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Bihar Board Class 7 Social Science Ch 5 समनता के लिये महिला संघर्ष | Samanta ke Liye Mahila Sangharsh Class 7th Solutions

May 3, 2023 by Tabrej Alam Leave a Comment

इस पोस्‍ट में हमलोग कक्षा 7 सामाजिक विज्ञान के पाठ 5 समनता के लिये महिला संघर्ष (Samanta ke Liye Mahila Sangharsh Class 7th Solutions) के सभी टॉपिकों के बारे में अध्‍ययन करेंगे।

Samanta ke Liye Mahila Sangharsh Class 7th Solutions

5. समनता के लिये महिला संघर्ष

पाठ के अंदर आए प्रश्‍न तथा उनके अत्तर

प्रश्न 1. तालिका देखकर बताएँ कि किन कामों के लिए महिलाओं के चित्र ज्यादा संख्या में है और किन कामों के लिए पुरुषों के ।
उत्तर – तालिका में पुरुष अधिक संख्या में काम कर रहे हैं और महिलाएँ कम संख्या में ।

प्रश्न 2. ऊपर दिए गए कामों के अलावा ऐसे कौन से काम हैं, जो महिलाएँ पुरुषों की तुलना में ज्यादा करती हैं और कौन से काम महिला की तुलना में पुरुष ज्यादा करते हैं ? ऐसे 5-6 उदाहरण दें।
उत्तर- 1. वैज्ञानिक के काम में महिलाएँ अधिक हैं ।
2. ऊपर के चित्रों के अलावे घर के अन्दर के काम में महिलाएँ पुरुषों की तुलना में अधिक करती हैं जैसे— (i) घर की साफ-सफाई, (ii) पानी लाना, (iii) भोजन बनाना, (iv) भोजन परोसना तथा (v) बर्तन साफ करना ।
घर से बाहर के काम महिलाओं की तुलना में पुरुष अधिक करते हैं । जैसे (i) खेत कोड़ना, (ii) सिंचाई के लिये कुएँ से पानी निकालना, (iii) शहर में जाकर व्यापार करना, (iv) कारखानों में काम करना, (v) घर के बाहर के काम करना

क्या महिलाएँ योग्य नहीं ?

रीता मैडम की कक्षा में तीस बच्चे हैं । उन्होंने अपनी कक्षा में इसी तरह का अभ्यास कराया और परिणाम इस प्रकार रहे :

प्रश्न 1. आपके ख्याल से वे काम, जिन्हें आमतौर पर पुरुष करते हैं, क्या महिलाएँ नहीं कर सकती हैं ? और जो कम आमतौर पर महिलाएँ करती हैं, क्या पुरुष नहीं कर सकते ? चर्चा करें। ऐसा बँटवारा क्यों है ? इसका उनके जीवन पर किस तरह का प्रभाव पड़ता है ? ( पृष्ठ 34 )
उत्तर – मेरे ख्याल से वे काम जिन्हें आमतौर पर पुरुष करते हैं उन्हें महिलाएँ भी कुशलता के साथ कर सकती हैं। और जो काम आम तौर पर महिलाएँ करती हैं उन्हें पुरुष भी कर सकते हैं । तात्पर्य कि कोई भी काम जो पुरुष कर सकता है व महिला भी कर सकती है, और जो काम महिला कर सकती है वह पुरुष भी कर सकता है।
कोई खास काम केवल पुरुष करेगा और कोई खास काम केवल महिला करेगी — यह हमारी परम्परागत सोच का परिणाम है। कारण कि सदा से यही होता चला आया है। लेकिन अब समय बदल गया है। अब महिलाएँ भी योग्यता प्राप्त कर ऊँचे-ऊँचे पदों पर काम करने लगी हैं । होटलों में पुरुष ही भोजन बनाते और खिलाते हैं। अब
कोई काम किसी के लिये आरक्षित नहीं है। महिलाएँ पंचायत से लेकर लोक सभा तक में जाने लगी हैं। प्रधानमंत्री तक का पद महिलाएँ सुशोभित कर रही हैं । सुचेता कृपलानी उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री थीं तो इन्दिरा गाँधी देश की प्रधान मंत्री थीं ।

