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BSEB Class 8 Social Science Chapter 4.उपनिवेशवाद जन जातीय समाज | Upniveshvad Evam Janjati Samaj Class 8th History Solutions

June 14, 2023 by Tabrej Alam Leave a Comment

Bihar Board Class 8 Social Science उपनिवेशवाद जन जातीय समाज (Upniveshvad Evam Janjati Samaj Class 8th History Solutions) Text Book Questions and Answers

Upniveshvad Evam Janjati Samaj Class 8th History Solutions4.उपनिवेशवाद जन जातीय समाज
अध्याय में अंतर्निहित प्रश्न और उनके उत्तर

प्रश्न 1. जनजातीय समाज के लोग जंगल का उपयोग किन-किन चीजों के लिये करते थे ? क्या उनके उद्योग को विकसित करने में भी जंगल की भूमिका थी ? (पृष्ठ 59)
उत्तर— जनजातीय समाज के लोग जंगल का उपयोग जलावन की लकड़ी चुनने, भोजन के लिए कन्द-मूल, फल, शहद, जड़ी-बूटी, पशुओं के लिये चारा, घर बनाने के लिए लकड़ी, लाह, रेशम, छोटे-मोटे वन्य जीवों का शिकार, बीड़ी के पत्ते, पत्तल बनाने के लिए पत्ते प्राप्त करने के लिये करते थे । बीड़ी उद्योग, रेशमी वस्त्रं उद्योग, लाह उद्योग आदि उद्योगों को विकसित करने में जंगल की भूमिका थी ।

प्रश्न 2. लगान बन्दोबस्ती एवं जंगल अधिनियम के द्वारा अंग्रेजों ने आदिवासियों के साथ कैसा व्यवहार किया ? यदि आप उनमें से एक होते तो आपकी क्या प्रतिक्रिया हुयी होती ?
उत्तर—लगान बन्दोबस्ती एवं जंगल कानून का आदिवासियों पर बहुत बुरा प्रभाव ( पृष्ठ 63 ) पड़ा। एक तो उन्हें अपनी ही जमीन पर कर देना पड़ गया । ये सीधे-सादे लोग महाजनों से कर्ज लेने को विवश होने लगे। इनके सीधापन और महाजनों की काइयांपनी और बेईमानी से आदिवासियों को पता ही नहीं चलता था कि 100 रुपया लिया था, उसका ब्याज कितना हुआ । उन्हें गलत सलत पाठ पढ़ाकर महाजन उनकी जमीन लिखा लिया करते थे। इससे आदिवासी भूमिहीन होने लगे । यदि मैं इनमें से एक होता तो सरकार के अलावा महाजनों के विरुद्ध भी आन्दोलन छेड़ देता।

प्रश्न 3. क्या जनजातीय विद्रोह सिर्फ अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह था ? इन विद्रोहों के लिये सेठ – साहुकार एवं महाजन कहाँ तक जिम्मेदार थे ? (पृष्ठ 65)
उत्तर— जनजातीय विद्रोह अंग्रेजों के साथ ही उनके सहयोगी और गैर आदिवासियों एवं शोषकों के खिलाफ लड़ाई शुरू कर दी। गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान, त्रिपुरा, कर्नाटक आदि राज्यों में इन्होंने महाजनों एवं साहूकारों के शोषण के खिलाफ अंग्रेजों के कानूनों को मानने से इन्कार कर दिया। गोड़वाना के गोड़ जाति के आदिवासी अपनी जमीन की सुरक्षा, अपने उत्पाद के उचित मूल्य, वन से सम्बद्ध विभिन्न गतिविधियों से बिचौलियों और ठेकेदारों को दूर रखने, साहूकारों के शोषण आदि को रोकने के लिये विद्रोह आरम्भ कर दिया। इस प्रकार हम देखते हैं कि जनजातीय विद्रोह न केवल अंग्रेजों के विरुद्ध बल्कि सेठ साहुकारों और महाजनों के विरुद्ध भी था ।

अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर

आइए फिर से याद करें :
प्रश्न 1. सही विकल्प चुनें :

