Bihar Board Class 7 Social Science Ch 3 शिक्षा एवं स्‍वास्‍थ्‍य के क्षेत्र में सरकार की भुमिका | Siksha Ewam Sawasth ke Kshetra me Sarkar ki Bhumika Class 7th Solutions

इस पोस्‍ट में हमलोग कक्षा 7 सामाजिक विज्ञान के पाठ 3 शिक्षा एवं स्‍वास्‍थ्‍य के क्षेत्र में सरकार की भुमिका (Siksha Ewam Sawasth ke Kshetra me Sarkar ki Bhumika Class 7th Solutions) के सभी टॉपिकों के बारे में अध्‍ययन करेंगे।

Laboratory of renewable energy. Student Working on electricity circuit board.

3. शिक्षा एवं स्‍वास्‍थ्‍य के क्षेत्र में सरकार की भुमिका

पाठ के अंदर आए प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. अनुप्रिया एवं उसकी सहेलियाँ क्यों परेशान थीं, उन सबकी परेशानी कैसे दूर हुई ?  ( पृष्ठ 27 )
उत्तर – अनुप्रिया एवं उसकी सहेलियाँ इसलिए परेशान थीं कि अभी तो वे वर्ग 8 में हैं। जिस स्कूल में वे पढ़ती हैं वह उनके घर से अधिक दूर नहीं है, लेकिन  उसमें मात्र वर्ग 8 तक की पढ़ाई ही होती है। वे आगे भी अपनी पढ़ाई जारी रखना नाहती हैं, लेकिन उच्च विद्यालय उनके घर से काफी दूर है। रोज वहाँ आना-जाना उनके लिए कठिन था । यही कारण था कि उनके गाँव की लड़कियाँ वर्ग 8 तक ही पढ़ पाती थीं । चाहकर भी वे आगे की पढ़ाई जारी नहीं रख पाती थीं ।
इसी बीच राज्य सरकार की साइकिल योजना आ गई। इसके तहत वर्ग 9 में पढ़ने वाली लड़कियों को मुफ्त में साइकिल दी जाने लगी। वर्ग 8 पास कर अनुप्रिया और उसकी सहेलियों ने वर्ग 9 में नामांकन करा लिया। उन्हें साइकिल भी मुफ्त में मिल गई। अब वे नित्य साइकिल से स्कूल आने-जाने लगी। साइकिल योजना से उन्हें आगे ही पढ़ाई जारी रखने में काफी सहुलियत हुई ।

प्रश्न 2. लड़कियों को शिक्षा ग्रहण करने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है । ऐसा क्यों ? कारण सहित लिखें ।   ( पृष्ठ 27 )
उत्तर – लड़कियों को शिक्षा ग्रहण करने में मुख्य कठिनाई विद्यालयों और महाविद्यालयों की कमी है। उच्च माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक तक तो वे जैसे- तैसे पढ़ाई पूरी कर लेती हैं। लेकिन महाविद्यालयों और तकनीकी विद्यालयों की राज्य में काफी कमी है। लड़कियाँ घर छोड़ अकेले अन्य राज्यों में जा नहीं सकती। बाहर जाने पर भी नामांकन में बहुत धक्का-मुक्की है। यदि लड़कियों को आगे तक की शिक्षा देनी है तो सरकार को महाविद्यालयां और तकनीकी महाविद्यालयों की अधिकाधिक व्यवस्था करनी होगी। जो अभी हैं, उनमें सीटों की संख्या बढ़ानी होगी ।

प्रश्न 3. आपकी समझ से ऐसी क्या व्यवस्था हो सकती है, जिससे लड़कियों को शिक्षा प्राप्त करने में परेशानी नहीं हो । ( पृष्ठ 27 )
उत्तर – देश में लगातार जनसंख्या बढ़ते जाने के अनुपात में विद्यालयों, महाविद्यालयों की संख्या नहीं बढ़ पाती । शिक्षण संस्थाओं की कमी लड़कियों को शिक्षा प्राप्ति में परेशानी होने लगी है। लड़कों की तरह लड़कियाँ इस राज्य और उस राज्य में दौड़-धूप नहीं कर सकतीं। इस प्रकार हम देखते हैं कि शिक्षण संस्थाओं की वृद्धि से ही लड़कियों की परेशानी दूर हो सकती है ।

