कक्षा 10 विज्ञान भाग 2 पाठ 13. विद्युत धारा के चुम्‍बकीय प्रभाव | Vidyut Dhara ka chumbakiy prabhav class 10th solution in Hindi

इस लेख में बिहार बोर्ड कक्षा 10 विज्ञान के पाठ 13 ‘ विद्युत धारा के चुम्‍बकीय प्रभाव ( Vidyut Dhara ka chumbakiy prabhav class 10th solution in Hindi)’ को पढ़ेंगे।

Vidyut Dhara ka chumbakiy prabhav class 10th solution in Hindi

 13. विद्युत धारा के चुम्‍बकीय प्रभाव

पाठ में दिए हुए प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. चुंबक के निकट लाने पर दिक्सूचक की सुई विक्षेपित क्यों हो जाती है ?

उत्तरवास्तव में दिक्सूचक की सुई एक छोटी छड़ चुंबक होती है । किसी दिक्सूचक की सुई के दोनों सिरे लगभग उत्तर और दक्षिण दिशाओं की ओर संकेत करते. हैं । उत्तर दिशा की ओर संकेत करनेवाले सिरे को उत्तर ध्रुव कहते हैं । दूसरा सिरा, जो दक्षिण दिशा की ओर संकेत करता है, उसे दक्षिण ध्रुव कहते हैं । चुंबकों के सजातीय ध्रुवों में परस्पर प्रतिकर्षण तथा विजातीय ध्रुवों में परस्पर आकर्पण होता है। अतः चुंबक के निकट लाने पर दिक्सूची की सुई विक्षेपित हो जाती हैं ।

( पृष्ठ: 255 )

प्रश्न 1. चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं के गुणों की सूची बनाइए ।

उत्तर – चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं के निम्नलिखित गुण हैं :
(i) चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ चुंबक के उत्तर ध्रुव से निकलती है और दक्षिण ध्रुव पर जाकर खत्म होती है ।
(ii) ये रेखाएँ एक-दूसरी को प्रतिच्छेद नहीं करतीं ।

(iii) ये किसी बिंदु पर स्पर्श रेखा की दिशा चुंबकीय क्षेत्र की दशा को दर्शाती हैं ।

प्रश्न 2. दो चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ एक-दूसरी को प्रतिच्छेद क्यों नहीं करतीं ? परस्पर प्रतिच्छेद करें तो प्रतिच्छेद करनेवाली बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र की दो दिशाएँ हो

उत्तर – चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा एक ही होती है। यदि दो चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ जाएँगी, जो असंभव है। इसलिए ये रेखाएँ परस्पर प्रतिच्छेद नहीं करती हैं।

( पृष्ठ : 256-257 )

प्रश्न 1. किसी दिए गए क्षेत्र में चुंबकीय क्षेत्र एकसमान है। इसे निरूपित करने के लिए

उत्तरपरिनालिक के अन्दर चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ समांतर सरल रेखाओं की भाँति होती है । इसलिए परिनालिका के भीतर एकसमान चुंबकीय क्षेत्र होता है ।

प्रश्न 3. सही विकल्प चुनिए : किसी विद्युत धारावाही सीधी लंबी परिनालिका के भीतर चुंबकीय क्षेत्र :

(a) शून्य होता है 1
(b) इसके सिरे की ओर जाने पर घटता
(c) इसके सिरे की ओर जाने पर बढ़ता है ।
(d) सभी बिंदुओं पर समान होता है ।

उत्तर – (d) सभी बिंदुओं पर समान होता है ।

(पृष्ठ : 259 )

प्रश्न 1. किसी प्रोटॉन का निम्नलिखित में से कौन-सा गुण किसी चुंबकीय क्षेत्र में मुक्त गति करते समय परिवर्तित हो जाता है ? (यहाँ एक से अधिक सही उत्तर हो सकते हैं ।)

(a) द्रव्यमान,   (b) चाल,    (c) वेग,      (d) संवेग

उत्तर(c) वेग,   (d) संवेग ।

प्रश्न 2. पश्चिम की ओर प्रक्षेपित कोई धनावेशित कण (अल्फा-कण) किसी चुंबकीय क्षेत्र द्वारा उत्तर की ओर विक्षेपित हो जाता है। चुंबकीय क्षेत्र की दिशा क्या है ? (a) दक्षिण की ओर (b) पूर्व की ओर (c) अधोमुखी (d) उपरिमुखी ।

