इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 9 संस्कृत भाग दो के कविता पाठ एक ‘सरस्वती-वन्दना’ (Saraswati Wandna Class 9th Sanskrit)’ के अर्थ को पढ़ेंगे।
1. सरस्वती-वन्दना
पाठ-परिचय-प्रस्तुत पाठ ‘सरस्वती वंदना’ में विद्या की देवी सरस्वती की प्रार्थना की गई है। प्रार्थना में कहा गया है कि हे माँ ! तुम्ही ज्ञान-विज्ञान, बुद्धि-विवेक की दात्री हो। तुम्ही मानव-मस्तिष्क को रंजित करती हो। सद्विवेक प्रदान करके जगजीवन को मधुमय बनाती हो। इसलिए हे माँ! हमें भी विद्या का दान दो, ताकि हम जनकल्याण में सहयोगी बन सकें।
जय जय विद्यादेवि !सरस्वति !
तव चरणौ प्रणमामः ।
तव चरणौ प्रणमामो मातः
तव चरणौ प्रणमामः ।।
जय जय विद्यादेवि सरस्वति !
अर्थ-हे माते ! विद्या की देवी सरस्वती ! आपकी बार-बार जय हो। हे माँ ! हम तुम्हारे चरणों की वंदना करते हैं, तुम्हारे चरणों को प्रणाम करते हैं। हे विद्या की देवी .. सरस्वती ! तुम्हारी जय हो। बार-बार जय हो।
श्वेतकमलमासनतिरन्यं,
हंस स्तव शुभयाप ।
वीणा-वाकमरियपधुरम्,
पुस्तक प्रापिणि मातः ।।
जय जय विद्यादेवि सरस्वति !
अर्थ– हे वीणावादिनी पुस्तक धारिणी माता सरस्वती ! तुम्हारा श्वेत (धवल) कमल रूपी आसन अतिरमणीय (मनोहर) है। तुम्हारी सवारी (वाहन) हंस है। तुम्हारी वीणा की आवाज अति कर्णप्रिय एवं मनमन्दिर को आह्लादित करने वाली है। हे माते! तुम्हारे हाथ में सदा पुस्तक विराजमान रहती है। तात्पर्य यह कि निर्मल बुद्धि प्रदान करनेवाली माँ सरस्वती का वस्त्र, वाहन, आसन-सब कुछ शुभ्र (स्वच्छ) है। विद्या की देवी सरस्वती ! तुम्हारी जय हो, सदा जय हो। Saraswati Wandna Class 9th Sanskrit
ब्रानन्द-विहारिणि जननि !
जडपाते हारिणि मातः ।
विमल-वसन-परिधारिणि धन्ये,
बुद्धि-प्रकाशिनि मातः ।।
जय जय विद्यादेवि सरस्वति !
अर्थ-हे माते! तुम अद्भुत आनंद प्रदान करनेवाली हो। तुम हमारी अज्ञानता को नष्ट करके हमारे मन-मंदिर को ज्ञान-प्रकाश से जगमग कर देती हो। तुम्हारे वस्त्र स्वच्छ एवं निर्मल हैं अर्थात् तुम श्वेतवसना हो। हे माते! तुम सद्बुद्धि प्रदान करनेवाली हो। हे विद्या की देवि! तुम्हारी जय हो। सदा जय हो।
उपकारं मम कल्याणं कुरु,
सुमतिं देहि प्रकामम् ।
नाना-विघ्नदलं हर अम्ब !
निर्विघ्नं कुरु कामम् ।।
जय जय विद्यादेवि सरस्वति !
अर्थ-हे माँ शारदे । हमें सद्बुद्धि प्रदान कर हमारी भलाई करो। हमें कल्याणकारी . भावों से भर दो। जीवन मार्ग में आनेवाली सारी बाधाओं को नष्ट करके हमारी मनोकामना पूरी करो। हे माते! हमारे जीवन को सहज, सरल तथा बाधाओं से मुक्त कर दो। हे विद्या की देवि सरस्वती! तुम्हारी सदा जय हो। जय हो। Saraswati Wandna Class 9th Sanskrit
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