इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 8 संस्कृत के कविता पाठ बारह ‘सदाचारः’ (Sadachar class 8 sanskrit)’ के अर्थ को पढ़ेंगे।
12. द्वादशः पाठः
सदाचारः
पाठ-परिचय–प्रस्तुत पाठ ‘सदाचारः’ में आदर्श व्यवहार के महत्व के विषय में कहा गया है। सदाचार शब्द सत् + आचार के योग से बना है। ‘सत्’ का अर्थ होता है-सज्जन तथा ‘आचार’ का अर्थ होता है-व्यवहार या आचार अर्थात् शिष्टतापूर्ण आचार (व्यवहार) को सदाचार कहा जाता है। जीवन में सदाचार का विशेष महत्व है, समाज में वही व्यक्ति सम्मान पाता है जिसका व्यवहार शिष्ट होता है । सदाचारी व्यक्ति की विशेषता होती है कि वह ईमानदार, सच्चा एवं मधुरभाषी, परिश्रमी तथा सहयोगी स्वभाव का होता है। दैनिक जीवन में ऐसे नियमों का पालन करने से व्यक्ति का महत्व तो बढ़ता ही है, साथ ही विकास भी होता है। इसलिए बच्चों को सदाचारी बनने का हर संभव प्रयास करना चाहिए।
नापृष्टः कस्यचिद् ब्रूयात् न चान्यायेन पुच्छतः ।
जानन्नपि हि मेधावी जडवल्लोकमाचरेत् ॥
अर्थ-किसी के पूछे बिना बोलना नहीं चाहिए। यदि कोई जबरदस्ती पूछता है तो भी __नहीं बोलना चाहिए । बुद्धिमान मनुष्य को चाहिए कि इस स्थिति में मूर्ख जैसा व्यवहार करें। Sadachar class 8 sanskrit
अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविनः ।
चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशो बलम् ।।
अर्थ– माता-पिता तथा गुरुजनों आदि को नमस्कार करने वाले और उनकी सेवा करने वाले की चार बातें बढ़ती हैं, यथा : आयु, विद्या, यश तथा बल।
वित्तं बन्धुर्वयः कर्म विद्या भवति पञ्चमी।
एतानि मान्यस्थानानि गरीयो यद् यदुत्तरम् ।।
अर्थ-धन, सगा-संबंधी, उम्र, कर्म और पाँचवीं चीज विद्या है। इनसे लोगों की प्रतिष्ठा बढ़ती है। इनमें एक के बाद दूसरा श्रेष्ठ होता है। जैसे-जैसे ये बढ़ते जाते हैं, उनकी श्रेष्ठता बढ़ती जाती है। Sadachar class 8 sanskrit
ब्राह्म मुहूर्ते बुध्येत स्वस्थो रक्षार्थमायुषः ।
शरीरचिन्तां निर्वर्त्य कृतनित्यक्रियो भवेत् ॥
अर्थ-व्यक्ति को स्वस्थ रहने के लिए सूर्योदय से पूर्व जागना चाहिए । नित्यक्रिया (शौचादि) पूरा करके किसी काम में लगना चाहिए। जो व्यक्ति ऐसा करता है, उसकी आयु बढ़ती है तथा वह किसी रोग का शिकार नहीं होता।
आचार्यश्च पिता चैव माता भ्राता च पूर्वजः ।।
नार्तेनाप्यवमन्तव्याः पुंसा कल्याणकामिना ॥
अर्थ-गुरु (शिक्षक), पिता, माता, भाई और पूर्वज कल्याण चाहने वाले होते हैं इसलिए किसी विवशता की स्थिति में भी व्यक्ति को उनका अपमान नहीं करना चाहिए।
विषादप्यमृतं ग्राह्यं बालादपि सुभाषितम् ।
अमित्रादपि सवत्तममेध्यादपि काञ्चनम् ॥
अर्थ-अच्छी वस्तुओं के उद्भव स्थान पर ध्यान नहीं देना चाहिए। जहर से अमृत ग्रहण करना चाहिए। इसी प्रकार यदि बच्चा सुन्दर वचन बोलता है तो उसे ग्रहण कर लेने में ही बुद्धिमानी है। दुश्मन भी यदि सदाचारी है तो उसे ग्रहण करने का प्रयास करना चाहिए तथा गंदे स्थानों पर भी सोना हो तो उठा लेना चाहिए।
सर्वलक्षणहीनोऽपि यः सदाचारवान् नरः ।।
श्रद्धावान् अनसूयश्च शतं वर्षाणि जीवति ॥
अर्थ-जो मनुष्य सभी लक्षणों से हीन होते हुए भी यदि आचरणवान, श्रद्धावान् हारहित है तो वह सौ वर्षों तक जीता है। तात्पर्य कि जो सदाचारी होता है, की प्रशंसा सभी करते हैं। ऐसा व्यक्ति सदा प्रसन्न रहता है। Sadachar class 8 sanskrit
सर्वेषामेव शौचानामर्थशौचं परं स्मृतम्।
योर्षे शुचिः स हि शुचिः न मृद्वारिशुचिः शुचिः ।।
अर्थ-जो धन से पवित्र है, वास्तव में वही पवित्र है। मिट्टी एवं जल पवित्र होते हुए भी अपवित्र हैं। इसीलिए पवित्रताओं में धन की पवित्रता को सबसे श्रेष्ठ कहा गया है।
Read more- Click here
Read class 9th sanskrit- Click here
Manglam class 8th Sanskrit arth YouTube- Click here