पंचदशः पाठः विश्ववन्दिता वैशाली | Vishwvandita Vaishali class 9th sanskrit

इस पोस्‍ट में हमलोग कक्षा 9 संस्‍कृत के पाठ 15 विश्ववन्दिता वैशाली (Vishwvandita Vaishali class 9th sanskrit) के सभी टॉपिकों के अर्थ का अध्‍ययन करेंगे।

पंचदशः पाठः
विश्ववन्दिता वैशाली

पाठ-परिचयप्रस्तुत पाठ विश्ववन्दिता वैशाली’ आधुनिक गीत है जिसमें लिच्छवियों की प्रसिद्ध राजधानी वैशाली की महिमा गाई गई है। वैशाली ही ऐसा राज्य था, जहाँ सर्वप्रथम गणतन्त्र शासन स्थापित हुआ । इसी के दिव्य प्रकाश से आलोकित होकर सारे संसार में गणतंत्र का प्रचार-प्रसार हुआ। आधुनिक वैशाली जिले में लालगंज के निकट इस राजधानी के प्राचीन अवशेष द्रष्टव्य हैं।

प्रवहति गघ्गा दक्षिणभागे शुभा गण्डकी पश्चिमभागे ।
नृपविशालकुलपुरी वरेण्या विश्ववन्दिता वैशाली ।।1।।

अर्थ-जिसके दक्षिण भाग में गङ्ग तथा पश्चिम भाग में स्वच्छ जलवाली गण्डकी बहती हा जहाँ विशाल नाम का राजा हुआ था, वही संसार द्वारा वन्दित उत्तम वैशाली है।
आशय– प्रस्तुत गीत वैद्यनाथ मित्र द्वारा रचित ‘विश्ववन्दिता वैशाली’ पाठ से उद्धृत । है। इसमें वैशाली की महिमा का गान गाया गया है। सर्वप्रथम गणतन्त्र की स्थापना वैशाली में ही हुई थी। यह लिच्छवियों का केन्द्र था। इसके दक्षिण में निर्मल जल वाली गङ्गा बहती है तो पश्चिम में स्वच्छ जलवाली गण्डकी बहती है । विशाल नामक राजा के नाम पर इसका वैशाली नाम पड़ा। यह अति पवित्र तथा दर्शनीय स्थल है।।

Vishwvandita Vaishali class 9th sanskrit

पुरा विशाला नगरी रम्या सस्यश्यामला अरिभिरगम्या ।
रामलक्ष्मणाभ्यां विलोकिता विश्ववन्दिता वैशाली ।।2।। …… विश्व ………….

अर्थ-विश्ववन्दिता वैशाली पहले अति विशाल, सुन्दर, हरा-भरा, शत्रु का पहुच से बाहर तथा राम-लक्ष्मण द्वारा देखी गई नगरी थी।
भाव-वैशाली अति प्राचीन नगरी है। यह अति विशाल तथा धन-धान्य से पूर्ण थी। इसकी सुन्दरता देखकर भगवान राम तथा लक्ष्मण अभिभूत हो गए थे। तात्पर्य कि वैशाली अपने समय में सारे ऐश्वर्यों से सम्पन्न तथा धर्म की केन्द्रस्थली थी। इन्हीं विशेषताओं के कारण यह विश्व में विख्यात थी।

या सीता-जनिका विशिष्यते या जिनेन्द्रजननी प्रशस्यते ।
या विदेहजनकादिसेविता विश्ववन्दिता वैशाली ।।3।। …… विश्व ………….

अर्थ-जो सीता की जन्मदात्री है, महावीर जैन की जन्म स्थली है तथा जो विदेह जनक आदि द्वारा सेवित है, इसी विशेषता के कारण वैशाली विश्व में वन्दनीय है।
आशय-प्रस्तुत गीत के माध्यम से लेखक ने वैशाली की प्राचीन गौरवगाथा का वर्णन किया है। लेखक का कहना है कि यह भूमि सीता एवं जैन धर्म के संस्थापक महावीर की जन्म स्थली तथा राजा जनक द्वारा सेवित है। यह भूमि अति पवित्र एवं अनेक धर्मों की केन्द्रस्थली है। इसी विशेषता के कारण यह प्रशंसनीय एवं विश्व द्वारा पूज्य है।

यस्यां बु(कृता उपदेशाः सत्याहिंसादिकसन्देशाः ।
आम्रपालिका कलासाध्कि विश्ववन्दिता वैशाली ।।4।। …… विश्व ………….

अर्थ-जिसमें भगवान बुद्ध ने सत्य-अहिंसा का उपदेश दिया, जहाँ आम्रपाली जैसी कलासाधिका आम्रपाली उत्पन्न हुई, वह वैशाली संसार में पूज्य थी।
भाव-भाव यह है कि जहाँ भगवान बुद्ध ने अपने उपदेश द्वारा लोगों में मानवता का संचार किया था तथा भगवान महावीर ने सत्य-अहिंसा का संदेश देकर जैन धर्म की स्थापना की थी और अज्ञानता के अंधकार में भटकते लोगों में ज्ञान की ज्योति जलाई थी तथा आम्रपाली जैसी श्रेष्ठ गणिका उत्पन्न हुई । उनकी कर्मस्थली वैशाली ही थी। इसी महत्ता के कारण वैशाली विश्व में विख्यात एवं पूज्य हुई।

Vishwvandita Vaishali class 9th sanskrit

यत्राशोक-निर्मितः स्तूपः स्तम्भः पुष्करिणी अथ कूपः ।
यस्या ध्रा कीर्तिमातनुते विश्ववन्दिता वैशाली ।।5।। …… विश्व ………….

