इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 10 संस्कृत के पाठ छ: ‘भारतीय संस्कारा: (Bhartiya Sanskara VVI Subjective Questions) (भारतीयों के संस्कार) ‘ के महत्वपूर्ण विषयनिष्ठ प्रश्नों के उत्तर को पढ़ेंगे।
Sanskrit Chapter 6 Bhartiya Sanskara VVI Subjective Questions भारतीय संस्कारा: (भारतीयों के संस्कार)
लघु-उत्तरीय प्रश्नोत्तर (20-30 शब्दों में) ____दो अंक स्तरीय
1. शैक्षणिक संस्कार कौन-कौन से हैं? (2018A)
उत्तर- शैक्षणिक संस्कार में अक्षरारंभ, उपनयन, वेदारंभ, मुंडन, समावर्त्तन संस्कार आदि होते हैं।
2. ‘भारतीयसंस्काराः‘.पाठ के आधार स्पष्ट करें कि संस्कार कितने हैं तथा उनके नाम क्या है ? (2017A)
अथवा, संस्कार कितने प्रकार के हैं और कौन-कौन ?
अथवा, सभी संस्कारों के नाम लिखें। (2018C)
उत्तर- संस्कार कुल सोलह हैं । जन्म पूर्व तीन हैं – गर्भाधान, पुंसवन और सीमन्तोनयन संस्कार होते हैं। शैशवावस्था में छः संस्कार होते हैं – जातकर्म, नामकरण, निष्क्रमण, अन्नप्राशन, चूडाकर्म और कर्णबेध । पाँच शैक्षणिक संस्कार हैं – अक्षरारम्भ, उपनयन, वेदारम्भ, केशान्त और समावर्तन । यौवनावस्था में विवाह संस्कार होता है तथा व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसका अन्त्येष्टि संस्कार किया जाता है।
3. संस्कार किसे कहते हैं ? विवाह संस्कार का वर्णन करें। पाँच वाक्यों में उत्तर दें। (2012C)
उत्तर- व्यक्ति में गुणों के धारण को संस्कार कहते हैं। संस्कार का वास्तविक अर्थ ‘शुद्ध होना’ है। वैसे कुल सोलह संस्कार माने गए हैं। विवाह संस्कार होने पर ही वस्तुतः मनुष्य गृहस्थ जीवन में प्रवेश करता है। विवाह एक पवित्र संस्कार है जिसमें अनेक प्रकार के कर्मकाण्ड होते हैं। उनमें वचन देना, मंडप बनाना, वधू के घर वरपक्ष का स्वागत, वर-वधू का एक-दूसरे को देखना, कन्यादान, अग्निस्थापना, पाणिग्रहण, लाजाहोम, सप्तपदी, सिन्दूरदान आदि मुख्य हैं।
4. ‘भारतीयसंस्कारा:’ पाठ में लेखक क्या शिक्षा देना चाहता है ?
उत्तर- लेखक इस पाठ से हमें यह शिक्षा देना चाहता है कि संस्कारों के पालन से ही व्यक्तित्व का निर्माण होता है। संस्कारों का उचित समय पर पालन करने से गुण बढ़ते हैं और दोषों का नाश होता है। भारतीय संस्कृति की विशेषता संस्कारों के कारण ही है। लेखक हमें सुसंस्कारों का पालन करने का संदेश देते हैं।
5. भारतीय जीवन में संस्कार का क्या महत्व है?
उत्तर- भारतीय जीवन में प्राचीन काल से ही संस्कार ने अपने महत्व को संजोये रखा है। यहाँ ऋषियों की कल्पना थी कि जीवन के सभी मुख्य अवसरों में वेदमंत्रों का पाठ, बड़ों का आशीर्वाद, हवन एवं परिवार के सदस्यों का सम्मेलन होना चाहिए। संस्कार दोषों को दूर करता है। भारतीय जीवन दर्शन का महत्वपूर्ण स्रोतस्वरूप संस्कार है।
6. केशान्त संस्कार को गोदान संस्कार भी कहा जाता है, क्यों? (2018A)
उत्तर- केशान्त संस्कार में गुरु के घर में ही शिष्य का प्रथम क्षौरकर्म (हजामत) होता था। इसमें गोदान मुख्य कर्म था। अतः साहित्यिक ग्रंथों में इसका दूसरा नाम गोदान संस्कार भी प्राप्त होता है।
7. ‘भारतीयसंस्काराः’ पाठ का पाँच वाक्यों में परिचय दें।
उत्तर- ‘भारतीय संस्काराः’ पाठ भारतीय संस्कारों का महत्व बताता है। भारतीय जीवन-दर्शन में क्षौर कर्म (मुण्डन), उपनयन, विवाह आदि संस्कारों की प्रसिद्धि है। छात्रगण संस्कारों का अर्थ तथा उनके महत्त्व को जान सकें, इसलिए इस स्वतंत्र पाठ को रखा गया है। इससे दोष दूर होता है तथा गुण प्राप्त होता है।
8. ‘भारतीयसंस्कारा; पाठ के आधार पर बताएं कि संस्कार कितने हैं। तथा जन्मपूर्व संस्कारों का नाम लिखें। (2016C)
उत्तर- भारतीय संस्कारः पाठ के आधार पर संस्कार 16 प्रकार के होते हैं। जन्मपूर्व संस्कार तीन हैं- गर्भाधान, (2) पुंसवन और (3) सीमान्तोनयन ।
9. ‘भारतीयसंस्काराः‘ पाठ में लेखक का क्या विचार है?
