BSEB Social Science Geography कक्षा 9 पाठ 9. क्षेत्रीय अध्‍ययन | Kshetriya Adhyayan Class 9th Solutions

इस पोस्‍ट में हमलोग कक्षा 9 भूगोल के पाठ 9. क्षेत्रीय अध्‍ययन (Kshetriya Adhyayan Class 9th Solutions)’ के महत्‍वपूर्ण टॉपिकों के बारे में अध्‍ययन करेंगें। 

9. क्षेत्रीय अध्‍ययन
अभ्यास के प्रश्न तथा उनके उत्तर

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न :
निर्देश : नीचे दिए गए प्रश्नों में चार संकेत चिह्न हैं, जिनमें एक सही या सबसे उपयुक्त है। प्रश्नों का उत्तर देने के लिए प्रश्न- संख्या के सामने वह संकेत चिह्न (क, ख, ग, घ) लिखें, जो सही अथवा सबसे उपयुक्त हो ।

1. क्षेत्र में जाकर इकट्ठे किये गये आँकड़ों को क्या कहा जाता है ?
(क) द्वितीयक आँकड़ा,
(ख) प्राथमिक आँकड़ा
(ग) तृतीयक आँकड़ा
(घ) चतुर्थक आँकड़ा

2. भूगोल में क्षेत्रीय अध्ययन है :
(क) एक उपागम
(ख) एक विधितंत्र
(ग) एक सिद्धान्त
(घ) एक मॉडल

उत्तर –1. (ख), 2. (क) ।

II. लघु उत्तरीय प्रश्न :

प्रश्न 1. भौगोलिक अध्ययन के महत्व को स्पष्ट करें ।
उत्तरभौगोलिक अध्ययन का महत्व इस बात में निहित है कि हम क्षेत्र विशेष में रहनेवाले मानव और उसके परिवेश के बारे में जानकारी प्राप्त करें । न केवल मानव, बल्कि अन्य प्रमुख बातें; जैसे : लोगों के जीवन पर वहाँ की स्लाकृति का प्रभाव, जलवायु, अपवाह, कृषि उत्पादकता, पशु पालन, औद्योगिक विकास, शहरीकरण इत्यादि की सही-सही जानकारी प्राप्त की जा सके । भूगोल के अध्ययन में ये सारी बातें आ जाती हैं।

प्रश्न 2. भूमि का कृषि के लिए उपयोग किस क्षेत्र में अधिक होता है ?
उत्तर- भूमि का कृषि के लिए उपयोग ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक होता है। गाँव वहीं बसते हैं, जहाँ कृषि कार्य की सुविधा रहती है । कारण कि मानव की पहली आवश्यकता भूख की संतुष्टि है। ग्रामीण क्षेत्रों में ही कृषक रहते हैं और वे ही वहाँ भूमि का उपयोग कृषि कार्य के लिए करते हैं ।

प्रश्न 3. वायु प्रदूषण से किस प्रकार की हानि होती है ?
उत्तर – वायु प्रदूषण से श्वास सम्बंधी रोग होता है। श्वास रोग के अंतर्गत आनेवाले रोग हैं : दम फूलना अर्थात ‘दमा’, क्षय रोग अर्थात टी. वी., उच्च रक्त चाप और अन्ततः उक्त रक्त चाप के कारण लकवा, ब्रेन हैम्ब्रेज या हार्ट एटैक; कुछ भी हो सकता है । इस प्रकार हम देखते हैं कि वायु प्रदूषण से एक हानि नहीं, बल्कि अनेक हानियाँ होती हैं ।

प्रश्न 4. जल प्रदूषण से होनेवाली हानि की चर्चा करें ।
उत्तर जल प्रदूषण एक ऐसा प्रदूषण है कि यह धीरे-धीरे भी व्यक्ति पर असर करता है और अकस्मात भी । जल प्रदूषण से व्यक्ति को पेट सम्बंधी बीमारियाँ होती हैं। डायरिया, हैजा, मिचली आदि जल प्रदूषण के कारण ही होते हैं । जिस तालाब का जल प्रदूषित हो जाता है उस तालाब के जल जीव (खासकर मछली) मरने लगते हैं । परिणाम होता है कि व्यक्ति भोजन के एक अंग से वंचित हो जाता है ।

