Alas Katha VVI Subjective Questions – संस्‍कृत कक्षा 10 अलसकथा

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 10 संस्‍कृत के पाठ तीन अलसकथा (Alas Katha VVI Subjective Questions)’ के महत्‍वपूर्ण विषयनिष्‍ठ प्रश्‍नों के उत्तर को पढ़ेंगे।

Alas Katha VVI Subjective Questions

Chapter 3 Alas Katha VVI Subjective Questions अलसकथा (आलसी की कहानी)
लेखक-विद्यापति

लघु-उत्तरीय प्रश्‍नोत्तर (20-30 शब्‍दों में) ____दो अंक स्‍तरीय
1. ’अलसकथा’ से क्या शिक्षा मिलती है ? (2011C, 2015A, 2020A І)
अथवा, ’अलसकथा’ पाठ के लेखक कौन हैं तथा उस कथा से क्या शिक्षा मिलती है?(2016A)
उत्तर- मैथिली कवि विद्यापति रचित ’अलसकथा’ में आलसियों के माध्यम से शिक्षा दी गयी है कि उनका भरण-पोषण करुणाशीलों के बिना संभव नहीं है। आलसी काम नहीं करते, ऐसी स्थिति में कोई दयावान् ही उनकी व्यवस्था कर सकता है। अतएव आत्मनिर्भर न होकर दूसरे पर वे निर्भर हो जाते हैं। आलस एक शत्रु है, उसे त्याग देना चाहिए।

2. अलसशाला के कर्मियों ने आलसियों की परीक्षा क्‍यों ली ?(2020A ІІ)
उत्तर- अलसशाला में बहुत सारे बनावटी आलस ग्रहण कर अन्‍न और वस्‍त्र प्राप्‍त करने लगे, जिससे अलसशाला का खर्च बढ गया । अधिक व्‍यय को देखकर को देखकर वहाँ के कर्मियों ने आलसियों की परीक्षा ली।

3. अलसशला के कर्मियों ने आलसियों को आग से कैसे और क्‍यों निकाला ?(2020A ІІ)
उत्तर- अलसशाला में बनावटी आलस ग्रहण कर लोग अन्‍न और वस्‍त्र ग्रहण करने लगे। तब वहाँ के कर्मियों ने अलसशाला में आग लगा दिया। वहाँ लगे आग को देखकर कृत्रिम आलसी भाग गये, लेकिन चार आलसी वहीं सोये रह गये। शोरगुल के बाद भी चारों आलसी सोये अवस्‍था में बातचीत कर रहे थे। वहाँ के कर्मियों ने सोचा कि अगर इन्‍हें नहीं निकाला जायेगा, तो ये जल जायेंगे। इसलिए अलसशाला के कर्मियों ने चारों आलसियों को उनके बाल पकडकर बाहर निकाला।

4. अलसशाला में आग लगने पर क्या हआ?(2018A)
उत्तर- अलसशाला में आग लगने पर सभी धूर्त आलसी भाग गए। चार आलसी सोये हुए बातें कर रहे थे। फैली आग को देखकर नियोगी पुरुषों ने चारों आलसियों के बाल पकड़कर खींचते हुए बाहर निकाला।

5. मिथिला राज्य का मंत्री कौन था ? उन्होंने कृत्रिम आलसी की परीक्षा कैसे ली तथा अग्निलग्न घर देखकर कितने आलसी बच गये? (2016C)
उत्तर- मिथिला का मंत्री वीशेश्वर था। उन्होंने घर में आग लगाकर कृत्रिम आलसी की परीक्षा ली। अग्निलगन देखकर चार आलसी बच गए।

