BSEB Bihar Board Class 6 Social Science History Chapter 2. क्‍या, कब, कहाँ और कैसे ? | Kya Kab Kahan Aur Kaise Class 6th Solutions

Bihar Board Class 6 Social Science क्‍या, कब, कहाँ और कैसे ? Text Book Questions and Answers Kya Kab Kahan Aur Kaise Class 6th Solutions

2. क्‍या, कब, कहाँ और कैसे ?

अभ्यास : प्रश्न और उनके उत्तर

आइए याद करें :
1. वस्तुनिष्ठ प्रश्न :

(क) मिट्टी के बर्तन की प्राचीनता का निर्धारण किस विधि से करते हैं ?
(i) कार्बन – 14 पद्धति
(ii) ताप संदीप्ति विधि
(iii) पोटैशियम-आर्गन विधि
(iv) स्टोन हैमर विधि

(ख) उत्तर भारत को दक्षिण भारत से कौन पर्वत अलग करता है ?
(i) हिमालय पर्वत
(ii) विन्ध्य पर्वत
(iii) पूर्वी घाट
(iv) पश्चिमी घाट

(ग) चावल का प्राचीन प्रमाण कहाँ से मिला है ?
(i) कोलडिहवा
(ii) ब्रह्मगिरि
(iii) मेहरगढ़
(iv) बुर्जहोम

उत्तर: (क)→ (i), (ख) → (ii), (ग) → (ii).

2. खाली स्थान भरिए :
(क) ………….. क्षेत्र के अधीन विशाल साम्राज्य की स्थापना हुई ।
(ख) भौगोलिक दृष्टिकोण से भारत को ………….में विभाजित किया जा सकता है।
(ग) …………. ने कुम्हरार नामक स्थान की खुदाई करवाई ।
(घ) आधुनिक काल का प्रारंभ …………… से हुआ ।
(ङ) महापापाणी संस्कृति का निर्माण ………….. भारत के लोगों ने किया ।

उत्तर— (क) मगध, (ख) चार भागों, (ग) डॉ. स्पूनर, (घ) 18वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध, (ङ) ब्रह्मागिरि नामक स्थान पर 3000 वर्ष पूर्व ।

III. निम्नलिखित का सुमेल कीजिए :
खासी                               – अनाज का प्रमाण
अफ्रीका                          – दक्षिण भारत
मगध                               – महादेश
महापाषणीक संस्कृति     – प्रथम बड़ा साम्राज्य
चोपानीमांडो                    –   जनजाति

उत्तर : खासी                     – जनजाति
अफ्रीका                            – महादेश
मगध                                – प्रथम बड़ा साम्राज्य
महापाषणीक संस्कृति      – दक्षिण भारत
चोपानीमांडो                     – अनाज का प्रमाण

  • आइए चर्चा करें :

प्रश्न 1. इतिहास के अध्ययन से हमें किस तरह की जानकारी होती है?
उत्तरइतिहास के अध्ययन से हमें अनेक तरह की जानकारी प्राप्त होती है । सबसे मुख्य बात कि इसके अध्ययन से हम अपने अतीत के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं । इतिहास हमें यह जानकारी देता है कि हमारे पूर्वज कौन थे, वे कहाँ रहते थे, क्या खाते थे, कैसे कपड़े पहनते थे । इतिहास के अध्ययन से हम शिकारियों, पशुपालकों, कृषकों, शासकों, व्यापारियों, पुजारियों, शिल्पकारों, कलाकारों, संगीतकारों, वैज्ञानिकों के जीवन के बारे में जानकारियाँ प्राप्त करते हैं ।

प्रश्न 2. पुरातत्त्व किसे कहते हैं?
उत्तर ‘पुरातत्त्व’ में दो शब्द हैं। ‘पुरा’ और ‘तत्त्व’ । ‘पुरा’ का अर्थ होता है पहले का अर्थात् पुराना । ‘तत्त्व’ का अर्थ होता है ‘वस्तु’ । इसका अर्थ हुआ कि पुरानी वस्तुएँ, जिन्हें पुरातत्त्वविदों ने जमीन की सतह या उसके अन्दर से खोज निकाला, उसे ‘पुरातत्त्व’ कहते हैं । पुरातात्त्विक वस्तुओं से उस समय के मनुष्यों के निषय में जानकारी मिलती है। पटना के संग्रहालय में अनेक पुरातात्त्विक वस्तुएँ सहेज कर रखी गई हैं।

