हंगरी में राष्ट्रीयता का उदय
आंदोलन का नेतृत्व ’कोसुथ’ तथा ’फ्रांसिस डिक’ नामक क्रांतिकारी के द्वारा किया जा रहा था। फ्रांस में लुई फिलिप का हंगरी के राष्ट्रवादी आन्दोलन पर विशेष प्रभाव पड़ा । कोसूथ ने ऑस्ट्रियाई आधिपत्य का विरोध करना शुरू किया तथा व्यवस्था में बदलाव की मांग करने लगा। इसका प्रभाव हंगरी तथा आस्ट्रिया दोनों देशों की जनता पर पडा। जिसके कारण यहाँ राष्ट्रीयता के पक्ष में आन्दोलन शुरू हो गए। 31 मार्च 1848 ई० को आस्ट्रिया की सरकार ने हंगरी की कई बातें मान ली, जसके अनुसार स्वतंत्र मंत्रिपरिषद की मांग स्वीकार की गई । इन आन्दोलनों ने हंगरी को राष्ट्रीय अस्मिता प्रदान की। इस प्रकार हंगरी में हो रहे राष्ट्रवादी आंदोलन सफल हुआ।
पोलैंड में राष्ट्रवाद का उदय
पोलैंड में भी राष्ट्रवादी भावना के कारण, रूसी शासन के विरुद्ध विद्रोह शुरू हो गए। 1830 ई. की क्रांति का प्रभाव यहाँ के उदारवादियों पर भी व्यापक रूप से पड़ा था परन्तु इन्हें इंग्लैंड तथा फ्रांस की सहायता नहीं मिल सकी। अतः इस समय रूस ने पोलैंड के विद्रोह को कुचल दिया।
बोहेमिया में राष्ट्रवाद का उदय
बोहेमिया जो ऑस्ट्रियाई शासन के अंतर्गत था, में भी हंगरी के घटनाक्रम का प्रभाव पड़ा। बोहेमिया की बहुसंख्यक चेक जाति की स्वायत्त शासन की मांग को स्वीकार किया गया परन्तु आन्दोलन ने हिंसात्मक रूप धारण कर लिया। जिसके कारण ऑस्ट्रिया द्वारा क्रांतिकारियों का सख्ती से दमन कर दिया गया। बोहेमिया में होने वाले क्रांतिकारी आन्दोलन की उपलब्धियाँ स्थायी न रह सकीं। इस प्रकार यहाँ का आंदोलन असफल हो गया।