इस पोस्ट में हमलोग कक्षा 7 सामाजिक विज्ञान इतिहास के पाठ 9. 18वीं शताब्दी में नयी राजनैतिक संरचनाएँ (18wi Shatabdi me Nai Rajnitik Sanrachna Class 7th Solutions)के सभी टॉपिकों के बारे में अध्ययन करेंगे।
9. 18वीं शताब्दी में नयी राजनैतिक संरचनाएँ
अध्याय में अंतर्निहित प्रश्न और उनके उत्तर
प्रश्न 1. स्वयात्त राज्य किसे कहा जाता है ? (पृष्ठ 147 )
उत्तर- जो राज्य अपना सम्पूर्ण प्रशासनिक निर्णय और नीति-निर्धारण स्वयं करता है, उस राज्य को ‘स्वायत्त राज्य’ कहते हैं ।
प्रश्न 2. नये राज्यों को तीन समूह में विभाजित करने के आधार क्या रहा होगा ?
उत्तर— पहले से चले आ रहे केन्द्रीय शासकों का कमजोर हो जाना ही ऐसा प्रमुख कारण रहा होगा, जिससे राज्य तीन राज्यों में विभाजित हो गया ।
प्रश्न 3. तकावी ऋण क्या था ? ( पृष्ठ 148 )
उत्तर— राज्य द्वारा किसानों को दिये गये ऐसे ऋण को तकावी ऋण कहा जाता था, जिस ऋण की रकम का मकसद उपज को बढ़ाना था ।
प्रश्न 4. ठेकेदारी या इजारेदारी व्यवस्था क्या थी? ( पृष्ठ 149 )
उत्तर—राजस्व वसूली के लिये एक निश्चित क्षेत्र पर निर्धारित रकम के लिए कुछ लोगों से शासक द्वारा किए गए समझौता ठेकेदारी या इजारेदारी व्यवस्था थी ।
प्रश्न 5. चौथ किसे कहा जाता था ?
उत्तर – मराठों द्वारा पड़ोसी राज्यों पर हमला नहीं किये जाने के बदले किसानों से ली जाने वाली उपज का चौथाई भाग के कर को चौथ कहा गय
प्रश्न 6. सरदेशमुखी क्या था ?
उत्तर—मराठों से बड़े जमींदार परिवारों, जिन्हें सरदेशमुख कहा जाता था, इनके द्वारा लोगों के हितों की रक्षा के बदले लिया जाने वाला उपज का दसवाँ भाग होता था। ऐसे कर वसूलने वाले को सरदेशमुख कहा जाता है।
अभ्यास: प्रश्न तथा उनके उत्तर
आइए याद करें :
(i) मुगलों के उत्तराधिकारी राज्य में कौन राज्य आता है ?
(क) सिक्ख (ख) जाट (ग) मराठा (घ) अवध
(ii) बंगाल में स्वायत राज्य की स्थापना किसने की ?
(क) मुर्शिद कुली खाँ (ख) शुजाउद्दीन
(ग) बुरहान-उल-मुल्क (घ) शुजाउद्दौला
(iii) सिक्खों के एक शक्तिशाली राजनैतिक और सैनिक शक्ति के रूप में किसने परिवर्तित किया :
(क) गुरुनानक (ख) गुरु तेगबहादुर
(ग) गुरु अर्जुनदेव (घ) गुरु गोविन्द सिंह
(iv) शिवाजी ने किस वर्ष स्वतंत्र राज्य की स्थापना की ?
(क) 1665 (ख) 1680 (घ) 1674 (घ) 1660
(v) मराठा परिसंघ का प्रमुख कौन था ?
(क) पेशवा (ख) भोंसले
(ग़) सिंधिया (घ) गायकवाड
उत्तर : (i) → (घ), (ii) → (क), (iii) → (घ), (iv) → (ग), (v) → (क) |
प्रश्न 2. निम्नलिखित में मेल बैठाएँ :
(i) ठेकेदारी प्रथा – मराठा
(ii) सरदेशमुखी – औरंगजेब का निधन
(iii) निजाम-उल-मुल्क – जाट
(iv) सूरजमल – हैदराबाद
(v) 1707 ई. – भू-राजस्व प्रशासन
उत्तर : (i) ठेकेदारी प्रथा – भू-राजस्व प्रशासन
(ii) सरदेशमुखी – मराठा
(iii) निजाम-उल-मुल्क – हैदराबाद
(iv) सूरजमल – जाट
(v) 1707 ई. – औरंगजेब का निधन
आइए विचार करें :
प्रश्न (i) अवध और बंगाल के नवाबों ने जागीरदारी प्रथा को हटाने की कोशिश क्यों की?