प्रश्न 3. इतिहास के अध्ययन से अपने अतीत के बारे में क्या-क्या जानकारी मिलती है ?
उत्तर- इतिहास के अध्ययन से अपने अतीत के बारे में बहुत कुछ जानकारी मिलती है। अतीत में हमारे पूर्वजों ने क्या किया और उसका फलाफल आज क्या मिल रहा है, इन बातों की तुलना करने में हम सक्षम हो जाते हैं। वर्तमान में भी क्या हो रहा है और जो हो रहा है उसका भविष्य में क्या फलाफल मिलने वाला है । वर्तमान में जो होता है उसका परिणाम आनेवाली पीढ़ियों को भोगना पड़ता है । कभी जयचंद ने जो किया उसका फलाफल आज के लोग भोग रहे हैं और आज जो लोग जयचंद की भूमिका निभा रहे हैं उसका फल आने वाली पीढ़ी भोगेगी । पता नहीं आज पृथ्वीराज कोई क्यों बनना नहीं चाहता । पन्द्रह बीस करोड़ को प्रसन्न रखने के लिए अस्सी- नब्बे करोड़ की उपेक्षा कर ये नेता क्या करना चाहते हैं, कैसा भारत बनाना चाहते हैं। क्या सबके साथ समान नीति नहीं अपनायी जा सकती ।
सबको समान रूप से देखा जाय और बराबरी के रूप में बात हो । जो भी हो, हमें इतनी समझ रखनी है कि इतिहास केवल अतीत के विषय में ही नहीं, बल्कि वर्तमान के विषय पर भी नजर रखते हुए भविष्य की दिशा दिखाता है। आज हम जिस दशा को प्राप्त हो रहे हैं, इसे हमारे पूर्वजों ने बनाया है। और आज जो हम करेंगे उसका फल हमारी अगली पीढ़ी भोगेगी। यदि हम आज का वृक्ष लगाएँगे तो वे आम खाएँगे और यदि बबूल बोएँगे तो उन्हें काँटे मिलेगे. इतिहास बनाने में वर्तमान की भूमिका बहुत अहम होती है ।

प्रश्न 4. अतीत की जानकारी जिन-जिन स्रोतों के माध्यम से हो सकती है. उनकी एक सूची बनाइए ।
उत्तर उन स्रोतों की सूची जिनके माध्यम से हमें अतीत की जानकारी हो सकती है, निम्नलिखित है:
(i) तालपत्र और भोजपत्र पर लिखी पाण्डुलिपियाँ, (ii) पत्थर या ताम्रपत्र पर खोदे गए अभिलेख, (iii) मिट्टी के बरतन खास कर भांड, हाँडी, कोटोरे, प्यालियाँ, (iv) धातु के सिक्के, (v) विभिन्न जन्तुओं की हड्डियाँ, (vi) वनस्पतियों के अवशेष, (vii) अन्न के दानें, (viii) लकड़ी या लकड़ी के कोयले, (ix) पकाई हुई ईंटें, (x) मूर्तियाँ, (xi) विभिन्न औजार तथा हथियार, (xii) धातु के बरतन, (xiii) आभूषण, (xiv) मिट्टी के खिलौने ।

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प्रश्न 5. देश का नाम भारत और इंडिया कैसे हुआ ?
उत्तर – देश आर्यावर्त का नाम भारत शकुंतला दुष्यंत के पुत्र भरत के नाम पर हुआ । भरत तत्कालीन आर्यावर्त के चक्रवर्ती राजा थे । वे अत्यन्त न्यायी और लोकतांत्रिक विचारों के राजा थे। उनके आठ पुत्र हुए, किन्तु इनमें कोई राज्य का संचालन करने योग्य नहीं था । इसलिए उन्होंने अपनी प्रजा में से एक योग्य युवक का निर्वाचन किया और उसे राजा बनाया। यह निर्वाचन ग्राम प्रधानों ने की थी । भरत का यही वारिस माने हुए अपने पिता के नाम को अक्षुण्ण रखने के लिए देश का नाम ‘भारत वर्ष’ रख दिया । भरत कुरु वंश के थे लेकिन बहुत पीढ़ी पहले |