प्रश्न 2. भारत में 83 प्रतिशत ग्रामीण महिलाएँ खेतों में काम करती हैं । उनके कामों में बिचड़े (पौधे रोपना, निकौनी करना (खर-पतवार निकालना), फसल काटना, धान की पिटाई करना है । अरहर, मटर, चना, सरसों, तीसी आदि को पीट झाड़कर दाने अलग करना आदि महिलाएँ ही करती हैं । कटे अनाज के बोझों को ढोकर खलिहान में पहुँचाना, ओसौनी करना जैसे अनेक काम महिलाएँ बखूबी करती हैं। फिर भी जब किसान के बारे में सोचते हैं तो हम एक पुरुष के बारे में ही सोचते हैं ? ऐसा क्यों ? शिक्षक के साथ चर्चा करें ।   ( पृष्ठ 44 )
उत्तर — ऐसा क्यों पर यदि हम विचार करें तो यह हमारी सोच का फर्क है ‘किसान’ शब्द सुनते ही हमारे मन में हल चलाना, कुदाल से खेत कोड़ना और कुआँ से पानी निकालना आदि आ जाता है। इसी कारण किसान के रूप में पुरुष ही लोगों के दिमाग में आ जाता है। जबकि खेतों में तीन-चौथाई से अधिक काम महिलाएँ ही करती हैं ।
किसान के रूप में हमारी एक सोच और भी है । किसान पर लेख लिखते समय अधिकांश लेखक किसान का वर्णन करते हुए यही लिखते हैं कि किसानों की हालत काफी दयनीय है। वे जाड़ा हो या गरमी या हो बरसात – हर मौसम का मुकाबला करते हुए उसे खेतों में खटना पड़ता है । वह सदा कर्ज में डूबा रहता है । कर्ज में ही उसका जन्म होता है और अपने वारिसों पर वह कर्ज छोड़कर ही मर जाता है।
लेकिन यहाँ लोग किसान और मजदूर में अंतर नहीं समझते । भारत में अमिताभ बच्चन जैसे किसान भी है। ग्रामीण क्षेत्रों के कुछ किसान ऐसे हैं जो मोटर कार मैंटल करते हैं। वास्तव में किसान का वर्णन करते हुए हम मजदूर का वर्णन कर देते हैं और यही चलन में भी है ।

प्रश्न 1. गुड़िया और पूजा क्या चाहती थीं और इसे पूरा करने के लिये उन्होंने क्या किया ? ( पृष्ठ 44 )
उत्तर – गुड़िया और पूजा दोनों पढ़ना चाहती थीं। इसे पूरा करने के लिए उन्होंने निम्नलिखित काम किया :

गुड़िया — गुड़िया दिलोजान से पढ़ना चाहती थी। लेकिन उसके पिता उसे पढ़ाना नहीं चाहते थे। एक दिन मौका देख वह घर से भाग चली और 13 किलोमीटर पैदल चलकर रोहतास जिले के नोखा अवस्थित उत्प्रेरण केंद्र में पहुँच गई। उसने वहाँ अपना नामांकन करा लिया। यह उत्प्रेरण केन्द्र एक आवासीय विद्यालय है । उसके अभिभावक इसे दो दिनों बाद जान सके । उसके पिता उसे वहाँ से वापस घर ले जाना चाहते थे। लेकिन गुड़िया इसके लिये राजी नहीं हुई । गुड़िया के पिता को समाज के बंदिशों का डर था । लेकिन गुड़िया की जिद्द ने बंदिश को तोड़ दिया। अब गाँव की अन्य लड़कियाँ भी स्कूल जाने लगीं। लोगों में लड़कियों को पढ़ाने के प्रति रुचि जागृत हो गई ।

पूजा — पूजा पूर्णिया जिले के एक गरीब घर की लड़की है । वह रोज अपने उम्र की लड़कियों को विद्यालय आते-जाते देखती थी । उसके मन में भी पढ़ने की उत्कंठा जग गई । लेकिन उसके पिता उसे विद्यालय भेजना नहीं चाहते थे । कारण कि वह घर का काम संभालती थी। घर का काम पूरा कर वह विद्यालय जाने लगी उसके माता-पिता बहुत दिन बाद जान सके कि वह चोरी-छिपे विद्यालय जाया करती है। उसके पिता उसकी पढ़ाई रोकवाना चाहे, किन्तु उसने समझा-बुझा कर उनको राजी कर लिया और अपनी पढ़ाई जारी रखी। अंततः उसके पिता को विद्यालय में उसका नामांकन करवाना पड़ा। इसी को कहते हैं “जहाँ चाह वहाँ राह।”

