BSEB Bihar Board Class 6 Social Science History Chapter 4. प्रथम कृषक एवं पशुपालक | Pratham Krishak Evam Pashupalan Class 6th Solutions

Bihar Board Class 6 Social Science प्रथम कृषक एवं पशुपालक Text Book Questions and Answers Pratham Krishak Evam Pashupalan Class 6th Solutions 

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4. प्रथम कृषक एवं पशुपालक

अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर

आइए याद करें :
1. वस्तुनिष्ठ प्रश्न :

(क) सबसे पहले किस जानवर को आदमी ने पालतू बनाया ?
(i) कुत्ता
(ii) बंदर
(iii) गाय
(iv) बकरी

(ख) गेहूँ का प्राचीन साक्ष्य कहाँ से प्राप्त हुआ है
(i) मेहरगढ़
(ii) चिराँद
(iii) हल्लूर
(iv) पैच्यमपल्ली

(ग) चावल का प्रमाण भारत में कहाँ से मिला है ?
(i) कोल्डिहवा
(ii) मेहरगढ़
(iii) चिराँद
(iv) पैसरा

उत्तर (क) → (i), (ख) → (i), (ग) → (i).

सुमेलित करें :
चिराँद                 → उत्तर प्रदेश
मेहरगढ़              → बिहार
बुर्जहोम             → पाकिस्तान
कोल्डिहवा         → कश्मीर

उत्तर : चिरांद          → बिहार

मेहरगढ़                  → पाकिस्तान
बुर्जहोम                   → कश्मीर
कोल्डिहवा               → उत्तर प्रदेश

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आइए करके देखें :

प्रश्न (i) खेती की शुरुआत कैसे हुई ?
उत्तर भोजन की तलाश में शिकारी-संग्रहकर्त्ता मानव बड़े क्षेत्र में घूमा थे । सम्भवतः इसी क्रम में उन्होंने फूलने, फलने और पकने वाले पौधों का ज्ञान हुआ होगा। जमीन पर गिरे बीजों को आरंभिक मानव ने खाने के लिए बटोरा होगा। फिर उन बीजों को बोया होगा। जानवरों तथा चिड़ियों से इन पौधों की रक्षा की होगी। बीज पकने पर उन्हें काटा होगा और पौधों से दानों को अलग किया होगा । ये दाने उनके भोजन के अच्छे स्रोत साबित होने पर बड़े पैमाने पर उनको बोना शुरू किया होगा और इस प्रकार खेती की शुरुआत हुई होगी या हो गई होगी ।

प्रश्न (ii) मानव जीवन में खेती के बाद क्या परिवर्तन आया ?
उत्तरखेती की शुरूआत से मानव-जीवन में यह परिवर्तन आया कि उन्हें अन एक स्थान पर घर बना कर स्थायी रूप से रहना पड़ा । कारण कि फसल बोने और काटने के बीच लगभग छः महीने लग जाते थे। इस बीच खेत की सिंचाई करनी पड़ती थी। खेत में उग आए अवांछित घास-फूस को निकालना पड़ता होगा । जंगली पशुओ और पक्षियों से खेत को बचाने के लिए रखवाली करनी पड़ती होगी। फलतः अब उन्हें एक स्थान पर रहने की मजबूरी आई होगी और वे गाँव बसा कर रहने को विवश हुए होंगे। एक जगह अधिक लोगों का रहना इसलिए भी आवश्यक था कि खेती अकेले का काम नहीं है । इसके लिए समूह में लगना पड़ता है। इस प्रकार हम देखते हैं कि खेती की शुरुआत से मानव जीवन में यह परिवर्तन आया कि वह गाँव बसा कर एक स्थान पर स्थायी रूप से रहने लगा । पशुपालन तो वह पहले से ही करते आ रहा था। अब गाय, भैंस के साथ बैल और भैंसा की देखभाल भी अच्छी तरह होने लगी ।

प्रश्न (iii) नवपापाणकालीन औजारों की विशेषता क्या थी ?
उत्तरनवपाषाणयुग के औजार थे तो पापाण के ही लेकिन ये पहले से अधिक उपयोगी थे। इनकी विशेषता थी कि इस युग के औजार आकार में छोटे, हल्के, दृढ़, पहले से अधिक धारदार एवं चमकदार थे ।

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आइए चर्चा करें :

प्रश्न (iv) पशुपालन से मानव को क्या-क्या लाभ हुआ?
उत्तर – पशुपालन से नवपाषाणकालीन मानव को यह लाभ हुआ कि खेत जोतने के लिए बैल और भैंसा मिल गए। दूध, दही, घी के लिए गाय, भैंस और बकरी मिले। गाय और भैंस के नर बच्चे ही बैल और भैंसा बनते थे । बकरी के बच्चे खस्सी होते थे जिनका मांस बहुत स्वादिष्ट होता था और पचने में आसान भी ।

