का समर्थक बनाया ?
उत्तर— हाँ, यह निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि साम्यवाद के भय ने जर्मनी के पूँजीपतियों को हिटलर का समर्थक बना दिया। हालाँकि हिटलर पूँजीवादी नहीं था लेकिन कम्युनिस्टों का कट्टर विरोधी था । जर्मनी की संसद में जब आग लगी तो हिटलर ने इसका सारा दोष कम्युनिस्टों के सर मढ़ा, जिसके प्रचार में पूँजीपतियों ने काफी प्रयास किया । पूँजीपतियों के प्रयास से ही जर्मनी में कम्युनिस्ट पार्टी पर प्रतिबंध लगा, हालाँकि इसका कर्त्ता-धर्ता हिटलर और उसका नाजीदल स्वयं अगुआ थे ।

प्रश्न 5. रोम-बर्लिन टोकियो धुरी क्या है ?
उत्तर- हिटलर की आक्रामक नीतियों के कारण विश्व में-खासकर यूरोप में उसका कोई देश मित्र नहीं था । इस प्रकार से विश्व विरादरी ने उसे छँटुआ बना दिया था। उसे मित्र की तलाश थी । इटली एक ऐसा देश था, जो प्रथम विश्व युद्ध में ट्रिपल एतांत के साथ था और लड़ाई में भाग लिया था, उसके बहुत सैनिक मारे गए थे और उसे भारी आर्थिक हानि हुई थी । लेकिन उससे उसे कोई लाभ नहीं हुआ था । इससे वह फ्रांस तथा इंग्लैंड दोनों से नफरत करता था । यह समझते हुए हिटलर ने उसकी ओर मित्रता का हाथ बढ़ाया। उधर ऐशिया में जापान भी साम्राज्यवादियों की कतार में खड़ा था । अतः उसने इटली और जर्मनी से मित्रता कर ली । इटली की राजधानी रोम, जर्मनी की राजधानी बर्लिन तथा जापान की राजधानी टोकियो थी । अतः इन तीनों को मित्रता को रोम-बर्लिन – टोकियों धुरी कहा गया । द्वितीय विश्वयुद्ध के समय इन्हीं तीनों को ‘धुरी राष्ट्र’ कहा जाता था ।

VII. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न :

प्रश्न 1. हिटलर के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालें ।
उत्तर — हिटलर का पूरा नाम एडोल्फ हिटलर था । उसका जन्म 20 अप्रैल, 1889 ई. में आस्ट्रिया के एक शहर बौना में हुआ था । गरीबी के कारण उसका लालन-पालन या शिक्षा-दीक्षा सही ढंग से नहीं हो सकी थी। वह सेना में भर्ती हो गया । प्रथम विश्वयुद्ध में उसने जर्मनी की ओर से लड़ते हुए अपूर्व वीरता का प्रदर्शन किया, जिससे उसे ‘आयरन क्रास’ से सम्मानित किया गया। वर्साय की संधि में जर्मनी की जो दुर्गति की गई, उससे वह मर्माहत था। युद्धोपरान्त वह ‘जर्मनी वर्कर्स पार्टी’ की सदस्यता ग्रहण कर ली । अपने जुझारूपन से इसने पार्टी में अपना एक अच्छा स्थान बना लिया । इसने पार्टी का नाम बदलवाकर ‘नेशनल सोसलिस्ट जर्मन वर्कर्स पार्टी’ करा दिया। जल्दी ही वह इसका नेता (फ्यूहरर) बन गया ।

