Bihar Board Class 6 Social Science नये साम्राज्य एवं राज्य Text Book Questions and Answers Naye Samrajya Evam Rajya Class 6th Solutions
12. नये साम्राज्य एवं राज्य
अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर
आइए याद करें
सही उत्तर चुनें/सही उत्तर पर निशान (/) लगाएँ ।
1. समुद्रगुप्त की प्रशस्ति किसने लिखी ?
(क) रविकीर्ति
(ख) हरिषेण
(ग) कालिदास
(घ) अमरसिंह
2. हर्षवर्द्धन किस वंश का राजा था ?
(क) गुप्तवंश
(ख) मौर्यवंश
(ग) पुष्यभूति वंश
(घ) मौखरी वंश
3. मेहरौली के लौह-स्तंभ से किस राजा के बारे में जानकारी मिलती है ?
(क) हर्षवर्द्धन
(ख) चन्द्रगुप्त द्वितीय
(ग) चन्द्रगुप्त मौर्य
(घ) चन्द्रगुप्त प्रथम
4. नालन्दा विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों को प्रवेश कैसे मिलता था ?
(क) राजा के कहने पर
(ख) सवाल पूछकर ( जांच परीक्षा द्वारा )
(ग) पैसा लेकर
(घ) राजा के कर्मचारियों को
5. एहोल अभिलेख किस राजा की प्रशस्ति है ?
(क) नरसिंह वर्मन
(ख) पुलकेशिन द्वितीय
(ग) हर्षवर्धन
(घ) समुद्रगुप्त
उत्तर—1. (ख), 2. (ग), 3. (ख), 4. (ख), 5. (ख)। .
आइए याद करें
प्रश्न 1. समुद्रगुप्त एवं पुलकेशिन द्वितीय की प्रशस्ति के बारे में तीन- तीन पंक्तियाँ लिखें ।
उत्तर — समुद्रगुप्त की प्रशस्ति के बारे में जानकारी हमें इलाहाबाद स्तंभ से मिलती है। यह स्तंभ तो था अशोक का, लेकिन समुद्रगुप्त के राज कवि हरिषेण ने उसी पर समुन्द्रगुप्त की प्रशस्ति गुदवा दी। इस प्रशस्ति में समुद्रगुप्त को गुप्तवंश का एक महान शासक माना गया है। वह विद्वान के साथ संगीत प्रेमी भी था ।
पुलकेशिन दक्षिणापथ का शासक था । वह इतना वीर था कि हर्ष के दक्षिण विजय को रोक दिया और उसे धर्म की ओर मुड़ने को बाध्य कर दिया। पुलकेशिन की प्रशस्ति की जानकारी हमें अनेक अभिलेखों से मिलती है। उसके दरबारी कवि रविकीर्ति द्वारा रचित एहोल अभिलेख में विशेष रूप से मिलती है ।
प्रश्न 2. हर्ष के बारे में हमें किन स्रोतों से जानकारी मिलती है ? हर्ष के बारे में पाँच पंक्ति लिखें ।
उत्तर – हर्ष के बारे में हमें अनेक स्रोतों से जानकारी मिलती है । जैसे— हर्ष के राजक़वि बाणभट्ट द्वारा रचित हर्षचरित, मधुवन, बांसखेड़ा और संजान ताम्रपत्र के लेख तथा ह्वेनसांग के यात्रा वृत्तांत आदि से काफी जानकारी मिलती है । हर्ष स्वयं विद्वान था और विद्वानों का काफी आदर करता था। उसके दरबार में विद्वानों की जनघट रहती थी।
हर्षवर्द्धन पुष्यभूति वंश का सबसे शक्तिशाली राजा था। इसकी राजधानी थानेश्वर में थी । हर्ष के पिता की मृत्यु के बाद इसका बड़ा भाई राजवर्द्धन शासक बना । एक षड्यंत्र के तहत सशांक ने राजवर्द्धन की हत्या कर दी । तब हर्षवर्द्धन राजा बना । अपने भाई के हत्यारे से बदला लिया। अपनी बहन राज्यश्री को सती होने से बचा कर वह इतिहास में अमर हो गया। उसने कन्नौज पर राज्यश्री को शासन करने के लिए प्रोत्साहित किया । हर्ष दक्षिण पर विजय प्राप्त करना चाहता था लेकिन पुलकेशिन ने उसे उधर बढ़ने से रोक दिया । कारण कि पुलकेशिन भी एक वीर राजा था ।
प्रश्न 3. पुलकेशिन द्वितीय ने हर्ष को क्यों पराजित किया ? इसकी जानकारी हमें कैसे मिलती है ?
