BSEB Class 8 Social Science Chapter 5. शिल्‍प एवं उद्योग | shilp udyog class 8th history solutions

Bihar Board Class 8 Social Science शिल्‍प एवं उद्योग (shilp udyog class 8th history solutions) Text Book Questions and Answers

shilp udyog class 8th history solutions

5. शिल्‍प एवं उद्योग
अध्याय में अंतर्निहित प्रश्न और उनके उत्तर

प्रश्न 1. जामदानी बुनाई वाले कपड़े महँगे क्यों होते थे ? इसका उपयोग सिर्फ रजवाड़े परिवार के लोंग ही क्यों करते थे ? (पृष्ठ 75)
उत्तर- जामदानी कपड़े बुनने में बारीक सूत तथा सोने के महीन तार का उपयोग होता था । उसके डिजाइन में सोना ही लगता था । इस कारण वह महँगा होता था ।
महँगा होने के कारण उसका क्रय और उपयोग धनीमानी लोग तथा रंजवाड़े परिवार के लोग ही करते थे ।

प्रश्न 2. मुक्त व्यापार नीति क्या थी ? (पृष्ठ 76)
उत्तर – मुक्त व्यापार नीति का तात्पर्य था कि भारतीय व्यापार पर से ईस्ट इंडिया कम्पनी का एकाधिकार समाप्त हो गया। अब इंग्लैंड का कोई भी व्यापारी या व्यक्ति भारत के साथ स्वतंत्र रूप से व्यापार कर सकता था ।

प्रश्न 3. उद्योग में लगे हुए भारतीय कारीगर उद्योग को छोड़ कृषि के तरफ क्यों मुड़ गये । (पृष्ठ 78)
उत्तर – उद्योग में लगे हुए भारतीय कारीगर कोई शौक से कृषि के तरफ नहीं मुड़े, बल्कि उद्योगों के बन्द हो जाने की स्थिति में उन्हें कृषि की ओर मुड़ना पड़ा। अंग्रेजों की आर्थिक नीतियों ने भारतीय शिल्प उद्योग को ध्वस्त कर दिया। फलतः कारीगर कृषि मजदूर बन गये ।

प्रश्न 4. नि: औद्योगीकरण का क्या अर्थ है ? (पृष्ठ 78)
उत्तर निः औद्योगीकरण का अर्थ है उद्योगों का बन्द हो जाना । इस स्थिति में कारीगरों को शिल्प और उद्योग को छोड़ कृषि कार्य में लगना पड़ जाता है ।

प्रश्न 5. अंग्रेजी सरकार ने इंगलैंड के कपड़ा उद्योग को बढ़ावा के लिए क्या किया ? भारतीय उद्योगपतियों को यह सुविधा क्यों नहीं मिली ?
उत्तरअंग्रेजी सरकार ने इंगलैंड के कपड़ा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए इंगलैंड ( पृष्ठ 79 ) में कपड़ा पर निर्यात कर नहीं लगाया बल्कि भारतीय कपड़ा पर आयात कर लगा दिया ।
इससे इंगलैंड के कपड़े भारत में सस्ते बिकने लगे और भारतीय कपडे इंगलैंड में महँगे बिकने लगे । फलतः भारत में तो इंगलैंड के कपड़े भारी मात्रा में बिकने लगे और दूसरी ओर भारतीय कपड़ा महँगा होने के कारण यहाँ से इंगलैंड जाना ही रूक गया। हम देखते हैं कि अंग्रेजी सराकर ने इंगलैंड के कपड़ा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए ही निर्यात में छूट और आयत कर में वृद्धि की थी ।
इंगलैंड के वस्त्रोद्योग को बढ़ावा देने के लिए ही भारतीय उद्योगपतियों को किसी प्रकार की सुविधा नहीं दी जा रही थी।
बीसवीं शताब्दी में भारत में महत्वपूर्ण उद्योग जो सामने आया वह था । लोहा-इस्पात उद्योग । लोहा-इस्पात एक ऐसी वस्तु है जो सभी मशीनी उद्योग की रीढ़ की हड्डी है । रिहायसी मकान बनाने से लेकर बड़े-बड़े पुल बनाने में लोहा ही महत्वपूर्ण सामग्री है । इस उद्योग में बहुतों के खाली हाथ को काम मिला । बहुतों को रोजगार मिला । इस प्रकार भारत में स्टील उत्पादन से भारतीय को बहुत लाभ हुआ ।