उत्तर- (d) उपरिमुखी ।

(पृष्ठ : 261)

प्रश्न 1. फ्लेमिंग का वाम- हस्त नियम लिखिए ।

उत्तरअपने बाएँ हाथ की तीन अँगुलियों—–मध्यमा, तर्जनी तथा अँगूठे—को परस्पर लंबवत फैलाएँ । जब तर्जनी चुंबकीय क्षेत्र की दिशा तथा मध्यमा धारा की दिशा को दर्शाती हैं, तब अँगूठा धारावाही पर लगे बलं की दिशा को व्यक्त करता है ।

प्रश्न 2. विद्युत मोटर का क्या सिद्धांत है ?

उत्तरविद्युत मोटर एक ऐसा यंत्र है जिसमें विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदला जाता है। इसे विद्युत मोटर का सिद्धान्त कहते हैं ।

प्रश्न 3. विद्युत मोटर में विभक्त वलय की क्या भूमिका है ?

उत्तर – विद्युत मोटर में विभक्त वलय सम्पर्क का कार्य करता है । प्रवाहित धारा की दिशा बदलने के कारण आर्मेचर लगनेवाले बल की दिशा बदल जाती है। इस प्रकार घूर्णन बल कुण्डली में घूर्णन उत्पन्न करता है ।

(पृष्ठ : 264 )

प्रश्न 1. किसी कुंडली में विद्युत धारा प्रेरित करने के विभिन्न ढंग स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर किसी कुंडली में विद्युत धारा प्रेरित करने के निम्नलिखित ढंग हैं :
(i) कुंडली तथा चुंबक की गति को आपेक्षिक गति में लाया जाता है।
(ii) दो कुंडलियों में से किसी एक में धारा के मान को बदला जाता है।
(iii) एक धारावाही कुंडली एक सामान्य कुंडली में सापेक्षिक गति उत्पन्न की जाती है

 ( पृष्ठ : 265-66)

प्रश्न 1. विद्युत जनित्र का सिद्धांत लिखिए ।

उत्तर – यह वैसा युक्ति है जिसमें यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है । यह युक्ति विद्युत-चुंबकीय प्रेरण पर आधारित होती है ।

प्रश्न 2. दिष्ट धारा के कुछ स्रोतों के नाम लिखिए ।

उत्तर दिष्ट धारा के कुछ मुख्य स्रोत हैं :

(i) D.C. जनित्र, (ii) विद्युत रासायनिक सेल तथा (iii) स्टोरेज सेल ।

प्रश्न 3. प्रत्यावर्ती विद्युत धारा उत्पन्न करनेवाले स्रोतों के नाम लिखिए ।

उत्तर प्रत्यावर्ती विद्युत धारा उत्पन्न करनेवाले स्रोत हैं

(i) A.C. डायनेमो तथा (ii) जल विद्युत धारा ।

प्रश्न 4. सही विकल्प का चयन कीजिए :
ताँबे के तार की एक आयताकार कुंडली किसी चुंवकीय क्षेत्र में घूर्णी गति कर रही है । इस कुंडली में प्रेरित विद्युत धारा की दिशा में कितने परिभ्रमण के पश्चात परिवर्तन होता है ?

(a) दो                   (b) एक             (c) आंधे                  (d) चौथाई

उत्तर(c) आधे ।

 (पृष्ठ : 267 )

प्रश्न 1. विद्युत परिपथों तथा साधित्रों में सामान्यतः उपयोग होनेवाले दो सुरक्षा उपायों के नाम लिखिए ।

उत्तरसामान्यतः उपयोग होनेवाले दो सुरक्षा उपायों के नाम हैं  (i) विद्युत फ्यूज तथा (ii) भू-संपर्क तार ।

प्रश्न 3. घरेलू विद्युत परिपथों में अतिभारण से बचाव के लिए क्या सावधानी बरतनी चाहिए ?

उत्तरघरेलू विद्युत परिपथों में एक सॉकेट से ज़्यादा विद्युत उपकरणों को नहीं जोड़ना चाहिए इससे अतिभारण का डर रहता है। इसी से बचाव के लिए फ्यूज को प्रतिस्थापित किया जाता है ।

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अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. निम्नलिखित में से कौन किसी लंबे विद्युत धारावाही तार के निकट चुंबकीय क्षेत्र का सही वर्णन करता है ?

