इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 8 संस्कृत के कहानी पाठ छ: ‘रघुदासस्य लोकबुद्धिः’ (Raghudash lokbuddhi class 8 sanskrit)’ के अर्थ को पढ़ेंगे।
6. षष्ठः पाठः
रघुदासस्य लोकबुद्धिः
(रघुदास का विचार)
पाठ-परिचय–प्रस्तुत पाठ ‘रघुदासस्य लोकबुद्धि’ में जनसंख्या संबंधी समस्या पर विचार किया गया है कि छोटा परिवार बड़े परिवार की अपेक्षा अधिक खुशहाल और प्रसन्न रहता है। बड़े परिवारों में सदस्य अधिक होने के कारण कलह का वातावरण बना रहता है जबकि छोटे परिवार को इस समस्या से नहीं जूझना पड़ता। जैसे गाँव से आकर नगर में रहने वाले दो परिवारों से पता चलता है कि जिस परिवार में बच्चों की संख्या अधिक है उसमें अक्सर लड़ाई-झगड़ा होते देखा जाता है, जबकि छोटे परिवार में मेल-मिलाप अधिक रहता है। वर्तमान परिवेश में अनियंत्रित जन संख्या देश के लिए समस्या बन गई है, इसलिए छोटे परिवार के पक्ष में सूत्र वाक्य है— ‘छोटा परिवार सुखी परिवार ।’
अस्ति रामभद्रनामकं समृद्ध नगरम् । तत्र बहवो जनाः स्व-स्व ग्रामान् परित्यज्य नगरनिवासाय परिवारेण सह समागताः। नगरे नाना सुविधाः सन्तीतति न सन्देहः । किन्तु नगरस्य नियमाः ग्रामजनान् पीडयन्ति तत्रैको ग्रामपरिवारः हरिप्रसादस्य निवसति । तस्य प्रतिवेशी च रघुदासः स्वपरिवारेण विद्यालये सर्वदा कक्षायां प्रथमः आगतः, सम्प्रति नगरस्य महाविद्यालये अधीते । बिन्दुप्रकाशस्य मातापितरौ निजस्य सन्तानस्य उन्नतिं विलोक्य प्रमुदितौ भवतः । लघुपरिवारस्य कारणात् नातिसम्पन्नोपि रघुदासः नगरे सुखी वर्तते । यदा-कदा तद्गृहे ग्रामात् जनाः आगत्य तिष्ठन्ति । किन्तु परिवार: कदापि कष्टं नानुभवति ।
अर्थ-रामभद्र नाम का सम्पन्न नगर है। वहाँ अनेक लोग अपने-अपने गाँव को छोड़कर नगर में निवास करने के लिए परिवार के साथ आये। नगर में अनेक प्रकार की सुविधाएँ मिलती हैं, इसमें कोई संदेह नहीं है। लेकिन नगर के नियम ग्रामीण लोगों को कष्टदायी महसूस होता है। वहीं हरिप्रसाद नाम का एक ग्रामीण परिवार निवास करता है। और उसका पड़ोसी रघुदास अपने परिवार के साथ सुखपूर्वक रहता है। रघुदास का पुत्र बिन्दु प्रकाश अति मेधावी छात्र है जो हमेशा अपनी कक्षा में प्रथम आता है। वह नगर के महाविद्यालय में पढ़ता है। बिन्दु प्रकाश के माता-पिता अपनी संतान की उन्नति देखकर काफी खुश हैं। छोटा परिवार के कारण आर्थिक दृष्टि से संपन्न न होने के बावजूद रघुदास खुश है। कभी-कभी उसके यहाँ ग्रामीण लोग आकर ठहरते हैं, किन्तु उनका परिवार दुःखी नहीं होता है। Raghudash lokbuddhi class 8 sanskrit
