BSEB Class 6th Hindi Solutions Chapter 1 अरमान

Class 6th Hindi Text Book Solutions

1.अरमान

(1.)जो लोग गरीब भिखारी हैं।,

जिन पर न किसी की छाया है।

हम उनको गले लबगाएँगे,

हम उनको सुखी बनाएँगे।

सप्रसंग व्याख्या-प्रस्तुत पंक्तियाँ रामनरेश त्रिपाठी द्वारा रचित कविता ‘अरमान’ से शीर्षक कविता से उद्धृत हैं। इनमें कवि ने अपना हृदयोद्गार प्रकट किया है।

कवि का कहना है कि वह वैसे व्यक्तियों को गले लगाना चाहता है जो सदियों से उपेक्षित, असहाय तथा गरीबी की मार से पीड़ित, दुःखित तथा हताश हैं। वह ऐसे लोगों को सुखी बनाने का निर्णय इसलिए करता है, क्योंकि ऐसे लोगो के विकास के बिना देश का विकास नहीं हो सकता। देश का विकास तभी संमभव है जब सबको समान अवसर मिले। समानता, भ्रातृत्व तथा सहिष्णुता की भावना का विकास हो। कवि के कहने का भाव है कि गरीबों एवं असहायों के उत्थान के बिना हमारी शक्ति बढ़ नहीं सकती। इसलिए हम उन लोगों को ऊपर उठाने का प्रयास करें जो निर्धन एवं निःसहाय हैं।

(2.) रोको मत, आगे बढ़ने दो

आजादी के दीवाने हैं।

हम मातृभूमि की सेवा में,

अपना सर्वस्व लगएँगे।

सप्रसंग व्याख्या-प्रस्तुत पंक्तियाँ पाठ्यपुस्तक किसलय से संकलित रामनरेश त्रिपाठी द्वारा विरचित ‘अरमान‘ शीर्षक कविता से उद्धृत है। इसमें कवि ने वैसे लोगों को सावधान किया है जो आजादी के मार्ग पर चलने वालांे के विरोधी हैं। आजादी के मार्ग में रोड़ा बनकर बाधा डालने का प्रयास करते हैं।

कवि ऐसे लोगों को सतर्क करते हुए संदेश देता है कि ये आजादी के दीवाने हैं। उन्होंने अपनी मातृभूमि की खुशहाली के लिये अपना सर्वस्व अर्पित कर दिया है। इन्हें कोई भी शक्ति अपने कर्तव्य-पथ से विचलित नहीं कर सकती। इन्होंने मातृभूमि के उद्धार के लिए ही शरीर धारण किया है, इसलिए इन्हें अपने कर्मपथ पर बढ़ने दो, इनकी राह में रूकावट डालने का प्रयास मत करो। ये मातृभूमि के सच्चे सपूत हैं। कवि ने सच्चे देशभक्तों की विशेषताओं कि ओर हमारा ध्यान आकृष्ट किया है।

(3.) हम उन वीरों के बच्चे हैं,

जो धुन के पक्के सच्चे थे।

हम उनका मान बढाएँगे,

हम जग मे नाम कमाएँगे।

सप्रसंग व्याख्या- प्रस्तुत पद्यांश कवि रामनरेश त्रिपाठी द्वारा लिखित कविता ‘आरमान‘ शीर्षक पाठ से लिया गया है। इसमें कवि अपने पूर्वजों की वीरता, धीरता तथा दृढ़ता की ओर हमारा ध्यान आकृष्ट किया है।

कवि का कहना है कि हम उन वीरों की संतान हैं जिन्होंने अपने प्राण की रक्षा के लिए अपने प्राण दे दिए, लेकिन अपने पथ से विचलित नहीं हुए। उन्होंने अपने शान तथा मान के लिए सर्वस्व का त्याग कर दिया। इसलिए हम भी उनकी यशोगाथा मे चार-चाँद लगाने का प्रयास करेंगे, ताकि पूर्वजों का मान बढ़े और विश्व यह बात स्वीकार करे कि भारतीय त्याग के प्रतिमूर्ति होते हैं। वे मातृभूमि के कल्याण के लिए ही शरीर धारण करते हैं। ऐसी स्थिति में, हमें अपने-आपको कर्तव्यपथ पर आरूढ़ रहने का प्रयास करना चाहिए, ताकि संसार हमें श्रद्धा के दृष्टि से देखता रहे।

अभ्यास के प्रश्न एवं उत्तर

प्रश्न 1. प्रस्तुत कविता में गरीबों को गले लगाने एवं सुखी बनाने की बात क्यों की गयी है?

उत्तर- प्रस्तुत कविता में गरीबों को गले लगाने एवं सुखी बनाने की बात इसलिए की गई है क्योंकि इनके विकास के बिना देश का चहुमुखी विकास होना संभव नहीं है। किसी भी समाज अथवा राष्ट्र का विकास तभी होता है जब सारे देशवासी खुशहाल रहते हैं। जब वे भेदभाव से रहित होते हैं।

प्रश्न 2. इस कविता में हारे हुए व्यक्ति के लिए क्या कहा गया है ?

