Bihar Board Class 6 Social Science Ch 4 लेन-देन का बदलता स्‍वरूप | Len Den Den Ka Badalta Swaroop Class 6th Solutions

इस पोस्‍ट में हमलोग कक्षा 6 सामाजिक विज्ञान के पाठ 4. लेन-देन का बदलता स्‍वरूप (Len Den Den Ka Badalta Swaroop Class 6th Solutions)के सभी टॉपिकों के बारे में अध्‍ययन करेंगे।

4. लेन-देन का बदलता स्‍वरूप

( पृष्ठ 41 )

प्रश्न 1. यदि आपको बाजार से कुछ बर्तन और चादर खरीदना हो तो आप उसे पैसे से खरीदना चाहेंगे या वस्तु के माध्यम से ? और क्यों ?
उत्तर – यदि मुझे बाजार से कुछ बर्तन और चादर खरीदने हो तो मैं उसे नकद पैसे देकर ही खरीदूँगा । कारण कि आज वस्तु के बदले वस्तु का लेन-देन का रावाज समाप्त हो चुका है। न तो बर्तन वाला वस्तु लेना चाहेगा और न तो चादर वाला । आज की स्थिति में मुझे अपनी वस्तु को बाजार में बेचकर मुद्रा प्राप्त करनी होगी और उस मुद्रा से बर्तन, चादर या कोई भी वस्तु खरीदना होगा ।

प्रश्न 2. गाँवों / शहरों में वस्तु-विनिमय प्रणाली का और कौन-कौन सा उदाहरण दिखता है ?
उत्तर – शहरों में तो नहीं, लेकिन गाँवों में लोहार, बढ़ई, हजाम, धोबी आदि को फसल कटने पर कुछ भाग दिया जाता है और बदले वे किसानों को अपनी छोटी-मोटी सेवाएँ सालों भर देते हैं। लेकिन यह परम्परा भी अब धीरे-धीरे समाप्त होती जा रही है । आज के नवयुवक खेत-खेत घूमकर अनाज एकत्र करना नहीं चाहते। वे शहरों में जाकर आय प्राप्त करना अधिक पसन्द करते हैं

प्रश्न 3. क्या इसके अतिरिक्त भी कोई अन्य परम्परा है जिसके माध्यम से लेन-देन देखने को मिलता है? जैसे की शादी विवाह के समय ?
उत्तर – हाँ है, गाँवों में विवाह के समय मानर पूजाई में डुगडुगी बजाने वाले / वाली को नेग देना पड़ता है। हजाम/हजामिन को कदम-कदम पर नेग देना पड़ता है। बढ़ई को पीढ़ियाँ देनी पड़ती है, जिसके बदले उसे धोती-साड़ी और नगद मुद्रा दी जाती है। लेकिन ये सब परम्पराएँ शहरों से समाप्त होती जा रही हैं।

प्रश्न : उपरोक्त चित्रों (पाठ्यपुस्तक के पृष्ठ 42-43 के चित्रों) तथा विवरण से आप वस्तु विनियम की कठिनाईयों को अपने शब्दों में समझाएँ ।
उत्तर- पाठ्यपुस्तक की पृष्ठ 42 के ऊपर वाले चित्र में एक व्यक्ति के पास आम है और उसके बदले में आलू चाहता है। दूसरे व्यक्ति के पास गेहूँ है। वह आम लेने को तैयार तो है लेकिन आम वाला आलू के बदले ही आम देना चाहता है । नीचे के चित्रों में कुम्हार के पास घड़ा है और वह कपड़ा चाहता है। बुनकर के पास कपड़ा है लेकिन वह एक घड़ा के बदले दो हाथ कपड़ा देना चाहता है दूसरी ओर कुम्हार का कहना है कि दूसरे गाँव में मुझे एक घड़ा के बदले चार हाथ कपड़ा मिल जाता है। अतः इन दोनों स्थितियों में लेन-देन असम्भ है । पृष्ठ 43 के चित्र में एक बकरी के बदले छः टोकारी अनाज लेने की बात कहता है लेकिन अनाज वाले के पास तीन टोकरी ही अनाज है। बकरी वाला कहता है कि तीन टोकरी अनाज आधी बकरी के बराबर है और बकरी को काटा नहीं जा सकता। यहाँ भी विनमय होने की कोई आशा नहीं है । इस प्रकार हम देखते हैं कि वस्तु विनियम में कठिनाई – ही कठिनाई थी !