(i) जनजातीय समाज के लोग आम भाषा में क्या कहलाते थे ?
(क) हरिजन
(ख) आदिवासी
(ग) सिक्ख
(घ) हिन्दू

(ii) दिकू किसे कहा जाता था ?
(क) अंग्रेज
(ग) गैर आदिवासी
(ख) महाजन
(घ) आदिवासी

(iii) बिरसा मुंडा किस क्षेत्र के निवासी थे ?
(क) छोटानागपुर
(ख) संथाल परगना
(ग) मणिपुर
(घ) नागालैंड

(iv) गिंडाल्यू ने अंग्रेजी सरकार की दमनकारी कानूनों को नहीं मानने का भाव जनजातियों में जगाकर गाँधीजी के किस आंदोलन से जनजातिय आंदोलन को जोड़ने का सफल प्रयास किया ?
(क) असहयोग आंदोलन
(ख) सविनय अवज्ञा आंदोलन
(ग) भारत छोड़ो आंदोलन
(घ) खेड़ा आंदोलन

(v) झारखंड राज्य किस राज्य के विभाजन के परिणामस्वरूप बना ?
(क) बिहार
(ख) बंगाल
(ग) उड़ीसा
(घ) मध्य प्रदेश

उत्तर — (i) – (ख), (ii)- (ग), (iii)- (ख), (iv) – (ख), (v)-(क) ।

प्रश्न 2. निम्नलिखित के जोड़े बनाएँ :
(क) जादोनांग                            (क) मणिपुर
(ख) बिरसा मुंडा                        (ख) उड़ीसा
(ग) कंध जाति                           (ग) जेलियांगरांग आंदोलन
(घ) टिकेन्द्रजीत सिंह                (घ) ताना भगत आंदोलन
(ङ) जतरा भगत                      (ङ) सिंगबोंगा

उत्तर :
(क) जादोनांग                            (ग) जेलियांगरांग आंदोलन
(ख) बिरसा मुंडा                        (ङ) सिंगबोगा
(ग) कंध जाति                           (ख) उड़ीसा
(घ) टिकेन्द्रजीत सिंह                (क) मणिपुर
(ङ) जतरा भगत                      (घ) ताना भगत आंदोलन

आइए विचार करें :

प्रश्न (i) अठारहवीं शताब्दी में जनजातीय समाज के लिए जंगल की क्या उपयोगिता थी ?.
उत्तर—अठारहवीं शताब्दी में जनजातीय समाज के लिये जंगल की यह उपयोगिता थी कि वे पूरी तरह जंगलों पर ही निर्भर थे । ये झूम खेती करते थे, जिससे खाद्यान्न और दलहन उपजा लेत थे । ये समतल खाली भूमि पर भी हल-बैल से खेती करते थे वनों से इन्हें फल-मूल, जलावन तथा घर बनाने की लकड़ी, पशुओं के लिये चारा, मधु, लाह, बीड़ी के पत्ते आदि को एकत्र कर निकटस्त बाजारों में बेचकर नमक और कपड़ा जैसी उपयोगी वस्तुएँ खरीदा करते थे । इनका जीवन पूरी तरह स्वच्छन्द था । ये किसी पर निर्भर नहीं थे, बल्कि गैर जनजाति के लोग ही इन पर निर्भर थे

प्रश्न (ii) आदिवासी खेती के लिये किन तरीकों को अपनाते थे ?
उत्तर- आदिवासी मुख्य रूप में झूम खेती किया करते थे । खाली समतल भूमि और पहाड़ों को काटकर सीढ़ीदार खेत बनाकर खेती करते थे । ये हल-बैल का उपयोग कर खेती करते थे । झूम खेती में हल-बैल की आवश्यकता नहीं थी ।

प्रश्न (iii) गैर आदिवासियों एवं अंग्रेजों के प्रति आदिवासियों का विरोध क्यों हुआ ?
उत्तर –गैर आदिवासी लोग अंग्रेजों से मिलकर आदिवासियों के जीवन में हस्तक्षेप करने लगे। ये उनकी जमीन हड़पने लगे और वनों के उत्पाद के उपयोग पर रोक लगा दिया । अब उनसे लगान की वसूली होने लगी, जो इनके लिये नई बात थी । गैर आदिवासी लोग अंग्रेजों की मदद किया करते थे। रास्ता ये ही बताते थे, जिससे अंग्रेज उन तक पहुँच पाते थे। इन्हीं कारणों से गैर आदिवासियों और अंग्रेजों के प्रति आदिवासियों का विरोध हुआ ।