अर्थ-जहाँ अशोक निर्मित स्तम्भ तथा बौद्धों का गोलाकार स्मारक एवं विशाल तालाब था। उस विश्ववन्दिता वैशाली का यश सारे संसार में फैला हुआ था।
भाव-लेखक के कहने का भाव यह है कि वैशाली इतना समृद्धशाली राज्य था कि उसका यश सम्पूर्ण विश्व में फैला हुआ था । सम्राट अशोक ने वहाँ स्तम्भ एवं बौद्धों का गोलाकार स्मारक बनवाया । इस प्रकार वैशाली धार्मिक दृष्टि से इतना महत्त्वपूर्ण हो गया कि लोग इसे देखने के लिए लालायित हो उठे तथा श्रद्धा का भाव प्रकट करने लगे । फलतः वैशाली संसार में विख्यात हो गया।

यत्रा लिच्छिवी-बज्जिक-संघाः गणनिष्ठाः सुध्यिश्च गुणौघाः ।
प्रजापालने ते विख्याताः विश्ववन्दिता वैशाली ।।6।। …… विश्व ………….

अर्थ-विश्ववन्दिता वैशाली में लिच्छवी तथा बज्जि संघ प्रजा पालन के लिए प्रसिद्ध था। गणतन्त्रतात्मक शासन पद्धति थी। विद्वान लोग गुणों के भण्डार थे।
भाव-लेखक ने वैशाली की शासन-व्यवस्था की विशेषताओं की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए यह स्पष्ट किया है कि विश्व में सर्वप्रथम गणतान्त्रिक शासन पद्धति की स्थापना वैशाली में ही हुई थी। लिच्छवी एवं बज्जी प्रजा की सुरक्षा का पूर्ण ख्याल रखते थे। प्रजा काफी प्रसन्न थी। सभासद विद्वान एवं गुणवान् थे। चारों ओर शांति का वातावरण था। किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जाता था। सभी बौद्ध धर्म के प्रति श्रद्धा रखते थे।

शासनविधै प्रकृष्टं तन्त्राम् संविधनसहितं गणतन्त्राम् ।
यस्य समुदयो यत्रा प्रथमतः विश्ववन्दिता वैशाली ।।7।। …… विश्व ………….

अर्थ-जिसकी शासन व्यवस्था उत्तम, संवैधानिक, लोकतांत्रिक तथा जहाँ गणतंत्र का सर्वप्रथम प्रादुर्भाव हुआ, वह विश्ववन्दिता वैशाली है,।।
भाव– प्रस्तुत गीत में लेखक बैद्यनाथ मिश्र ने वैशाली की महिमा का गुणगान किया है। लेखक का कहना है कि लोकतान्त्रिक शासन-व्यवस्था का प्रादुर्भाव सर्वप्रथम यही हुआ था। यहाँ लोकतान्त्रिक परम्परा के कारण शासन-शक्ति जनता के अधीन थी। जनता इस व्यवस्था से पूर्ण संतुष्ट थी तथा सुख-शांति से जीवन व्यतीत करती थी।

यत्रा जनानां वरं जनेभ्यः जनैः शासनं प्रियं समेभ्यः ।
जनतन्त्रां गणतन्त्रा-दिशैव विश्ववन्दिता वैशाली ।।8।। …… विश्व ………….

अर्थ- जहां जनता का, जनता के लिए तथा जनता के द्वारा शासन व्यवस्था का दिशा-निर्देश होता था, वह विश्ववन्दिता वैशाली है।
आशय- प्रस्तुत- गीत वैद्यनाथ मिश्र द्वारा लिखित ‘विश्ववन्दिता वैशाली’ शीर्षक पाठ से उद्धृत है। इस गीत में लोकतान्त्रिक शासन-व्यवस्था के महत्त्व पर प्रकाश डाला। गया है। लोकतंत्र में शासन-सत्ता जनता के अधीन होती है। जनता अपना प्रतिनिधि चुनकर भेजती है। इसीलिए इस शासन तंत्र को जनता की, जनता के लिए तथा जनता द्वारा निर्वाचित पद्धति कहते हैं। तात्पर्य यह है कि ऐसी शासन परम्परा का प्रादुर्भाव सर्वप्रथम वैशाली में ही हुआ, जिसे विश्व ने मुक्तकंठ से प्रशंसा की।

Bihar Board Class 10th Social Science
Vishwvandita Vaishali class 9th sanskrit Video

1 thought on “पंचदशः पाठः विश्ववन्दिता वैशाली | Vishwvandita Vaishali class 9th sanskrit”

Leave a Comment