प्रश्न : लेन-देन के माध्यम के रूप में पैसा सभी द्वारा स्वीकार किया जाता है । पैसे द्वारा किसी भी वस्तु का मूल्य आसानी से तय किया जा सकता है । इसका संग्रह, संचय या बचत करना सुविधाजनक है । इसे एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाना आसान होता है । यह कैसे ? समझाएँ । ( पृष्ठ 47 )
उत्तर – कोई भी व्यक्ति अपना उत्पादन बेचकर पैसा (धन) एकत्र कर सकता है। जो पैसा उसे मिलता है, पूरे देश में सभी उसे स्वीकार करते हैं । अतः लेन- देन का यह उपयोग माध्यम बन गया है। इसका संचय करना आसान है, क्योंकि अनाज या अन्य सामानों की तरह यह सड़-गड़ नहीं सकता। पहले उत्पादन एक जगह से दूसरी जगह ले जाना खर्च साध्य और कठिन था, आसानी से कहीं-से-क़हीं ले जाया जा सकता है। इस प्रकार हम देखते हैं कि लेकिन नगद पैसा मुद्रा के प्रचलन से उत्पादक से लेकर क्रेता-विक्रेता तक सभी को आसानी हो गई है।

( पृष्ठ 48 )

प्रश्न 1. रचित और दुकानदार को क्या सुविधा प्राप्त हुई ?
उत्तर – रचित और दुकानदार को फायदा यह हुआ कि रचित ने खरीदे गये सामानों के बदले दुकानदार को नगद रुपया दिया । इस रुपया से दुकानदार आगे अपना स्टॉक पूरा करने के लिए उस रुपये से थोक में वस्तुएँ मँगाएगा। खरीद- बिक्री से हुई आय द्वारा वह अपने घरेलू सामान खरीदने में भी व्यय करेगा। उसकी जगह यदि रचित अनाज देता तो दुकानदार को काफी दिक्कत होती । शायद यह भी हो सकता था कि दुकानदार अनाज लेता ही नहीं ।

प्रश्न 2. यहाँ मुद्रा विनिमय का कौन-सा गुण दिखाई दिया जो वस्तु विनियम में नहीं है ?
उत्तर – यहाँ मुद्रा विनियम का वह गुण दिखाई दिया है, जो वस्तु विनियम प्रणाली में नहीं मिलता । वस्तु विनियम में दिक्कत है कि वस्तु को लेना और पुनः उस वस्तु से दुकान का स्टॉक बढ़ाया नहीं जा सकता। इस प्रकार खरीद-बिक्री, लेन-देन सब कठिन हो जाएगा। नतीजा होगा की देश की पूरी आर्थिक प्रक्रिया ही नष्ट-भ्रष्ट हो जाएगी ।

( पृष्ठ 49 )

प्रश्न 1. चेक द्वारा लेन-देन कैसे किया जाता है ? परिवार एवं शिक्षक के साथ चर्चा करें ।
उत्तर – चेक द्वारा लेन-देन इस प्रकार होता है कि चेक काटने वाले व्यक्ति का रुपया बैंक विशेष में जमा रहता है । उसी जमा रुपये के एवज में खातेदार बैक विशेष का चेक काटता है कि अमुक व्यक्ति को इतना रुपया दे दिया जाय । नीचे खातेदार का हस्ताक्षर रहता है । जिस व्यक्ति के नाम चेक काटा गया है वह व्यक्ति बैंक में जाकर उतना रुपया प्राप्त कर लेता है ।

प्रश्न 2. एटीएम मशीन के आने से क्या सुविधा मिली? इसके प्रयोग में क्या सावधानी बरतनी चाहिए? शिक्षक के साथ चर्चा करें ।
उत्तर – एटीएम मशीन के आ जाने से यह सुविधा मिली है कि बिना बैंक में प्रवेश किये बाहर से इच्छानुसार रुपया निकाला जा सकता है, यदि उतना रुपया बैंक में जमा हो । देश के किसी भी कोने में उस बैंक की शाखा या किसी भी बैंक के एटीएम से रुपया निकला जा सकता है। इसके प्रयोग में यह सावधानी बरतनी चाहिए कि एटीएम कार्ड पूर्णतः सुरक्षा में रखा जाय। वह किसी अन्य व्यक्ति के हाथ में नहीं पड़ने पावे ।

प्रश्न 3. क्या चेक से लेन-देन करने में पत्र मुद्रा की आवश्यकता होती है?
उत्तर – चेक स्वयं एक पत्र मुद्रा है। इसके बदले बैंक करेंटी नोट देता है जो पत्र मुद्रा ही होता है। इस प्रकार चेक से लेन-देन पत्र मुद्रा से ही आरम्भ होता है और उसी पर अंत होता है ।