प्रश्न 2. अपने आस-पास के कुछ महिलाओं से बात करके इनके अनुभव लिखिए। उन्होंने स्कूल की पढ़ाई कहाँ तक की ? उन्हें किन समस्याओं का सामना करना पड़ा और किस तरह का उन्हें प्रोत्साहन मिला ? (पृष्ठ 46 )
उत्तर— मेरे पड़ोस की एक महिला प्राथमिक विद्यालय में शिक्षिका हैं। उनसे मैंने पूछा कि आप किस वर्ग तक पढ़ी हैं। उन्होंने बताया कि मैं बारहवीं कक्षा तक पढ़ी हूँ और आगे की पढ़ाई चूँकि शहर में रहकर करनी पड़ती, लेकिन मेरे अभिभावक इसके लिये तैयार नहीं हुए। शुरू में तो वे मुझे प्राथमिक पाठशाला में भी नहीं जाने देना चाहते थे, लेकिन विद्यालय के एक शिक्षक के समझाने पर वे मान गये । मुझ पर खास ख्याल रखते थे । विद्यालय में पाँचवे वर्ग तक की ही पढ़ाई होती थी । लेकिन शीघ्र ही उस विद्यालय को प्रोन्नत कर सरकार ने वर्ग 8 तक कर
शिक्षक वे दिया । धीर-धीरे मैं आठवें वर्ग तक पहुँची । अब आगे की पढ़ाई के लिये मुझे घर से 7 किलोमीटर दूर द्वादशीय विद्यालय में जाना पड़ता । इसी बीच बिहार सरकार ने लड़कियों के लिये साइकिल योजना लागू कर दी। मैंने आठवीं पासकर वहाँ वर्ग 9 में नाम लिखा लिया और मुफ्त में मिली साइकिल से विद्यालय जाने लगी। वहीं से मैंने 12वीं कक्षा की परीक्षा दी और पास कर गई। साइकिल मिल जाने से मुझे बहुत प्रोत्साहन मिला। उसी का फल है कि आज मैं प्राथमिक पाठशाला में शिक्षिका हूँ ।

प्रश्न 3. शाहुबनाथ को बस चालक बनने के लिए कठिनाइयाँ क्यों आईं ? शिक्षक के साथ चर्चा करें । ( पृष्ठ 46 )
उत्तर—शाहुबनाथ यद्यपि दक्षतापूर्वक बस चला लेती थी, लेकिन यात्रियों को उसकी दक्षता पर विश्वास नहीं होता था । इसके अलावे उसे अपने अधिकारियों कों भी अपनी दक्षता के लिये संतुष्ट करना आवश्यक था। महिला चालक को देखकर टिकटधारी यात्री भी बस से उतर जाते थे। एक बार तो उसे मात्र एक यात्री को लेकर बस को गंतव्य तक ले जाना पड़ा। इतने पर भी शाहुबनाथ निराश नहीं हुई । धीरे-धीरे यात्रियों का विश्वास बढ़ता गया और क्रमशः यात्रियों की संख्या बढ़ती गई। अब वह एक दक्ष बस चालिका के रूप में प्रसिद्ध हो चुकी हैं ।

प्रश्न 1. पृष्ठ 48 की बायीं ओर के चित्र में क्या दिख रहा है ? ( पृ० 48 )
उत्तर — इस चित्र में मुझे दिख रहा है कि बड़ी संख्या में महिलाएँ शराब विरोधी आंदोलन में जुट गई हैं। अभी वे धरना कार्यक्रम चला रही हैं। झारखंड राज्य के अनेक गाँवों में अभी हाल में ही झाडू लेकर प्रदर्शन कर चुकी हैं। महिलाएँ नहीं चाहतीं कि पुरुष शराब पीयें। एक तो ये अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा शराब पर खर्च कर देते हैं और घर आकर नशे की हालत में औरत – बच्चों को मारते-पीटते हैं। घर में अनाज नहीं रहता लेकिन वे शराब पर खर्च अवश्य करते हैं । इसी कुप्रथा को वे रोकना चाहती हैं।

