BSEB Class 6th Hindi Solutions Chapter 15 भूल गया है क्यों इंसान

Class 6th Hindi Text Book Solutions

15. भूल गया है क्यों इंसान (हरिवंश राय बच्चन)

कविता का भावार्थ- हालावादी कवि हरिवंशराय बच्चन ने ‘भूल गया है क्यों इंसान‘ शीर्षक कविता में लोगों को अपने कर्त्तव्य का स्मरण कराया है। कवि का कहना है कि मनुष्य यह क्यों भूल जाता है कि सारे मानव एक ही तत्त्व से बने हैं। उसका शरीर नाशवान है। इस संसार में ईश्वर ही सत्य है, शेष सारे जीवन मरणशील हैं। ईश्वर सभी को इस धरती पर पैदा करता है और सबको समान रूप से धुप, आकाश की छाया प्रकाश तथा वर्षा का जल प्रदान करता है। कोई भी मनुष्य किसी खास विशेषता के साथ पैदा नहीं हुआ है ईश्वर ने मानव की सृष्टि की है तथा मानव ईश्वर द्वारा निर्मित इस धरती को बाँट कर अनेक देश को बसाया है। लेकिन इन देशों में वही मानव निवास करते हैं जिन्हें ईश्वर ने बनाया है। तात्पर्य कि सारे मानव एक ही तत्व से निर्मित हैं। चाहे वह कही भी निवास करते हो या उनकी वेश-भूषा एक-दूसरे से कितना भी भिन्न हों। लेकिन उनके मन-प्राण समान हैं। सबका हृदय एक ही ईश्वर के प्रकाश से आलोकित होता है तब फिर एक-दूसरे से ईष्या या द्वेष क्यों ? मानव इस सच्चाई को क्यों भूल जाता है। कवि को मनुष्य के इस आचरण से आश्चर्य होता है।

सप्रसंग व्याख्याएँ

1. भूल गया है क्यो इंसान

सबकी है मिट्टी की काय,

सब पर नभ की निर्मल छाया,

यहॉ नही है काई आय, ले विशेष वरदान

भूल गया है क्‍यो इंसाना

व्याख्या- प्रस्तुत पंक्तियाँ कविवर हरिवंशराय बच्चन द्वारा लिखित कविता ‘भूल गया है क्यों इंसान‘ शीर्षक पाठ से उद्धृत हैं। इसमें कवि ने मनुष्य की मनोवृत्ति पर प्रकाश डाला है।

कवि का कहना है कि सारे मानव ईश्वर द्वारा एक समान तत्त्व से बनाए गए हैं। सबको समान रूप से धूप, पानी, हवा मिलते हैं। कोई भी मनुष्य अमर नहीं है। धरती पर जन्म लेने वाले सभी मरणशील और नाशवान् हैं। फिर भी मनुष्य अपन को एक-दूसरे से भिन्न मानता है जबकि कवि का मानना है कि जब सारे मानव एक हैं तो उन्हें सबको अपनापन भाव से व्यवहार करना चाहिए। लेकिन ऐसा न करके मानव स्वार्थ-सिद्धि के लिए विभेद की दीवाल खड़ी कर देता है।

प्रश्न 2 धरती ने मानव उपजाए,

मानव ने ही देश बनाए,

बहूत देशो में बसी हुई है, एक धारा – संतान, भूल गया है क्‍यो इंसाना

व्याख्या- प्रस्तुत पद्यांश कविवर हरिवंश राय बच्चन द्वारा लिखित कविता ‘भूल गया है क्यों इंसान‘ शीर्षक पाठ से लिया गया है। इसमें कवि ने मानव की स्वार्थी प्रवृत्ति की ओर ध्यान आकृष्ट किया है।