उत्तर—पुलकेशिन द्वितीय ने हर्ष को इसलिए पराजित किया, क्योंकि वह दक्षिण से के राज्यों पर अधिकार करना चाहता था । पुलकेशिन द्वितीय ने अपने बाहुबल दक्षिण के राज्यों कदम्ब, गंग, कोंकण को अपने अधिकार में किया था । वह जीतें जी किसी को उस ओर बढ़ने देना नहीं चाहता था। इसी कारण उसने हर्ष को पराजित किया ।
इसकी जानकारी हमें अनेक अभिलेखों से मिलती है । इनमें पुलकेशिन के दरबारी कवि रविकीर्ति द्वारा रचित एहोल अभिलेख है । इस अभिलेख में हर्ष पर उसकी विजय का खास वर्णन है ।
आइए करके देखें :
संकेत : इस खंड के सभी प्रश्नों को शिक्षक की सहायता से छात्रों को स्वयं करना है ।
कुछ अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न तथा उनके उत्तर
प्रश्न 1. हर्षवर्द्धन कौन था ? उसके एक दरबारी कवि का नाम लिखिए।
उत्तर— हर्षवर्द्धन उत्तर भारत का एक प्रसिद्ध शासक था। इसने लगभग 1400 वर्ष पहले शासक दिया था। इसके दरबारी कवियों में एक प्रसिद्ध कवि थे : बाणभट्ट ।
प्रश्न 2. उस चीनी यात्री का नाम लिखें जो हर्षवर्द्धन के दरबार में काफी समय तक रहा।
उत्तर- उस चीनी यात्री का नाम श्वैनत्सांग (ह्वेनसांग ) था, जो काफी समय तक हर्षवर्द्धन के दरबार में एक दरबारी की हैसियत से रहा ।
प्रश्न 3. ऐसे तीन लेखकों के बारे में बताइए जिन्होंने हर्षवर्धन के बारे में लिखा ।
उत्तर— हर्षवर्धन के बारे में जिन तीन लेखकों ने लिखा उनके नाम हैं: (i) बाणभट्ट, (ii) चीनी तीर्थ यात्री श्वैनत्सांग तथा (iii) चीनी यात्री फाहियान । फाहियान ने हर्ष के शासन के बारे में लिखा है।
प्रश्न 4. इस युग में सैन्य संगठन में क्या बदलाव आए ?
उत्तर — सैन्य संगठन में चार प्रकार की व्यवस्था थी— हाथी, घोड़े, रथ एवं पैदल । इसे ही इतिहास में चतुरंगनी सेना कहा गया है। लेकिन सेनानायक स्थायी नहीं थे।
‘अब स्थायी सेना नायकों के स्थान पर राजा कुछ सेनानायक अस्थायी रूप में रख लिए। इन्हें नियमित वेतन नहीं दिया जाता था। इन्हें वेतन के स्थानपर भूमि दी जाने लगी. जिसकी आमदनी से ये सेना का वेतन देते थे। घोड़ों की देखभाल और हथियारों का संग्रह करते थे। जब आवश्यकता हुई, राजा इनसे सैनिक सहायता ले लेते थे। ऐसे सेनानायक सामंत कहलाते थे। ये सदा इसी ताक में रहते थे कि शासक कब दुर्बल हो । उसके दुर्बल होते ही वे स्वयं वहाँ का शासक बन बैठते थे।
प्रश्न 5. इस काल की प्रशासनिक व्यवस्था में आपको क्या-क्या नई चीजें दिखती हैं ?
उत्तर—इस काल के राजाओं की आय का मुख्य स्रोत भूमिकर ही था। शासन का प्राथमिक इकाई गाँव ही थे। चूँकि अब स्थायी सेना का रिवाज समाप्त हो गया, अतः राजा हर तरह का समर्थन जुटाने के लिए अनेक कदम उठाने लगे। नियमित वेतन देना न पड़े, इसके लिए कई प्रशासनिक पद वंशानुगत हो गए। एक ही व्यक्ति कई पदों पर काम करने लगा। गाँव के स्थानीय शासन में भी बाहुबलियों का बोलबाला रहने लगा।
नगरों में श्रेष्ठी (सेठ), व्यापारी बैंकर का भी काम करते थे। व्यापारियों के काफिले के नेता को सार्थवाह कहा जाता था। शिल्पकार – कुलिक कहलाते थे तथा लिपिक का काम करने वाले कायस्थ थे। व्यवस्था तो अच्छी थी, लेकिन कभी-कभी कुछ तो इतना शक्तिशाली हो जाते थे जो राजा को अँगूठा दिखा कर खुद को शासक घोषित कर लेते थे, भले ही किसी छोटे क्षेत्र का ही सही। इससे केन्द्रीय सत्ता कमजोर पड़ने लगी।
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