(a) चुंबकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ तार के लंबवत होती हैं ।
(b) चुंबकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ तार के समांतर होती हैं ।
(c) चुंबकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ अरीय होती हैं जिनका उद्भव तार से होता है
(d) चुंबकीय क्षेत्र की संकेंद्री क्षेत्र रेखाओं का केंद्र तार होता है ।

उत्तर- (d) चुंबकीय क्षेत्र की संकेंद्री क्षेत्र रेखाओं का केंद्र तार होता है ।

प्रश्न 2. वैद्युत चुंबकीय प्रेरण की परिघटना :

(a) किसी वस्तु को आवेशित करने की प्रक्रिया है ।
(b) किसी कुंडली में विद्युत धारा प्रवाहित होने के कारण चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करने की प्रक्रिया है ।
(c) कुंडली तथा चुंबक के बीच आपेक्षिक गति के कारण कुंडली में प्रेरित विद्युत धारा उत्पन्न करना है ।
(d) किसी विद्युत मोटर की कुंडली को घूर्णन कराने की प्रक्रिया है ।

उत्तर(c) कुंडली तथा चुंबक के बीच आपेक्षिक गति के कारण कुंडली में प्रेरित विद्युत धारा उत्पन्न करना है ।

प्रश्न 3. विद्युत धारा उत्पन्न करने की युक्ति को कहते हैं :

(a) जनित्र           (b) गैल्वेनोमीटर        (c) ऐमीटर         (d) मोटर

उत्तर(a) जनित्र |

प्रश्न 4. किसी ac जनित्र तथा de जनित्र में एक मूलभूत अंतर यह है कि :

(a) ac जनित्र में विद्युत चुंबक होता है जबकि dc मोटर में स्थायी चुंबक होता है ।
(b) dc जनित्र उच्च वोल्टता का जनन करता है ।
(c) ac जनित्र उच्च वोल्टता का जनन करता है ।
(d) ac जनित्र में सर्पी वलय होते हैं जबकि dc जनित्र में दिक्परिवर्तक होता है ।

उत्तर (d) ac जनित्र में सर्पी वलय होते हैं जबकि dc जनित्र में दिक्परिवर्तक होता है ।

प्रश्न 5. लघुपथन के समय परिपथ में विद्युत धारा का मान :

(a) बहुत कम हो जाता है ।
(b) परिवर्तित नहीं होता ।
(c) बहुत अधिक बढ़ जाता है।
(d) निरंतर परिवर्तित होता है।

उत्तर- (c) बहुत अधिक बढ़ जाता है ।

प्रश्न 6. निम्नलिखित प्रकथनों में कौन-सा सही है तथा कौन-सा गलत है ? इसे प्रकथन के सामने अंकित कीजिए :

(a) विद्युत मोटर यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में रूपांतरित करता है ।

(b) विद्युत जनित्र वैद्युत चुंबकीय प्रेरण के सिद्धांत पर कार्य करता है ।

(c) किसी लंबी वृत्ताकार विद्युत धारावाही कुंडली के केंद्र पर चुंबकीय क्षेत्र समांतर सीधी क्षेत्र रेखाएँ होता है ।

(d) हरे विद्युत रोधन वाला तार प्रायः विद्युन्मय तार होता है ।

उत्तर (a) गलत, (b) सत्य, (c) सत्य, (d) गलत ।

प्रश्न 7. चुंबकीय क्षेत्र के तीन स्रोतों की सूची बनाइए ।

उत्तर – चुंबकीय क्षेत्र के तीन स्रोत निम्नलिखित हैं :
(i) एक धारावाही परिनलिका के चारों ओर ।
(ii) एक धारावाही सीधाचालक के चारों ओर ।
(iii) प्राकृतिक चुंबक के चारों ओर ।

प्रश्न 8. परिनालिका चुंबक की भाँति कैसे व्यवहार करती है ? क्या आप किसी छड़ चुंबक की सहायता से किसी विद्युत धारावाही परिनालिका के उत्तर ध्रुव तथा दक्षिण ध्रुव का निर्धारण कर सकते हैं ?