कवि का कहना है कि धरती के सारे मानवों का निर्माण एक ही ईश्वर ने किया है। अर्थात् संसार के सभी मानव एक समान हैं। उनका शरीर समान तत्त्व से बना है, लेकिन मानव ने स्वार्थ-पूर्ति के लिए इस धरती को बाँट रखा है। कवि कहता है कि इन मानवों के खान-पान, वेश-भूषण आदि में भिन्नता होसती है, लेकिन उनके प्रणा समान है, उनकी नश्वरता तथा काया समान है। इसलिए उन्हें दूसरों के साथ समानता का व्यवहार करना चाहिए। लेकिन अंहकारवश वे भूल जाते हैं कि इस धरती पर कोई अमर नहीं है, सबको मरना है।

                    अभ्यास के प्रश्न एवं उत्तर

पाठ से:

प्रश्न 1. कविता का सारांश अपनी भाषा में लिखिए।

उत्तर- कविता का भावार्थ देखें।

प्रश्न 2. इस कविता से आपको क्या प्रेरणा मिलती है ?

उत्तर- प्रस्तुत कविता ‘भूल गया है क्यों इंसान‘ से हमें यही प्रेरणा मिलती है कि ईश्वर ने सारे मानव को समान बनाया है। प्रकृति सबको समान रूप से धूप, हवा, जल आदि प्रदान करती है तो हम मानव एक-दूसरे से घृणा और द्वेष क्यों करतें हैं ? इसलिए कवि लोगों को सबको समान दृष्टि से देखने तथा सबके साथ समान व्यवहार करने की सलाह देता है।

प्रश्न 3. निम्नलिखित पंक्तियों का भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए:

(क) देश अलग हैं, देश अलग हों,

वेश अलग है, देश अलग हों,

मानव का मानव से लेकिन, अलग न अंतर-प्राण।

भाव-सौंदर्य-देश अलग हैं तो रहें। वेश अलग हैं तो रहें। इनके बावजूद मानव के हृदय तो समान रूप से धड़कता है। अतः मानव को मानव से अलग नहीं रहना चाहिए।

(ख) सबकी है मिट्ठी की काया,

सब पर नभ की निर्मल छाया

यहाँ नहीं है कोई आया है ले विशेष वरदान।

भाव-सौंदर्य-सभी मनुष्य एक तत्त्व के बने हैं। सबके शरीर एक ही तत्त्व से बना है। सबपर समान रूप से प्रकृति के उपहार मिलते हैं। कोई व्यक्ति किसी खास वरदान से युक्त होकर नहीं आया है तो फिर अंतर कैसा ?

पाठ से आगे:

प्रश्न 1. मनुष्य किस प्रकार दूसरों को अपने से भिन्न समझता है?

उत्तर- जाति, धर्म, भाषा, क्षेत्र तथा ऐश्वर्य के कारण मनुष्य अपने को एक-दूसरे से भिन्न समझता है। अपने को दूसरे से श्रेष्ठ समझने के कारण मन में अहंकार जन्म लेता है जो मनुष्य को मनुष्य से अलग समझने के लिए प्रेरित करता है। इसी अंहकार के कारण मनुष्यता का लोप हो जाता है और एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के साथ शत्रुता का व्यवहार करने लगता है। जबकि कवि का इच्छा है कि हर मनुष्य दूसरों के साथ मनुष्यता का व्यवहार करे।

प्रश्न 2. अलग-अलग देश, अलग-वेश के बावजूद हर मनुष्य एक जैसे हैं कैसे ?

उत्तर- ईश्वर ने सारे मानव को एक समान बनाया है चाहे वह किसी देश का निवासी क्यों न हो तथा वेश-भूषा तथा खान-पान में भी अंतर क्यों न हो, लेकिन प्रकृति उन्हें समान रूप से धूप, पानी, हवा प्रदान करती है। सबके हृदय में वही ईश्वर समान रूप में निवास करता है। एक मानव से दूसरे को भिन्न रूप में देखना मानव की स्वार्थ की देन है, जबकि सारे मानव एक ही ईश्वर की संतान हैं।

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