BSEB Class 6th Hindi Solutions Chapter 9 बाल-लीला

Class 6th Hindi Text Book Solutions

9. बाल-लीला (बाल-वर्णन) (सुरदास)

कविता का भावार्थ- इस पद में श्रीकृष्ण के वाक्चातुर्य का वर्णन किया गया है। श्रीकृष्ण कुछ बड़े हो गए हैं। वे अपने संगी-साथियों के साथ खेलने जाते हैं और पास-पड़ोस के घर जाकर दही-मक्खन चुराकर खाते हैं। जब वे उनकी इस शरारत की शिकायत माँ यशोदा से करती हैं तो वह बचाव में तर्क देते हैं कि अरी माँ! मैने मक्खन नहीं खाया हैं, क्योंकि सवेरे होते तुम मुझे गाय चराने वृन्दावन भेज देती हो। मैं दिनभर गाय के पीछे जंगल में भटकता रहता हुँ, और शाम के समय घर वापस आता हुँ। साथ ही, मैं छोटा बालक हुँ, इसलिए मेरे हाथ छोटे हैं। अब तुम्हीं बताओ कि ऊँचाई पर टँगे सीके पर रखे मक्खन के बर्तन को मैं कैसे छू सकता हुँ। ये ग्वाल-बाल सभी मेरे पीछे पड़े हुए हैं। मुझे बदनाम करने के लिए वे जबर्दस्ती मेरे मुँह में मक्खन लेप देते हैं। हे माते! तुम भी कितनी भोली हो कि उनकी बातों पर विश्वास कर लेती हो। इससे मुझे लगता है कि तुम्हारे मन में कुविचार पैदा हो गए हैं। इसलिए तुम मुझे दुसरे का पुत्र जानकर ऐसा सोचती हो।

इसके बाद वह स्पष्ट होकर माँ यशोदा से कहते हैं कि यह लाठी तथा कंबल ले लो। तुमने मुझे बहुत सताया है। सुरदास जी कहते हैं कि माँ यशोदा श्रीकृष्ण की यह बात सुनकर मुस्कुराने लगती हैं तथा उन्हें उठाकर अपने गले लगा लेती हैं।

सप्रसंग व्याख्या

1. मैया मोरी, मैं नहीं माखन खायो।

भोर भयो गैयन के पाछे, मधुवन मोहि पठायो

चार पहर बंसीवट भटक्यो, सांझ परे घर आयो।।

व्याख्या- प्रस्तुत पद कवि सुरदास द्वारा लिखित है। इसमें कवि ने श्रीकृष्ण की वाक्पटुता पर प्रकाश डाला है। श्रीकृष्ण कुछ बड़े हा गए हैं। उनमें तर्क करने की क्षामता आ गई है। जब ब्रज की गोपियाँ श्रीकृष्ण के विरूद्ध शिकायत करती हैं कि वह घर-घर जाकर मक्खन-दही चुराकर खाता है तो वह माता यशोदा को यह तर्क देकर चुपकर देते हैं कि वह सवेरे गाय चराने चले जाते हैं। दिनभर गाय के पीछे भटकते रहते हैं तथा शाम को घर वापस आते हैं। साथ ही, वे छोटा बालक हैं, उनके हाथ छोटे हैं। फिर ऊँचाई पर टँगे सीके से मक्खन या दही का बर्तन कैसे उतार सकते हैं। ये सारे ग्वाल-बाल मेरे पीछे पड़े हुए हैं, वे मुझे बदनाम करने के लिए मेरे मुँह पर दही का लेप लगा देते हैं और तुम ऐसी भोली हो कि इनकी बातों पर विश्वास कर लेती हो। तुम्हारे इस व्यवहार से प्रतित होता है कि तुम्हारे मन में प्रति दुर्भावना पैदा हो गई है, क्योंकि मैं तुम्हारा पुत्र नहीं हुँ। इसी आक्रोश के आवेग में लाठी तथा कंबल लौटाते हुए श्रीकृष्ण कहते हैं कि तुमने मुझे बहुत सताया है।

सुरदास जी कहते हैं कि श्रीकृष्ण की ऐसी रोषपूर्ण बाते सुनकर माँ यशोदा मुस्कुराते हुए उन्हें गले लगा लेती हैं।

अभ्यास के प्रश्न एवं उत्तर

पाठ से:

प्रश्न 1. अपने साथियों द्वारा लगाये गए आरोपों को झुठा बताने के लिए कृष्ण अपनी माँ के सामने कौन-कौन से तर्क रखते हैं?