उत्तर— पास-पास लिपटे विद्युतरोधी ताँबे के तार की बेलन की आकृति की अनेक फेरों वाली कुंडली को परिनालिका कहते हैं। किसी विद्युत धारावाही परिनालिका के कारण उसके चारों ओर उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं को बगल के चित्र में दिखाया गया है । वास्तव में परिनालिका का एक सिरा उत्तर ध्रुव तथा दूसरा सिरा दक्षिण ध्रुव की भाँति व्यवहार करता है । परिनालिका के भीतर एक समान चुंबकीय क्षेत्र होता है । परिनालिका के अंदर चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ परस्पर समानान्तर होती हैं ।
परिनालिका के उत्तरी ध्रुव तथा दक्षिणी ध्रुव की पहचान दिक्सूचक से कर सकते हैं । यदि दिक्सूचक की सुई का उत्तरी ध्रुव परिनालिका की ओर आकर्षित होती है तो यह सिरा दक्षिणी ध्रुव होगा। इसी प्रकार उत्तरी ध्रुव की पहचान कर सकते हैं।

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प्रश्न 9. किसी चुंबकीय क्षेत्र में स्थित विद्युत धारावाही चालक पर आरोपित बल कब अधिकतम होता है ?

उत्तर – हम जानते हैं कि आरोपित बल F = BII sin 0. F का मान, sin 0 के मान = मान का समानुपाती है। जब 0 = 90° हो तो F का मान अधिकतम होगा। अर्थात् जब चालक और चुंबकीय क्षेत्र एक-दूसरे पर लंब हो तो F का मान सबसे अधिक होगा ।.

प्रश्न 10. मान लीजिए आप किसी चैवर में अपनी पीठ को किसी एक दीवार से लगाकर बैठे हैं । कोई इलेक्ट्रॉन पुंज आपके पीछे की दीवार से सामनेवाली दीवार की ओर क्षैतिजत: गमन करते हुए किसी प्रवल चुंबकीय क्षेत्र द्वारा आपके दाईं ओर विक्षेपित हो जाता है। चुंबकीय क्षेत्र की दिशा क्या है ?

उत्तर- जिस समतल में इलेक्ट्रॉनों का प्रवाह तथा बल एक-दूसरे पर लंब हों तो चुंबकीय क्षेत्र उस समतल के लंबवत् दिशा में होगा ।

प्रश्न 11. विद्युत मोटर का नामांकित आरेख खींचिए । इसका सिद्धांत तथा कार्यविधि स्पष्ट कीजिए। विद्युत मोटर में विभक्त वलय का क्या महत्त्व है ?

उत्तरधारावाही चालक की कुंडली पर चुंबकीय क्षेत्र में बल युग्म का उत्पन्न होना ही विद्युत मोटर का कार्य सिद्धान्त है। मोटर में एक नाल चुंबक होता है । चुंबक में चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करने के लिए इसे विद्युत धारा से उत्तेजित किया जाता है। इस प्रकार क्षेत्र चुंबक विद्युत चुंबक होता है । इसके ध्रुव खंडों के फलक अवतल होते हैं । ध्रुव खंडों के बीच नर्म लोहे की प्लेट से बने क्रोड पर लिपटे ताँबे के तार की कुंडली होती है। जिसके फेरों की संख्या अधिक होती है । यही मोटर का आर्मेचर कहलाता है ।
आर्मेचर के छोर पीतल के खंडित वलयों R, तथा R, से टँके रहते हैं । वलयों से कार्बन के ब्रश B, तथा B, स्पर्श करते हैं। जब आर्मेचर की धारा प्रवाहित की जाती है तब विद्युत चुंबक के चुंबकीय क्षेत्र के अधीन उसकी AB तथा CD समान मान के किन्तु विपरीत दिशाओं के बल लगाते हैं, क्योंकि विद्युत की धारा का प्राबल्य समान है, लेकिन उनकी दिशाएँ विपरीत बल युग्म बनाती हैं जिस कारण आर्मेचर घूर्णित होता है। आधे घूर्णन बाद जब CD भुजा ऊपर चली जाती है और AB भुजा नीचे आ जाती है । तब वलयों के स्थान भी अदल-बदल जाते हैं । किन्तु ऊपर और नीचे वाली भुजाओं में धारा की स्थिति वही बनी रहती है। अतः आर्मेचर पर लगा बल-युग्म आर्मेचर को लगातार एक ही तरह से घुमाता रहता है ।
इस प्रकार विभक्त वलय आर्मेचर के साथ गति करते हैं । प्रत्येक अर्द्ध घूर्णन के बाद इनका संपर्क R तथा R, से क्रमशः होता रहता है जिसके कारण AB तथा CD भुजाओं में धारा की दिशा ज्यों-की-त्यों बनी रहती है। इसकी मदद से वलय द्वारा विद्युत । धारा आर्मेचर में प्रवाहित होती रहती है।