प्रश्न 5. वर्षा जल का संग्रहण किस प्रकार किया जाता है ?
उत्तरगाँवों में ढाल वाली जमीन पर गहरा गड्ढा खोदकर तालाब का शक्ल दिया जाता है । गाँव भर के वर्षा जल को उसी गड्ढे में एकत्र किया जाता है। इससे दो लाभ होते हैं। एक तो भौम जल स्तर में कमी नहीं होने पाती और दूसरे कृषि में उस जल से सिंचाई की जाती है । उसमें मछली पालन भी किया जा सकता है । शहरों में मकान की छत पर जल एकत्र करने की परम्परा चल पड़ी है। इस जल को पाइपों द्वारा जमीन के अन्दर बहाकर भौम जल स्तर को बढ़ाया जाता है

प्रश्न 6. क्षेत्रीय अध्ययन से क्या समझते हैं ?
उत्तरक्षेत्रीय अध्ययन एक ऐसा उपागम है, जिसके द्वारा क्षेत्र विषेश के लोगों के रहन-सहन, कृषि कार्य, पशुपालन तथा तत्सम्बंधी अनेक बातों की जानकारी होती है । इससे क्षेत्र विशेष की आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक बातों के अलावा वहाँ की स्थलाकृति, जलवायु, अपवाह, औद्योगिक विकास की जानकारी प्राप्त की जा सकती हैं।

प्रश्‍न 7. एक आरेख की सहायता से वर्षा जल संग्रहण को दिखाएँ ।
उत्तर – गाँवों में वर्षाजल के संग्रहण के लिए तालाब बनाए जाते हैं, जबकि शहरों में छत के वर्षा जल को जमीन के अन्दर भौम जल स्तर तक पहुँचा देते हैं ।

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प्रश्न 8. क्षेत्रीय अध्ययन के उक्या लाभ हैं ?
उत्तरक्षेत्रीय अध्ययन के अनेक लाभ हैं। जैसे : क्षेत्र विशेष में कृषि का प्रकार, भूमि का किस्म, जल का बहाव, भौम जल स्तर की स्थिति, जनसंख्या का घनत्व, उनके रहन- सहन का स्तर, उपज की स्थिति तथा किस्म इत्यादि सभी भौगोलिक बातों का ज्ञान प्राप्त होता है । यदि उसका लेख तैयार कर दिया जाय तो अनेक लोग पढ़कर लाभ उठा सकते हैं ।

प्रश्न 9. अध्ययन के लिए क्षेत्र का चयन करते समय किन बिन्दुओं पर ध्यान देना चाहिए ?
उत्तरअध्ययन के लिए क्षेत्र का चयन करते समय निम्नलिखित बिन्दुओं पर ध्यान देना चाहिए :
(i) स्थलाकृति, (ii) जलवायु, (iii) अपवाह, (iv) कृषि उत्पादकता, (v) औद्योगिक विकास, (vi) नगरीकरण, (vii) आवागमन के साधन, (viii) आर्थिक विषयों से सम्बद्ध कोई अन्य बिन्दु |

III. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न :

प्रश्न 1. नीचे दी गई सारणी का अध्ययन कर उसके नीचे दिए गए प्रश्नों का उत्तर दें :

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(क) उस भू-उपयोग वर्ग का नाम लिखें जिसका क्षेत्रफल लगातार घट रहा है ?
(ख) फसल क्षेत्र के लगातार बढ़ने का मुख्य कारण स्पष्ट करें ।
(ग) स भू-उपयोग वर्ग के अंतगर्त सबसे कम भू-क्षेत्र का उपयोग हुआ है ?