प्रश्न (iv) ‘वन अधिनियम’ ने आदिवासियों के किन अधिकारों को छीन लिया ?
उत्तर- ‘वन अधिनियम’ से आदिवासियों का जंगलों पर जो परम्परागत अधिकार था, वह उनके हाथ से जाता रहा। अब वे अपनी मर्जी से आवश्यकता के लिए लकड़ी चुनने, पशु चराने, फल- मूल एकत्र करने और शिकार करने जंगलों में जाने जैसे अधिकार से वंचित हो गये । अब ये जंगलों में प्रवेश भी नहीं कर सकते थे । इनके इन अधिकारों के छीन जाने से आदिवासियों का जीवन दूभर हो गया ।

प्रश्न (v) ईसाई मिशनरियों ने आदिवासी समाज में असंतोष पैदा कर दिया। कैसे ?
उत्तर – अंग्रेज शासकों और ठेकेदार महाजनों के साथ ही जंगलों के अन्दर ईसाई मिशनरियों का भी प्रवेश हुआ। ये कहते तो थे कि हम शिक्षा का प्रसार करना चाहते हैं, किन्तु इनका मुख्य उदेश्य था आदिवासियों का धर्म परिवर्तन कराकर ईसाई बना लेना । ये उन्हें दिलासा भी दिलाते थे कि सेठ साहूकारों तथा ठेकेदारों से उनकी रक्षा करेंगे । आदिवासियों ने शीघ्र ही इनकी मंशा भांप ली। फिर भी बहुत से आदिवासी ईसाई बना लिये गये थे । इससे आदिवासी समाज में असंतोष पैदा हो गया ।

प्रश्न (vi) बिरसा मुंडा कौन थे ? उन्होंने जनजातीय समाज के लिये क्या किया ?
उत्तर – बिरसा मुंडा संथाल परगना के एक समाज सुधारक और राजनीतिक नेता थे। उन्होंने जनजातीय समाज को अंग्रेजों के चंगुल से मुक्त कराने के लिये आन्दोलन चलाया और जेल गये। जेल में ही उनकी मृत्यु हो गई ।
जनजातियों की बुराइयों को दूर करने के लिए बिरसा मुंडा ने अनेक काम किये ये उन्हें मांस खाने और शराब पीने से रोका। उन्हें सच्चाई के साथ अंग्रेजों से लड़ने की प्रेरणा दी।

प्रश्न (vii) अंग्रेज संथालों का शोषण किस तरह किया करते थे ?
उत्तर — अपनी आय बढ़ाने के लिये अंग्रेजों ने संथालों की जमीन पर लगान लेना शुरू किया और उसकी दर भी बढ़ाते रहे। उन्होंने यह भी प्रयास किया कि अधिकाधिक क्षेत्र अंग्रेजों के अधीन आ जाय। इस तरह संथालों पर इसका बुरा प्रभाव पड़ा। ये परम्परा से यह समझते आये थे कि जंगल और जमीन पर उनका मौरुसी अधिकार है । इसके लिये वे किसी को लगान देने के पक्ष में नहीं थे। लेकिन अंग्रेजों को तो लगान लेना ही था । लगान देने के कारण ही उनपर कर्ज का बोझ बढ़ने लगा। महाजन ब्याज की रकम बढ़ाते-बढ़ाते इतना अधिक कर देते थे कि संथालों को अपनी जमीन उनके हाथ बेच देने को मजबूर हो जाना पड़ता था । इस प्रकार अंग्रेज और उनके चहेतों द्वारा संथालों का हर तरह से शोषण होने लगा । स्थिति यहाँ तक आ पहुँची कि उन्हें गंधुआ मजदूर तक बन जाना पड़ा ।

