कक्षा 10 विज्ञान भाग 2 पाठ 16 प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन | Prakritik sansadhan prabandhan class 10th solution in Hindi

इस लेख में बिहार बोर्ड कक्षा 10 विज्ञान के पाठ 15 ‘ प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन ( Prakritik sansadhan prabandhan class 10th solution in Hindi )’ को पढ़ेंगे।

Prakritik sansadhan prabandhan class 10th solution in Hindi 2

16 प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन

पृष्ठ : 302 )

पाठ में दिए हुए प्रश्न तथा उनक उत्तर

प्रश्न 1. पर्यावरण मित्र बनने के लिए आप अपनी आदतों में कौन-से परिवर्तन ला सकते हैं ?

उत्तरयदि हम तीन ‘R’ के प्रयोग के आधार पर काम करें तो पर्यावरण मित्र बन सकते हैं । इन तरीकों के लिए अपनी आदतों को बदलना होगा ।

प्रश्न 2. संसाधनों के दोहन के लिए कम अवधि के उद्देश्य की परियोजना के क्या लाभ हो सकते हैं ?

उत्तरसंसाधनों के दोहन के लिए कम अवधि के उद्देश्य की परियोजना से यह लाभ हो सकता है कि बिना उत्तरदायित्व के अधिकाधिक मुनाफ़ा प्राप्त किया जा सकता है।

 प्रश्न 3. यह लाभ, लंबी अवधि को ध्यान में रखकर बनाई गई परियोजनाओं के लाभ से किस प्रकार भिन्न है ।

उत्तर :

कम अवधि के उद्देश्य की परियोजना लंबी अवधि के उद्देश्य की परियोजना
(i) इससे हम अधिक-से-अधिक लाभ प्राप्त करते हैं ।

(ii) इस योजना के तहत भावी पीढ़ियों के लिए हमारा कोई उत्तरदायित्व ध्यान में नहीं होता है ।

    (i) इससे संसाधनों के संपोषित विकास के लिए उपयोग करते हैं ।

   (ii) इस योजना के तहत भावी पीढ़ियों के उपयोग के लिए भी संसाधनों को सुरक्षित रखना होता है

प्रश्न 4. क्या आपके विचार में संसाधनों का समान वितरण होना चाहिए ? संसाधनों के समान वितरण के विरुद्ध कौन-कौन-सी ताकतें कार्य कर सकती हैं ?

उत्तर – मेरे विचार में संसाधनों का समान वितरण होना चाहिए क्योंकि धरती हम सबकी है । इस पर रहनेवाले सभी प्राणियों का संसाधनों पर समान अधिकार है। संसाधनों का अर्थ उनका दोहन अथवा शोषण नहीं है । यदि कोई इन संसाधनों का अत्यधिक उपयोग कर रहा है तो इसका मतलब है कि इसकी कमी किसी को जरूर डझेलनी पड़ रही होगी । इससे पर्यावरण को काफी क्षति पहुँचती है । लेकिन मुट्ठी भर अमीर और शक्तिशाली लोग ही इसका लाभ उठाते हैं । वे इसका समान वितरण नहीं चाहते ।

( पृष्ठ: 306)

प्रश्न 1. हमें वन एवं वन्य जीवन का संरक्षण क्यों करना चाहिए ?

उत्तर—वन जैव विविधता के विशिष्ट स्थल हैं । जैव विविधता का एक आधार उस क्षेत्र में पाई जानेवाली विभिन्न स्पीशीज की संख्या है । परंतु जीवों के विभिन्न स्वरूप (जीवाणु, कवक, फर्न, पुष्पी, पादप, सूत्रकृमि, कीट, पक्षी, सरीसृप इत्यादि) भी महत्त्वपूर्ण हैं। वंशगत जैव विविधता को संरक्षित करने का प्रयास प्राकृतिक संरक्षण के मुख्य उद्देश्यों में से एक है। प्रयोगों तथा वस्तुस्थिति के अध्ययन से हमें पता चलता है कि विविधता के नष्ट होने से पारिस्थितिक स्थायित्व भी नष्ट हो सकता है ।.