अपरत्र प्रतिवेशिन: हरिप्रसादस्य परिवारवृत्तं विचित्रम् । तस्य परिवारे षट् कन्याः द्वौ च पुत्रौ वर्तन्ते । तेषां सर्वेषां भरणे पोषणे च सम्पन्नोऽपि हरिप्रसादः सदा चिन्तितः तिष्ठति । कन्यासु तिस्त्र एव विद्यालये गच्छन्ति, अपराः तिस्त्रः प्रवेशिकापरीक्षोत्तीर्णाः गृहे एव तिष्ठन्ति । हरिप्रसादः चिन्तयति यत् अधिकाध्ययनेन तासां विवाहसमस्या महती भविष्यति । गृहे स्थिताः ता: परिवारकार्याणि कुर्वन्ति किन्तु सदा परस्परं कलहं कुर्वन्ति । हरिप्रसादस्य पुत्रौ विद्यालये पठतः किन्तु तयोः महत्वाकांक्षा सदैव पितरं पीडयति । माता तावेव सर्वाधिकं मन्यते । तदवलोक्य कन्याः सर्वाः अपि अतीत दुःखिताः भवन्ति । एवं सम्पन्नः हरिप्रसादः प्रतिवेशिनः रघुदासस्य निर्धनस्यापि प्रसन्नतायै ईय॑ति । हरिप्रसादस्य विशालेऽपि गृहे आगताः तस्य ग्रामीणाः न प्रसीदन्ति । एतस्य परिवारस्य दुःखस्य चर्चा ते कुर्वन्ति ।
अर्थ-दूसरे पड़ोसी हरिप्रसाद के परिवार की विचित्र स्थिति है। उनके परिवार में छ: लडकियाँ तथा दो पत्र हैं। उनके भरण-पोषण को लेकर हरिप्रसाद आर्थिक दृष्टि से खुशहाल होते हुए सदा परेशान रहते हैं। लड़कियों में तीन लड़कियाँ स्कूल जाता है और शेष तीन लड़कियाँ प्रवेशिका परीक्षा पास करने के बाद घर में रहती है । हरि प्रसाद सोचता है कि अधिक पढ़ाने पर उनकी शादी महान समस्या हो जाएगी। वे सब घर में रहते हुए परिवार का कार्य करती हैं तथा आपस में लड़ती-झगड़ती रहती हैं । हरि प्रसाद . के दोनों पुत्र स्कूल में पढ़ते हैं किंतु दोनों की उच्चाकांक्षा सदा पिता को दुःखी बनाए रहता है। माता दोनों पुत्रों को ही सबसे अधिक चाहती हैं। माता के इस व्यवहार से सभी लड़कियाँ अति दुःखी होती हैं। इस प्रकार आर्थिक दृष्टि से सम्पन्न हरिप्रसाद पड़ोसी रघुदास की खुशी देखकर जलते हैं। हरिप्रसाद के सम्पन्न होने के बावजूद गाँव से आए हुए लोग खुश नहीं होते और वे इनके परिवार के दुःख की चर्चा करते हैं।
अन्ततः हरिप्रसादः स्वकीयं विशालं परिवारं सदा निन्दति “रघुदासस्य लघुपरिवारः ।” धिक् मां विशालपरिवारजनकम् । वर्तमानकाले ते एव ध न्याः सन्ति येषां जनानां परिवारः अल्पकायः । सत्यमुच्यते.
अर्थ-अन्त में, हरिप्रसाद रघुदास के छोटे परिवार की तुलना में अपने विशाल परिवार की हमेशा निंदा करते हैं । धिक्कार है मुझको, बड़े परिवार का पिता होने पर, (क्योंकि) इस समय जिसका परिवार छोटा होता है, उसका जीवन धन्य होता है। सत्य ही कहा जाता है :
परिवारस्य सौभाग्यं यत्र संख्या लघीयसी ।
विशाल परिवारस्य भरणे पीडितो जनः । Raghudash lokbuddhi class 8 sanskrit
अर्थ-जिस परिवार में बच्चों की संख्या कम होती है, वह छोटा परिवार सदा । प्रसन्न रहता है। उसे भरण-पोषण में कोई कठिनाई नहीं आती। लेकिन जो विशाल परिवार होता है, उसमें भरण-पोषण की समस्या सदा बनी रहती है।
देशेपि परिवारेषु जनसंख्यानियन्त्रणात ।
संसाधनानि सर्वेषां सुलभान्येव सर्वथा ॥
अर्थ-जनसंख्या पर नियंत्रण रखने से देश एवं परिवार में सर्वत्र वस्तओं की उपलब्धि आसानी से हो जाती है। तात्पर्य यह कि जब किसी देश या परिवार में लोगों की संख्या कम होती है तो कोई भी वस्तु कहीं भी आसानी से मिल जाती है। इसलिए किसी देश या परिवार के विकास के लिए नियंत्रित जनसंख्या का होना अनिवार्य होता है। Raghudash lokbuddhi class 8 sanskrit
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