प्रश्न (viii) जादोनांग कौन था ? उसकी उपलब्धियों के विषय में बताइए ।
उत्तर—जादोनांग नागा जनजाति का एक नेता था । उसने अपनी चचेरी बहन गिंडाल्यू के साथ मिलकर भूमिगत आन्दोलन चलाना शुरू किया। लेकिन इसकी भनक अंग्रेजों को लग गई। एक झूठे मामले में फंसाकर अंग्रेजों ने जादोनांग को फाँसी पर लटका दिया । फिर भी आन्दोलन रुका नहीं । गिंडाल्यू ने आंदोलन को जारी रखा। लेकिन गिंडाल्यू भी पकड़ में आ गई और उसे आजीवन कारावास की सजा हो गई ।
जादोनांग ने जो ज्योति जलाई थी वह गिंडाल्यू ने जारी रखा और उसके जेल चले जाने के बाद उनके अनुआइयों ने आंदोलन को जारी रखा। बाद में वह आंदोलन गाँधीजी के आंदोलन में विलय कर गया ।
जादोनांग की मुख्य उपलब्धि थी कि उनके आंदोलन से नागा जाति के लोगों में जागृति आई और वे देश की मुख्य धारा से जुड़ गए।

प्रश्न (ix) जनजातीय विद्रोह में महिलाओं की भूमिका का वर्णन करें ।
उत्तर – अंग्रेजों के खिलाफ आदिवासियों के विद्रोह में न केवल पुरुष, बल्कि महिलाओं ने भी बढ़-चढ़कर भाग लिया। संथाल विद्रोह में राधा और हीरा नामक महिलाओं ने गंडासा, कुल्हाड़ी और लाठी से अंग्रेजों का मुकाबला किया। बाद में ये गिरफ्तार कर ली गईं। सिद्धू की बहन फूलो और झानो ने अंग्रेजी कैंप में घुसकर 21 सैनिको को तलवार के घाट उतार दिया । बिरसा मुंडा की महिला साथी और चम्पी ने भी सैन्य संगठन किया और अंग्रेजों से मुकाबला किया। गया मुंडा की पत्नी मानीबूई, बेटी थींगी नागी और लेम्बू तथा बहुओं ने अंग्रेजों के खिलाफ हथियार उठाया । उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के गिडाल्यू का नाम स्वर्णाक्षरों में लिखने योग्य हैं ।

प्रश्न (x) जनजातीय समाज की महिलाओं का घरेलू उद्योग क्या था ?
उत्तर—जनजातीय समाज की महिलाओं का घरेलू उद्योग था चटाई बनाना, सूत कातना, वस्त्र बुनना आदि उद्योग ।

Upniveshvad Evam Janjati Samaj Class 8th History Solutions

आइए करके देखें :
(i) अंग्रेजी शासन के पूर्व जनजातीय समाज के लोगों का जीवन कैसा था ? अंग्रेजों की नीतियों से उसमें क्या परिवर्तन आया ? वर्ग में शिक्षक के साथ परिचर्चा करें |
(ii) उत्तर पूर्व भारत का जनजातीय विद्रोह भारत के अन्य भागों के जनजातीय विद्रोहों से किस तरह अलग था ?
संकेत : ये परियोजना कार्य हैं। छात्र स्वयं करें ।

कुछ अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. भगवान बिरसा किस कबिलाई जाति के थे ?
उत्तर—भगवान बिरसा मुंडा कबिलाई जाति के थे ।

प्रश्न 2. किन्हीं दो कबिलायी जाति के नाम बताइए जो भगवान बिरसा को अपना नेता मानते थे ।
उत्तर—संथाल तथा उराँव लोग भगवान बिरसा को अपना नेता मानते थे

प्रश्न 3. दीकु कौन थे ?
उत्तर—दीकु वे बाहरी लोग थे, जो आदिवासियों का तरह-तरह से शोषण करते थे । अंग्रेजों को भी आदिवासी दीकु ही कहते थे ।

प्रश्न 4 कंध आदिवासी कहाँ रहते थे ?
उत्तर- कंध आदिवासी उड़ीसा के जंगलों में रहते थे ।

प्रश्न 5. कंघ आदिवासियों की रोजी क्या थी?
उत्तर— कंध आदिवासियों की रोजी शिकार करना तथा फल-फूल चुनना था ।

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