4.Prahelika class 8 sanskrit | कक्षा 8 प्रहेलिकाः (पहेलियाँ)

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 8 संस्‍कृत के कहानी पाठ चार ‘प्रहेलिकाः (पहेलियाँ)’ (Prahelika class 8 sanskrit )’ के अर्थ को पढ़ेंगे।

Prahelika class 8 sanskrit

चतुर्थः पाठः
प्रहेलिकाः (पहेलियाँ)

पाठ-परिचयप्रस्तुत पाठ ‘प्रहेलिकाः’ (पहेलियाँ) में बालको की बौद्धिक क्षमता की जाँच के लिए पाँच पहेलियाँ दी गई हैं। बौद्धिक विकास के लिए गणित के समान पहेलियों का भी महत्वपूर्ण स्थान है। सभी संस्कृतियों में पहेलियाँ बच्चा के बौद्धिक विस्तार तथा तर्कशक्ति के विकास के लिए आवश्यक मानी गई है। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए पाठ्यपुस्तकों में पहेलियों का समावेश आधुनिक समय में होने लगा है, ताकि छात्र-छात्राएँ समुचित बौद्धिक व्यायाम कर सकें । पहेलियाँ अपने-आप में गूढार्थक होती है, इसलिए इसका अर्थ जानने-समझने के लिये तार्किक होना आवश्यक होता है।

रेफ आदौ मकारोऽन्ते बाल्मीकिर्यस्य गायकः।
सर्वश्रेष्ठं यस्य राज्यं वद कोऽसौ जनप्रियः॥

अर्थ-वह कौन लोगों का प्रिय था जिसका राज्य सबसे अच्छा माना जाता है, जिसके नाम का पहला अक्षर ‘र’ तथा अन्तिम अक्षर ‘म’ है और जिसका गायक वाल्मीकि हैं। Prahelika class 8 sanskrit

उत्तर-राम। तात्पर्य यह कि राम शब्द का पहला अक्षर ‘र’ है और अन्तिम अक्षर ‘म’ । इनका राज्य रामराज्य के नाम से प्रसिद्ध है। इनके राज्य में किसी को कोई कष्ट नहीं था, (दैहिक दैविक भौतिक तापा, रामराज्य काहू नहीं व्यापा) वह जनता के अति प्रिय थे। वाल्मीकि ने रामायण नामक महाकाव्य में राम तथा उनके राज्य का वर्णन किया है अर्थात गाया है।

मेघश्यामोऽस्मि नो कृष्णो, महाकायो न पर्वतः ।
बलिष्ठोऽस्मि न भीमोऽस्मि, कोऽस्म्यहं नासिकाकरः॥

अर्थ-बादल के समान साँवला हूँ, लेकिन कृष्ण नहीं हूँ। विशाल शरीर वाला होते हुए पर्वत नहीं हूँ। बलवान हूँ लेकिन भीम नहीं हूँ तो नाक रूपी हाथ वाला मैं कौन हूँ?

उत्तर‘हाथी’ । हाथी का रंग काला होता है। उसका शरीर भी विशालकाय होता है। वह बलवान __ होते हुए भी भीम नहीं है। इसे नाक के रूप में लंबी सूंड होती है।

चक्री त्रिशुली न हरो न विष्णुः, महान् बलिष्ठो न च भीमसेनः।
स्वच्छन्दगामी न च नारदोऽपि, सीतावियोगी न च रामचन्द्रः।

अर्थ-चक्र धारण करता है, लेकिन विष्णु नहीं है। त्रिशूलधारी है, लेकिन शिव नहीं है। बहुत बलवान है लेकिन भीमसेन नहीं है। स्वतंत्र रूप से भ्रमण करनेवाला है, लेकिन नारद भी नहीं है। सीता का वियोगी है, लेकिन रामचन्द्र नहीं है तो क्या है ?

उत्तर–साँढ़।

साँढ़ को चक्र और त्रिशूल के निशान से दागा जाता है। वह बलिष्ठ या बलवान् भी होता है। वह स्वतंत्र रूप से विचरण करने वाला होता है और गाय की खोज या वियोग में परेशान रहता है। Prahelika class 8 sanskrit

दन्तैीन: शिलाभक्षी निर्जीवो बहुभाषकः।
गुणस्यूतिसमृद्धोऽपि परपादेन गच्छति ॥

अर्थजो बिना दाँत का भी चट्टानों को खा जाता है। प्राण रहित होने पर भी बहुत बोलता या आवाज करता है, धागों की सिलाई से भी युक्त होता है और दूसरे के पैर से चलता है। वह क्या है ?

उत्तर-जूता। जूता धागों की सिलाई से युक्त होता है। दाँत रहित होते हुए, चट्टानों को घिस देता है। जब इसे लोग पहन कर चलते हैं तो इससे मच्च-मच्च की आवाज होती है।

स्वच्छाच्छवदनं लोकाः द्रष्टुमिच्छन्ति मे यदा।
तत्रात्मानं हि पश्यन्ति खिन्नं, भद्रं यथायथम् ॥ ।

अर्थ-लोग मुझमें साफ तथा मुख जब देखना चाहते हैं तो उसमें अपने को ही प्रसन्न या उदास जैसा हो वैसा देखते हैं। बताओ मैं कौन हूँ ? उत्तर-दर्पण।

. जब लोग अपना मुँह दर्पण में देखते हैं तो उनका अपना ही साफ, प्रसन्न या उदास जैसा है वैसा ही चेहरा दिखाई देता है। अर्थात् दर्पण में मुँह देखने पर उनके चेहरे की स्थिति की वास्तविकता का पता चलता है कि चेहरा कैसा है।

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