उत्तर- भारतीयसंस्कारा: पाठ में लेखक का विचार है कि मनुष्य के व्यक्तित्व का निर्माण सुसंस्कार से ही होता है। इसलिए विदेशों में भी सुसंस्कारों के प्रति उन्मुख और जिज्ञासु हैं।
10. विवाहसंस्कार का वर्णन करें। अथवा, विवाह संस्कार में कौन-कौन से मुख्य कार्य किये जाते है? (2015A)
अथवा, विवाह संस्कार का वर्णन अपने शब्दों में करें। (2018A)
उत्तर- विवाह संस्कार से ही लोग गृहस्थ जीवन में प्रवेश करते हैं। विवाह को एक पवित्र संस्कार माना गया है, जिसमें अनेक प्रकार के कर्मकाण्ड होते हैं। उनमें वाग्दान, मण्डप-निर्माण, वधू के घर में वर पक्ष का स्वागत, वर-वधू का परस्पर निरीक्षण, कन्यादान, अग्निस्थापन, पाणिग्रहण, लाजाहोम, सिन्दरदान इत्यादि कई कर्मकांड शामिल हैं। सभी क्षेत्रों में समान रूप से विवाहसंस्कार का आयोजन होता है।
11. शिक्षासंस्कार का वर्णन करें।
अथवा, शक्षणिक संस्कार कितने है ? (2014C)
उत्तर- शिक्षासंस्कारों में अक्षरारंभ, उपनयन, वेदारंभ, मुण्डन संस्कार और समावर्तन संस्कार आदि आते हैं। अक्षरारंभ में बच्चा अक्षर-लेखन और अंक-लेखन आरंभ करता है। उपनयन संस्कार में गुरु के द्वारा शिष्य को अपने घर में लाना होता है। वहाँ शिष्य शिक्षा नियमों का पालन करते हए अध्ययन करते हैं। केशान्त (मुण्डन) संस्कार में गुरु के घर में प्रथम क्षौरकर्म अर्थात् मुण्डन होता है तथा समावर्तन संस्कार का उद्देश्य शिष्य का गुरु के घर से अलग होकर गृहस्थ जीवन में प्रवेश करना होता है।
12. भारतीय संस्कार का वर्णन किस रूप में हुआ है ?
उत्तर- भारतीय संस्कृति अनठी है। जन्म के पूर्व संस्कार से लेकर मृत्यु के बाद अन्त्येष्टि संस्कार तक 16 संस्कारों का अनुपम उदाहरण संसार के अन्य देशों में नहीं है। यहाँ की संस्कृति की विशेषता है कि जीवन में यहाँ समय-समय पर संस्कार किये जाते हैं। आज संस्कार सीमित एवं व्यंग्य रूप में प्रयोग किये जा रहे हैं। संस्कार व्यक्तित्व की रचना करता है। प्राचीन संस्कृति का ज्ञान संस्कार से ही उत्पन्न होता है। संस्कार मानव में क्रमशः परिमार्जन (शुद्धिकरण), दोषों को दूर करने और गुणों के समावेश करने में योगदान करते हैं।
13. पठित पाठ के आधार पर भारतीय संस्कारों का वर्णन अपनी मातृभाषा में करें।
उत्तर- भारतीय जीवन में प्राचीनकाल से ही संस्कारों का महत्त्व है। संस्कारों के सम्बन्ध में ऋषियों को कल्पना थी कि जीवन के प्रमुख अवसरों पर वेदमंत्रों का पाठ, गुरुजनों के आशीर्वाद, होम और परिवार के सदस्यों का सम्मेलन होना चाहिए। इन संस्कारों के उद्देश्य हैं मानव जीवन से दुर्गुणों को दूर करना और सद्गुणों का आह्वान करना। जन्म पूर्व तीन-गर्भाधान, पुंसवन और सीमन्तोनयन, संस्कार होते हैं, शैशवावस्था में छ: संस्कार होते हैं-जातकर्म, नामकरण, निष्क्रमण, अन्नप्राशन, चूडाकर्म और कर्णवेधा पाँच शैक्षणिक संस्कार हैं-अक्षरारम्भ, उपनयन, वेदारम्भ, केशान्त और समावर्तन। यौवनावस्था में विवाह संस्कार होता है तथा व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसका अन्त्येष्टि संस्कार किया जाता है। इस प्रकार भारतीय जीवन में कुल सोलह संस्कारों का प्रावधान किया गया है।
14. “संस्काराः प्राय: पञ्चविधाः सन्ति। जन्मपूर्वाः त्रयः। शैशवाः षट्, शैक्षणिकाः पञ्च, गृहस्थ-संस्कार-विवाहरूपः एकः मरणोत्सर संस्कारश्चैकः।“
(i) यह उक्ति किस पाठ की है?
(ii) जन्मपूर्व संस्कार कितने हैं?
(iii) ‘गृहस्थ-संस्कार‘ कौन हैं? (2016A)
उत्तर-(i) यह उक्ति भारतीयसंस्कारा: पाठ की है।
(ii) जन्मपूर्व संस्कार तीन हैं।
(iii) ‘गृहस्थ-संस्कार’ विवाह है।
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