‘इण्डिया’ नाम यूनानियों की देन है। सिंधु नदी को उन्होंने ‘इण्डस’ कहा और उसकी घाटी में बसे देश को ‘इण्डिया’ कहा । इण्डिया नाम न केवल यूनान में बल्कि सम्पूर्ण यूरोप में फैल गया। जो भी यूरोपियन भारत आए इसे इण्डिया कहा । जवाहरलाल नेहरू, जो अंग्रेजों के इतने उपकृत थे कि उन्होंने इण्डिया नाम को भी चलने दिया। यह आश्चर्य कि बात है कि एक ही देश के तीन नाम हैं—भारत, इण्डिया तथा हिन्दुस्थान ।

प्रश्न 6. काल निर्धारण की कार्बन – 14 पद्धति को बताइए ।
उत्तरकाल निर्धारण की कार्बन – 14 पद्धति इस सिद्धांत पर आधारित है कि मनुष्य हो या कोई अन्य जीव-जन्तु या पेड़-पौधे की मृत्यु के बाद कार्बन – 14 का ह्रास होने लगता है। जैसे-जैसे समय बितता है, वैसे-वैसे वह घटते जाता है । यहाँ तक कि पादप या जन्तु की मृत्यु के 5130 वर्ष का उसकी मात्रा उसमें आधी रह जाती है । इसी आधार पर उसका काल निर्धारण किया जाता है । इतिहास लेखन में यह विधि बड़े काम की सिद्ध हुई है ।

आइए करके देखें :

प्रश्न 7. पुरातत्त्वविदों द्वारा उत्खनन में प्राप्त वस्तुओं की सूची बनाइए ।
उत्तरपुरातत्वविदों द्वारा उत्खनन में प्राप्त की गई वस्तुओं की सूची : (i) पत्थर के हथियार, (ii) मानव निवास वाले खोहों के अन्दर की चित्रकारी, (iii) मिट्टी की पकाई हुई बर्तन, भांड, हांड़ी, प्याला एवं ईंट, (iv) पत्थर की बनी इमारतों के अवशेष, (vii) विभिन्न जानवरों, पक्षियों और मछलियों की हड्डियाँ, (viii) अनाज के दाने, (v) कांसा के औजार और हथियार, (vi) कांसे के बर्तन, आभूषण, मूर्तियाँ और सिक्के (ix) कपड़ों के अवशेष ।

प्रश्न 8. भारत के मानचित्र पर निम्नलिखित स्थानों को दिखाइये
(1) नर्मदा नदी,   (2) गंगा नदी,    (3) विंध्य पर्वत,    (4) सतपुड़ा पहाड़ियाँ ।

उत्तर : 

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कुछ अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न और उनके उत्तर

प्रश्न 1. निम्नलिखित तिथियों को वर्तमान पूर्व (बी० सी०) में बदलिए । 8000 बी०सी०, 6500 बी०सी०, 2200 बी०सी०
उत्तर : (i) 8000-2010 = 5990 J
(ii) 6500-2010 = 3990 ई. पू.
(iii) 2200-2010 = 190 ई. पू.