प्रश्न 6. मशीन उद्योग के शुरू होने से पूर्व भारत में किस तरह का उद्योग था ? मशीनी उद्योग की आवश्यकता भारतीयों को क्यों पड़ी ? (पृष्ठ 80)
उत्तर मशीन उद्योग शुरू होने से पूर्व भारत में गृह उद्योग था । मशीनी उद्योग की आवश्यकता भारतीयों को इसलिए पड़ी, जिससे भारतीय मजदूरों को काम मिल सके । दूसरी आवश्यकता थी यूरोपीय उद्योग से मुकाबला करना और देश को आत्मर्निभर बनाना ।

अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर

सही विकल्प को चुनें:

(i) अठारहवीं शताब्दी में भारत का प्रमुख उद्योग निम्नलिखित में से कौन था ?
(क) वस्त्र उद्योग
(ख) कोयला उद्योग
(ग) लौह उद्योग
(घ) जूट उद्योग

(ii) फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कामर्स ऐण्ड इंडस्ट्री (FICCI) की स्थापना कब हुई ?
(क) सन् 1920 में
(ख) सन् 1927 में
(ग) सन् 1938 में
(घ) सन् 1948 में

(iii) जूट उद्योग का प्रमुख केन्द्र कहाँ था ?
(क) गुजरात
(ख) आंध्र प्रदेश
(ग) बंगाल
(घ) महाराष्ट्र

(iv) सन् 1881 में अंग्रेजी सरकार ने किस उद्देश्य से मजदूरों के लिए नियम बनाए ?
(क) मजदूरों की स्थिति में सुधार के लिए
(ख) अधिक उत्पादन के लिए
(ग) प्रशासनिक सुविधा के लिए
(घ) अपने आर्थिक लाभ के लिए

(v) ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC ) की स्थापना कब हुई ?
(क) 1818 में
(ख) 1920 में
(ग) 1938 में
(घ) 1947 में

उत्तर : (i) – (क), (ii) – (ख), (iii) – (ग), (iv) – (क), (v) – (ख) ।

निम्नलिखित के जोड़े बनाएँ ।
(क) जूट उद्योग                         (क) लखनऊ
(ख) ऊनी वस्त्र उद्योग                  (ख) बंगाल
(ग) जामदानी बुनाई                    (ग) चम्पारण
(घ) लौह उद्योग                         (घ) कश्मीर
(ङ) नील बगान उद्योग               (ङ) जमशेदपुर

उत्तर : (क) जूट उद्योग                (ख) बंगाल    
(ख) ऊनी वस्त्र उद्योग                 (छ) कश्मीर
(ग) जामदानी बुताई                   (क) लखनऊ
(घ) लौह उद्योग                         (ङ) जमशेदपुर
(ङ) नील बगान उद्योग              (ग) चम्पारण

आइए विचार करें :

प्रश्न (i) कैलिको अधिनियम के क्या उद्देश्य थे ?
उत्तरकैलिको अधिनियम का उद्देश्य यह था कि भारतीय कपड़ों को इंग्लैंड में आने से रोकना । इससे इंग्लैंड के कपड़ा उद्योग को संरक्षण मिला ।

प्रश्न (ii) मुक्त व्यापार नीति से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर मुक्त व्यापार नीति लागू होने के पहले इंगलिश ईस्ट इंडिया कम्पनी के अलावा इंग्लैंड का कोई व्यक्ति या व्यक्ति समूह भारत से व्यापार नहीं कर सकता था । इस नई नीति के लागू हो जाने के बाद इंग्लैंड का कोई भी व्यक्ति या व्यक्ति समूह को भारत से व्यापार करने की छूट मिल गई। यह नीति वास्तव में इंग्लैंड के सभी उद्योगपतियों को संरक्षण देता था। वे अब अपने उत्पाद को भारत भेज सकते थे और भारत से कच्चा माल आयात कर सकते थे ।