उत्तर- अपने ऊपर लगाए गए आरोपों को झूठा साबित करने के लिए श्रीकृष्ण माँ यशोदा से कहते हैं-मैं सवेरे गाय चराने मधुवन चला जाता हुँ ? और शाम में घर वापस आता हुँ। फिर सीके पर रखे मक्खन के बर्तन को कैसे नीचे उतार सकता हुँ, हे माँ! ये ग्वाल-बाल मेरे पीछे पड़े हुए हैं। बदनाम करने के लिए मेरे मुँह पर मक्खन लेप देते हैं। तुम तो इतनी भोली हो कि इनकी झुठी बातों पर विश्वास कर लेती हो। श्रीकृष्ण के इन तर्कों से जब यशोदा संतुष्ट नहीं होती हैं तब माँ को यह कहकर निरूत्तर कर देते हैं कि मैं तुम्हारा बेटा नहीं हुँ। मुझे जन्म देने वाली माँ कोई और है। इसलिए मेरे प्रति तुम्हारे मन में भेदभाव की भावना पैदा हो गई है। इस कारण मेरी बातों पर तुम विश्वास नहीं करती।

प्रश्न 2. नीचे कुछ पंक्तियाँ दी गई हैं। उन्हें पढ़िए और बाल-लीला के पदों में से उन पंक्तियों को छाँटकर लिखिए जिनका भावार्थ इन पंक्तियें में समाहित है:

(क) माँ मैं अभी बहुत छोटा हुँ, छोटी-छोटी मेरी बाँहें हैं, सींका (एक प्रकार की रस्सी बनी होती है जिस पर कुछ भी रखा जाता है) मैं किस तरह पा सकता हुँ। माँ! मेरे सभी दोस्त अभी दुश्मन बन बैठे हैं। मेरे मुँह पर जबरदस्ती माखन  लगा देते हैं।

(ख) माँ, अपनी लाठी और कंमल लो। तुने मुझे बहुत परेशान किया है इस पर यशोदा हँसकर कृष्णा को गले लगा लेती है।

उत्तर:

(क) ‘‘मैं बालक बहियन को छोटो, छींको केहि विधि पायो।

ग्वाल-बाल सब बैर परे हैं, बरबस मुख लपटायो ।।‘‘

(ख) ‘‘यह लै अपनी लकुटी कमरिया, बहुतहिं नाच नचायो।

सूरदास, तब विहंसी जसोदा, लै उर कंठ लगायो।‘‘

पाठ से आगे:

प्रश्न 2. निम्नलिखित पद का अर्थ अपनी मातृभाषा में कीजिए।

(क) मैं बालक को छोटो, छींको केहि विधि पायो।

ग्वाल-बाल सब बैर परे हैं। बरबस मुख लपटायो।।

उत्तर- मैं तो बालक हुँ और मेरी बाहें भी छोटी है। फिर मैं छींका कैसे पकड़ सकता हूँ। सभी ग्वाल-बाल मुझसे बैर रखने लगे हैं। ये मेरे मुँह में जबरदस्ती दही लभेर देते हैं।

(ख) तू जननी मन की अति भोरी, इनके कहि पतियायो।

जिय तेरे कछु भेद उपजिहैं, जानि परायो जायो।।

उत्तर- माता तुम मन की बड़ी भोली हो, जा इनके कहने पर विश्वास कर लेती हो। मुझे लगता है कि तुम्हारे मन में भेद पैदा हो गया है, यह जानकर कि मैं किसी अन्य का जन्माया हुआ हूँ।

Class 8th Hindi Notes & Solutions – click here
Watch Video on YouTube – click here
Class 8th Sanskrit Notes & Solutions – click here
Class 8th Science Notes & Solutions – click here
Class 8th Sanskrit Notes & Solutions – click here

Leave a Comment