6. विद्यापति कौन थे ? उन्होंने किस ग्रंथ की रचना की? पठित पाठ के आधार पर लिखें।
उत्तर- विद्यापति एक महान मैथली कवि एवं लेखक थे। इन्होंने पुरुष परीक्षा नामक ग्रंथ की रचना की। संस्कृत भाषा में लिखित पुरुष परीक्षा में कथारूप में अनेक मानवीय गुणों के महत्व का वर्णन है तथा दोष के निराकरण के लिए शिक्षा दी गयी है। विद्यापति लोकप्रिय मैथिलकवि थे। ये संस्कृत ग्रंथों के रचयिता भी थे। इनकी ख्याति मैथली विषयों के साथ-साथ संस्कृत विषयों में अत्यधिक थी।

7. विद्यापति कौन थे ? उन्होंने किस ग्रंथ की रचना की? पठित पाठ के आधार पर लिखें।
उत्तर- विद्यापति एक महान मैथली कवि एवं लेखक थे। इन्होंने पुरुष परीक्षा नामक ग्रंथ की रचना की। संस्कृत भाषा में लिखित पुरुष परीक्षा में कथारूप में अनेक मानवीय गुणों के महत्व का वर्णन है तथा दोष के निराकरण के लिए शिक्षा दी गयी है। विद्यापति लोकप्रिय मैथिलकवि थे। ये संस्कृत ग्रंथों के रचयिता भी थे। इनकी ख्याति मैथली विषयों के साथ-साथ संस्कृत विषयों में अत्यधिक थी।

8. अलसकथा’ का क्या संदेश है?
अथवा, ’अलसकथा’ पाठ में किस पर चर्चा की गयी है?(2016A)
उत्तर- अलसकथा का संदेश है कि आलस्य एक महान रोग है। जीवन में विकास के लिए व्यक्ति का कर्मठ होना अत्यावश्यक है। आलस्य शरीर में रहनेवाला महान शत्रु है जिससे अपना, परिवार का और समाज का विनाश अवश्य ही होता है।

9. किनकी क्या-क्या गतियाँ हैं? पठित पाठ के आधार पर स्पष्ट करें।(2018A)
उत्तर- गति को यहाँ विशेष रूप से विश्लेषित किया गया है। स्त्री, पुरुष एवं बच्चों की गतियाँ अलग-अलग हैं। स्त्रियों की गति पति हैं, बच्चों की गति माँ है तथा आलसियों की गति कारुणिकता (दयालुता) है। अर्थात् स्त्रियों की जीवनभंगिमा उसके पति पर निर्भर करती है। बच्चों की जीवनवृत्ति उसकी माँ ही होती है। आलसियों की जीवनवृत्ति दयालुओं पर ही निर्भर होती है।

10. अलसकथा पाठ का पाँच वाक्यों में परिचय दें।
उत्तर- यह पाठ विद्यापति द्वारा रचित पुरुषपरीक्षा नामक कथाग्रन्थ से संकलित एक उपदेशात्मक लघु कथा है। विद्यापति ने मैथिली, अवहट्ट तथा संस्कृत तीनों भाषाओं में ग्रन्थ-रचना की थी। पुरुषपरीक्षा में धर्म, अर्थ, काम इत्यादि विषयों से सम्बद्ध अनेक मनोरंजक कथाएँ दी गयी हैं। अलसकथा में आलस्य के निवारण की प्रेरणा दी गयी है। इस पाठ से संसार की विचित्र गतिविधि का भी परिचय मिलता है।

11. आलसशाला के कर्मचारियों ने आलसियों की परीक्षा क्यों और कैसे ली? (2018C)
उत्तर- अलसशाला में आलसियों की सुख-सुविधाओं को देखकर कम आलसी एवं कृत्रिम आलसियों की भीड़ जुटी थी, जिससे अलसशाला का खर्च बेवजह बढ़ गया था। अतः अलसशाला के व्यर्थ खर्च को रोकने तथा सही आलसियों की पहचान के लिए अलसशाला में आग लगा दी गई, जिससे नकली आलसी भाग खड़े हुए।

12. चारों आलसियों के वार्तालाप को अपने शब्दों में लिखें।(2018A)
उत्तर- चारों आलसी निश्चय ही अपने आलसपन को सिद्ध कर रहे थे। एक ने मुंह ढंककर कहा-अरे हल्ला कैसा? दूसरे ने कहा-लगता है इस घर में आग लग गई है। तीसरे ने कहा-कोई धार्मिक व्यक्ति नहीं है, जो पानी से भींगे वस्त्रों से ढंक दे। चौथे ने कहा-अरे बक-बक करनेवालों ! कितनी बातें करते हो ? चुपचाप क्यों नहीं रहते हो !

