द्वितीयः पाठ:
जयदेवस्य औदार्यम् (जयदेव की उदारता)
- जयदेव कवि का संक्षिप्त परिचय लिखें। (2013C,2015A)
उत्तर- जयदेव उदार प्रवृत्ति के विद्वान थे। उनका स्वभाव सरल था। ये परोपकार में आनन्दित होते थे। क्षमाशील होने के कारण शत्रु भाव रखने वाले की भी मदद करना उनका स्वाभाविक गुण था। वे भगवद्भजन एवं सज्जन थे।
- “जयदेवस्य औदार्यम्’ पाठ में निहित संदेश को स्पष्ट करें।
उत्तर- प्रस्तुत पाठ के माध्यम से बताया गया है कि हमेशा हमें सत्मार्ग पर चलना चाहिए। भगवद्भजन संकटों से मुक्त करता है। पाठ में मूलतः कहा गया है कि हमें दुष्ट शत्रु के प्रति भी उपकार का भाव रखना चाहिए। परोपकार के मार्ग से कभी विचलित नहीं होना चाहिए।
- लुटेरों द्वारा कुएं में फेंक दिये जाने पर जयदेव की रक्षा कैसे हुई?
उत्तर- जब लुटेरों ने जयदेव के हाथ-पैर काटकर उन्हें कुएं में फेंक दिया तब सूखे कुएँ में होश आने पर जयदेव जोर-जोर से भगवद्नाम का उच्चारण करने लगे। संयोगवश उस मार्ग से गुजरते हुए गौड देश के राजा लक्ष्मण सेन ने आवाज सुनकर अपने सेवकों द्वारा उन्हें बाहर निकलवाया और अपने साथ अपनी राजधानी ले गया। इस प्रकार भगवद्कृपा के कारण राजा के सहयोग से उनकी रक्षा हुई।