इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 8 संस्कृत के कविता पाठ एक ‘ Manglam class 8th Sanskrit arth ( मङ्गलम्)’ के अर्थ को पढ़ेंगे।
प्रथमः पाठः
मङ्गलम् . (प्रार्थना)
पाठ-परिचय–प्रस्तुत पाठ ‘मङ्गलम्’ में ऋग्वेद तथा उपनिषदों के मंगल-मंत्र संकलित हैं जिनमें सहयोग एवं गुरु-शिष्य के अभ्युदय की कामना की गई है। भारत की ऐसी प्राचीन परंपरा रही है कि कोई भी महत्वपूर्ण कार्य मंगलाचरण से ही आरंभ होता है। लोगों का ऐसा विश्वास है कि जब कोई काम देवताओं, गुरुओं अथता प्रभुप्रार्थना से आरंभ किया जाता है तो वह काम निर्विघ्नतापूर्वक सम्पन्न होता है, जिससे, उद्देश्य की पूर्ति सहजता से होती है।
संगच्छध्वं संवदध्वंसं वो मनांसि जानताम्।
देवा भागं यथा पूर्व सञ्जानाना उपासते ॥
अर्थ-हे स्तुति करने वालो ! साथ चलो। साथ बोलो। तुम्हारा मन समान हो, जिस प्रकार प्राचीनकाल में देवता समान मन होकर यज्ञ में दिए हविष्य का भाग ग्रहण करते थे, उसी प्रकार तुम भी अपनी समान गति से अपने श्रेय को ग्रहण करो।
सह नाववतु सह नौ भुनक्तु सह वीर्यं करवावहै ।
तेजस्वि नावधीतमस्तु मा विद्विषा वहै ॥
अर्थ– हे ईश्वर! हम सब सबकी रक्षा करें, मिलकर खाएँ, हमारां अध्ययन अध्यापन हमारी रक्षा करने वाला तथा तेजस्वी बनाने वाला हो। हम सब परिश्रमी एवं पराक्रमी बनें। हमसब मिलकर रहें, कभी झगड़ा न करें।
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