इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 8 संस्कृत के कहानी पाठ तीन ‘अस्माकं देशः (हमारा देश)’ (Asmakam desh class 8 Sanskrit )’ के अर्थ को पढ़ेंगे।
तृतीयः पाठः
अस्माकं देशः (हमारा देश)
पाठ-परिचय–प्रस्तुत पाठ ‘अस्माकं देशः’ में भारतवर्ष की प्राचीन सांस्कृतिक महिमा के साथ आधुनिक महापुरुषों की उपलब्धियों के विषय में बताया गया है। हमारा देश भारत आदि काल से ज्ञान-विज्ञान, सभ्यता-संस्कृति तथा आदर्श व्यवहार के लिए विश्वप्रसिद्ध रहा है। इसी देश ने विश्व में ज्ञान की ज्योति जलाई । प्राचीनकाल में इसकी सीमा पूर्व-पश्चिम में बहुत बड़े क्षेत्र को व्याप्त करती थी। आज इस देश के उत्तर में हिमालय, दक्षिण में हिन्द महासागर पूरब में म्यांमार तथा पश्चिम में अरब सागर है। इस पाठ में भारत के प्राचीन आधुनिक दोनों रूपों का यथार्थ चित्रण किया गया है।
उत्तरं यत् समुद्रस्य हिमाद्रेश्चैव दक्षिणम् ।
वर्ष तद् भारतं प्राहुः भारती यत्र सन्नतिः ॥
अर्थ—जो देश समुद्र (हिन्द महासागर) के उत्तर, हिमालय के दक्षिण में अवस्थित है, उसी देश को भारतवर्ष कहते हैं, जिसकी संतान भारतीय सरस्वती पुत्र कहलाते हैं। Asmakam desh class 8 Sanskrit
अस्माकं देश: भारतवर्षमिति कथ्यते । प्राचीनकालात् अस्य देशस्य प्राकृतिकी समृद्धिः साहित्यिक योगदानं, सांस्कृतिक वैभवं च आश्चर्यकरं बभूव । अत्रैव वेदानाम् आविर्भावः सप्तसिन्धुप्रदेशे जातः, यत्र भौतिकम् आध्यात्मिकं च चिन्तनम् अद्भुतम् आसीत् । उत्तरभारते महाकाव्यानां पुराणानां शास्त्राणां च व्यापकता दक्षिणदेशभागमपि स्वप्रकाशे आनयत् ।
तत्रापि शिलप्पदिकारम्-प्रभृतयः ग्रन्थाः प्राचीनकालतः एव तमिलसाहित्यस्य गौरवं वर्धितवन्तः । सम्पूर्णस्य भारतस्य सांस्कृतिके एकत्वे पुराणानां . योदानम् अविस्मरणीयम् । इदानीं भारतस्य जने-जने धर्मस्थलानां तीर्थयात्रार्थ योऽभिनिवेशः दृश्यते स नूनं पुराणसाहित्यकृतम् । दक्षिणस्य निवासी बदरीकेदारयात्रां करोति, उत्तररस्य निवासी रामेश्वर कन्याकुमारीतीर्थं च गन्तुमिच्छति । एवमेव द्वारिकाकामाख्यादिषु स्थलेषु गच्छन्ति तीर्थयात्रिकाः
अर्थ—हमारे देश को भारतवर्ष कहा जाता है। प्राचीन काल से ही इस देश की प्राकृतिक संपन्नता, साहित्यिक योगदान तथा सांस्कृतिक समृद्धि आश्चर्यजनक था। इसी देश में सात नदियों (सप्तसिंधु) के क्षेत्र में वेदों की उत्पति हुई। जहाँ भौतिक और सांस्कृतिक विषयों में आश्चर्यजनक चिन्तन हुआ । उत्तर भारत में महाकाव्यों, पुराणों तथा शास्त्रों के विस्तार अथवा प्रचार-प्रसार का प्रभाव दक्षिण भारत को प्रभावित किया। वहाँ भी तमिल शिलप्पदिकारम् महाकाव्य प्राचीन काल से ही तमिल साहित्य का गौरव बढ़ाए हुए हैं। सम्पूर्ण भारत की सांस्कृतिक एकता और साहित्यिक योगदान अविस्मरणीय है। इस समय भी लोगों में धर्मस्थलों. तथा तीर्थयात्रा के प्रति जो लगाव है, वह पुराण-साहित्य की ही देन है। दक्षिण भारत के लोग ब्रदीनाथ तथा केदारनाथ की यात्रा पर जाते हैं तो उत्तर भारत के लोग रामेश्वरम् एवं कन्याकुमारी जाते हैं अथवा जाना चाहते हैं। उसी, प्रकार द्वारिका नामक तीर्थ स्थान पर लोग जाते हैं।