उत्तर :
(क) सारणी को देखने से ज्ञात होता है कि देश में ‘वन’ का क्षेत्रफल लगातार घट रहा है ।
(ख) फसल क्षेत्र लगातार बढ़ रहा है, लेकिन 2000 ई. में कम हो गया । बढ़ने का कारण है कि लगतार वन क्षेत्र को नष्ट कर कृषि भूमि को बढ़ाया गया है (ग) सारणी से यह भी पता चलता है कि तृण भूमि में लगातार वृद्धि होती गई है और उसके क्षेत्रफल का अधिक उपयोग हुआ है ।

प्रश्न 2. क्षेत्र अध्ययन के लिए प्रश्नावली की विभिन्न विधियों की चर्चा करें ।
उत्तरक्षेत्र अध्ययन के लिए प्रश्नावली की विभिन्न विधियाँ निम्नलिखित हैं : (i) कार्यविधि, (ii) प्रश्नावली, (iii) भूमिगत जलस्तर में गिरावट के कारण, (iv) भूमिगत जलस्तर को बढ़ाने के उपाय, (v) भूमि उपयोग के रूप में परितर्वन ।

(i) कार्यविधि – सर्वप्रथम क्षेत्र विशेष में जाकर अवलोकन किया जाता है । क्षेत्र का अध्ययन कर सूचनाएँ एकत्र करते हैं। ये ही प्राथमिक आँकड़ों के स्रोत बनते हैं । क्षेत्रीय अध्ययन में प्राथमिक एवं द्वितीयक दोनों प्रकार के आँकड़ों का उपयोग रहता है । अध्ययन में क्षेत्र के भौम जल स्तर में गिरावट, भूमि उपयोग, प्रदूषण के विभिन्न प्रकार आदि ।

(ii) प्रश्नावली – प्रश्नवली को पहले से ही तैयार कर लिया जाता है और उन्हीं में से क्षेत्र विशेष के लोगों से प्रश्न पूछे जाते हैं । प्रश्नों के उत्तर ‘हाँ’ अथवा ‘ना’ भी हो सकता है या एक-दो वाक्य में भी । इसके लिए कभी-कभी बहुविकल्पीय प्रश्न भी पूछे जा सकते हैं। सर्वेक्षणकर्ता वहाँ की मुख्य बातों का पता लगाता है । तत्पश्चात उनके आँकड़े एकत्र करता है । उदाहरण के लिए बिहार की बाढ़ या बुंदलेखंड का सूखा।

(iii) भूमिगत जलस्तर में गिरावट के कारण — जनसंख्या में वृद्धि तथा उद्योगों के साथ ही कृषि के विकास के कारण जल की खपत बढ़ी है। सिंचाई के लिए गहरे ट्यूबवेल डालकर जल का शोषण किया जाता है । नगरों में सिवर सिस्टम में भी जल की खपत बढ़ी है । गाँवों में भी सेप्टिक पखानों की बढ़ोत्तरी हो रही है । जहाँ पहले एक लोटा पानी लगता था वहीं आज एक बड़ी बाल्टी पानी व्यय करना पड़ता है ।

(iv) भूमिगत जल स्तर को बढ़ाने के उपाय — भूमिगत जल स्तर को बढ़ाने का एकमात्र उपाय है वर्षा जल को किसी भी रूप में या किसी तरह भूमि के अन्दर पहुँचा देना । ग्रामीण क्षेत्र में ढालू जमीन की ओर कहीं गड्ढा बना दिया जाय जिसमें वर्षा का जल एकत्र होगा और रिस कर भूमि के अन्दर तक पहुँच जाएगा । नगरों में छतों पर के वर्षा जल को पाइपों के सहारे भूमि के अन्दर पहुँचा देने से भूमिगत जल स्तर को बढ़ाने का एक कारगर उपाय है

(v) भूमि के उपयोग के रूप में परिवर्तन — भूमि उपयोग के क्षेत्रीय अध्ययन के लिए पूरे गाँव को या उसके किसी टोले को लिया जा सकता है। उसका भूमि उपयोग सर्वेक्षण करते समय ‘भूकर मानचित्र’ में सभी प्रकार की भूमि को दिखाना आवश्यक है खेतों के आकार और संख्या को दर्शाना भी आवश्यक है। भूमि का उपयोग किस अन्न के उत्पादन के लिए हो रहा है, यह दिखाना भी जरूरी है। इसके लिए अन्न के नाम का पहला अक्षर उपयोग में लाया जा सकता है ।

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प्रश्न 3. वायु प्रदूषण के चार स्रोतों का वर्णन करें ।
उत्तर- वायु प्रदूषण के चार स्रोत निम्नांकित हैं
(i) पेट्रोलियम चालित वाहनों में वृद्धि, (ii) कारखानों की चिमनियों से निकलनेवाला धुआँ, (iii) वाहनों द्वारा उड़ाए गए धूलकण, (iv) तेज गति के पवन द्वारा अपरदित मृदा को उड़ाकर वायु में मिला देना ।