प्रश्न 2. संरक्षण के लिए कुछ उपाय सुझाइए ।

उत्तर – वनों की प्राकृतिक छवि में मनुष्य का हस्तक्षेप बहुत अधिक है । हमें इस हस्तक्षेप की प्रकृति एवं सीमा को नियंत्रित करना होगा। वन संसाधनों का उपयोग इस प्रकार करना होगा जो पर्यावरण एवं विकास दोनों के हित में हो । अर्थात् जब पर्यावरण अथवा वन संरक्षित किये जाएँ, उनके सुनियोजित उपयोग का लाभ स्थानीय निवासियों को मिलना चाहिए । यह विकेंद्रीकरण की एक ऐसी व्यवस्था है, जिसमें आर्थिक विकास एवं पारिस्थितिक संरक्षण दोनों साथ-साथ चल सकते हैं। आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए पर्यावरण का संरक्षण जरूरी है ।

(पृष्ठ : 310 )

प्रश्न 1. अपने निवास क्षेत्र के आस-पास जल संग्रहण की परंपरागत पद्धति का पता लगाइए।

उत्तर जल संग्रहण भारत की बहुत पुरानी संकल्पना है, जैसे— राजस्थान में खादिन, बड़े पात्र एवं नाड़ी, महाराष्ट्र के बंधारस एवं ताल; मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश में बांधिस, बिहार में आहर तथा पइन, हिमाचल प्रदेश में कुल्ह, जम्मू के काँदी क्षेत्र में तालाब तथा तामिलनाडु में टैंक, केरल में सुरंगम, कर्नाटक में कट्टा इत्यादि । प्राचीन जल संग्रहण तथा जल परिवहन संरचनाएँ आज भी उपयोग में हैं । जल संग्रहण तकनीक स्थानीय होता है तथा इसका लाभ भी स्थानीय क्षेत्र को ही होता है । खादिन को ढोरा भी कहते हैं । यह पद्धति जमीन पर बहते हुए पानी को कृषि में उपयोग करने के लिए विकसित की गई थी। इसकी प्रमुख विशेषता यह कि इससे निचली पहाड़ी की ढलानों को लाभ हो । इसमें पानी को अधिक मात्रा में बाहर निकालकर फसलों के उत्पादन को बढ़ावा देना है ।

प्रश्न 2. इस पद्धति की पेयजल व्यवस्था (पर्वतीय क्षेत्र, मैदानी क्षेत्र अथवा पठारी क्षेत्र) से तुलना कीजिए ।

उत्तरपर्वतीय क्षेत्रों में जल संग्रहण और मैदानी क्षेत्रों (पठारी क्षेत्रों) में अंतर है। जैसे हिमाचल प्रदेश में करीब चार सौ वर्ष पहले नहर सिंचाई की व्यवस्था की गई थी, जिसे कुल्ह के नाम से जाना जाता था। नदियों में बहनेवाले पानी को छोटी-छोटी नालियों द्वारा पहाड़ी के निचले भांग तक पहुँचाया जाता था । इसका प्रबंधन गाँव के लोग खुद करते थे। कृषि के समय दूरस्थ गाँव को पानी दिया जाता था । कुल्ह की देख-रेख के लिए तथा प्रबंधन के लिए चार-पाँच लोग को रखते थे । उनके लिए वेतन की व्यवस्था करते थे। इससे लाभ केवल कृषि को ही नहीं था बल्कि इस जल का भूमि में अंतः स्रवण भी होता रहता था ।

प्रश्न 3. अपने क्षेत्र में जल के स्रोत का पता लगाइए। क्या इस स्रोत से प्राप्त जल उस क्षेत्र के सभी निवासियों को उपलब्ध है ।

उत्तर – हमारे क्षेत्र में जल का मुख्य स्रोत कुआँ तथा नगर-निगम द्वारा आपूर्ति जल है। गर्मी के दिनों में कभी-कभी भूमिगत जल का स्तर इतना नीचे चला जाता है कि पेयजल की कमी होने लगती है । इससे उस क्षेत्र के निवासियों को जल की उपलब्धता संभव नहीं हो पाती या कम हो पाती है ।

अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. अपने घर को पर्यावरण-मित्र बनाने के लिए आप उसमें कौन-कौन- से परिवर्तन सुझा सकते हैं ?