प्रश्न 2. क्या आपके इलाके मैं ऐसी समस्या है ? ( पृष्ठ 48 )
उत्तर — हाँ, मेरे गाँव के किसी-किसी टोले में ऐसी समस्या है। पति रात में पीकर आता है और घर में हो-हल्ला मचाता है । कभी-कभी उन्हें सड़क पर भी गिरते हुए देखा गया है । वास्तव में इस पर रोक का कोई उपाय होना चाहिए ।

प्रश्न 3. पृष्ठ 48 के नीचे दाहिनी ओर की औरतें ऐसा क्यों कर रही हैं ? शिक्षक के साथ चर्चा करें।  ( पृष्ठ 48 )
उत्तर — इस चित्र में ‘चिपको आन्दोलन’ का एक दृश्य दिखाया गया है । चिपको आन्दोलन की शुरुआत राजस्थान से हुई थी । वहाँ का राजा अपना भवन बनवाने के लिए ‘खिजड़ी’ के पेड़ कटवाना चाहता था। लेकिन विश्नोई जाति के लोग खिजड़ी पेड़ को पूज्य मानते हैं । उन्होंने चिपको आन्दोलन चलाया। होता यह था कि लोग, खास कर महिलाएँ पेड़ा से चिपक जाती थीं और पेड़ काटने नहीं देती थीं । अन्त मं राजा को उनकी बात माननी पड़ी और पेड़ कटने से बच गए।
अभी हाल में टिहड़ी बाँध बनने के समय बहुगुणा जी ने चिपको आन्दोलन चलाया, क्योंकि बाँध के बनने से बहुतेरे वन्य वृक्ष नष्ट हो जाने वाले थे। लेकिन उनका आन्दोलन असफल रहा और सरकार ने बाँध बना दिया। बाँध के पीछे एकत्र पानी में कितने गाँव डूब गए, जंगल के जंगल सूख गये। गंगा में पानी की कमी भी खलने लगी है।

प्रश्न 1. पृष्ठ 49 पर दिखाए गये पोस्टर द्वारा क्या कहने की कोशिश की जा रही है ? ( पृष्ठ 49
उत्तर – पृष्ठ 49 पर के पोस्टर में ‘लिंग जाँच विरोधी आंदोलन’ का दृश्य दिखाया गया है। इधर हाल में एक परम्परा चल पड़ी है कि बच्चियों के विवाह पूर्व लिंग जाँच कराई जाती है। उद्देश्य यह जानना होता है कि इस लड़की में म बनने की क्षमता है या नहीं। लेकिन समाज इसे आसानी से स्वीकार नहीं कर रहा है । इसी के विरोध में औरतें प्रदर्शन कर रही हैं। वास्तव में यह एक घिनौना कार्य है । इसपर रोक लगना ही चाहिए। लड़की वालों को ऐसे लड़के वालों से साफ जवाब दे देना चाहिए कि आपके यहाँ मुझे सम्बंध नहीं बनाना है

अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. आपके विचार से महिलाओं के बारे में यह प्रचलित धारणा है कि पुरुषों के समान वे कार्य नहीं कर सकती हैं। आपके विचार से यह महिलाओं के अधिकार को कैसे प्रभावित करता है ।
उत्तर – मेरे विचार से महिलाओं के बारे में यह प्रचलित धारणा कि पुरुषों के समान वे कार्य नहीं कर सकती, उनके प्रति सरासर अन्याय है। यह महिलाओं की कार्य क्षमता को कुप्रभावित करने वाला विचार है। इससे उनकी क्षमता का शोषण होता है। सब तरह से योग्य होने के बावजूद उन्हें कुंठा का जीवन व्यतीत करना पड़ता है। इसका दोषी समाज तो है ही, परिवार के सदस्यों का भी कम दोष नहीं है, खासकर बिहारी परिवारों का ।