प्रश्न 1. सुमित की चिंता का क्या कारण था ? यदि सुमित की जगह आप होते तो आपके मन में क्या-क्या विचार आते ? चर्चा करें । ( पृष्ठ 28 )
उत्तर – सुमित की चिंता का कारण यह था कि सत्र का एक चौथाई समय गुजर चुका और अभी तक उसे पुस्तकें प्राप्त नहीं हो पाई हैं। वैसे तो पुस्तकें इसे मुफ्त में मिलनी हैं, इसके बावजूद वह चाहता था कि बाजार से ही पुस्तकें खरीद लें। लेकिन सरकार ने वर्ग । से वर्ग 8 तक की पुस्तकों की बाजार में बिक्री पर रोक लगा रखी है। उसका दावा है कि वर्ग 1 से 8 तक की पुस्तकें वह मुफ्त में ही देगी । लेकिन इसके अफग़र सरकार की इस मंशा को पूरा होने देना नहीं चाहते। यह तो जाँच का विषय है कि सरकार पता करे कि पुस्तकें छापने और वितरण में विलम्ब क्यों किया जाता है
यदि मैं सुमित की जगह होता तो अपने क्षेत्र के विधायक से मिलता और उनसे कहता कि ये विधान सभा में प्रश्न करें कि पुस्तकों को छापने और वितरण में विलम्ब क्यों हो रहा है ।

प्रश्न 2. आपको समय पर किताब नहीं मिलने की स्थिति में प्रधानाध्यापक ने क्या प्रयास किया ?  ( पृष्ठ 28 )
उत्तर —समय पर किताबें नहीं मिलने की स्थिति में जिला के शिक्षा पदाधिकारी से लेकर सबडिविजन के शिक्षा पदाधिकारी तक दौड़ लगाते-लगाते थक जाते हैं । समय तो बर्बाद होता ही है, आने-जाने का खर्च भी उनको ही वहन करना पड़ता है । जब किताबें समय पर छपती ही नहीं तो कोई क्या कर सकता है ?

प्रश्न 3. मध्याह्न भोजन योजना, पोशाक योजना, भवन निर्माण योजना, आँगनबाड़ी केन्द्र इत्यादि योजनाओं के विषय में शिक्षकों से चर्चा करें कि आखिर इनकी जरूरत क्यों है ?  ( पृष्ठ 28 )
उत्तर – मध्याह्न भोजन योजना इसलिए आवश्यक है कि गरीब लड़के कम- से-कम एक शाम भोजन के लालच से स्कूल से जुड़ जाएँगे। स्कूल में ही भोजन मिल जाने से मज़दूरीन माँ को काम छोड़कर स्कूल में भोजन पहुँचाने से निजात मिलेगी। बहुतेरे लड़के दोपहर में भोजन की छुट्टी मिलने पर दोबारे स्कूल आते ही नहीं । इन्हीं समस्याओं को दूर करने के लिए मध्याह्न भोजन योजना नितांत जरूरी है
पोशाक योजना दो करणों से जरूरी है। पहला कारण है कि गरीबी के कारण बच्चे फटे-निटे गंदे कपड़े पहनकर स्कूल आने को बाध्य होते हैं। पोशाक योजना लागू होने से इस समस्या से निजात मिलेगा। सभी बच्चों के शरीर पर एक तरह की पोशाक होने से बच्चों में धनी गरीब का कोई भेद नहीं होगा। एक तरह की पोशाक और एक पंक्ति में बैठकर भोजन करने से उनमें बराबरी की भावना का विकास होगा ।
भवन निर्माण योजना इसलिए आवश्यक है कि अच्छा भवन रहने पर ही शिक्षक मन लगाकर पढ़ा सकते हैं और छात्र मन लगाकर पढ़ सकते हैं। जीर्ण- शीर्ण भवन या बरसात में चूने वाले भवनों में उचित ढंग से पढ़ाई नहीं हो सकती ।
आंगनबाड़ी योजना भी नितांत आवश्यक है । वह इसलिये कि बच्चों के माता- पिता जब काम पर चले जाते हैं तो स्कूल जाने योग्य बच्चों को घर के अन्य छोटे भाई-बहनों की देखभाल की जिम्मेदारी निभानी पड़ती है। आंगनबाड़ी योजना को लागू होने से छोटे बच्चे आंगनबाड़ी में रख दिये जाते हैं और स्कूल जाने योग्य बच्चे स्कूल जाते हैं। इससे गाँव या नगर के सर्वेसर्वा बच्चे स्कूल जाने लगते हैं ।