उत्तर—हम पर्यावरण को निम्नलिखित प्रभावी ढंग से सुरक्षित रख सकते हैं : (i) कम-से-कम वस्तुओं का उपयोग करना बिजली के पंखे तथा बल्ब का स्विच बंद करके विद्युत का अपव्यय को रोक सकते हैं तथा पानी टपकनेवाले नल की मरम्मत कराकर जल की बचत कर सकते हैं।
(ii) प्लास्टिक, काँच तथा धातु की वस्तुओं को पुनःचक्रण करना । ऐसे पदार्थों के पुनःचक्रण द्वारा दूसरी उपयोगी वस्तुओं का निर्माण हो ।
(iii) वस्तु का बार-बार उपयोग करना प्रयुक्त कागज तथा लिफाफों को फेंकने के बजाय इसका पुनः उपयोग कर सकते हैं ।

प्रश्न 2. क्या आप अपने विद्यालय में कुछ परिवर्तन सुझा सकते हैं, जिनसे इसे पर्यानुकूलित बनाया जा सके ?

उत्तरहम तीन R अर्थात् कम उपयोग करना, पुनःचक्रण तथा पुनः उपयोग को कर अपने विद्यालय को पर्यानुकूलित बना सकते हैं ।

लागू

प्रश्न 3. इस अध्याय में हमने देखा कि जव हम वन एवं वन्य जंतुओं की बात करते हैं तो चार मुख्य दावेदार सामने आते हैं । इनमें से किसे वन उत्पाद प्रबंधन हेतु निर्णय लेने के अधिकार दिए जा सकते हैं ? आप ऐसा क्यों सोचते हैं ?

उत्तरजब हम वन एवं वन्य जंतुओं की बात करते हैं तो चार मुख्य दावेदार समाने आते हैं जैसे वन के अंदर एवं इसके निकट रहनेवाले लोग, सरकार का वन विभाग, उद्योगपति तथा वन्य जीवन एवं प्रकृतिप्रेमी । मेरे विचार में उत्पादों के प्रबंधन हेतु निर्णय लेने के अधिकार दिये जाने के लिए स्थानीय लोग सर्वाधिक उपयुक्त हैं। क्योंकि स्थानीय “लोग वन का संपोषित तरीके से उपयोग करते हैं । सदियों से ये स्थानीय लोग इन वनों का उपयोग करते आ रहे हैं । साथ ही इन्होंने ऐसी पद्धतियों का भी विकास किया है जिससे संपोपण होता है तथा आनेवाली पीढ़ियों के लिए उत्पाद बचे रहें । इनके अतिरिक्त गड़ेरियों द्वारा वनों के पारंपरिक उपयोग ने वन के पर्यावरण संतुलन को भी सुनिश्चित किया है। वनों के प्रबंधन से स्थानीय लोगों को दूर रखने का हानिकारक प्रभाव वन की क्षति के रूप में सामने आ सकता है । वास्तव में वन संसाधनों का उपयोग इस प्रकार करना होगा कि यह पर्यावरण एवं विकास दोनों के हित में हो तथा नियंत्रण का फायदा स्थानीय लोगों को मिले। यह विकेंद्रीकरण की एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें आर्थिक विकास तथा पारिस्थितक संरक्षण दोनों साथ-साथ चल सकते हैं ।

प्रश्न 4. अकेले व्यक्ति के रूप में आप निम्न के प्रबंधन में क्या योगदान दे सकते : (a) वन एवं वन्य जंतु (b) जल संसाधन (c) कोयला एवं पेट्रोलियम ?

उत्तर- (a) वन एवं वन्य जंतु — स्थानीय लोगों को यदि वनों से वंचित रखा जायगा तो वनों का प्रबंधन संभव नहीं है । इसका उदाहरण अराबारी वन क्षेत्र है, जहाँ एक बड़े क्षेत्र में वनों का पुनर्भरण संभव हो सका है। मैं लोगों की सक्रिय भागीदारी को सुनिश्‍चित करनर चाहूँगा मै संपोषित तरिको से संसाधन के समान वितरण पर जोर देना चाहूँगा ताकि इसका फायदा सिर्फ मुट्ठी भर अमिर एवं शक्तिशा‍ली लोगो को ही प्रप्‍त न हो ।

