कक्षा 7 संस्‍कृत पाठ 14 बोधगया ( मिश्रित व्याकरण) का अर्थ | Bodhgya class 7 sanskrit

इस पोस्‍ट में हम बिहार बोर्ड कक्षा 7 संस्‍कृत के पाठ 14 ‘बोधगया ( मिश्रित व्याकरण)(Bodhgya class 7 sanskrit)’ के अर्थ को पढ़ेंगे।

Bodhgya class 7 sanskrit

चतुर्दशः पाठः
बोधगया
( मिश्रित व्याकरण )

पाठ- परिचय – प्रस्तुत पाठ बाेधगया’ भगवान बुद्ध की ज्ञान-स्थली के रूप में प्रसिद्ध है। ऐसी मान्यता है कि भगवान बुद्ध को पीपल वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। यहाँ एक प्राचीन मंदिर है जिसमें बुद्ध की प्रतिमा है। यह स्थान निरंजना नदी के तट पर अवस्थित बोधगया के नाम से प्रसिद्ध है । इस स्थान की महत्ता के कारण दक्षिण-पूर्व एशिया के अनेक देशों ने अपने-अपने भव्य बुद्ध मंदिर यहाँ बनवाये हैं। बौद्ध धर्म के कारण इस स्थान को अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त है । यहाँ चौदह सौ वर्ष पुराना भगवान बुद्ध का मंदिर तथा बोधिवृक्ष अभी भी विद्यमान है। इसी धार्मिक महत्व एवं वर्तमान परिवेश का संक्षिप्त वर्णन इस पाठ में है।

विहारराज्यस्य गयामण्डले अवस्थितः बोधगया नाम ग्रामः अद्य महतीं प्रसिद्धिं प्राप्नोति । अत्र राजकुमारः सिद्धार्थः वैशाख – पूर्णिमायां बोधिं प्राप्तवान् । ततः परं सः भगवान् बुद्धः इति प्रसिद्धः । बौद्धधर्मस्य सर्वे उपासकाः बोधगयां प्रति श्रद्धां धारयन्ति । अद्य तत्र प्राचीनः अश्वत्थवृक्षः वर्तते । तस्यैव छायायां बुद्धः तपस्यां कृतवान् । तस्य वृक्षस्य समीपमेव बुद्धस्य प्राचीनं महाबोधि-

मन्दिरं वर्तते । मन्दिरं पद्मासने उपविष्टस्य बुद्धस्य पाषाणमूर्तिः वर्तते । प्रतिदिनं सहस्राधिका:

भक्ताः तस्य दर्शनाय आयान्ति ।

अर्थ — बिहार राज्य के गया जिले में स्थित बोध गया नामक गाँव आज बहुत प्रसिद्ध है । यहीं राजकुमार सिद्धार्थ को वैशाख पूर्णिमा के दिन ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। उसके बाद वह भगवान बुद्ध के नाम से प्रसिद्ध हो गए। बौध धर्म मानने वाले सभी लोग बोधगया के प्रति श्रद्धा रखते हैं। आज भी वहाँ प्राचीन पीपल का वृक्ष विद्यमान है। उसी पेड़ की छाया में भगवान बुद्ध ने तपस्या की थी। उस पेड़ के समीप ही बुद्ध का प्राचीन महाबोधि मंदिर है। मंदिर में पद्मासन की मुद्रा में बैठे हुए बुद्ध की पत्थर मूर्ति है प्रतिदिन हजारों लोग उनके दर्शन के लिए आते हैं।

तस्य मन्दिरस्य परिसरः शान्तिमयः करुणायुक्तश्च वर्तते । बोधगयायां सम्प्रति विभिन्नानां देशानां निवासिभिः कृतानि बुद्धमन्दिराणि शोभन्ते । यथा— म्यांमार (बर्मा) – मन्दिरम् थाईमन्दिरम्, तिब्बतमन्दिरम्, जापानमन्दिरम् इत्यादि । तत्रैव मगधविश्वविद्यालयस्य मुख्यपरिसर : विशालः वर्तते । अधुना बोधगया रमणीयं दर्शनीयं स्थलम् । सम्पूर्णस्य परिसरस्य स्वच्छता परिवहनव्यवस्था च रमणीया वर्तते । वर्षं यावत् पर्यटका: बोधगयां गत्वा आत्मानं धन्यं मन्यन्ते । अत्र निरञ्जना नाम. नदी पार्श्वे प्रवहति । ग्रीष्मकाले सा शुष्यति । प्रशासनं बोधगयायाः विकासाय निरन्तरं प्रयासं करोति । वयमपि तत्र गत्वा परिसरस्य भ्रमणं कुर्याम |

अर्थ — उस मंदिर का आहाता (परिसर) शांतिमय और करुणा से युक्त है। इस समय बोधगया में विभिन्न देशों के निवासियों द्वारा निर्मित बौद्ध मंदिर शोभते हैं जैसे – म्यांमार (बर्मा), थाई, तिब्बत, जापान आदि के मंदिर विद्यमान हैं। वहीं मगध विश्वविद्यालय का विस्तृत परिसर है। इस समय बोधगया अति मनमोहक दर्शनीय स्थल है । सम्पूर्ण परिसर की स्वच्छता (सफाई) और परिवहन व्यवस्था प्रशंसनीय है। सालों भर पर्यटक बोधगया आकर अपने-आपको धन्य मानते हैं। इसी स्थान के पास निरंजना नदी बहती है जो गर्मी से सूख जाती है। सरकार बोधगया के विकास के लिए हमेशा प्रयत्नशील रहती हैं । हमलोग भी वहाँ जाकर उस स्थान का आनन्द लें ।

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