BSEB Class 9th Science Solutions Chapter 14 प्राकृतिक संपदा

Class 9th Science Text Book Solutions

प्रश्न 1. जीवन के लिए वायुमंडल क्यों आवश्यक है ?

उत्तर जीवन के लिए वायुमंडल इसलिए आवश्यक है क्योंकि वायुमंडल ही पृथ्वी पर तापमान को संतुलित बनाए रखता है। ज़ाड़ा, गर्मी और बरसात जैसे मौसम वायुमंडल के कारण ही संभव हो पाते हैं। वायुमंडल ही वह कारक हे, जिससे पृथ्वी पर न तो अचानक ताप में वृद्धि हो पाती है और न अचानक तापमान नीचे गिर पाता है। वायुमंडल पृथ्वीवासियों के जीवन का कवच है।

प्रश्न 2. जीवन के लिए जल क्यों अनिवार्य है ?

उत्तर- कोशिकीय जीवों के अन्त:कोशिकीय कार्य जल के माध्यम से ही पूर्ण हो पाते हैं। इस कार्य के लिए जन्तु और पादप दोनों को जल की आवश्यकता पड़ती है। मनुष्य या पशु जल को पीकर अपनी आवश्यकता की पूर्ति कर लेते हैं, लेकिन पादप अपनी जड़ों द्वारा जल को खींचकर पूरे धड़ और पत्तियों तक पहुँचाते हैं। यदि शरीर में जल की कमी हो जाय तो वह व्यक्ति मर भी सकता है। इसी कारण अस्पतालों में नसों द्वारा पानी चढ़ाकर जल की आपूर्ति की जाती है और जीवन को बचाया जाता है।

प्रश्न 3. जीवित प्राणी मृदा पर कैसे निर्भर हैं? क्या जल में रहने वाले जीव संपदा के रूप में मृदा से पूरी तरह स्वतंत्र है?

उत्तर जीवित प्राणी मृदा पर इस प्रकार निर्भर है कि सभी को भोजन की आवश्यकता है और भोजन का एकमात्र साधन है वनसति । मृदा के विना वनस्पति की कल्पना भी नहीं की जा सकती। मांसाहारी जीव भी शाकाहारी जीवों को खाते हैं। इस प्रकार मृदा नहीं रहे तो वनस्पति नहीं रहेगी, वनस्पति नहीं रहेगी तो शाकाहारियों का जीवन असंभव हो जाएगा और शाकाहारी जीव नही रहें तो मांसाहारी भी भूखों मर जायें। इस प्रकार हम देखते हैं कि अन्न हो या फल या मांस सभी मृदा पर ही निर्भर हैं।

जल-जीव सम्पदा मृदा से पूरी तरह स्वतंत्र नहीं हैं। उन्हें भी जो भोजन प्राप्त होता है वह सब मृदा से सम्बद्ध रहता है। सागर की तलहटी में जो घासें पाई जाती हैं और जिन्हें मछलियाँ खाती हैं, वे मृदा से संबंधित हैं। नदियों द्वारा सागर में पहुँचे जल में अनेक सूक्ष्म पोषकतत्व होते हैं, जो जलजीवों के आहार हैं। कई अन्य कारणों से भी जल-जीव संपदा मृदा पर आधारित हैा

प्रश्न 4. आपने टेलीविज़न पर और समाचार-पत्र में मौसम-संबंधी रिपोर्ट को देखा होगा। आप क्या सोचते हैं कि हम मौसम के पूर्वानुमान में सक्षम हैं?

उत्तर वायु की दिशा, दशा, दाब, ताप और गति को देखकर मौसम का पूर्वानुमान किया जाता है। तापमान भी इस कार्य में सहायक बनता है। आज जो वैज्ञानिक इसी कार्य में लगे रहते हैं और अनुमान की घोषणा करते हैं—कभी-कभी गलत भी साबित हो जाता है। यह सोचना कि मौसम के पूर्वानुमान में मनुष्य पूर्णत: सक्षम है, सही नहीं है। हाँ; इतना ही कह सकते हैं कि इस कार्य के लिए मनुष्य बहुत हद तक सक्षम है।

प्रश्न 5. हम जानते हैं कि बहुत-सी मानवीय गतिविधियाँ वायु, जल एवं मृदा के प्रदूषणस्तर को बढ़ा रहे हैं। क्या आप सोचते हैं कि इन गतिविधियों को कुछ विशेष क्षेत्रों में सीमित कर देने से प्रदूषण के स्तर को घटाने में सहायता मिलेगी?

उत्तर- नहीं, यह सम्भव नहीं है कि मानवीय गतिविधियाँ को कुछ खास क्षेत्र या क्षेत्र विशेष में सीमित कर देने से प्रदूषण के स्तर को घटाने में सहायता मिलेगी। इसका कारण यह है कि वायु और जल एक स्थान पर स्थिर रहने वाले नहीं हैं। ये सदा बहते रहते हैं। नदियों के , जल के अतिरिक्त भौम जल भी अन्दर-ही-अन्दर अपना स्थान बदलते रहता है। अत: जल और वायु पर मनुष्य का कोई नियंत्रण नहीं है। हाँ, इतना अवश्य है कि यदि हम जंगल आदि में वृद्धि करके वायु प्रदूषण को कम करें तो इसका कुछ प्रभाव अन्य स्थानों पर भी पड़ सकता है। मृदा वर्षा जल से प्रभावित होती है। आजकल अम्लीय वर्षा आम बात हो गई है। अत: वर्षा से सर्वत्र की मृदा प्रदूषित होगी ही। अत : किसी क्षेत्र विशेष में मानवीय गतिविधियों को सीमित कर देने से यह सम्भव नहीं की प्रदूषण का स्तर घट जायगा।

प्रश्न 6. वायु, मृदा तथा जलीय स्रोत की गुणवत्ता को जंगल कैसे प्रभावित करते हैं ?

उत्तर- वायु, मृदा तथा जलीय स्रोतों की गुणवत्ता को जंगल अपनी विशेष प्रक्रियाओं द्वारा प्रभावित करते हैं। विवरण निम्नांकित हैं :

(i) वायु– जंगलों के वृक्ष वायु में ऑक्सीजन-कार्बन डाइऑक्साइड को संतुलित रखने का काम करते हैं। इस प्रकार वे वायु की गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं।

(ii) मृदा– जंगल मृदा अपरदन को रोकते हैं। जिस क्षेत्र में जितना ही अधिक जंगल होगे, उस क्षेत्र में उतनी ही कम मृदा का अपरदन होगा।

(iii) जलीय स्रोत– जंगल के वृक्ष अपनी जड़ों से जल को सोखते रहते हैं। इस प्रक्रम द्वारा भौम जल स्तर नीचे नहीं भागने पाता । वृक्षों के पत्ते अपने द्वारा जल को हवा में फैलाते हैं, जिससे ठंडा होकर वादल आकर्षित होते हैं और वर्षा होती है। इस प्रकार जंगल जलीय स्रोतों को भी प्रभावित करते हैं।

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