13. विद्यापति कौन थे? उन्होंने किस ग्रन्थ की रचना की तथा ’अलसकथा’ में किसकी कहानी है ? छः वाक्यों में लिखें।(2017A)
उत्तर- विद्यापति एक महान कवि एवं लेखक थे। इन्होंने पुरुष परीक्षा नामक ग्रंथ की रचना की। संस्कृत भाषा में लिखित पुरुष परीक्षा में कथारूप में अनेक मानवीय गुणों के महत्व का वर्णन है। दोष के निराकरण के लिए शिक्षा दी गयी है। विद्यापति एक लोकप्रिय मैथिलकवि थे। ये संस्कृत ग्रंथों के रचयिता थे। उनकी ख्याति संस्कृत विषयों में अत्यधिक थी।

14. चारों आलसी पुरुष आग से किस प्रकार बचना चाहते थे?
अथवा, ’अलस कथा’ पाठ के आधार पर बताइए कि आलसी पुरुषों को किसने और क्यों निकाला?(2014A)
उत्तर- चारों आलसी पुरुष आग लगने पर भी घर से नहीं भागे। शोरगुल सुनकर वे जान गए थे कि घर में आग लगी हुई है। वे चाहते थे कि कोई धार्मिक एवं दयालु व्यक्ति आकर हमारे ऊपर भींगे हुए वस्त्र या कंबल डाल दे। जिससे आग बुझ जाए और वे लोग बच जाएँ। चूँकि आलसी व्यक्ति आग से बचने के लिए भी नहीं भाग सके इसलिए नियोगी पुरुष ने उनकी प्राण रक्षा के लिए उन्हें घर से बाहर किया।

15. अलसकथा का सारांश लिखें।(2012A)
उत्तर- मिथिला में वीरेश्वर नामक मंत्री था। वह स्वभाव से दानशील और दयावान था। वह अनाथों और निर्धनों को प्रतिदिन भोजन देता था। इससे आलसी भी लाभान्वित होते थे। आलसियों को इच्छित लाभ की प्राप्ति को जानकर बहुत से लोग बिना परिश्रम तोन्द बढ़ानेवाले वहाँ इकट्ठे हो गए। इसके पश्चात् आलसियों को ऐसा सुख देखकर धूर्त लोग भी बनावटी आलस्य दिखाकर भोजन प्राप्त करने लगे। इसके बाद अत्यधिक धन-व्यय देखकर शाला चलाने वाले लोगों ने विचार किया कि छल से कपटी आलसी भी भोजन प्राप्त करते हैं। यह हमलोगों की गलती है।
अतः उन आलसियों का परीक्षण करने हेतु उन्होंने आलसशाला में आग लगाकर हल्ला कर दिया। इसके बाद घर में लगी आग को बढ़ती हुई देखकर सभी धूर्त्त भाग गये। लेकिन चार पुरुष अग्नि का आभास पाकर भी अपने स्थान पर वैसे ही बने रहकर बात करने लगे कि उन्हें कोई इस अग्नि से निकाल देता। अंततः व्यवस्थापक इस संबंध में उनकी आपस की वार्तालाप को सुनकर बढ़ी हुई आग की ज्वाला से रक्षण हेतु उन्हें निकाल दिया। आलसियों की पहचान करते हुए उन्होंने पाया कि आलसी स्वयं अपना पोषण नहीं कर सकते। वे दयावान लोगों की दया पर ही जीवित रह सकते हैं। अतः उन्हें मदद की पूर्ण जरूरत है। इसके बाद उन चारों आलसियों को पहले से अधिक चीजें मंत्री देने लगे।

Leave a Comment