हिटलर ने गोयबल्स जैसे कार्यकर्ताओं से पार्टी को भर दिया । ऐसे लोग नारा गढ़ने झूठ को सच में बदलने में माहिर थे । संधि के बाद फ्रांस ने जर्मनी के जिन क्षेत्रों पर कब्जा किया था, वह उन्हें वापस माँगने लगा। इसी के समर्थन में उसने वाइमर गणतंत्र के खिलाफ विद्रोह खड़ा करवा दिया और खुद उसका नेता बन गया । विद्रोह के असफल हो जाने के कारण उसे जेल की हवा खानी पड़ी। जेल में रहकर ही इसने अपनी जीवनी वाइमर ‘मीन कैम्फ’ की रचना की। इस पुस्तक में उसके भावी कार्यक्रम की रूपरेखा थी । 1924 में जेल से रिहा होने के बाद उसने अपने दल को नए सिरे से संगठित किया। आर्यों के पवित्र चिह्न ‘स्वास्तिक’ को इसने अपने दल का प्रतीक घोषित किया। दल को वह सैनिक रूप में ढालने लगा। इसने उसका इतना प्रचार किया कि वैश्विक समाज में जर्मनी को सम्मान की दृष्टि से देखा जाने लगा। उसे राष्ट्रसंघ की सदस्यता भी मिल गई । आर्थिक मंदी के कारण वाइमर गणतंत्र से जनता का विश्वास उठने लगा । हिटलर ने इसका भरपूर लाभ उठाया । वकतृत्व कला में यह इतना निपुण था कि श्रोताओं को अपनी ओर आकर्षित करने में सर्वत्र सफल होने लगा । जर्मनी की दुर्दशा के लिए उसने वर्साय की संधि, गणतंत्र तथा जर्मनी में रह रहे यहुदियों को जिम्मेवार ठहराने लगा। उसे विश्वास था कि ये यहूदी रहते-खाते तो जर्मनी में हैं लेकिन जासूसी उसके विरोध में करते हैं। मध्यवर्ग और बेकार नौजवान इसके प्रबल समर्थक बन गए। 1932 ई. के चुनाव में इसने संसद के लिए 230 सीटें प्राप्त कर लीं। कुछ आनाकानी के बाद अंततः राष्ट्रपति हिंडनबर्ग ने 1933 में हिटलर को चांसलर ( प्रधानमंत्री) नियुक्त कर दिया। 1934 में हिंडेनबर्ग की मृत्यु के बाद हिटलर ने राष्ट्रपति और चांसलर दोनों पदों को एक में मिलाकर जर्मनी का एक छत्र शासक बन बैठा। जर्मन गणतंत्र समाप्त होकर नाजी जर्मन का आरम्भ हो गया । हिटलर अब जर्मनी का सर्वेसर्वा था । उसने नाजीवादी दर्शन एवं विदेश नीति का अवलम्बन किया, जिस कारण पूरे विश्व में तनाव की स्थिति बन गई। अब द्वितीय विश्वयुद्ध अवश्यम्भावी और निकट दिखने लगा ।

प्रश्न 2. ” हिटलर की विदेश नीति जर्मनी की खोई प्रतिष्ठा को प्राप्त करने का एक साधन था ।” कैसे ?
उत्तर- वर्साय की संधि ने जर्मनी को पंगु बना दिया था । इससे जर्मनीवासियों का खून खौल रहा था और वे बदले की भावना से ओत-प्रोत थे । हिटलर ने इसका लाभ उठाया और जनता की इच्छा के अनुरूप अपनी विदेश नीति तय की, जिसके आधार पर उसने निम्नलिखित कदम उठाए :
(1) राष्ट्रसंघ से पृथक होना— सर्वप्रथम हिटलर ने 1933 में जेनेवा निःशस्त्रीकरण. की माँगी की। लेकिन नहीं माने जाने पर वह राष्ट्रसंघ से अलग हो गया ।
(2) वर्साय संधि को भंग करना – 1935 में हिटलर वर्साय संधि की शर्तों को मानने से इंकार कर दिया और उसने पूरे जर्मनी में अनिवार्य सैनिक सेवा लागू कर दी ।
(3) पोलैंड के साथ समझौता – हिटलर ने 1934 में पोलैंड के साथ दस वर्षीय अनाक्रमण संधि कर समझौता कर लिया, जिसमें तय हुआ कि दोनों एक-दूसरे की सीमाओं की रक्षा करेंगे ।
(4) ब्रिटेन से समझौता – 1935 में हिटलर ने ब्रिटेन से एक समझौता किया, जिसमें तय हुआ कि जर्मनी अपनी सैनिक क्षमता बढ़ा सकता है। हालाँकि नौ सेना पर कुछ प्रतिबंध जारी रहेगा ।
(5) रोम-बर्लिन धुरी — हिटलर ने इटली से समझौता कर लिया । इस प्रकार रोम- बर्लिन धुरी की नींव पड़ गई ।
(6) कामिन्टर्न विरोधी समझौता – साम्यवादी खतरा से बचाव के लिए जर्मनी, इटली और जापान के बीच कामिन्टर्न विरोधी समझौता हुआ। इस प्रकार 1936 में इन तीनों ने मिलकर ‘धुरी राष्ट्र’ की कल्पना साकार कर ली ।
(7) आस्ट्रिया एवं चेकोस्लोवाकिया का विलय — जर्मन भाषा-भाषी क्षेत्रों को एक साथ करने के लिए उसने आस्ट्रिया को जर्मनी में मिला लिया । इधर चेकोस्लोवाकिया के सुडेटनलैंड में जर्मनभाषी लोग रहते थे । इंग्लैंड, फ्रांस और इटली के अनुरोध पर चेकोस्लोकिया ने सुडेटनलैंड को जर्मनी के हवाले कर दिया ।
(8) पोलैंड पर आक्रमण – पोलैंड को बाल्टिक सागर तक पहुँचाने के लिए जर्मनी का कुछ भू-भाग उसे दिया जा चुका था। हिटलर उसकी वापसी चाहता था । इंकार करने पर जर्मनी ने पोलैंड पर 1 सितंबर, 1939 को आक्रमणकर दिया, जिससे विश्वयुद्ध आरंभ हो गया ।

