BSEB Class 9th Science Solutions Chapter 15 खाध संसाधनों में सुधार

Class 9th Science Text Book Solutions

प्रश्न 1. फसल उत्पादन की एक विधि का वर्णन कीजिए, जिससे अधिक पैदावार प्राप्त हो सके।

उत्तर फसल उत्पादन की एक विधि फसल चक्रण विधि है, जिसमें अधिक पैदावार की प्राप्ति होती है। इस विधि में फसल को अदल-बदल कर बोया जाता है। यदि एक साल में अनाज फसल लगाया गया तो दूसरे वर्ष दलहन फसल लगाई जाती है। इससे खेत की उपज शक्ति कायम रहती है और पैदावार में गिरावट नहीं होने पाती। फसल-चक्रण विधि में उर्वरक की भी अधिक आवश्यकता नहीं पड़ती है। केवल खाद से ही काम चल जाता है।

प्रश्न 2. खेतों में खाद तथा उर्वरक का उपयोग क्यों करते हैं ?

उत्तर- चूँकि खाद और उर्वरक फसल के प्रमुख कृत्रिम पोषक तत्व हैं। अत : उपज बढ़ाने की गरज से खेतों में खाद तथा उर्वरक का उपयोग करते हैं।

प्रश्न 3. अन्तराफसलीकरण तथा फसल-चक्र के क्या लाभ हैं?

उत्तर- अन्तराफसलीकरण को अपनाने से खेत में अवस्थित पोषकों का अधिकतम उपयोग हो जाता है। कारण कि हर कतार वाले अलग-अलग पोषकों का अलग-अलग मात्रा में उपयोग करते हैं। इससे किसान को लाभ प्राप्त हो जाता है।

फसल-चक्रण से लाभ यह है कि खेल की उपज-शक्ति बनी रहती है। फसल को अदलबदल कर बोते रहने से विभिन्न प्रकार की फसलें प्राप्त होती रहती है। अनाज फसलों के बाद दलहन या दलहन के बाद तेलहन बोने से किसान लाभ में रहते हैं। ..

प्रश्न 4. आनुसंशिक फेर-बदल क्या है? कृषि प्रणालियों में ये कैसे उपयोगी हैा

उत्तर- आनशिक फेर-बदल से तात्पर्य है संकरण द्वारा दो गुणों वाले वीजों को एक तीसरी ऐच्छिक किस्म को पैदा किया जाता है।

कषि प्रणाली में आनवंशिक फेर-बदल अर्थात संकरण की विधि काफी उपयोगी है। इस विधि को अपनाकर अधिक उपज वाले बीजों का इजाद किया गया है और हमारे ने इसका लाभ भी उठाया है। इसी प्रकार पशु तथा कुक्कुटों में भी संकरण कराकर पनि गुणों वाले दुधारू पशु तथा अधिक अंडा या मांस देने वाले कुक्कुटों का विकास हुआ है। (मिश्रित कृषि)

प्रश्न 5. भंडार गृहों (गोदामों) में अनाज की हानि कैसे होती है ?

उत्तर- भंडार गृहों (गोदामों) में अनेक पीड़कों द्वारा अनाज को अन्दर-ही-अन्दर खोखला बनया दिया जाता है, जिससे वे उपयोग के लायक नहीं रहते। उन पीड़कों के नाम हैं : (i) कृतक. (ii) कवक. (iii) चिंचड़ी तथा (iv) जीवाणु। ये जैव कारक हैं। अजैव कारकों में नमी तथा ताप हैं जो भंडार गृहों में अनाज की हानि पहुँचाते हैं । वास्तव में गोदाम में एक निश्चित तापमान का बना रहना आवश्यक है। उसी प्रकार ही नमी की भी एक सीमा होती है।

प्रश्न 6. किसानों के लिए पशुपालन प्रणालियाँ केसे लाभदायक हैं ?

उत्तर- किसानों के लिए पशुपालन प्रणालियाँ इसलिए लाभदायक हैं, कारण कि चाहे जो भी प्रणाली अपनाएँ. किसान को लाभ ही लाभ हैं। किसान अन्नोत्पादन के अलावा आय का एक अन्य जरिया प्राप्त हो जाता है। घर के बच्चों-बूढ़ों को दूध और घी आदि भी प्राप्त हो जाते हैं। पशुओं की संतति भी आगे गाय या बैल बनकर किसान की सेवा करते हैं। खेतों के लिए खाद भी उपलब्ध हो जाता है। इस प्रकार किसानों को लाभ-ही-लाभ रहता है।

प्रश्न 7. पशुपालन के क्या लाभ हैं?

उत्तर पशुपालन के अनेक लाभ हैं : दूध, दही, घी, मांस, चमड़ा आदि की प्राप्ति होती है। अब तो अधिक गाय, भैंस तथा बकरियों को एक साथ पाल कर बड़े-बड़े डेयरी भी चलाए जा रहे हैं। शहरों में वहीं से दूध की आपूर्ति होती है।

प्रश्न 8. उत्पादन बढ़ाने के लिए कुक्कुटपालन, मत्स्यपालन तथा मधुमक्खी पालन में समानताएँ क्या हैं ?

उत्तर- उत्पादन बढ़ाने के लिए कक्कुट पालन, मत्स्यपालन तथा मधुमक्खी पालन में समानता है कि तीनों से संकरण विधि अपनाकर चयनित किस्म के उत्पाद प्राप्त करते हैं। तीनों ही के उत्पादन में कोई विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता नहीं है। कोई विशेष पूँजी भी नहीं लगानी पड़ती। यदि आवश्यकता पड़ती है तो बैंक पूँजी का प्रबंध कर देता है। .

प्रश्न 9. प्रग्रहण मत्स्यन, मेरीकल्चर तथा जलसंवर्धन में क्या अंतर है ?

उत्तर- प्रग्रहण मत्यन, मेरीकल्चर तथा जल संवर्धन में निम्नलिखित अन्तर हैं :

प्रग्रहण मत्स्यन अंत:स्थलीय क्षेत्रों के तालाबों, धान के खेतों, गढ़ो या नदियों में मछली पकड़ने को प्रग्रहण मत्स्यन कहते हैं।

मेरीकल्चर- समुद्र में मछलियों की संख्या बढ़ाने हेतु किए गए उपायों और वहाँ से मछल पकड़ने को मेरी कल्चर कहते हैं।

जलसंवर्धन- अंत:स्थलीय क्षेत्रों से जो भी मछलियाँ पकडी जाती हैं वे उन क्षेत्रों में है अधिक मिलती हैं जहाँ जल संवर्धन कर जल को एकत्र किया जाता है या जल को बचाक’ रखा जाता है।

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