(b) जल संसाधन हम जाने-अनजाने पानी का खर्च बहुत अधिक करते हैं । इसे रोकना चाहिए । हमें अपनी आदतों को सुधारना चाहिए। इसके अलावा किसी जल संभर तकनीकी की सहायता से भी जल को संरक्षित किया जा सकता है।

(c) कोयला एवं पेट्रोलियम अभी ऊर्जा का मुख्य स्रोत कोयला तथा पेट्रोलियम है । इन्हें हम कई तरीकों से बचा सकते हैं :
(i) सौर उपकरणों का उपयोग करके ।
(ii) वाहनों की जगह पैदल तथा साइकिल द्वारा छोटी-छोटी दूरियाँ तय करके।
(iii) बल्ब की जगह ट्यूबलाइट का उपयोग करके ।
(iv) अनावश्यक बल्ब तथा पंखों का स्विच बंद करके ।
(v) लिफ्ट के जगह सीढ़ियों का इस्तेमाल करके ।
(vi) वाहनों के टायरों में हवा का उपयुक्त दबाव बनाए रखकर ।
(vii) रेडलाइट पर रुकते ही गाड़ी को बंद करके ।

प्रश्न 5. अकेले व्यक्ति के रूप में आप विभिन्न प्राकृतिक उत्पादों की खपत कम करने के लिए क्या कर सकते हैं ?

उत्तरअकेले व्यक्ति के रूप में विभिन्न प्राकृतिक उत्पादों की खपत कम करने के लिए निम्नलिखित तरीकों को अपनाऊँगा :
(i) छोटी दूरियाँ तय करने के लिए वाहनों की जगह पैदल अथवा साइकिल का उपयोग करके पेट्रोल की बचत कर सकता हूँ ।
(ii) लिफ्ट की जगह सीढ़ियों का इस्तेमाल करके बिजली की बचत कर सकता हूँ ।
(iii) बल्ब की जगह ट्यूबलाइट का प्रयोग कर सकता हूँ ।
(iv) अनावश्यक बल्ब तथा पंखे बंद करके बिजली बचत कर सकता हूँ ।
(v) खाद्य पदार्थ को न फेंककर भोजन की बचत कर सकता हूँ ।
(vi) टपकनेवाले नलों की मरम्मत कराकर पानी की बचत कर सकता हूँ ।
(vii) जब गाड़ी रेडलाइट पर खड़ी हो उस समय गाड़ी बंद करके पेट्रोल की बचत कर सकता हूँ।

प्रश्न 6. निम्न से संबंधित ऐसे पाँच कार्य लिखिए जो आपने पिछले एक सप्ताह में किए हैं :
(a) अपने प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण ।
(b) अपने प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव को और बढ़ाया है ।

उत्तर : (a) अपने प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण :
(i) वाहन की जगह पैदल चलकर पेट्रोल बचाया है
(ii) हमने टपकनेवाले नल की मरम्मत कराकर पानी बचाया है।
(iii) लिफ्ट की जगह सीढ़ियों का इस्तेमाल करके बिजली बचायी
(iv) अनावश्यक पंखे तथा बल्ब को बंद करके बिजली बचायी है।
(v) खाली दवा की बोतलों को कुछ सामान रखकर उसका उपयोग किया है ।

(b) अपने प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव के और बढ़ाया है :

(i) ‘ट्यूबलाइट के स्थान पर बल्ब का उपयोग किया।
(ii) अपना भोजन फेंका ।
(iii) मैं तो सी गया लेकिन TV चलता रहा ।
(iv) हाथ धोते समय अधिक पानी खर्च किया ।
(v) कमरे को गर्म रखने के लिए हीटर का प्रयोग किया ।

प्रश्न 7. इस अध्याय में उठाई गई समस्याओं के आधार पर आप अपनी जीवन- शैली में क्या परिवर्तन लाना चाहेंगे जिससे हमारे संसाधनों के संपोषण को प्रोत्साहन मिल सके ?

उत्तरहम अपनी जीवन शैली में तीन ‘R’ की संकल्पना को लागू करना चाहेंगे जिसका अर्थ होता है कम उपयोग करना, पुनःचक्रण तथा पुनः उपयोग। इससे हमारे संसाधनों के संपोषण को प्रोत्साहन मिलेगा ।

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