प्रश्न 2. महिला अंदोलन द्वारा अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिये किये जाने वाले किन्हीं दो प्रयासों का उल्लेख करें ।
उत्तर—बहुत पहले से महिलाओं ने अपने पक्ष में आदोलन चलाया है और सफलता पायी है। अभी तत्कालिक महिला आन्दोलनों में दो प्रमुख आन्दोलन है- (क) घरेलू हिंसा के खिलाफ आन्दोलन तथा (ख) शराब विरोधी आन्दोलन ।
(क) घरों में बहुओं को तरह-तरह से सताया जाता है। उन्हें मार-पीटकर शारीरिक चोट तो पहुँचाई हो जाती है, मानसिक यातनाएँ भी दी जाती है। महिलाओं ने इसपर रोक के लिये आंदोलन छेड़ रखा हैं। सरकार को इस ओर ध्‍यान देना चाहिए ।
(ख) शराब के चलते कितने घर बरबाद हो चुके हैं। शराब के नशे में पत्नी और बच्चों को मारना पीटना आम बात सी है। आमदनी का अधिकांश शराब पर ही खर्च कर दिया जाता है । फलतः परिवार में खाने को लाले पड़े रहते हैं । पति शराब के नशे में रात को घर पहुँचता है और भोजन माँगता है। अब पत्नी कहाँ से खाना दे ? कारण कि पति घर में तो कुछ लाता नहीं । अतः शराब विरोधी आन्दोलन को भी महिलाओं ने चला रखा है ।

प्रश्न 3. समाज में महिलाओं की स्थिति में सुधार लाने के लिये कौन- कौन से कदम उठाये जा सकते हैं ? उल्लेख करें ।
उत्तर- समाज में महिलाओं की स्थिति में सुधार लाने के लिये निम्नलिखित कदम उठाये जा सकते हैं।
(i) पाँच-छः वर्ष की अवस्था से ही बच्चियों को स्कूल भेजा जाय ।
(ii) माँ-बाप को चाहिए कि घर के काम वे स्वयं निबटा लें और शिशुओं को आँगनबाड़ी में दे दें ।
(iii) लड़कियों की इच्छा का अध्ययन किया जाय कि बड़ा होकर वे क्या करना चाहती हैं। उन्हें आगे बढ़ने से रोका नहीं जाय ।
(iv) यह बिल्कुल नहीं सोचा जाय कि लड़कियाँ वे सब काम नहीं कर सकतीं, जो पुरुष करते हैं। आज लड़कियाँ सभी काम कर लेती हैं ।
(v) लड़कियों और लड़कों में कोई भेद न किया जाय ।

प्रश्न 4. किसी ऐसी महिला की कहानी लिखें, जिसने अपनी इच्छा की पूर्ति के लिए विशेष प्रयास किया हो ?
उत्तर — मुनिया रोजदारी पर काम करने वाले एक मजदूर की पुत्री थी । उसकी माँ कई घरों में दाई का काम करती थी । मुनिया जब तीन वर्ष की थी। तभी से उसमें पढ़ने की लालसा जग गई थी। जब वह पाँच वर्ष की हुई तो स्कूल जाने की जिद्द करने लगी। उसकी माँ ने समझाया कि तुम स्कूल चली जाओगी तो तुम्हारे छोटे भाई की देखभाल कौन करेगा। इस पर एक पड़ोसी ने बताया कि इसके छोटे भाई को आँगनबाड़ी के हवाले करती रहो। इस प्रकार मुनिया के माता-पिता काम पर चले जाते थे और मुनिया स्कूल चली जाती थी तब मुनिया का छोटा भाई जो दो वर्ष का था, आँगनबाड़ी में रखा जाने लगा ।
निकट के मध्य विद्यालय के वर्ग 1 में मुनिया का नामांकन हो गया । मुनिया पढ़ने लगी। पढ़ने में वह इतना तेज थी कि वर्ग 3 को पास करते ही उसे वार्षिक वजीफा मिलने लगा । आठवें वर्ग में उसने जिले में प्रथम स्थान प्राप्त किया। अब वह वर्ग 9 की छात्रा थी । द्वादशीय विद्यालय पास करने के बाद उसने कालेज में दाखिला ले लिया। अपने कॉलेज का खर्च चलाने के लिए ट्यूशन पढ़ाने लगी। कुछ पुस्तकें तो वह खरीद लेती थी और कुछ लाइब्रेरी से लेकर पढ़ लेती थी। बी. ए. करने
के बाद वह बी. पी. एस. ई. प्रतियोगिता में बैठी और अब वह बिहार सरकार के अफसर रैंक में नियुक्ति प्राप्त कर ली है। उसकी उन्नति से उसके माता-पिता फूले नः समाते थे । उसका विवाह भी एक अफसर से हो गया ।
इस प्रकार हम देखते हैं कि अपनी लगन और मेहनत से मुनिया अब मुनि कुमारी (बिहार प्रशासनिक सेवा) बन गई। अपने भाई को भी उसने पढ़ा लिया ।

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