अभ्यास : प्रश्न और उनके उत्तर

प्रश्न 1. विन पैसे के लेन-देन में भावकैसे तय होता है ?
उत्तर – बिन पैसे के लेन-देन में खूँट के हिसाब से भाव तय होता है। जैसे : एक खूँट के बदले दो खूँट या दो खूँट के बदले तीन खूँट । अनाज का भाव इसी प्रकार तय होता है । अन्य सामान के साथ इतने सामान के बदले इतना सामान । जैसे एक घड़ा के बदले दो हाथ कपड़ा या तीन हाथ कपड़ा । वास्तव में यह प्रणाली बहुत कठिन होती है । इसी को वस्तु विनिमय प्रणाली कहते हैं ।

प्रश्न 2. पैसे के माध्यम से लेन-देन में किस प्रकार सहूलियत होती है ?
उत्तर – पैसे के माध्यम से लेन-देन में इस प्रकार सहूलियत हुई कि जिस वस्तु का जितना मूल्य होता है, उतना नगदी पैसा दे दिया जाता है । यह बात दूसरी है कि खरीद-बिक्री के समय मोल तोल होता है । जिस भाव पर खरीद बिक्री तय हो जाता है उतना सामान या वह सामान लेकर बदले में रुपया-पैसे तक में भुगतान कर दिया जाता है। लेन-देन में कोई कठिनाई नहीं होती । सहूलियत- ही – सहूलियम होती है ।

प्रश्न 3. नीचे दी गई तालिका देखकर समझाएं कि किसी भी दो व्यक्तियों के बीच सौदा क्यों नहीं हो पा रहा है ?

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उत्तर – किसी भी दो व्यक्तियों के बीच सौदा इसलिए नहीं हो रहा है, क्योंकि ‘बकरी’ तीनों के लेन-देन में अड़ंगा डाल रही है। गुड़ और चावल को तो कम- बेस करके विनियम किया जा सकता है, लेकिन बकरी का बँटवारा किसी भी तरह नहीं हो सकता । एक बकरी के लिये एक खास मात्रा में चावल या गुड़ा लेना या देना पड़ेगा। सम्भव है कि चावल और गुड़ वाला उतना देने को तैयार नहीं हो या बकरी वाला एक मात्रा से कम लेना नहीं चाहता हो । ये ही सब कारण है कि सौदा नहीं हो पा रहा है।

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प्रश्न 4. रचित तथा दुकानदार को लेन-देन में क्या सहूलियत हुई ?
उत्तर—रचित तथा दुकानदान को लेन-देन में यह सहुलियत हुइ कि उनकी लेन-देन में मुद्रा का उपयोग किया गया ।

प्रश्न 5. मुद्रा का चलन कैसे शुरू हुआ ?
उत्तर— वस्तु विनियम की कठिनाइयों से ग्रस्त समाज ने सोचा कि कोई ऐसी वस्तु को चुना जाय जिसके मूल्य में जल्दी गिरावट न आए और उसे संचित करने और कहीं ले जाने और कहीं से लाने में सुविधा हो । इन्हीं परिस्थितियों में मुद्रा का चलन शुरू हो गया। हालाँकि उसे आज की स्थिति तक पहुँचने में कई स्तरों से गुजरना पड़ा है ।

प्रश्न 6. पत्र मुद्रा कैसे शुरू हुई होगी ?
उत्तर – आरम्भ में धातु मुद्रा चली। इसमें भी एक कठिनाई देखी गई कि धातु वजनी होता है। अधिक धन कहीं ले जाने में कठिनाई होती थी कठिनाई से बचने के लिए सरकार की ओर से पत्र मुद्रा का चलन आरम्भ किया गया । पत्र मुद्रा से तात्पर्य कागजी मुद्रा है । चेक भी एक प्रकार की पत्र मुद्रा ही है।

प्रश्न 7. आप अपने कक्षा के दोस्तों के साथ वस्तुओं की अदला-बदली द्वारा लेन-देन या आदान-प्रदान करते हैं । इनकी सूची बनाएँ । क्या यह वस्तु विनियम प्रणाली का उदाहरण है ?
संकेत : यह परियोजना कार्य है। छात्र स्वयं करें ।