उत्तर—अवध और बंगाल के नवाबों ने जागीरदारी प्रथा को हटाने की कोशिश इसलिए की कि वे मुगल प्रभाव को कम करना चाहते थे । यही हाल हैदराबाद का भी था । इस प्रकार धीरे-धीरे ये मुगलों से पूर्णत: मुक्त होकर स्वतंत्र शासक बन बैठे ।
प्रश्न (ii) शिवाजी ने अपने राज्य में कैसी प्रशासनिक व्यवस्था कायम की ?
उत्तर—शिवाजी के काल में प्रशासन का केन्द्र राजा अर्थात स्वयं शिवाजी थे । राजा को सहयोग देने के लिए आठ मंत्री थे जिन्हें ‘अष्ठ प्रधान’ कहा जाता था ।
(i) पेशवा – पेशवा प्रधानमंत्री था। प्रशासन और अर्थ विभाग की देखरेख करता था। राजा के बाद यही सबसे अधिक शक्ति वाला अधिकारी था ।
(ii) सर-ए-नौबत — यह सेनापति की नियुक्ति करता था तथा घोड़ा के साथ ही अन्य सैनिक साजो-सामान की देखरेख करता था ।
(iii) मजुमदार-लेखाकार – इनका काम राज्य के आय-व्यय का लेखा रखना था ।
(iv) वाके नवीस – गृह विभाग के साथ ही गुप्तचर विभाग का यह प्रधान होता था। राज्य के विरोधी शक्तियों का यह विवरण रखता था ।
(v) सुरु नवीस- राजा को पत्र व्यवहार में मदद करना सुरु नवीस का ही काम था ।
(vi) दबीर – दबीर विदेश विभाग का प्रधान होता था । पड़ोसी राज्यों से सम्बंध बनाये रखना इसी का काम था ।
(vii) पंडित राव – पंडित राव धार्मिक मामलों का प्रभारी था । विद्वानों और धार्मिक कार्यों हेतु मिलने वाले अनुदानों का वितरण यही करता था ।
(viii) न्यायाधीश शास्त्री — हिन्दू न्याय प्रणाली का व्याख्याता न्यायाधीश शास्त्री ही हुआ करता था । .
प्रश्न (iii) पेशवाओं के नेतृत्व में मराठा राज्य का विस्तार क्यों हुआ ?
उत्तर – शिवाजी की मृत्यु के बाद और औरंगजेब के जीवित रहने तक मराठा क्षेत्रों पर पुनः मुगलों का अधिकार हो गया । लेकिन जैसे ही 1707 में औरंगजेब की मृत्यु हुई, शिवाजी के राज्य पर चितपावन ब्राह्मणों के एक परिवार का प्रभाव स्थापित हो गया। शिवाजी के उत्तराधिकारियों ने उसे पेशवा का पद दे दिया। इस नये बने पेशवा ने पुणा को मराठा राज्य का केन्द्र बनाया । पेशवाओं ने मराठों के नेतृत्व में सफल सैन्य संगठन का विकास किया, जिसके बल पर उन्होंने अपने राज्य का बहुत विस्तार दिया । मुगलों के कई परवर्ती शासकों ने पेशवाओं का नेतृत्व स्वीकार कर लिया। इसी कारण पेशवाओं के नेतृत्व में मराठा राज्य का विस्तार हुआ ।
प्रश्न (iv) मुगल सत्ता के कमजोर होने का भारतीय इतिहास पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर—मुगल सत्ता के कमजोर होने का भारतीय इतिहास पर दूरगामी प्रभाव पड़ा । छोटे-छोटे राज्यों की भरमार हो गई। छोटे राज्यों के सभी नायक ऐश-मौज का जीवन व्यतीत करते रहे । खर्च को पूरा करने के लिए किसानों पर कर-पर-कर बढ़ाये गये । किसान तबाह होने लगे। इनकी इन कमजोरियों को अंग्रेज पैनी नजर से देख रहे थे । फल हुआ कि अंग्रेजों ने एक-एक कर सभी छोटे राज्यों को अपने अधिकार में कर लिया । इसके लिये इनको बल के साथ छल का भी व्यवहार करना पड़ा। अंततोगत्वा किसी भी रूप में ये पूरे भारत पर अधिकार करने में सफल हो गये ।
प्रश्न (v) अठारहवीं शताब्दी में उदित होने वाले राज्यों के बीच क्या समानताएँ थीं ?
