हिन्‍दी वर्णिका बिहार का सिनेमा संसार | bihar ka cinema sansar class 9 hindi

bihar ka cinema sansar class 9 hindi

Bihar Board Class 9 Chapter 7 Hindi Varnika बिहार का सिनेमा संसार

पाठ का सारांश

अपनी रंगमंचीय समृद्धि के लिए सुविख्यात बिहार के कलाजगत ने सिनेमा में भी बहस्तरीय योगदान दिया है। बिहार के विशेषज्ञों तथा कलाकारों ने निर्माण, निर्देशन, अभिनय, गीत, संगीत, पटकथा, संपादन आदि में एक विशेष पहचान बनाई है। भोजपुरी फिल्मों के विकास में तो बिहार अग्रगण्य ही रहा है। फिल्मों के साथ बिहार के इस रिश्ते का प्रारंभ बीसवीं शताब्दी के तीसरे दशक से होता है जब 1931 ई. में सवाक् फिल्म ‘आलम आरा’ का प्रदर्शन मुंबई में हुआ और 1933 ई. में रतन टॉकिज राँची में, देव (औरंगाबाद. बिहार) में महाराजा जगन्नाथ प्रसाद सिंह ‘किंकर द्वारा निर्मित सवाक् फिल्म ‘पुनर्जन्म’ का प्रदर्शन हुआ। bihar ka cinema sansar class 9 hindi

महाराजा जगन्नाथ प्रसाद सिंह की मृत्यु के बाद लगभग तीन दशकों तक फिल्मनिर्माण में बिहार सुना रहा। इसके बाद विश्वनाथ शाहाबादी ने ‘गंगा मइया तोहे पियरी चढ़इबो’ तथा ‘लागी नाही छुटे राम’ भोजपुरी फिल्म का निर्माण किया । इन फिल्मों के गीत-संगीत वाली लोकप्रियता अन्य भोजपुरी फिल्मों को नहीं मिली । भोजपुरी फिल्मों के दूसरे दौर में फिल्म निर्माण के क्षेत्र में अशोकचन्द्र जैन और मुक्ति नारायण पाठक ने अनेक फिल्में बनाई। इस दौर में ‘गंगा किनारे मोरा गाँव’, ‘दूल्हा गंगा पार के’, दंगल, बिहार बाबू आदि फिल्में बनी थीं। अभिनेता कुणाल भोजपुरी फिल्मों के सुपर स्टार बनकर उभरे। इसके बाद मनोज तिवारी और रवि किशन ने अभूतपूर्व प्रसिद्धि पाई।

Bihar Board Class 10th Social Science

बिहार ने सिनेमा संसार को विविध क्षेत्रों में समृद्धि तथा स्तरीयता दी है। रामायण तिवारी, शत्रुघ्न सिन्हा, प्यारे मोहन सहाय, शेखर सुमन, कुणाल, मनोज वाजपेयी. विनीत सिन्हा, मनोज तिवारी और रवि किशन अभिनय के क्षेत्र में एक ऐसे स्वतंत्र अध्याय का निर्माण करते हैं जिसके अभाव में भारतीय सिनेमा का इतिहास अपंग हो जाएगा। इसी प्रकार, बिहारी अभिनेत्री स्व. नूर फातिमा ने अन्तर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त गाँधी के छोटे दृश्य के अभिनय में असीम प्रशंसा पाई थी। bihar ka cinema sansar class 9 hindi

संगीतकार चित्रगुप्त तथा श्याम सागर का सराहनीय योगदान तो सर्वविदित है ही, गिरीश रंजन एवं प्रकाश झा ने निर्माण-निर्देशन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। गिरीश रंजन की फिल्म ‘कल हमारा है’ तथा ‘डाक बंगला’ हिन्दी फिल्म की खूबसूरत उपहार है तो प्रकाश झा की हिन्दी फिल्में अनेक नूतन आयागो से हिन्दी सिनेमा संसार को परिचित कराया है। पार्श्वगायन में सर्वव्यापी लोकप्रियता प्राप्त करने वालों में उदित नारायण ने अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति पाई है।

निर्माण, निर्देशन, अभिनय, पटकथा-लेखन, संगीत, गीत, संपादन आदि क्षेत्रों में इतनी । प्रतिभाओं के बावजूद बिहार सिनेमा उद्योग में पीछे है, यह अति विचारणीय विषय है।

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