प्रश्न 12. ऐसी कुछ युक्तियों के नाम लिखिए जिनमें विद्युत मोटर उपयोग किए जाते हैं ।

उत्तरजिन युक्तियों में विद्युत मोटर का उपयोग किया जाता है, उनमें से कुछ के नाम हैं :

(i) पंपिंग सेट, (ii) एअर कंडीशनर, (iii) रेफ्रिजरेटर, (iv) वाशिंग मशीन, (v) एयर कूलर ।

प्रश्न 13. कोई विद्युतरोधी ताँबे के तार की कुंडली किसी गैल्वेनोमीटर से संयोजित है । क्या होगा यदि कोई छड़ चुंबक :
(i) कुंडली में धकेला जाता है ।
(ii) कुंडली के भीतर से बाहर खींचा जाता है

(iii) कुंडली के भीतर स्थिर रखा जाता है ।

उत्तर- (i) कोई विद्युतरोधी ताँबे के तार की कुंडली किसी गैल्वनोमीटर से संयोजित होती है तो कुंडली में धारा पैदा होती है और जब उत्तरी ध्रुव कुंडली में धकेलते हैं तो कुंडली में धारा की दिशा घड़ी की सुई के विपरीत दिशा में होती है और जब कुंडली में दक्षिण ध्रुव धकेलते हैं तो उसमें धारा की दिशा घड़ी की सुई की दिशा में होती है ।
(ii) जब कुंडली के भीतर से दक्षिण ध्रुव चुंबक बाहर खींचा जाता है तो कुंडली में धारा बायीं दिशा में तथा जंब उत्तर ध्रुव बाहर निकलता है तो कुंडली में धारा दक्षिणावर्ती दिशा में उत्पन्न होती है।
(iii) जब छड़ चुंबक कुंडली के भीतर स्थिर रखते हैं तो धारा उत्पन्न नहीं होती ।

प्रश्न 14. दो वृत्ताकार कुंडली A तथा B एक-दूसरी के निकट स्थित हैं । यदि कुंडली A में विद्युत धारा में कोई परिवर्तन करें तो क्या कुंडली B में कोई विद्युत धारा प्रेरित होगी ? कारण लिखिए ।

उत्तरहाँ, कुंडली B में विद्युत धारा प्रवाहित होगी । कारण कि कुंडली A में विद्युत धारा परिवर्तन होने के कारण उससे होकर गुजरने में चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं की संख्या में परिवर्तन होने के कारण कुंडली में धारा प्रेरित होती है ।

प्रश्न 15. निम्नलिखित की दिशा को निर्धारित करनेवाला नियम लिखिए:
(i) किसी विद्युत धारावाही सीधे चालक के चारों ओर उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र,
(ii) किसी चुंबकीय क्षेत्र में, क्षेत्र के लंबवत स्थित, विद्युत धारावाही सीधे चाल पर आरोपित बल, तथा
(iii) किसी चुंबकीय क्षेत्र में किसी कुंडली के घूर्णन करने पर उस कुंडली में उत्पन्न प्रेरित विद्युत धारा ।

उत्तर- (i) किसी धारावाही चालक के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र की दिशा मैक्सवेल का दक्षिण- हस्त नियम से ज्ञात किया जाता है । मैक्सवेल का दक्षिण- हस्त अंगुष्ठ नियम यह है कि धारावाही चालक को दाहिने हाथ से इस प्रकार पकड़ें कि अँगूठा विद्युत धारा की दिशा को सूचित करता हो और अंगुलियाँ चालक के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र की रेखाओं की दिशा का संकेत करती हों ।
(ii) किसी चुंबकीय क्षेत्र में धारावाही चालक पर बल की दिशा फ्लेमिंग के वाम- हस्त नियम से ज्ञात की जाती है ।
फ्लेमिंग का वाम-हस्त नियम यह है कि अपने बाएँ हाथ की तर्जनी, मध्यमा तथा अँगूठे को इस प्रकार फैलाइए कि ये तीनों एक-दूसरे के परस्पर लंबवत हों । यदि तर्जनी चुंबकीय क्षेत्र की दिशा और मध्यमा चालक में प्रवाहित विद्युत धारा की दिशा की ओर संकेत करती है तो अँगूठा चालक की गति की दिशा की ओर संकेत करेगा ।
(iii) चुंबकीय क्षेत्र में गतिशील चालक में उत्पन्न प्रेरित धारा की दिशा ज्ञात करने के लिए फ्लेमिंग के दक्षिण- हस्त का नियम का उपयोग किया जाता है ।
जब दाएँ हाथ के प्रथम तीन अँगुलियों को एक-दूसरे के लंबवत् इस प्रकार रखते हैं कि तर्जनी चुंबकीय क्षेत्र की दिशा और अँगूठा चालक में गति की दिशा को संकेत करता है तो चालक में प्रेरित धारा की दिशा मध्यमा अँगुली द्वारा दर्शाती है।