(i) पेट्रोलियम चालित वाहनों में वृद्धि – आज न केवल नगरों में, बल्कि गाँवों में भी पेट्रोलियम चालित वाहनों में वृद्धि होने लगी है। ट्रैक्टर खास तौर पर गाँवों में ही चलते हैं। पेट्रोल अथवा डिजल के जलने से धुआँ निकलता है, जिससे वायु प्रदूषित होती है। जनरेटर सेटों का भी उपयोग धड़ल्ले से होने लगा है। वायु प्रदूषण का यह भी एक मुख्य कारण है ।

(ii) कारखानों की चिमनियों से निकलनेवाला धुआँ — कारखानों में अधिकतर ईंधन के रूप में कोयला का उपयोग होता है। कोयला जलाने से चिमनियों द्वारा धुआँ तो वायुमंडल में पहुँचता भी है, राख के कण भी काफी मात्रा में फैलते हैं । ये हवा में फैलकर भारी होने के कारण पृथ्वी तल पर पहुँच जाते हैं और वायु को प्रदूषित करते हैं ।

 (iii) वाहनों द्वारा उड़ाए गए धूलकण – वाहनों में मोटरगाड़ियाँ हों या ट्रक अथवा ट्रैक्टर, सभी तेज गति से चलते हुए धूलकणों को उड़ाकर वायु में फैला देते हैं । सड़कों के किनारे वृक्षों के पत्तों पर एकत्र धूल को स्पष्ट देखा जा सकता है । ये धूल कण किसी-न-किसी प्रकार वायु को प्रदूषित करते हैं । इसको रोकने का कोई उपाय भी नहीं है ।

(iv) तेज गति से चलनेवाले. पवन द्वारा अपरदित मृदा को वायुमंडल में उड़ा देना — कभी-कभी तेज पवन चलते हैं और मृदा का अपरदन कर अपरदित मृदा को वायु में फैला देते हैं। इससे भी वायु प्रदूषण को बल मिलता है। खासतौर पर वृक्षों के कट जाने से यह क्रिया तेजी से होने लगी है ।

IV. क्षेत्रीय अध्ययन : प्रश्नावली मॉडल :

प्रश्न :
1. क्षेत्र का नाम :
2. उत्तरदाता का नाम एवं पता ?
3. क्या कृषि क्षेत्र में वृद्धि हुई है ?
4. क्या आपके. गाँव में नलकूप है ?
5. कुएँ का जलस्तर पिछले पाँच वर्षों में बढ़ा है या घटा है ?
6. सिंचाई के कौन-कौन से साधन इस क्षेत्र में उपलब्ध हैं ?
7. एक वर्ष में कौन-कौन सी बीमारियाँ बड़े स्तर पर उस क्षेत्र में हुई हैं ?
8. अध्ययन क्षेत्र में किस प्रकार का प्रदूषण है ?
9. जल-स्तर के घटने के क्या कारण हैं ?
10. क्या आप वर्षा जल का संग्रह करते हैं ?
11. आप वर्ष में कौन-कौन फसलें उत्पन्न करते हैं ?

उत्तर- संकेत : छात्र उत्तर अनुमान से तैयार करें ।

V. परियोजना कार्य :

प्रश्न :
1. अपने आस-पास के किसी एक मुहल्ले या गाँव की भूमि के उपयोग का सर्वेक्षण कर एक प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करें ।
2. विद्यालय के आस-पास के क्षेत्र में जल तथा मृदा प्रदूषण से होने वाली हानि की जानकारी प्राप्त करें
3. शिक्षक छात्रों के एक दल बनाकर किसी एक स्थानीय क्षेत्र का भ्रमण करें तथा बच्चों को उस क्षेत्र की भौगोलिक विशेषताओं की प्रत्यक्ष जानकारी दें । तत्पश्चात, बच्चों से भौगोलिक रिपोर्ट तैयार करवाएँ ।

उत्तर-संकेत : परियोजना कार्य छात्रों को शिक्षक की सहायता से स्वयं करना है ।

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