उत्तर- इस कविता में हारे हुए व्यक्ति के मन में उत्साह का संचार करने की बात की गई है। जो हताश-निराश व्यक्ति हैं उन्हें कर्मपथ पर बढ़ने के लिए प्रेरित किया जाएगा, ताकि वे भी मातृभूमि के उद्धार में सहयोग दे सकें।

प्रश्न 3. इन पंक्तियों के भाव स्पष्ट कीजिए:

रोको मत, आगे बढ़ने दो, आजादी के दीवाने हैं।

हम मातृभूमि की सेवा में, अपना सर्वस्व लगाएँगे।

संकेत: पृष्ट 4 पर व्याख्या संख्या-2 देखें।

प्रश्न 4. बूढ़े और पूर्वजों का मान बढ़ाने के लिए हमें क्या करना चाहिए

उत्तर- बूढ़े और पूर्वजों का मान बढ़ाने के लिए हमें उनके बताए मार्ग पर चलने का प्रयास करना चाहिए। अपने आन-बान एवं शान के लिए रक्षा के लिए जान की बाजी लागा देनी चाहिए। हमारे पूर्वजों ने प्रण की रक्षा जान देकर की और अमरता प्रप्त की थी। हमें भी वैसा करना चाहिए।

पाठ से आगे:

प्रश्न 1 इस कविता में कौन-सा अंश ज्यादा झकझोरता है ? विवेचन कीजिए।

उत्तर- इस कविता का अंतिम अंश हमें झकझोरता है। यह अंश इस बात का संदेश देता है कि हम उन वीरों की संतान हैं, जिन्होंने अपने निश्चय का पालन दृढ़तापूर्वक किया तथा अपने महान त्याग का परिचय दिया था। फलतः उनकी यशोगाथा सम्पूर्ण संसार में फैल गई और विश्व को यह बात मानने पर मजबूर होना पड़ा कि भारतीय धुन के पक्के तथा दिल के सच्चे होते हैं। अतएव हमें भी अपने पूर्वजों के मान-समान बढ़ाने के लिए उन्हीं के समान त्यागी एवं कर्मठ बनने का प्रयास करना चाहिए।

प्रश्न 2. आपके भी कुछ शौक या अरमान होंगे, उनको पूरा करने के लिए आप क्या करना चाहेंगे ?

उत्तर- मैं एक अच्छा किसान बनना चाहता हूँ। यही मेरा शौक है और अरमान भी। मैं जानता हूँ कि देश में अनाज की भारी कमी हैं। इस कारण सभी कृषि उत्पाद दिनों-दिन महँगे होते जा रहे हैं। मैं समझता हूँ कि यदि सही रूप से देश-सेवक बनना है तो कृषि कार्य से बढ़कर देश सेवा का कोई काम हो ही नहीं सकता। यदि देश में अन्न होगा तभी देश के लोगों का पेट भरने को अन्न मिल सकता है। मेरी समझ में नहीं आता कि सभी लोग डॉक्टर और इंजीनियर ही बन जाएँगे तो कृषि कार्य-कौन करेगा। देश को अन्न कहाँ से मिलेगा। सब्जी कहाँ से मिलेगी। फल कहाँ से मिलेंगे। अतः मेरा दृढ़ विश्वास है कि कृषि कार्य करके ही मैं देश की सेवा कर सकूँगा।

प्रश्न 3. जन्मभूमि या मातृभूमि के प्रति कैसा लगाव होना चाहिए ?

उत्तर- जन्मभूमि या मातृभूमि के प्रति हमरा लगाव माता एवं पुत्र जैसा होना चाहिए। हमें अपनी मातृभूमि को सर्वोपरि मानना चाहिए, क्योंकि मातृभूमि के सम्मान से ही देशवासी का सम्मान बढ़ता है। इसलिए देशवासियों को इसकी सुरक्षा के लिए सदा प्रत्नशील रहना चाहिए।

प्रश्न 4. यदि आप चाहते हैं कि देश आप पर अभिमान करे तो इसके लिए आपको क्या काम करना होगा ?

उत्तर- देश हम पर अभिमान करे, इसके लिए हमें अपना सब कुछ मातृभूमि की बलिवेदी पर अर्पित करना होगा। देश की अस्मिता की रक्षा के लिए जान की बाजी लगानी होगी। हमारा देश सुरक्षित रहे, इसके लिए हमें सदा प्रयत्नशील रहना होगा।

व्याकरण:

प्रश्न 1. (क) रोको, मत जाने दो ।

(ख) रोको, मत जाने दो

उपर्युक्त वाक्यों में अल्पविराम चिह्न का प्रयोग अलग-अलग स्थानों पर हुआ है, जिससे उन वाक्यों का अर्थ बदल गया है। इस प्रकार के कुछ और वाक्य बनाइए

उत्तर- (क) खाओ, मत खाने दो।

(ख) खाओ मत, खाने दो।

(क) गाओ, मत गाने दो।

(ख) गाओ मत, गाने दो।

प्रश्न 2. अर + मान = अपमान । इस उदाहरण के आधार पर माननए शब्द बनाइए।

उत्तर: अप + मान = अपमान

अभि + मान = अभिमान

सम् + मान = सम्मान

बुद्धि + मान = बुद्धिमान

गति + मान = गतिमान

कुछ करने को:

प्रश्न 3 पता कीजिए कि देश के लिए किन-किन लोगों ने अपना सर्वस्व न्योछावर किया ?

उत्तर- देश के लिए महाराणा प्रताप, भगत सिंह, चन्द्रशेखर आजाद, सुभाषचन्द्र बोस, मनमोहन मालवीय, जयप्रकाश नारायण आदि ने अपना सर्वस्व न्योछावर किया।

प्रश्न 2. हर व्यक्ति का अपना कोई-न-कोई अरमान होता है। आप अपने अरमान के बारे में दस पंक्तियों में लिखिए और अपने शिक्षक को सुनाइए।

    संकेत: ये परियोजना कार्य हैं। छात्र स्वयं लिखें।

Class 8th Hindi Notes & Solutions – click here
Watch Video on YouTube – click here
Class 8th Sanskrit Notes & Solutions – click here
Class 8th Science Notes & Solutions – click here
Class 8th Sanskrit Notes & Solutions – click here

Leave a Comment