3.Pushp Ki Abhilasha poem in Hindi | कक्षा 7 पुष्प की अभिलाषा

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 7 हिन्‍दी के कविता पाठ तीन ‘ Pushp Ki Abhilasha (पुष्प की अभिलाषा)’ के हर पं‍क्ति के अर्थ को पढ़ेंगे।

Pushp Ki Abhilasha poem in Hindi

3 पुष्प की अभिलाषा

चाह नहीं मैं सुरबाला के
गहनों में गूंथा जाऊँ ।
चाह नहीं प्रेमी-माला में
बिंध प्यारी को ललचाऊँ ।।

अर्थ—पुष्प अपनी अभिलाषा प्रकट करते हुए कहता है कि वह न तो देवकन्या के गहनों में गूंथा जाना चाहता है और न ही प्रेमी द्वारा बनाई (लाई) गई माला में बिंधकर प्रियतम को ललचाना चाहता है। Pushp Ki Abhilasha poem in Hindi

चाह नहीं सम्राटों के शव पर
हे हरि, डाला जाऊँ ।
चाह नहीं देवों के सिर पर
चहूँ, भाग्य पर इठलाऊँ ।।

अर्थ–पुण्ण अपनी अभिलाषा प्रकट करते हुए कहता है कि वह न तो सम्राटों के शव पर चढ़ाए जाने का इच्छुक है और न ही देवताओं के ऊपर चढ़ाए जाने का आग्रही है। तात्पर्य यह कि पुण्य किसी भी प्रकार का सम्मान पाना नहीं चाहता है।

मुझे तोड़ लेना वनमाली,
उस पथ पर देना तुम फेंक ।
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने
जिस पथ जाएँ वीर अनेक ।।

अर्थ-पुष्प माली से अपनी उत्कट कामना प्रकट करते हुए कहता है कि ओ माली! ___मुझे तोड़कर उस मार्ग पर फेंक देना, जिस मार्ग से देश के सच्चे सपूत अपनी मातृभूमि की अस्मिता की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर करने जाते हो। Pushp Ki Abhilasha poem in Hindi

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