उत्तर — अठारहवीं शताब्दी में उदित होने वाले राज्यों तीन राज्य प्रमुख थे— बंगाल, अवध और हैदराबाद। तीनों मुगल शासन के अधीन रहने वाले सूबे थे। इसका फल हुआ कि बहुत बातों में ये तीनों राज्य समान थे। आय का स्रोत भू-राजस्व वसूली की दिया ताकि राज्य शासन पर इनका आधिपत्य पूरी तरह स्थापित हो जाय। इस प्रकार व्यवस्था तीना ने एक समान ही रखी। इन तीनों ने जागीरदारी व्यवस्था को समाप्त कर तीनों राज्यों के बीच अनेक समानताएँ थीं ।
आइए करके देखें :
इसके तहत प्रश्न परियोजना कार्य हैं। छात्र इन्हें स्वयं करें
कुछ अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न तथा उनके उत्तर
प्रश्न 1. अठारहवीं शताब्दी में सिक्खों को किस प्रकार संगठित किया गया?
उत्तर—अठारहवीं शताब्दी में अनेक योग्य नेताओं ने सिक्खों का नेतृत्व किया कुछ सिक्ख पहले तो ‘जत्थों’ के गठन में जुटे रहे और कुछ ने ‘मिस्लों’ का गठन किया। बाद में इन दोनों ने मिलकर एक सेना बनाई, जो ‘दल खालसा’ कहलाती थी । उन दिनों ये बैसाखी और दीवाली के मौकों पर अमृतसर में मिलते थे तथा आगे की योजनाओं पर विचार करते थे । जो सामूहिक निर्णय ले लिए जाते थे उन्हें ‘गुरुमत्ता’ कहा जाता था । इस प्रकार अठारहवीं शताब्दी में सिक्खों ने अपने को पूरी तरह संगठित कर लिया । अब वे एक राज्य के रूप में रहने लगे थे। अब वे किसानों से कर के रूप में उपज का 20 प्रतिशत लेने लगे और बदले में उनको संरक्षण देने का वचन देने लगे । अर्थात स्पष्टतः वे एक राज्य के रूप में संगठित हो गए ।
18wi Shatabdi me Nai Rajnitik Sanrachna Class 7th Solutions
प्रश्न 2. मराठा शासक दक्कन के पार विस्तार क्यों करना चाहते थे ?
उत्तर – मराठा शासक दक्कन के पार विस्तार इसलिए करना चाहते थे, जिससे मराठा राज्य की सीमा और बढ़े तो पूर्वी और पश्चिमी दोनों तटों के बन्दरगाहों से कर वसूला जा सके। हालाँकि इसमें उन्हें सफलता भी मिली, लेकिन वहाँ वे स्वयं शासन नहीं कर अपने पर निर्भर राजाओं से शासन चलवाते रहे ।
प्रश्न 3. आसफजाह ने अपनी स्थिति को मजबूत बनाने के लिए क्या- क्या नीतियाँ बनाईं ?
उत्तर — आसफजाह ने पहले तो मुगल दरबार की अस्थिर स्थिति से लाभ उठाकरे मनमाना शासन करने लगा। अब वह मुगल दरबार से न तो कोई आदेश लेता था और न दरबार ही उसको कोई निर्देश देता था । जो भी वह करता, दरबार उसपर अपनी स्वीकृति का मुहर लगा देता था । इधर जैसे-जैसे मुगल दरबार कमजोर पड़ता गया उधर को बुलाकर अपनी सेना में जगह दी और बदले में उन्हें बड़ी-बड़ी जागीरदारी दी। वैसे-वैसे आसफजाह अपने को मजबूत करता गया । उसने उत्तर भारत के वीर योद्धाओं इस प्रकार उसके द्वारा अपनाई गई नीतियों ने उसे एक शक्तिशाली राज्य का मालिक बना दिया ।
प्रश्न 4. सआदत खान के पास कौन-कौन से पद थे ?
उत्तर- सआदत खान के पास कई पद थे। उसके पास अवध की सुबेदारी तो थी ही, उसने दीवानी और फौजदारी महकमे भी अपने हाथ में ले लिए । वह एक साथ ही सूबे के राजनीतिक, वित्तीय और सैनिक मामलों का एकमात्र कर्ता-धर्ता बन गया।
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