प्रश्न 16. नामांकित आरेख खींचकर किसी विद्युत जनित्र का मूल सिद्धांत तथा कार्यविधि स्पष्ट कीजिए। इसमें बुशों का क्या कार्य हैं ?

उत्तर – विद्युत जनित्र एक ऐसा युक्ति है जो विद्युत-चुंबकीय प्रेरण के सिद्धांत पर कार्य करती है। इसमें यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदला जाता है । फ्लेमिंग के दक्षिण-हस्त नियम से प्रेरित धारा की दिशा ज्ञात करते हैं । इस वलय यंत्र में आर्मेचर को शक्तिशाली चुंबकों के ध्रुवों के बीच घुमाया जाता है, जिससे आर्मेचर से गुजरनेवाली चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं की संख्या में परिवर्तन होता है और प्रेरित धारा उत्पन्न होती है ।

बनावट : विद्युत जनित्र में एक घूर्णी आयताकार कुंडली ABCD होती है, जिसे किसी स्थायी चुंबक के दो ध्रुवों के बीच रखा जाता है । इस कुंडली के दो सिरे दो वलयों R, तथा R, से संयोजित होते हैं । दो स्थिर चालक बुशों B, तथा B2 को अलग-अलग रूप से क्रमशः वलयों R, तथा R, पर दबाकर रखा जाता है। दोनों वलय R तथा R2 धुरी से जुड़े होते हैं। दोनों बुशों के बाहरी सिरे बाहरी परिपथ में विद्युत धारा के प्रवाह को दशनि के लिए गैल्वेनोमीटर से संयोजित कर दिया जाता है । कार्य विधि : जब आर्मेचर को दो शक्तिशाली चुंबकों के ध्रुवों के बीच घुमाया जाता है तो दोनों वलय घुमने लगते हैं । लेकिन दोनों वलय R तथा R2 कार्बन ब्रुशों के समीप आ जाते हैं और कुंडली में गति होने से जब AB भुजा ऊपर तथा CD भुजा नीचे की ओर रहती है तो आर्मेचर में धारा की दिशा A से B तथा C से D होती है। जब आर्मेचर की भुजा की दिशा D से C तथा B से A की ओर होती है। इस प्रकार एक घूर्णन में धारा की दिशा दो बार बदलती है और प्रत्यावर्ती धारा उत्पन्न होती है ।

प्रश्न 17. किसी विद्युत परिपथ में लघुपथन कब होता है ?

उत्तर जब विद्युन्मय तार (अथवा धनात्मक तार) तथा उदासीन तार (अथवा ऋणात्मक तार) दोनों सीधे संपर्क में आते हैं तो अतिभारण होता है। ऐसी परिस्थिति में किसी परिपथ में विद्युत धारा अकस्मात बहुत अधिक हो जाती है । इसी को लघुपथन कहते हैं ।

प्रश्न 18. भूसंपर्क तार का क्या कार्य है ? धातु के आवरण वाले विद्युत साधित्रों को भूसंपर्कित करना क्यों आवश्यक है ?

उत्तर – किसी विद्युत उपकरण के धात्विक भाग के तार की मदद से पृथ्वी के संपर्क करनेवाले तार को भूसंपर्क तार कहते हैं । इसका रंग हरा होता है। यदि किसी कारण से उपकरण के धात्विक भाग में विद्युत धारा प्रवाहित होने लगती है तो दुर्घटना की आशंका रहती है। यदि भू-संपर्क रहता है तो धारा इससे होकर भूमि में प्रवेश कर जाती है। इससे विद्युत का झटका नहीं लगता और दुर्घटना से बचाव हो जाता है ।

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