प्रश्न 3. “नाजीवादी दर्शन निरंकुशता का समर्थक और लोकतंत्र का विरोधी था ।” विवेचना कीजिए ।

उत्तर- ‘नाजीवादी दर्शन निरंकुशता का समर्थक और लोकतंत्र का विरोधी था ।” यह निम्नलिखित बातों से सिद्ध होता है :
1. हिटलर ने सत्ता प्राप्त करते ही प्रेस तथा बोलने की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगा दिया । अब अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जाती रही। वह विरोधी दलों का सफाया करने लगा ।
2. यह दर्शन समाजवाद का विरोधी था । कम्युनिस्टों की बढ़ोत्तरी से डराकर हिटलर पूँजीपतियों को अपने पक्ष में करने में सफल हो गया। इसमें उसे इंग्लैंड एवं फ्रांस का भी मौन समर्थन था ।
3. नाजीवादी दर्शन सर्वसत्तावादी राज्य की एक संकल्पना है। इसके अनुसार राज्य के भीतर ही सबकुछ है, राज्य के विरुद्ध या बाहर कुछ नहीं है ।
4. यह दर्शन उग्र राष्ट्रवाद पर बल देता था। चूँकि जर्मनी में पहले से ही उग्र राष्ट्रवाद और सैनिक तत्व की परंपरा रही थी, अतः हिटलर को इसमें काफी सफलता मिली । देश में कहीं से कोई विरोध नहीं हुआ ।
5. नाजीवाद राजा की निरंकुशता का समर्थक था । जर्मनी में उसी का सहारा लेकर हिटलर ने निरंकुश शासन की शुरुआत कर दी। उसने गुप्तचर पुलिस ‘गेस्टापो’ का गठन किया और पूरे जर्मनी में आतंक फैला दिया । सम्पूर्ण देश में इसने इस सिद्धांत का प्रचार किया कि “एक देश एक पार्टी और एक नेता ।” इसके अलावा कुछ नहीं ।
6.नाजीवादी दर्शन में सैनिक शक्ति एवं हिंसा को महिमा मंडित किया जाता था । इससे यूरोप के अन्य देशों में स्वतंत्रता विरोधी भावनाओं को प्रोत्साहन मिला। विश्व में शांति विरोधी वातावरण का निर्माण हुआ। पूरे विश्व में साम्यवादी विरोध के आन्दोलन जोर पकड़ने लगे। यूरोप में तुष्टिकरण की नीति का प्रचलन बढ़ गया ।

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