BSEB Class 6th Sanskrit Solutions Chapter 11 गङ्गा नदी

Class 6th Sanskrit Text Book Solutions

एकादशः पाठः
गङ्गा नदी
(गंगा नदी)

पाठ-परिचय- प्रस्तुत पाठ ’गंगा नदी’ में पवित्र नदी गंगा के धार्मिक महत्त्व के विषय में कहा गया है। यह हिमालय के गोमुख नामक स्थान से निकलकर बंगाल की खाड़ी के गंगासागर नामक स्थान पर समुद्र में विलीन हो जाती है। यह हिन्दुओं की धार्मिक निष्ठा की नदी है। हिन्दू अपने धार्मिक कार्य में इसके जल का उपयोग करते है। तट पर अनेक प्रमुख नगर जैसे-हरिद्वार, इलाहाबाद (प्रयाग), बनारस (काशी) तथा पटना आदि अवस्थित हैं। उत्तर भारत की भूमि गङ्गा के मैदान के नाम से जानी जाती है। इस नदी की विशेषता का वर्णन वेदों ने भी किया है। उसी नदी की महत्ता का वर्णन इस पाठ में हुआ है।

1. गङ्गा भारतवर्षस्य पवित्रतमा नदी वर्तते । इयं हिमालयस्य गोमुखस्थानात् प्रभवति । बंगोपसागरे गंगासागरनामिके स्थाने इयं सागरजले मिलति । गङ्गातटे बहूनि नगराणि सन्ति । अस्माकं बिहारस्य राजधानी पाटलिपुत्रमपि गङ्गायाः तटे स्थितम् अस्ति । गङ्गाजलम्अतिपवित्रं भवति । अस्याः जलेन धार्मिकं कार्यम् भवति । हिन्दूधर्मावलम्बिनां सर्वेषु शुभकार्येषु गङ्गाजलस्य आवश्यकता भवति ।

भारतवर्ष की सबसे पवित्र नदी है। यह हिमालय के गोमुख नामक स्थान से निकलती है तथा बङ्गाल की खाड़ी में गङ्गासागर नामक स्थान पर समुद्र में मिलती है।

गड़ा के किनारे अनेक नगर अवस्थित हैं। हमारे बिहार राज्य की राजधानी पटना भी गङ्गा के तट पर ही स्थित है। गङ्गा का जल अति पवित्र होता है। इसके जल का उपयोग धार्मिक कार्य में होता है। हिन्दू धर्म को मानने वालों को हर शुभ कार्यों में गङ्गाजल की जरूरत होती है।

2.  गडाग्‍याम्: अनेकाः नद्यः मिलन्ति । तासु यमुना-सरयू गंडकी-कौशिकी प्रभृतयः सन्ति । गङ्गायाः तटे हरिद्वार-प्रयाग-काशी-प्रभृतीनि प्रसिद्धतीर्थस्थानानि सन्ति । गङ्गाजलेन कृपिभूमेः सेचनं भवति ।

अधुना जनाः गङ्गाजलं प्रदूपितं कुर्वन्ति । गङ्गातटे स्थितानां नगराणां सर्वाणि लजलानि गङ्गायां पातयन्ति । केचन मनुष्याणां पशूनाञ्च मृतशरीराणि नद्यां बान्त । इदं न साधु कार्यम् अस्ति । नदीजले मलानां क्षेपणं वैज्ञानिक विचारेण धार्मिकविचारेण च न शोभनम्।

अर्थ-  गङ्गा में अनेक नदियाँ मिलती हैं। उनमें यमुना, सरयू, गंडक, कोसी आदि प्रमुख हैं। गङ्गा के तट पर हरिद्वार, प्रयाग, काशी आदि तीर्थस्थान बसे हुए हैं। गङ्गा के जल से खेतों की सिंचाई भी होती हैं। सम्पूर्ण लोग गङ्गाजल को गंदा कर रहे हैं। गङ्गा के तट पर स्थित नगरों का गंदा पानी गङ्गा में ही गिराया जाता है। कुछ लोग मनुष्य एवं पशुओं के मृत शरीर (लाश) को नदी में बहा देते हैं। यह अच्छा काम नहीं है। नदी में गंदगी फेंकना वैज्ञानिक एवं धार्मिक दृष्टि से निन्दनीय कार्य है।

पाठ-सारांश गङ्गा भारतवर्ष की सबसे पवित्र नदी है। यह हिमालय के गोमुख शान से निकलती है और गंगासागर नामक स्थान पर बङ्गाल की खाड़ी में मिल जाती। गड़ा नदी के किनारे अनेक नगर बसे हुए हैं। हमारे बिहार की राजधानी पटन अवस्थित है। गङ्गा का जल अति पवित्र होता है। इस जल से धार्मिक कार्य होता है। हिन्दू धर्म को मानने वाले प्रत्येक शुभ कार्य में इस जल का उपयोग करते हैं। गंगा में

अनेक नदियाँ मिलती हैं। उन नदियों में यमुना, सरयू, गंडक, कोसी आदि है। गङ्गा नदी के किनारे हरिद्वार, प्रयाग, काशी आदि तीर्थस्थान हैं। गड़ा के जल से खेतों की

सिंचाई की जाती है। सम्प्रति लोग इस जल को गंदा कर रहे हैं । गङ्गा के किनारे बसे हुए नगरों की सारी गंदगी इसी में डाले जाते हैं। कछ लोग मनुष्य एवं पशु के मतृशरीर (लाश) को गङ्गा नदी में बहा देते हैं। यह अति निंदनीय कार्य है। नदी के जल में गंदगी डालना वैज्ञानिक एवं धार्मिक दोनों दृष्टि से अति निकृष्ट है।

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