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प्रश्न (iii) भारतीय उद्योगपतियों को भारत में उद्योग की स्थापना के मार्ग में क्या-क्या बाधाएँ थीं ?
उत्तर- भारत में उद्योगों को स्थापित करने में सबसे बड़ी बाधा पुँजी की कमी थी । में आनाकानी करते थे। दूसरी बात यह थी बैंकों पर अंग्रेजों का नियंत्रण था, फलतः वे भारतीय उद्योगपतियों को ऋण मुहैया कराने कि यहाँ तकनीकी शिक्षा का भी अभाव था। एसे उद्योगपति भी नहीं थे जो भारत में उद्योग स्थापित करने को उत्सुक हो । अंग्रेजों की मुक्त व्यापार नीति भी इसमें रोड़े अटका रही थी ।

प्रश्न (iv) मजदूरों के हित में पहली बार कव नियम बनाया गया। उन नियमों का मजदूरों पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर – मजदूरों के हित में पहली बार नियम 1881 में बनाया गया। हालांकि इसके पहले ही मजदूरों की सुरक्षा बीमा का कानून बन चुका था । इस नियम से मजदूरों को यह प्रभाव पड़ा कि अब मजदूरों के काम के घंटे निश्चित कर दिये गये। दैनिक मजदूरी भी निश्चित कर दी गई। इसके बावजूद मजदूरों की स्थिति में कोई बहुत बड़ा परिवर्तन नहीं हुआ। उनकी स्थिति दयनीय ही बनी रही। हड़तालें भी होती रहीं ।

प्रश्न (v) स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत सरकार ने उद्योगों की स्थिति में सुधार के लिये कौन-से कदम उठाए ?
उत्तरस्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत सरकार भारत के शिल्प एवं उद्योग के विकास के लिये सतत् प्रयत्न करती रही है । ‘औद्योगिक नीति’ बनाई गई । इसके द्वारा कुटीर उद्योग और लघु उद्योग को प्रोत्साहन देने के लिये सफल कदम उठाए गये।

आइए करकें देखें :
(i) अठारहवीं शताब्दी के भारत के मानचित्र को देखकर यह बताएँ कि कौन-सा राज्य सूती कपड़ा उद्योग का सबसे बड़ा केन्द्र था ?
(ii) इस पाठ के आधार पर यह बताएँ कि मजदूरों को अपने अधिकारों को प्राप्त करने के लिए क्या करना चाहिए ?
संकेत : यह परियोजना कार्य है। छात्र स्वयं करें ।

कुछ अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. यूरोप में किस तरह के कपड़ों की भारी माँग थी ?
उत्तर यूरोप में अधिकतर भारतीय कपड़ों में सूती मलमल, छिंट, कोसा जैसे छापेदार सूती वस्त्रों की भारी माँग थी । बंडाला नाम के गुलबन्द की भी भारी माँग थी । बड़े घरानों को कौन कहे, महारानी तक भारतीय रंगीन कपड़ों को पसन्द करती थीं और भारी मात्रा में खरीदा करती थीं। इस प्रकार भारत में बने सभी तरह के सूती वस्त्रों की माँग थी और वह भी भारी मात्रा में ।

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प्रश्न 2. जामदानी क्या है?
उत्तरजामदानी बरीक मलमल के सूती कपड़े पर सूत या सोने के तारों से कढ़ाई की हुई सजावटी वस्त्र है । इसका रंग सलेटी और सफेद होता है । कभी इस तरह के वस्त्र अर्थात जामदांनी बुनाई वाले वस्त्रों का केन्द्र ढाका (बांग्लादेश) और लखनऊ (भारत) हुआ करता था । सूती वस्त्रों से तरह-तरह की कढ़ाई लखनऊ में आज भी होती है । रेशमी कपड़ों पर सोनहला और रूपहला तारों से कढ़ाई का काम आजकल वाराणसी में होता है। यह बनारसी साड़ी के नाम से मशहूर है। धनी घराने में नई दुलहनों के लिए बनारसी साड़ी और चादर अनिवार्य माना जाता है ।