प्रश्न 4. क्या आप अपने विद्यालय की पढ़ाई व्यवस्था से संतुष्ट हैं ? अपने विचार लिखें ।  ( पृष्ठ 28 )
उत्तर— नहीं, मैं अपने विद्यालय की पढ़ाई व्यवस्था से संतुष्ट नहीं हूँ । कारण कि छात्र तो विद्यालय आते हैं लेकिन शिक्षक विद्यालय में रोज नहीं आते । प्रधानाध्यापक महोदय को सदैव सरकारी कार्यों से बाहर ही रहना पड़ता है । कभी- कभी तो एक शिक्षक के सहारे ही सारे विद्यालय को रहना पड़ता है। जनगणना हो या निर्वाचक सूची बनानी हो, सभी में हमारे विद्यालय के शिक्षकों को ही लगना पड़ता है । इससे हम सब की पढ़ाई बाधित होती है ।

पृष्ठ 29 के नीचे के तारांकित अंश पर प्रश्न :    ( पृष्ठ 30 )

प्रश्न 1. ये दोनों स्थितियाँ क्यों उत्पन्न होती है ? इनके पीछे क्या-क्या कारण है ?
उत्तर—ये दोनों स्थितियाँ इसलिये उत्पन्न होती हैं, क्योंकि बिहार राज्य में सभी गर्भवती महिलाओं को संतुलित और पुष्टिकर आहार नहीं मिल पाता। संतुलित और पौष्टिक भोजन नहीं मिलने के कारण इसका सीधा असर गर्भ में पल रहे बच्चे पर पड़ता है । माँ भी स्वस्थ नहीं रह पातीं। इसका सीधा परिणाम बच्चों के वजन पर पड़ता है । ऐसी स्थिति में बच्चों का वजन कम होगा ही । वजन कम होने के कारण बच्चे शीघ्र ही किसी-न-किसी बीमारी के चंगुल में फंस जाते हैं और उनकी मृत्यु हो जाती है । यदि इनकी माताएँ उचित भोजन करतीं तो ऐसी हादसा रोकी जा सकती थी ।

प्रश्न 2. इन दोनों स्थितियों में बच्चों और औरतों को कैसे बचाया जा सकता है ?
उत्तर—इन दोनों स्थितियों में बच्चों और औरतों को बचाने के दो ही उपाय हैं। पहला पौष्टिक भोजन के विषय में उन्हें बताया जाय कि केवल महँगे भोजन ही पौष्टिक नहीं होते । गाँवों में मिलने वाले साग-पात और फल मूल भी पौष्टिक होते हैं। भोजन में सस्ती दालों और छोटी मछलियों की मात्रा बढ़ाई जाय । बकरी पालकर उनका दूध भी व्यवहार किया जा सकता है। दूसरी ओर सर्वत्र स्वास्थ्य सेवाएँ बढ़ाई जाएँ । गर्भाधान के बाद से ही गर्भवती स्त्रियों के स्वास्थ्य की जाँच की व्यवस्था की जाय । शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टरों की संख्या बढ़ाई जाय ।

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अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. सबके लिए स्वास्थ्य की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए सरकार कौन-कौन से कदम उठा सकती है ? चर्चा करें ।
उत्तर- सबके लिये स्वास्थ्य की सुविधा उपलब्ध कराने के क्रम में सरकार को चाहिए कि प्रत्येक गाँव में ‘स्वास्थ्य केन्द्र’ तथा चार-पाँच गाँवों को मिलाकर एक प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, प्रखंड स्तर पर रेफरल अस्पताल तथा जिलों में जिला – अस्पताल की व्यवस्था हो । उन स्थानों पर प्रशिक्षित डॉक्टर और नर्स तथा दाई हो । जिला अस्पतालों में पर्याप्त डाक्टर, नर्स, कम्पाउंडर तथा पर्याप्त बिस्तर की उपलब्धता हो । अस्पतालों में आधुनिक जाँच उपकरण तथा पर्याप्त दवाइयाँ उपलब्ध रहें । जहाँ तक हो सके गाँवों में लोगों को संतुलित आहार देने की व्यवस्था हो । यह व्यवस्था कैसे हो इसका निर्णय सरकार करे ।