अस्य देशस्य नद्यः पुण्यतोयाः मन्यन्ते, पर्वताः पवित्राः कथ्यन्ते, वृक्षाः पूज्यन्ते । प्रकृति प्रति भारतीयानाम् आश्चर्यकरम् आकर्षणमासीत् । पूजनीयत्वात् प्रकृतेः प्रदूषणं पापं मन्यते स्म । अत एवं पर्यावरणस्य कापि समस्या अत्र नासीत् ।।
अस्मिन् देशे विज्ञानस्यापि महती प्रतिष्ठा आसीत् । वास्तुशिल्पिन: ‘विशालानि मन्दिराणि निर्मान्ति स्म । भवनानि भव्यानि क्रियन्ते स्म । आकाशपिण्डानि ज्योतिर्विद्भिः अधीयन्ते स्म । अत्र चिकित्साशास्त्रमपि प्रगतिशीलम् । गणितशास्त्रे शून्यस्य कल्पना भारतेन कृता येन दशमलव-गणना प्रभारत, अन्यदेशेष्वपि गता। Asmakam desh class 8 Sanskrit
अर्थ—इस (भारत) देश की नदियों का जल पवित्र माना जाता है, पर्वतों को पवित्र कहा जाता है तथा पेड़ों की पूजा की जाती है। प्रकृति के प्रति भारतीयों का आश्चर्यजनक आकर्षण था । प्रकृति पूज्य होने के कारण इसे प्रदूपित करना पाप माना जाता था। इसी कारण यहाँ पर्यावरण प्रदूषण की कोई समस्या नहीं थी। इसदेश में विज्ञान का भी काफी सम्मान था । वास्तुकार विशाल मंदिरों (भवनों) का निर्माण करते थे। सुन्दर भवन बनाये जाते थे । ज्योतिषियों द्वारा ग्रह, उपग्रह तथा नक्षत्रों के विषय में अध्ययन (खोज) किया जाता था। यहाँ चिकित्साशास्त्र भी काफी उन्नत (विकसित) था। गणितशास्त्र में शून्य की कल्पना भारत द्वारा ही की गई थी, जिससे दशमलव की गणना शुरू हुई और दूसरे देश भी अवगत हुए।
भारतस्य प्राचीन गौरवं मध्यकाले किञ्चित् तिरोहितं पराधीनतया किन्तु सम्प्रति शिक्षिताः सन्तः जनाः आधुनिके विज्ञानेऽपि प्रतिभां दर्शयन्ति। सी० वी० रमण-जगदीशचन्द्र बसु-मेघनाथसाहा-होमी जहांगीर भाभा-विक्रम साराभाई प्रभृतयः वैज्ञानिकाः आधुनिकभारतस्य गौरववर्धकाः । एवं महात्मा गाँधीसदृशः कर्मवीरः, रवीन्द्रनाथठाकुरसदृशः साहित्यकार: अरविन्दसदृशः दार्शनिकः, राधाकृष्णन्सदृशः शिक्षकः राजेन्द्रप्रसादसदृशः स्थितप्रज्ञः इत्यादयः वर्तमानभारतस्य गौरवरूपाः नेतारः सन्ति
सम्प्रति देशस्य विकासः सार्वत्रिकः वर्तते । कृषिक्षेत्रे नवीनाः प्रयोगाः, संचारसाधनानि उत्कृष्टानि अन्तरिक्षक्षेत्रेऽपि विशिष्टं योगदानं स्वास्थ्यं प्रति जनजागरणं, चिकित्सासुविधानां वृद्धिः सर्वशिक्षाभियानम् इत्यादीनि उल्लेखनीयानि सन्ति । सर्वथापि देशः संसारस्य अग्रगण्येषु गणनीयो वर्तते।
अर्थ—भारत का प्राचीन गौरव मध्यकाल में पराधीनता के कारण कुछ समय के लिए लुप्त हो गया, किंतु इस समय शिक्षित होते हुए आज के समय में विज्ञान में भी प्रतिभा दिखाते हैं। सी. वी. रमण, जगदीशचन्द्र बसु, मेघनाथ साहा, होमी जहाँगीर भाभा, विक्रम साराभाई आदि-आदि वैज्ञानिकों ने इस समय भारत का गौरव बढ़ाया। इसी तरह गाँधी के समान कर्मवीर, रवीन्द्रनाथ ठाकुर जैसा साहित्यकार, अरविन्द जैसा दार्शनिक, राधाकृष्णन जैसा शिक्षक, राजेन्द्र प्रसाद जैसा स्थितप्रज्ञ (आत्मज्ञानी) नेता वर्तमान भारत के गौरव हैं।
इस समय देश हर क्षेत्र में विकास कर रहा है। कृषि के क्षेत्र में नया प्रयोग, उत्कृष्ट संचार साधन, अन्तरिक्ष के क्षेत्र में विशेष योगदान, स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता, विकसित चिकित्सा सुविधा और सर्वशिक्षा अभियान उल्लेखनीय हैं। इस प्रकार भारत सभी प्रकार से विश्व में अग्रगण्य है।
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