प्रश्न 3. विभिन्न कपड़ों के नामों से उनके इतिहासों के बारे में क्या पता चलता है ?
उत्तरभारत में जिस सूती कपड़े को मलमल कहते हैं, उसे अंग्रेज ‘मस्लिन’ कहते हैं। यह शब्द ईराकी शहर ‘मोसूल’ से निकला है । अंग्रेजों ने यहीं पर इसे अरब व्यापारियों के पास देखा था, जिस कारण ये उसे ‘मस्लिन’ कहने लगे । ‘कैलिको’ शब्द कालीकट से निकला है । पुर्तगाली व्यापारी कालीकट से भारतीय कपड़ा अपने देश में भेजते थे । इस कारण सभी तरह के भारतीय कपड़ों को ‘केलिको’ नाम से पुकारा जाने लगा । न केवल पुर्तगाल में, बल्कि पूरे यूरोप में। एक गज चौड़े और बीस गज लम्बे कपड़े के थान को ‘पीस गुड्स’ कहा जाता था । छिट से ‘शिट्ज’ ‘बंडाला’ शब्द हिन्दी के ‘बांधना’ शब्द का बदला रूप है, जिसका व्यवहार ‘गुलबंद’ के रूप में होता था । अनेक कपड़ों के नाम उनके बनने वाले स्थानों के अनुसार होते थे, जिनमें कासिम बाजार, पटना, कलकत्ता, उड़ीसा, चारपूर, लखनऊ तथा बनारस आदि मशहूर हैं ।

प्रश्न 4. इंग्लैंड के ऊन और रेशम उत्पादकों ने अठारहवीं सदी की शुरुआत में भारत से आयात होने वाले कपड़े का विरोध क्यों किया था ?
उत्तरभारत के सूती वस्त्र की इंग्लैंड में बढ़ती माँग ने इंग्लैंड के ऊनी और रेशमी वस्त्र उत्पादक बेचैन हो गए। उन्हें अपने उत्पादित वस्त्रों की माँग पर खतरा मँडराने लगा । इस कारण वे भारतीय कपड़ों का विरोध करने लगे। सरकार पर दबाव डालकर भारतीय कपड़ों के आयात पर प्रतिबंध लगवाने में वे सफल हो गए। कैलिको अधिनियम भारतीय कपड़ों के इंग्लैंड आयात पर प्रतिबंध के लिए ही पारित किया गया था ।

प्रश्न 5. ब्रिटेन में कपास उद्योग के विकास से भारत के कपड़ा उत्पादकों पर किस तरह के प्रभाव पड़े?
उत्तर ब्रिटेन में कपास उद्योग के विकास से तात्पर्य वहाँ सूती पकड़े के विकास से है। वहाँ कपड़ा उद्योग के विकास ने भारत के कपड़ा उत्पादकों पर बहुत बुरा प्रभाव डाला । ब्रिटेन में कपड़ा उद्योग के विकास ने अमेरिका तथा अफ्रीका तक के बाजारों से भारतीय उत्पादकों को निकाल बाहर कर दिया। भारतीय बुनकरों को बेकारी के कारण खेतीहर मजदूर बन जाना पड़ा। उनकी कमर ही टूट गई । अब आराम के जीवन निर्वाह के स्थान पर वे कठोरतापूर्वक जीवन निर्वाह करने लगे ।

प्रश्न 6. पहले महायुद्ध के दौरान अपना स्टील उत्पादन बढ़ाने में टिस्को को किस बात से मदद मिली ?
उत्तर— टिस्को की स्थापना जमशेदजी नसरवानजी टाटा का एक महान जोखिम भरा काम था। लेकिन उस परिवार ने इस जोखिम को उठाकर देश को एक वरदान के रूप में टाटा समूह ने एक अविस्मरणीय काम किया । टिस्को ने अंग्रेजों के इस घमंड को चूर कर दिया कि जो वे समझते थे कि भारत में उत्तम स्टील का निर्माण नहीं हो सकता, टिस्को ने उसे पूरा करके दिखा दिया । टिस्को की स्थापना के बाद तुरत प्रथम विश्व युद्ध छिड़ गया, जिसमें भारी मात्रा में लोहा और स्टील की आवश्यकता पड़ी और टिस्को को सरकारी आर्डर मिलने लगे । प्रथम विश्व युद्ध के समाप्त होते-होते टिस्को का बहुत विस्तार हो चुका था। टिस्को उद्योग ने सम्पूर्ण ब्रिटिश साम्राज्य के लिए रीढ़ की हड्डी का काम किया । कारखाने से ब्रिटिश लोगों को भी लाभ हुआ और टिस्को उद्योग को भी ।

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