प्रश्न 2. पुरातत्त्वविद् खण्ड के बारे में पता लगाइए। उनके द्वारा प्राप्त किए जाने वाले वस्तुओं की एक सूची बनाइए ।
उत्तर – यदि सही-सही पुरातत्त्वविद खंड का पता करना होगा तो हमें इस अध्याय में बताए गए काल खंड के बहुत पहले जाना होगा। हमें आज से लगभग 10 हजार वर्ष या इससे भी पहले जाना होगा, जिसे पाषाण काल कहा जाता है । तब मनुष्य और वनमानुप में कोई अधिक अंतर नहीं था । आदमी चलने के लिए पैर के साथ हाथ का भी उपयोग करता था। शिकार किये गए पशुओं का कच्चा मास खाता था । यह पुरापाषाण काल था । बाद में नवपाषाण काल आया, जिस काल में मनुष्य ने बहुत उन्नति की। उसने आग का आविष्कार कर लिया और उसे संजो कर रखने लगा। आग से उसे दो लाभ हुए। पहला कि माँस को पकाकर खाने लगा। दूसरे कि जंगली जानवर आग से डरते थे । इसलिए अपने निवास के निकट आग जलाकर रखने लगा । इसा काल में इसने चक्र बनाया। इससे भी दो लाभ हुए। वह चाक पर सुडौल मिट्टी के बर्तन गढ़ने लगा और उसने चक्के से पहिया बना कर गाड़ी बना ली। सबसे पहला पालतू पशु उसका कुत्ता था । वह शिकार में मदद करता था तथा रात में आवास की पहरेदारी करता था। बाद में बकरी, भेड़, घोड़ा, बैल, – गाय आदि भी पाले जाने लगे। अब उसने खेती करना और अन्न उपजाना शुरू किया। इसके लिए उसे एक जगह गाँव बनाकर बसना आवश्यक हो गया ।
इस प्रकार पुरातत्त्वविद खंड को हम छः खंडों में बाँट सकते हैं । (i) पुरापाषाण काल, (ii) नवपाषाण काल, (iii) नदी घाटी काल, (iv) प्राचीन काल, (v) मध्य काल तथा (vi) आधुनिक काल । इतिहास में इन सभी काल खंडों का अपना महत्त्व है । इन्हीं कालखंडों के बीच मानव जाति ने खड़ा होकर चलना सीखा । पशुपालन के साथ खेती करना सीखा और गाँव बसाए । गाँव कस्बों में बदले और कस्बा नगर में परिवर्तित हो गया । चन्द्रगुप्त मौर्य के काल तक मानव ने कांफी उन्नति कर ली थी। भारतीय उपमहाद्वीप के अन्दर ही उसने एक बड़े साम्राज्य की स्थापना की जो चन्द्रगुप्त द्वितीय, जिसे विक्रमादित्य भी कहा जाता है और जिसने शकों को हराया था— साम्राज्य कायम रहा। यह प्राचीनकाल खंड 800 ई. तक रहा। इसके बाद से लेकर 12वीं सदी तक के काल को मध्य काल कहते हैं । इसी काल में तुर्कों ने भारत भूमि पर पैर रखा । तब तक भारत के राजाओं की एकता छिन्न-भिन्न हो चुकी थी । कोई भी तुर्कों का मुकाबला करने की स्थिति में नहीं था । फलतः वे दिल्ली सल्तनत कायम करने में सफल हो गए। उनका नेता मुहम्मद गोरी था । वह अपने तो यहाँ नहीं रहा, लेकिन अपने एक विश्वस्त कर्मचारी को सुल्तान बनाकर अपने देश चला गया । तब से भारत में गुलाम वंश कायम हुआ जो इब्राहिम लोदी तक कायम रहा । गुलाम वंश इसलिए कि पहला सुल्तान मुहम्मद गोरी का कर्मचारी अर्थात् गुलाम था । इसके बाद मुगल वंश का शासन कायम हुआ, जो अंग्ररेजों के आने तक रहा। 1947 में भारत को स्वतंत्र कर अंग्रेज अपने देश चले गए। तब से देश में कांग्रेसी राज कायम हुआ । बीच में दो-तीन टर्म छोड़ लगातार कांग्रेस का ही शासन रहा । इन्दिरा गाँधी के देहावसान के बाद पुनः भारत में गुलाम वंश का आरंभ हुआ । इन्दिरा गाँधी के बाद प्रधानमंत्री बनने वाले राजीव गाँधी राज्य कर्मचारी थे । उनके बाद मनमोहन सिंह भी राज्यकर्मचारी रह चुके हैं । अतः आज भी यहाँ गुलाम वंश का ही शासन है । अब आगे देखना है ।

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