प्रश्न 2. शिक्षा की स्थिति बेहतर करने के लिये सरकार की क्या भूमिका होनी चाहिए ?
उत्तर— शिक्षा की स्थिति बेहतर करने के लिये सरकार की पहली भूमिका होनी चाहिए कि वह विद्यालय भवनों की स्थिति ठीक-ठाक रखे। साल-बेसाल विद्यालय भवन की मरम्मती और सफाई-पोताई होती रहे ।
सरकार ग्राम पंचायत के जिम्मे लगाए कि गाँव के सभी बच्चे विद्यालयों से जुड़ सकें । हर विद्यालय में शिक्षकों की पर्याप्त संख्या रहे । उनका वेतन समय पर मिल जाया करे। शिक्षकों को पढ़ाई कार्य के अलावा किसी अन्य काम में नहीं लगाया जाय । विद्यालय निरीक्षक सदैव विद्यालयों का निरीक्षण करते रहे । पोशाक योजना की रकम समय पर पहुँच जाय । मध्याह्न भोजन का अन्न खाने योग्य हो । भोजन बनाने में सफाई का ध्यान रखा जाय । स्कूल के बच्चों को भोजन के साथ स्वच्छ पेय जल भी मुहैया कराया जाय ।

प्रश्न 3. सर्वे क्यों किया जाता है। आपने इस पाठ में दिये गए सर्वे से क्या समझा ?
उत्तर—किसी विषय विशेष की स्थिति का पता करने के लिये सर्वे किया जाता है ।
इस पाठ में दिए गए सर्वेक्षण से हमारी समझ बनती है कि बच्चे किन-किन कारणों से विद्यालय नहीं जा पाते । यदि गये भी तो बीच में हीं उन्होंने अपनी पढ़ाई क्यों छोड़ दी । कितने बच्चे बाल मजदूरी के लिये मजदूर हुए। किन कारणों से बच्चों को विद्यालय जाने की जगह मजदूरी पर जाना पड़ गया।

प्रश्न 4. एक ही उम्र के बच्चे जो सरकारी स्कूल, निजी स्कूल य अन्य किसी स्कूल में पढ़ते हैं, उनसे बातचीत करके पता करें कि इन स्कूलों में क्या समानता और क्या अन्तर है ?
उत्तर- प्रश्न में बताए गए स्कूलों के समान उम्र के बच्चों से बातचीत की गई । बातचीत से जो निष्कर्ष निकला वह निम्नांकित है :
सरकारी स्कूल के भवन अच्छे नहीं है जबकि निजी स्कूल के भवन अधिकतर पक्के और सुन्दर हैं । सरकारी स्कूल में बच्चों को बैठने की उचित व्यवस्था नहीं है लेकिन निजी स्कूल में वर्ग 1 से ही बेंच और डेस्क की व्यवस्था है। सरकारी स्कूल के शिक्षकों के अपेक्षा निजी स्कूलों के शिक्षक पढ़ाने में अधिक दिलचस्पी लेते हैं। सरकारी स्कूल के बच्चे सामान्यतः निजी स्कूल के बच्चों की अपेक्षा कुछ मंद होते हैं । सरकारी स्कूलों में मध्याह्न भोजन मुफ्त मिलता है, जबकि निजी स्कूल के
बच्चे मध्याह्न भोजन अपने घर से लाते हैं । इन दोनों स्कूलों के अलावे कुछ ऐसे स्कूल भी हैं जो किसी समाजसेवी व्यक्ति द्वारा चलाये जाते हैं । वहाँ की पढ़ाई भी एक हद तक सरकारी स्कूलों की अपेक्षा अच्छी ही होती है। 

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