प्रश्न 8. इस पाठ में वस्तु विनिमय प्रणाली की कठिनाइयों से संबंधित कुछ चित्र दिए गए हैं। इन कठिनाइयों को दर्शाते हुए कुछ अन्य चित्र बनाएँ ।
संकेत : यह परियोजना कार्य है। छात्र स्वयं करें ।

कुछ अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. आप सभी विद्यार्थी किताब, कॉपी, पेंसिल आदि कैसे खरीदते हैं?
उत्तर – हम किताब, कॉपी, पेंसिल आदि मुद्रा देकर खरीदते हैं ।

प्रश्न 2. जहाँ से सब्जी, मछली, माँस आदि खरीदते हैं उसे क्या कहते हैं?
उत्तर—जहाँ से सब्जी, मछली, माँस आदि खरीदते हैं, उसे हाट या बाजार कहते हैं ।

प्रश्न 3. विनिमय की कितनी प्रणालियों को आप जानते हैं ? कौन -कौन ?
उत्तर—विनिमय की दो प्रणालियों को हम जानते हैं। पहली वस्तु विनिमय प्रणाली तथा दूसरी मुद्रा विनिमय प्रणाली । पहली प्रणाली में जहाँ वस्तु से वस्तु की अदला-बदली करते हैं, वहीं दूसरी प्रणाली में मुद्रा देकर वस्तु खरीदते हैं ।

प्रश्न 4. वस्तु विनियम प्रणाली में क्या कठिनाइयाँ थीं? नाम लिखें |
उत्तर – वस्तु विनिमय प्रणाली में निम्नलिखित कठिनाइयाँ थीं :
(i) आवश्यकताओं के दोहरे संयोग को अभाव, (ii) मूल्य के समान मापक का अभाव, (iii) वस्तु विभाजन में कठिनाई, (iv) मूल्य के संचय का अभाव तथा (v) मूल्य के हस्तांतरण का अभाव ।

प्रश्न 5. वस्तु विनिमय में वस्तु विभाजन में कठिनाई से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर—वस्तु विनिमय में वस्तु विभाजन की कठिनाई से तात्पर्य है कि किसी के पास बकरी है और वह मुर्गी चाहता है । मुर्गी का मूल्य कम है तथा बकरी का अधिक । अब बकरी को काटा तो नहीं जा सकता, क्योंकि काटने से उसका सभी मूल्य नष्ट हो जाएगा । ऐसी स्थिति में विनियम कठिन है। बल्कि कठिन ही नहीं असम्भ

प्रश्न 6. मूल्य संचय के अभाव से क्या मतलब है?
उत्तर – मूल्य संचय से मतलब बचत को बचाकर रखना है ताकि समय पर काम आवे । लेकिन वस्तु विनिमय के जमाने में मूल्य संचय में कठिनाई थी । यदि अनाज रखा जाय तो उसके घुनने या सड़ने की आशंका बनी रहेगी। यदि पशु रखा जाय तो उसको खिलाना-पिलाना पड़ेगा और बीमार भी पड़ सकते हैं, मर भी सकते हैं । इस प्रकार मूल्य संचय वास्तव में कठिन था ।

प्रश्न 7. वस्तु-विनिमय क्या है ?
उत्तर – वस्तु से वस्तु की अदला-बदली वस्तु-विनिमय कहलाती है । यह प्रथा तब प्रचलित थी, जब मुद्रा का आविष्कार नहीं हुआ था। माना कि रामेश्वर के पास गेहूँ है और रहीम के पास कपड़ा । रामेश्वर को कपड़े की आवश्यकता है और रहीम को गेहूँ चाहिए । इस स्थिति में दोनों अपनी-अपनी वस्तुओं की अदला- बदली करके अपनी आवश्यकता की पूर्ति कर लेते थे ।

प्रश्न 8. मुद्रा की परिभाषा दें ।
उत्तर – मुद्रा वह साधन है, जो सरकार द्वारा जारी की जाती है और देश में सबके द्वारा मान्य होती है। इससे देश के किसी कोने से अपनी पसंद की कोई भी वस्तु खरीदी जा सकती है या आवश्यकता से अधिक वस्तु हो तो वह बेची जा सकती है । प्रमुख अर्थशास्त्री क्राउथर का कहना है कि जिस प्रकार यंत्रशास्त्र में चक्र का, विज्ञान में अग्नि और राजनीति में मत (vote) का स्थान है, वही स्थान आज के आर्थिक जीवन में मुद्रा का है।” आज मुद्रा के बिना मनुष्य का एक कदम भी चलना कठिन हो गया है ।

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