प्रश्न (v) नवपापाणयुगीन जीवन और आरंभिक मानव के जीवन में क्या अंतर था ।
उत्तर – नवपाषाणयुगीन मानव का जीवन में स्थायित्व आ गया था, क्योंकि वह खेती करता था और एक स्थान पर घर बनाकर गाँव बसा लिए थे जबकि इसके आरंभिक मानव घुमक्कड़ और शिकार पर जीवन निर्भर करने वाला था । इस प्रकार वह कम सुखी था ।
नवपाषाण युगीन मानव भोजन में अनाज, दाल के अलावा दूध, दही, घी का उपयोग करता था और यदाकदा मांस भी खा लेता था जबकि आरंभिक मानव मात्र कन्द-मूल फल और कच्चा मास पर निर्भर था ।
नवपापाणयुगीन मानव अन्न का संग्रह करता था और उपयोग से अधिक अनाज हाट-बाजारों में बेच दिया करता था, लेकिन आरंभिक मानव नित्य शिकार करता था और नित्य खाता था। आज खा लिया तो कल क्या खाएगा, यह निश्चित नहीं था ।

आइए करके देखें :

प्रश्न (vi) नवपापाणयुगीन मानव जिन फसलों से परिचित थे उनकी सूची बनाएँ और जिन फसलों से आप सभी परिचित हैं उसकी एक सूची बनाएँ, क्या आप नवपापाणयुगमीन फसलों से से ज्यादा फसलों के बारे में जानते हैं ।
उत्तरनवपापाणयुगीन मानव मात्र गेहूँ, चावल और कुछ दालों से परिचित था जबकि आज जो हम जानते हैं, उसकी सूची बहुत लम्बी हो जाएंगी। निश्चित ही हम उनसे अनाजों के बारे में अधिक जानकारी रखते हैं ।

कुछ अन्य. महत्वपूर्ण प्रश्न और उनके उत्तर

प्रश्न 1. नवपाषाणकालीन पशु और आज के पशु में अंतर करें ।
उत्तर- नवपाषाणकालीन पशु और आज के पशु में निम्नलिखित अंतर हैं नवपाषाणकालीन पशु- -गाय, बैल, बकरी, सूअर, भैंस, भैंसा, कुत्ता, घोड़ा, गदहा ।
इसयुग में बैल, भैंसा, घोड़ा, गदहा अत्यन्त उपयोगी थे। गाय, भैंस, कुत्ता दोनों युग में समान रूप से उपयोगी थे और हैं ।
आज के पशु-  गाय, बैल, बकरी, सूअर, भैंस, भैंसा, कुत्ता, घोड़ा, गदहा । आज बैल, भैंसा, घोड़ा, गदहा अनुपयोगी से हो गए हैं क्योंकि बैल भैंसा का स्थान ट्रैक्टर ने ले लिया है और घोड़ा गदहा का स्थान सायकिल और मोटरसायकिल ने ले लिया है ।

प्रश्न 2. पुरातत्त्वविद् ऐसा क्यों मानते हैं कि मेहरगढ़ के लोग पहले केवल शिकारी थे और बाद में उनके लिए पशुपालन ज्यादा महत्त्वपूर्ण हो गया ?
उत्तरमेहरगढ़ में खुदाई के क्रम में सबसे नीचे अनेक प्रकार के जानवरों की हड्डियाँ मिली हैं। इससे ऐसा लगता है कि सर्वप्रथम यहाँ के लोग शिकारी जीवन व्यतीत करते थे। खुदाई में ऊपरी भाग में केवल भेड़ और बकरियों की हड्डियाँ मिली हैं। इससे ज्ञात होता है कि बाद में मेहरगढ़ वाले शिकारी जीवन त्याग कर पशुपालक जीवन व्यतीत करने लगे थे। इसका कारण यह हो सकता है कि भेड़ और बकरी एक साथ तीन से चार बच्चा तक देती हैं। उनसे दूध की प्राप्ति होती है। इस प्रकार ये पशु उनके चलते-फिरते भोज्य वस्तुओं के भंडार थे। पशुपालन से पशुपालकों को खाने के लिए मांस, पीने के लिए दूध तथा पहनने ओढ़ने के लिए चमड़ा की प्राप्ति होती रहती थी। इस प्रकार हम देखते हैं कि मेहरगढ़ के लोग पहले केवल शिकारी थे लेकिन बाद में पशुपालन उनके लिए अधिक महत्वपूर्ण हो गया ।

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